छत्तीसगढ़ में सातवां वेतनमान लागू, तभो ले चाय-पानी लेही बाबू? ...

छत्तीसगढ़ विधानसभा के ग्यारहवां सत्र ह इहां के सरकारी करमचारी मन खातिर जबर उच्छाह के रिहिसे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह प्रदेश के 2 लाख 60 हजार करमचारी मनला सातवां वेतनमान के लाभ देके घोसना करे हाबे। अवइया वित्तीय वर्ष 2017-18 खातिर विनियोग विधयेक म चर्चा के जवाब देवत सरकार कोति ले मुखिया ह ये एलान करिस हावय। सातवां वेतनमान ले सबो करमचारी मनके तनख्वाह म अब बढ़ोत्तरी ह आयोग के सिफारिश के मुताबिक होना तय हाबे। भारत के सातवां केंद्रीय वेतन आयोग ह वेतन-भत्त अउ पेंशन म 23.55 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करे के सिफारिश करे रिहिसे।

सातवां वेतनमान लागू होय के बाद चपरासी मनके तनख्वाह सोलह हजार ले आगर हो जही। उचंहे अधिकारी मन तको पचास हजार के लगभग पगार झोकही। जतेक भी सरकारी विभाग के करमचारी हावय सबोच मन अब 20 ले 50 हजार के बीच म तनख्वाह पाही। जइसे के सरकारी विभाग के बाबू मनके विषय म केहे जाथे के ऊंकर तनख्वाह तो सोज्झे बाचथे, सरी खर्चा अवइया-जवइया मनके चाय-पानी ले निपटथे। केंद्र म मोदी सरकार के बइठते प्रशासनिक ढांचा म मसावट आए हाबे जेकर परिणाम छोटे-छोटे करमचारी मन म तको देखब म आए हाथे। फेर पूरा-पूरा भ्रष्टाचार म लगाम लगे हावय अइसनों नइये। काम ऊरकाना हे तव टेबल के तरी ले कुछ न कुछ देनाच परथे, अइसे विभाग के बाबू मनके कहना हाबे। अब सातवां वेतनमान के आये ले का सरकारी विभाग के करमचारी मन के चाय-पानी लेवइ बंद होही? या फेर काम म अऊ चुस्ती आही। बहुत अकन काम ह ऑनलाइन होय ले खूसखोरी म लगाम तो लगे इहू बात ले इंकार नइ करे जा सकय फेर लेवइया-देवइया हाथ ह एकाक कइसे रूकही, सातवां वेतनमान लागू होवय चाहे दसवां! 
German Chaceller Angela Merkel got 13 per cent of the votes in the global survey to rank second only after the US president.
Kim Jong-nam body 'arrives in Pyongyang'
A van believed to carry the body of late Kim Jong-nam leaves the mortuary of the Kuala Lumpur Hospital, in Kuala Lumpur,
Chinese President Xi Jinping ranked sixth on the list for the most popular leader.
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Floodwaters have inundated the New South Wales town of Lismore. Deaths feared in Australia flood emergency 

जांच के डर ले छोटे डॉक्टर लुकागे अउ बड़का मनके भाव बाड़गे [NURSING HOME ACT/RULES-2013]

