अपन अउ बिरान

सोनपुर गांव म संभू अउ महादेव नाव के दू भाई रिहीस। दोनो भाई ह गांव के बड़का किसान रिहीस। संभू ह दोनो घर के सियानी करे, ओकर परवार म गोसइन भगवंतिन, ओकर भाई महादेव अउ भाईबहू सांति। संभू के एको झिन औलाद नइ रिहीस। महादेव के दू झन औलाद हे एक गोपाल अउ दूसर बाली। संभू ह अपन भाई ल भाई नही अपन बेटा माने इही बात म संभू के गोसइन भगवंतिन ह जलन मरे।
संभू अउ भगवंतिन के बीच बात-बात म ताना कसी होवत राहय। गोपाल ह गांव रइ के खेती किसानी के काम ल करे अउ बाली ह साहर म पढ़ाई करय।
           उहिच गांव म महादेव के लंगोटिया संगवारी रिहीस। निच्चट गरीब रिहीस ऊपर ले बिमारी घलो घेरे रिहीस। एक दिन अपन जवान छोकरी ल छोड़ के बितगे। संगी के मरे के बाद ओकर बेटी किसना ल अपने घर लान लिस। अब गोपाल अउ किसना ह मिल के घर दुवार के काम ल करे। हांसी खुसी ले दिन कटत रिहीस।
          एक दिन भगवंतिन के भाई के बेटा अउ बेटी ह अपन फुफू घर रेहे बर आथे। भगवंतिन के भतिजा ह गजब अनदेखना रिहीस। संभू ह गोपाल ल बेटा-बेटा काहत रहे ल भगवंतिन के भतिजा मन ल सहे नइ जात रिहीस। ओमन तो इही मंसा लेके आय रिहीस कि अपन फुफू के एको झन औलाद नइ हे सबो चिज बस ल हथिया लेबो। भगवंतिन घलो वोकरे मन के बुध म आगे।
भगवंतिन अउ ओकर भतिजा दोनो झन मिल के घर के बटवारा करा देथे। महादेव के छोटे बेटा बाली घलो सहर ले पढ़ के गांव आगे रिहीस। बाली अउ भगवंतिन के भतिजा दोनो झन साहर म संगे पढ़य ते पाय के दोनो झन के बने जमत रिहीस। बांटा होइस त बाली ह अपन दाई ददा ल छोड़ के वोकरे मन संग होगे। बाली ह वोकरे मन के सिखान म अपन भाई ले बाटा ले डरिस।
           बाप के बाटा के भाड़ी नइ रूंधाय रिहीस ओकरो मन के बाटा होगे। किसमत घलो एकउहा ओकरे उपर रिसागे। दोनो भाई के बाटा के बाद महादेव के तो सुध बुध हरागे। गांव के पंचइत ह ओकर मन के बाटा करइस। बाटा के बाद तुरते बाली के बिहाव होगे। महादेव घर म बीमार परे हे अउ बाली के बिहाव होवथे। महादेव ह बीमारी म मरत हावे अउ बाली के भावंर परत हाबे।
          गोपाल घेरी-बेरी दोनो के नता ल जोरे के उदीम करथे फेर भगवंतिन अउ ओकर भतिजा ह हमेसा नता ल टोरे के काम करय। गोपाल के बिहाव देखे के महादेव ल आखरी इच्छा रिहीस। गोपाल के बिहाव देखे के संभू ल घलो आस रिहीस। गोपाल अउ किसना ह उंकर मन के इच्छा ल पुरा करथे। जब ले बाटा होय हे दोनो के घर म परदा रूंधागे हे। परदा के ए पार संभु अउ वो पार महादेव रो रो के अपन दिन ल कांटे।
बिहाव के बाद बाली ह नौकरी करे बर बाहिर चल देथे। भगवंतिन ह अपन भतिजा के बुध म   रेंगथे। भतिजा ह ओला जोंख असन चुसत हावे। कोरा कागत म दसकत करवा-करवा के ओकर सबो चिस बस ल अपन नाम करा लेथे। संभु बरजथे तभो ले भगवंतिन नइ माने। दसकत वाला कागत ल धरके भतिजा ह सहर भाग जथे।
          अपन तो भागिस संग म घर अउ खेत ल घलो बेच बुचाके संभु अउ भगवंतिन ल कंगला कर दिस। भतिजा अउ भतिजिन दोनो मिल के फुफू के घर दुवार ल बरबाद कर दिस। सबो चिज बस ल लुटाय के बाद भगवंतिन ल चेत अइस कि कोन अपन अउ कोन बिरान। आखिर म गोपाल अउ महादेव ह वोकर घर अउ खेत ल बचा के फेर एक के एक होगे।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बने चारी हे, चुगली ला पाछु सुनबो :)

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!

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  3. ये नानकुन किस्सा ला मन करेव तेकर बर आप मन ला गाड़ा~गाड़ा धन्यवाद।

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