सत्ताधारी की बलिहारी

आईएएस अफसर माने प्रशासनिक तंत्र के आधार स्तंभ, जेकर कुशलता अउ विवेक ले कार्यपालिका सुचारू रूप ले संचालित होथे। अब अइसन जिम्मेदार व्यक्ति मन कुछू कहिथे तव जरूर ओमा कुछ तथ्य राहत होही, मुद्दा म गंभीरता राहत होही तभे बात उठते। आन आदमी मन सहिक आईएएस अफसर मन तको सोशल मीडिया म मन के बात ल पोस्ट, लाईक अउ कमेन्ट करथे। लेकिन कुछ लोगन मन ऊंकर बात ल अपन नजरिये से सोचथे अउ बिगर तर्क-वितर्क के ही विवाद के विषय बना देथे। सबो ल शायद सुरता होही कुछ समे पहिली के डॉ. जगदीश सोनकर के गोठ ह, जेन म ओकर एक अस्पताल के निरीक्षण करत बखत मरीज के पलंग म गोड़ राखके गोठियाये के फोटो अउ खबर ले अफसर के कार्यशैली उपर विवाद खड़ा करे गे रिहिसे। सोचे के बात रिहिसे के का ये अफसर के आदत म शामिल रिहिस के ओमन गरीब के खटिया म अपन जूता मड़ाथे। राज्य के एक अऊ जिम्मेदार अफसर एलेक्स पाल मेमन तो न्यायपालिका उपर ही सवाल खड़ा कर दे रिहिस हावय। दूनो अफसर उपर राजनीति करइया मन बेलगाम होय के बात करत सरकार कना कड़ा कार्रवाई करे के दबाव बनाये रिहिन हाबे। अइसन बखत म आईएएस अफसर मनके संगठन तको अलग-थलग हो जथे। अभी हाल ही म एक अउ 2012 बैच के आईएएस अफसर शिव अनंत तायल ह सोशल मीडिया के टिप्पणी ले विवाद म फसत दिखत हावय। ओमन अपन फेसबुक म पं. दीनदयाल उपाध्याय के बारे म लिखे रिहिसे के पंडित दीनदयाल कोने..? लेखक या विचारक के रूप म ऊंकर एको ठन अइसे काम नइये जेकर ले ओकर विचारधारा ल समझे जा सकय..। ओमन तो चुनाव तको नइ लड़े हावय..। अइसन काखरो बारे बिना जाने बोलना अउ लिखना जरूर गलत हावय फेर ओमन तो खुदे काहत हावय के मोला जानकारी नइये अऊ जाने खातिर लिखे हाबवं। एक आम आदमी होतिस त भले माफी मिल सकत रिहिसे फेर इहां तो दूनो पक्ष पावरफूल हावय। एक आईएएस अफसर ह भाजपा शासित राज्य म नौकरी करत उंकरे प्रेरणस्त्रोत, मार्गदर्शक अउ विचारक, सियान के उपर टिप्पणी करे हावय। वहू अइसन समे म जब राष्ट्रीय स्तर म पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशती समारोह मनाये के तियारी चलत हाबे। नवा राजधानी म जबर मूर्ति के अनावरण होवइया हाबे। केन्द्र अउ राज्य दूनों म भाजपा के शासन हावय अइसन म अफसर उपर कड़ा कार्यवाही तको हो सकत हावय। यदि कड़ा कार्यवाही होही तव आईएएस अफसर मनके एक गुट म ये संदेश जाही के आंखी-कान मुंदे कलेचुप सत्ताधारी मनके झंडा तरी काम करव नहीं ते नेता जी के डंडा चल जही। सत्ताधारी मनके आगू तो लोकतंत्र, संविधान अउ कानून जइसन शब्द बेबस दिखथे। इही मन जब विपक्ष म बइठे तव लोकतंत्र, संविधान अउ कानून के अतेक बड़े-बड़े व्याख्या करथे के रामचरित मानस तको छोटे जनाथे। अऊ सत्ता पाये के बाद कार्यकर्ता रूपी महाकवि, महाऋषि, महान विद्धान मन सिरिफ अपने-आप ल ही महिमामंडित करत रिथे। लोकतंत्र, संविधान अउ कानून ह महामंडलेश्वर नेताश्री के तकिया तरी चपकाये देखके ऊंकर पार्टी के टेटपुंजिया कार्यकर्ता मन तको क्लास वन अफसर के औकात रखथे, ओ चाहय तो आईएएस अउ आईपीएस मनला तको फटकार लगा सकथे। शायद इही पाके जेकर शासन चलथे, तेकरे छोटे-बड़े सबो कर्मचारी मन जयकारा लगाथे।                    
JAYANT_जयंत साहू
9826753304

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-10-2016) के चर्चा मंच "विजयादशमी की बधायी हो" (चर्चा अंक-2492) पर भी होगी!
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. चर्चामंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत—बहुत धन्यवाद आदरणीय मयंक जी

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    1. आपकी प्रेरणादायी प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया।

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  3. सही हैं, हिन्‍दी में ज्‍यादा लोगो तक पहुचती

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  4. धन्यवाद महोदय, शायद आप सही कह रहे है हिन्दी में वाकई ज्यादा लोगों तक पहुंचती। हिन्दी में रूपांतरित करने का प्रयास करूंगा!

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