NURSING HOME ACT/RULES-2013


छत्तीसगढ़ राज म झोलाझाप डॉक्टर मनके उपर कार्रवाई करे खातिर टीम बनाके छापामारी चलत हावय। प्रशासन के ये जांच टीम ह छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट ल जोर देवत ये कार्रवाई के बात करत हावव। जेमा अब तब सौकड़ों नवसिखीया डॉक्टर के दवाखानाल सील करे गे हावय। जांच दल मनके सबले ज्यादा शिकार गली-गोन्टा के छोटे-छोटे डिग्रीधारी मन होवत हाबे। तीन-चार साल कोर्स करे के बाद प्रेक्टीस म लगे डॉक्टर बाबू मन छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट के पालन नइ करत हावय। कायदे से देखे जाये तव ये तो सरासर गलत हावय के सरकार के नियम कानून के विरूद्ध क्लिनिक नइ चलाना चाही। जांच म तो कतकोन अइसनों डाक्टर पकड़ म आवत हाबे जेन मन के पूरा के पूरा डिग्री ही फर्जी हावय। कतकोन मन तो अजरा गोली दवई देवत-देवत बड़का क्लिनिक बना डरथे।  ये उही डॉक्टर मन पकड़ म आवत हावय जेन मन 10-20 रूपिया म लोगन के सर्दी-बुखार के इलाज करथे। गाव-गली के गरीब आदमी छोटे-मोटे बीमारी म इंकरे मन कना जाके बने होथे।
जेन ल सरकार ह आज झोलाछाप डॉक्टर काहत हावय इहिच मनतो आधा आबादी के तानहार हवय। इहां स्वास्थ्य विभाग के अतका खस्ता हाल हवय के लोगन मन मजबूरी म इही डाक्टर सो इलाज करना ज्यादा बेहतर समझथे। एक कोती शहर के बड़का डॉक्टर मन 400 रूपिया सोज्झे देखेच के फीस लेथे उंहचे गांव के डॉक्टर ह 30-40 के दवई म बने कर देथे। अब सरकार के मुताबिक कोन डिग्री बने अउ कोन खइता के हावय येला आम जनता का जानही। हमर बर तो जेने रोई-राई टारिस तेने बने बइद। बपरा मन 10 रूपिया के फीस लेथे तेनो म घर म चउदा परत देखे बर आथे। नानमनू जर-बूखार बर शहर के बड़का डॉक्टर मनके रद्दा जोहत-जोहत जोनन पर जथे, सरकारी होय चाहे परावेट। बेरा कुबेरा जा नइ सकस बिना अपाइंटमेंट के। जब सरकार ह छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट ल लेके अभियान चलाते हावय तव येमा अऊ ज्यादा बड़े रूप म जांच होना चाही। जेन नर्सिंग होम के व्यापार करत हावय तिकरों जांच होनो चाही। स्वास्थ्य के नाम म लोगन के जान संग खिलवाड़ तो झोलाछाप डॉक्टर ले ज्यादा बड़का परावेट नर्सिंग होम वाले मन करथे। ये बात तको काकरो ले छिपे नइये के कोन लोगन मन सरकारी म इलाज कराथे कोन पराबेट म, सब पइसा के खेल हावय।  बड़े मनके जांच करे म सांस फूल जथे अउ छोटे मनके टेटवा ल मसके परत हावय।
  • एक नजर राज्य सरकार के राजपत्र के अनुसार नियम ल देखन अऊ अपन तिरके अस्पताल देखन तव हमला जनबा हो जही के कोन-कोन छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट के अवमानना करत हावय-
  • क्‍लीनिक बनाये खातिर मानक  
  1.  क्‍लीनिक खातिर मानक-




  1.  मेडिकल लैब खातिर मानक-





  1.  प्रसुति अस्‍पताल खातिर मानक-





  1.  फिजियोथेरेपी इकाई खातिर मानक-

  1.  अस्‍पताल अउ नर्सिंग हाेम-









  1.  पंजीयन / लाइसेंस जारी / नवीनीकरण-


  1.  घोसना पत्र-

  1.  आवेदन पत्र-

शराबबंदी के खिलाफ काबर सरकार?

