चौपाल म एक दिन के दफ्तर

छत्तीसगढ़ सरकार के प्रदेशव्यापी लोक सुराज अभियान पुरा प्रदेश म एक साथ चलत हावय। गांव के गुड़ी म सबो विभाग के लोगन मन जुरियाके, अपन समस्या अउ शिकायत के आवेदन अफसर मनला सऊपथे। सबो के संघरे जुराव होवय के सेती आम जनता के आवाज बुलंद रिथे। शासन-प्रशासन उंकर बात ल सुनथे तको। एके दिन के सुराज के सेती जनता म निराशा के संगे-संग खुशी तको हावय के कम से कम एक दिन तो अफसर मन गांव म आथे जेन मनला खोजत दफ्तर के चक्कर काटत रहिथन। 
लोक सुराज ले एक बात तो बने होवथाबे के अफसरगिरी म लगाम लगत हावय, भले एक दिन सही। सरकार के सभो विभाग के मंत्री के संगे-संग स्वयं मुख्यमंत्री तको लोक सुराज के निगरानी करत हावय तेन पाके कोनो अफसर के रौब नइ चलत हावय। नइते अक्सर देखब म आथे के जब ओकर दफ्तर जाबे तव एक दिन के काम खातिर तको दस दिन पदोथे। अधिकारी मिलथे तव बाबू छुट्टी म अउ बाबू मिलथे तव अधिकारी दौरा म चल देथे। आदमी के नाव-गांव देख के तको काम ल लटका देथे। गांव के किसान मनके पटवारी अउ तहसील कार्यालय मन म अइसे निरादर होथे के मानो छत्तीसगढ़िया मजदूर किसान दू कउड़ी के आदमी होगे। सबले जादा आवा जाही किसान मन के पटवारी अउ तहसील कार्यालय म होथे, एक दिन के काम म किसान मन महीना भर ले चक्कर काटथे उंहचे दलाल मन के काम एक घंटा म हो जथे। 
गांव म लोक सुराज के आयोजन होवथाबे तव कतकोन किसान के समस्या के निराकरण तुरते होवथाबे। योजना के हितग्राही मनला तुरते होकर लाभ दे जावथाबे। हरेक गांव ले अइसे आरो मिलत हावय के किसान ला मुआवजा के रकम मिलगे, आधुनिक खेती के जानकारी संगे संग कृषि औजार मिलगे। अइसने सरकार के तमाम योजना मनके बारे म लोक सुराज अभियान शिविर म जानकारी दे जावथे। लोगन मन खातिर सरकार के गजब अकन लाभकारी योजना हावय फेर जानकारी के आभाव म आम जनता ओकर लाभ नइ ले पावय। कतको विभाग के कर्मचारी मन अलाली के सेती बने जानकारी तको नइ देवय दफ्तर म। लेकिन लोक सुराज शिविर म बड़े-बड़े अफसर मनके जुराव होवथाबे तेन पाके सबो कर्मचारी मन चेत करके काम करत हावय। एक दिन के चौपाल म अतेक काम निपट जावथे जतका छै महीना म नइ होवय। आवेदन के आंकड़ा ल देखे जाय तव एक तिहाई ले आगर आवेदन के तुरते निपटारा होवथाबे। 
सोचे के विषय आए के छै महीना के काम एक दिन म होवथे। येकर दूसर पक्ष ल देखे जाए तव यहू सोचे जा सकत हावय के अधिकारी अउ कर्मचारी मन जबरन एक दिन के काम ल छै महीना ले लटका के राखय। अगर प्रशासन सही तरीका ले काम करतिस तव दफ्तर म काम के बोझा नइ परे रितिस। अगर विभाग काम के समय अउ कर्मचारी के कमी के हवाला देथे तव ओमन लोक सुराज के अपने काम के आकड़ा देखय। जब लोक सुराज म एक दिन म काम के निपटारा हो सकत हावय तब आन दिन काबर नइ हो सकय? लोक सुराज म सैकड़ों हितग्राही मनला सम्मान के साथ सौगात मिलथे तव आन दिन उही योजना के लाभ खातिर महीना भर चक्कर काटे ल काबर परथे। जबकि उही विभाग उही अफसर मन अड़हा दिन तको काम करत रिथे। कुल मिलाके केहे जाए तब गांव के चौपाल म हर दिन सुराज शिविर के जरूरत हावय।    
* जयंत साहू*
jayant sahu
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