भूमि अधिग्रहण- हमर तीन पिढी के घुरवा गै

आदमी कर जिही रिही तेकरे तो संसो करही भर्इ, जेकर करा खेती खार हे तेमन ल अपन-अपन खेत के संसो अब बइसाखू ह तो बपरा गरीब आदमी गांव के नानकुन घर के छोड़े अउ काहीच नइ हे। अब भुमि अधिग्रहण वाला मन गांव के सर्वे करिस की काकर कर कतका जमीन हे ओकर मुआवजा देबो किके। सबे अपन-अपन खेत खार के कागत पुरजा ल धर के लिखावत गिस। अब बइसाखू बिचारा का करे ओकर करा तो पुरखौती कांहिच नइ हे। घर के छोडे अऊ उपराहा कुछु हे त वोहे वोकर तरिया पार के घुरवा।
 वो घुरवा कब के हेबे तेन ल तो बइसाखू घलो नइ जानय। फेर जब ले होस संभाले हे तब ले उही घुरवा म अपन बेड़ा भर के कचरा फेकत आवथे। ओ घुरवा बर कम झगरा नइ होय हे। दू साल पहिली पंचइत भवन बनाबो किके सरपंच ह ओकरे घुरवा बर बानी लगाय रिहीस। जेन बखत सरपंच ह घुरवा ल पटवाय बर बनिहार पठोइस बइसाखू ह अगवाके घुरवा म सुत गे अउ गरज के किहीस लेव अब महु ल इही घुरवा म पाट दव। हमर तीन पिढ़ी इही घुरवा म राख माटी फेकत-फेकत उंकर मांदी के पतरी फेकागे। अब मोरो आस रिहीस कि मोर मरनी के मांदी के पतरी इही घुरवा म फेकाय। अब तो घुरवाच नइ रिही तेकर ले मोला जिते जियत इही घुरवा म पाट दव। पंचइत भवन छोडि़स तव पानी टंकी बनही किके नेव खोदवात रहिस अहु दरी नेव म जाके सुतिस त ओकर घुरवा बाचिस। आखिर एके ठन तो बइसाखू के पुरखौती चिनहा हे कइसे छोड़ देतिस। आखिर म पचइते ओकर घुरवा ल छोडि़स अब नया राजधानी वाला मनके सपेड़ा परे हे।

                  बइसाखू मुंह फारे देखत हे कि कोनो ह संग देतिस त यहू दरी जी परान देके अपन घुरवा ल बचाय के उदिम करतेव। फेर का करबे कोनो ह अपन पुरखौती चिनहा ल बचाय बर उदिमो नइ करत हे। गांव के पचइत ए ते पाय के बाचगे अब सरकार ले थोरहे बांचही। अरे सरकार तो जेकर करा लिखा पढ़ी के कागत हे, रजिस्टी वाला जमीन हे तेहू तक ल नइ छोड़त हे। अउ फेर बइसाखू कर तो कांही कागत पुरजा नइ हे। ओला तो मुआवजा घलो नइ मिलय गै तीन पिढ़ी के घुरवा।
अतका म एक बात तो साफ होगे कि दुनिया म जतका भी संसाधन हे सब सरकार के आय। ओ मन जिहा चाहय जब चाहय अपन कब्जा जमा सकथे। जे दिन तक सरकार के नजर नइ परे राहय लोगन ओकर उपयोग करथे। जिही दिन सरकार के नजर म आगे माने सरकार के होगे। हमर खेत राजस्व विभाग के आय, खेती म पानी पलोथन तेन ह नाहर डिपाटमेंट के आय, नांगर बक्खर म उपयोग करथन तेन बइला भइसा ह पशु पालन विभाग के आय, खेती किसानी के बिजहा अउ खातु ह खादय बीज निगम के आय। कर लेके बेरा सरकार किथे तुहरे सोहलयित बर आय त फेर आज किसान मन के जीवकोपार्जन के आधार ल नंगावत हे तव कहा हे ये विभाग।
अभी सुनर्इ आहे कि नया राजधानी म प्रभातित गांव वाला मनके व्यस्थापन बर मकान बने के सुरू होगे हे। पक्का मकान बिजली पानी चकाचक घर बनाके देवथे। एमन घर तो बनावथे पर का उइसेन गांव फेर बसा पही। गांव ल उजारना बहुत आसान हे बसाना नामुंकिन। गांव ह मकान अउ उहा के रहवासी मन के बसेरा ले नइ बसे बलिक सभ्यता अउ संस्कृति के रतियाए ले बसथे।


गांव उजार के गांव बसाने वाला मन जोन मकान बनावथे वोहा तो कोनो प्रकार से लगय नही कि ये गांव वाला बर बनावत हे। मकान म एक कोठा होना, एक परसार होना, चुल्हा बारे बर रंधनी खोली होना। धान धरे बर कोठी होना, छेना धरे बर पटाव होना। नहाय बर घर तिर म तरिया होना, बाहिर बÍा अउ निसतारी बर जगा होना। सबे घर के अपन कुल देवता होथे तेकर बर देवता खोली होना। देवता ल अइसने विराज मन घलो नइ करे सकय मान गवन करके आसन देबर परथे। एकर अलावा चरयारी चिज घलो लागही जइसे होले डउर, खैरखा डांढ़, खल्लरी मंदिर, शितला, ठाकुर देव, बरम बबा, परेतिन दार्इ, साहड़ा देव। नया जगह म तो येमे से एको ठिन के चिनहा नइ दिखे तव गांव के व्यवस्थान कइसे होही तेला उही मन जाने।


गांव उजारने वाला मन ल तो इही लागथे कि ओमन सिरिफ मकाने भर ल ए मेर ले ओमेर करत हे लेकिन गांव छोड़ने वाला से पुछव कि ओमन का का छोड़के जावथे। मुआवजा हर चिज के नइ हो सके।
धन्य हे बइसाखू भइया जोन घुरवा ल बचाय बर अपन जीव ल होम देवे। आज जब दस-दस बीस-बीस अक्कड़ के जोतन दार मन ल रूपिया गनत देखथवं तो मोला गर्व होथे बइसाखू भइया उपर कि ओमन अपन घुरवा गतर बर लड़ मरय। आज लोगन लड़त हाबे मुआवजा के राशि बड़वाय बर। अरे उही दिन बइसाखू सही सबो कोनो अपन-अपन खेती खार, घर दुवार ल पुरखा के चिनहा जान के सरकार ल धुतकारे रितेव त आज ये दिन देखे ल नइ परतिस।

1 टिप्पणी:

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