छत्तीसगढ़ सरकार के काम-काज के चारो मुड़ा बड़ई होवत हाबे, केंद्र ले तको साल के सम्मान मिलते हाबे। इंकर काम करे के तरीका ल देखबे तव अइसे लागथे मानो आन राज के मन कुछू काम-धाम करबे नइ करय। छत्तीसगढ़ सरकार करही तेने ल बता-बताके, काम ल जनवाथे के देखव हम ये काम करे हाबन। सरकार के मंत्रीमंडल ह तको काम ल अपन फर्ज अउ जुमेदारी समझ के नहीं बल्कि एहसान करे बर करथे, तभे तो देश म सोर बगराके ओकर ओढ़र म सम्मान पाथे के फलाना काम करने वाला छत्तीसगढ़ देश के पहिली राज। सम्मान तो अतका झोकत हावय के दिल्ली म एक 'सम्मान झोकइया' विभाग बनाके परमानेंट बइठारे के जरूरत पड़ सकत हावय। भारत के आन राज्य मन छत्तीसगढ़ सरकार ले काम के कइसे ढिंढोरा पिटना हे येला तो जानी डरे होही। इहां पहिली समस्या पैदा करना अऊ फेर ओकर समाधान बर जबर बुता करना ही सरकार के पहिली प्राथमिकता होथे। अब देखव न टेबल ठोक-ठोक के हरेक साल हजारों करोड़ के बजट पेश होथे, हरेक बजट म गांव, गरीब अउ किसान ल पहिली प्राथमिकता देके करार होथे। अब तो अइसे जनाथे के बजट सत्र के भासन हरेक साल उहीच होथे सिरिफ रूपिया के आंकड़ा म ही बदलाव करके पेश करे जाथे।
जेन गांव, गरीब अउ किसान ल पहिली प्राथमिकता म राख के सरकार ह बजट के आकार ल बड़ा-बड़ा के पेश करथे। ऊंकर विकास म सबले बड़े बाधक तो सरकारे हवय। फेर सरकार ये दिशा म नंबर वन के काम काबर नइ करत हावय। छत्तीसगढ़ म मध्यम अउ गरीब वर्ग के मरद मन तो जतका कमाथे ओकर ले आगर ल दारू म सिरवाथे। अऊ घर के निस्तारी ल ओकर गोइसन चलाथे। महिला मन जोर-सोर ले छत्तीसगढ़ म पूरा शराबबंदी के मांग करत हावय तभो ले सरकार ह कान मूंदे बइठे हावय। सरकार कना अभी एक मउका तको रिहिसे जब सुप्रीम कोर्ट ह हाइवे ले शराब दुकान हटाये के आदेश दे हावय।
लोगन के कहना हावय के भटठी हटाये के बजाए बंद काबर नइ करे जाए। हाइवे म हादसा कम करे बर आबादी म लानत हावय, तव का आबादी म हादसा नइ होही? हाइवे ले जादा तो बस्ती म हादसा होही, दारू घर-घर म झगरा मताही। तिर म पाके बेरा-कुबेरा पीये-पाए लोगन घर आही। इहां पूरा शराबबंदी ये सेती घलोक जरूरी हावय के दारू इहां के कतकोन समाज के परंपरा अउ संस्कृति के अंग आए। खुलेआम शराब मिले ले पंरपरा के आड़ म लोगन घर परिवार ल बरबाद करे म लगे हावय। शराबबंदी खातिर लोगन ह अब सड़क म उतर के प्रदर्शन अउ अनशन तको करत हावय। फेर सत्ता के नशा म चूर सरकार स्वयं निगम बनाके शराब बेचे के फइसला करे हावय। शराबबंदी के मांग ल सरकार विपक्षी उपद्रव करार देके राज के जनता ल भ्रमित करत हावय। का विपक्ष मन अच्छा विचार तको नइ सुझा सकय। जन कल्याण के हरेक अच्छा विचार के तो दलगत राजनीति ले उपर उठके सुवागत होना चाही। फोकट-फोकट वाला योजना चलाके सरकारी खजाना उरकाए ले भल तो शराबबंदी म हावय। प्रदेश के महिला मंडल, धार्मिक संगठन, मुख्य विपक्षी दल अउ आन राजनीतिक पार्टी मन के अलावा समाजसेवी संगठन मन विधानसभा ले मुख्यमंत्री आवास तक रैली अउ घेराव करके पूरा शराबबंदी के शंखनांद करे हावय। 0