tag:blogger.com,1999:blog-42618938957249499252024-03-13T15:58:28.408+05:30चारीचुगली : charichugli चारीचुगली : छत्तीसगढ़ के महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी, अब वाचिक ले लेखन तक पहुंगे। कहानी, कविता, उपन्यास, निबंध, व्यंग्य अउ वो सब कुछ जेखर ले छत्तीसगढ़ी साहित्य ह पोट्ठ हो सकय, लिखे जावथे। इही जोंग के महुं अपन कुछ रचना समोखे हवं।जयंत साहू [ charichugli ] http://www.blogger.com/profile/06994108700105989559noreply@blogger.comBlogger85125tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-4259407082570363902021-09-19T17:34:00.000+05:302021-09-19T17:34:08.205+05:30पुस्तक समीक्षा : छत्तीसगढ़ी समाज के स्वाभिमान जगाये के एक उदीम " हीरा छत्तीसगढ़ " <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-sduJZ4idHHU/YUcmFJeQUlI/AAAAAAAAJe8/VQHwrj11HP0kIIzerCK0xgbgzuzZ7XNfwCLcBGAsYHQ/s1280/Heera%2Bchhattisgarh%2Bbook.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1280" data-original-width="836" height="640" src="https://1.bp.blogspot.com/-sduJZ4idHHU/YUcmFJeQUlI/AAAAAAAAJe8/VQHwrj11HP0kIIzerCK0xgbgzuzZ7XNfwCLcBGAsYHQ/w418-h640/Heera%2Bchhattisgarh%2Bbook.jpg" width="418" /></a></div><div style="text-align: justify;"><ul></ul>पुस्तक समीक्षा<br /><ul><blockquote><li>पुस्तक के नाव - हीरा छत्तीसगढ़</li><li>लेखक - जागेश्वर प्रसाद</li><li>समीक्षक - जयंत साहू</li><li>मिले के ठउर - छत्तीसगढ़ी भवन, हांडीपारा, रायपुर</li></blockquote></ul></div><h2 style="text-align: justify;">छत्तीसगढ़ी समाज के स्वाभिमान जगाये के एक उदीम : हीरा छत्तीसगढ़</h2><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-mH1THYoFQYM/YUcmjRDnXuI/AAAAAAAAJfE/1aLAufRuwBwawNZjk1L0yI8_c_qbWFZqACLcBGAsYHQ/s2048/Jageshwar%2BPrasad.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2048" data-original-width="1463" height="320" src="https://1.bp.blogspot.com/-mH1THYoFQYM/YUcmjRDnXuI/AAAAAAAAJfE/1aLAufRuwBwawNZjk1L0yI8_c_qbWFZqACLcBGAsYHQ/s320/Jageshwar%2BPrasad.jpg" width="229" /></a></div><div style="text-align: justify;">जागेश्वर प्रसाद के निबंध पोथी ‘हीरा छत्तीसगढ़’ छत्तीसगढ़ी समाज के स्वाभिमान जगाये के एक जबर उदीम आए। येमा 23 ठी लेख ल समोखे गे हाबे। सबो लेख छत्तीसगढ़ी भासा म हावय जेला पढ़त तन-मन म सोसित छत्तीसगढि़या समाज बर अगाध पीरा उमड़थे। छत्तीसगढि़या मनके अस्मिता अउ स्वाभिमान खातिर छत्तीसगढ़ महतारी के एक हीरा सहिक बेटा जागेश्वर प्रसाद पाछु 55 साल ले मसाल ऊंचाये हावय। उंकरे सहिक पुरखा मनके तियाग, तपस्या अउ समरपन ले आज छत्तीसगढ़ म नवा बिहान आए हावय।</div><p style="text-align: justify;">‘हीरा छत्तीसगढ़’ म तइहा के कतकोन पय ल पाठक मनके बीच राखे गे हाबे। जेमा पहिली लेख हमार हीरा-छत्तीसगढ़ म लेखक ह मानव जनम ल अनमोल बतावत लिखथे के– ‘जउन छत्तीसगढ़ के माटी अउ संस्कृति म रच-पच जाथे ओहर जरूर हीरा के गुन ल पा जाथे। अऊ जउन छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढि़या संग दोगलई करथे, भेदभाव रखथे ओहर पथरा बनके पथरा जाथे हीरा नइ बन पावय’। ओमन दिसंबर म जनम धरइया छत्तीसगढ़ के हीरा म संत गुरू घासीदास, जमींदार गोविंद सिंह, पं. सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, धनश्याम सिंह गुप्त, कंगला मांझी, राजा रामानुज सिंहदेव, पं. जगदीश प्रसाद तिवारी, जयनारायण पांडेय संग रविशंकर शुक्ल, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, चंद्रिका प्रसाद पाण्डेय, हरि ठाकुर जी ल सुरता करे हावय। </p><p style="text-align: justify;">इही रकम ले माटी पूत के लच्छन, छत्तीसगढि़या-गैर छत्तीसगढि़या के बीच लछमन रेखा, छत्तीसगढ़ी के दसा अउ दिसा, छत्तीसगढ़ी पत्रकारिता के बिकास यातरा, करजा ले मुक्त होना, छत्तीसगढ़ी समाज के पीछड़ापन के कारन अउ उपाय लेख म लेखक ह बहुत गंभीरता ले किथे के ‘जउन वर्ग या परिवार हीन भावना ले ऊपर उठके सिक्छा अउ संस्कार ल बदले के उदीम करथे ओही परिवार (समाज) ह आरथिक, सांस्कृतिक अउ राजनैतिक क्षेत्र म तरक्की घलो करिस’। आगू ओमन सहकारिता के जननी : छेरछेरा पुन्नी, पोरा-तीजा परब, घानी के बइला, सत संग, जीवन के असली जातरा- आठ कोसी जातरा जइसन लेख म मनखे ल दुनिया म अवतरे के कर्मकांड अउ मोक्ष कोति लेगे के रसता देखाये हावय। ओमन किथे के ‘ जउन जातरा ले जीवन-मरन के भंवर ले छुटकारा मिलथे। ओ जातरा ह अंदरमुखी, आध्यात्मिक होथे, येही जातरा ले मानव अपन परम लक्ष्य, परम शांति अउ परमानंद ल हासिल करथे। </p><div style="text-align: justify;">जागेश्वर प्रसाद ल छत्तीसगढ़ी पत्रकारिता के पुरोधा कहे जाथे ओमन 1965 म प्रदेश के पहिली छत्तीसगढ़ी पत्रिका ‘छत्तीसगढ़ी सेवक’ के संपादन करिस। नवा लिखइया मनला एक मंच देके संगे-संग ओमन ल छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढि़या वाद के भावना ल जन-जन म बगराये के अभियान चलाइस। अऊ ये निबंध पोथी ‘हीरा छत्तीसगढ़’ म उही बखत के लिखे 22 ठी आलेख ल 88 पेज के पुस्तक के रूप म संग्रहित करके वैभव प्रकाशन के माध्यम ले पाठक तक पहुंचाये हाबे। ये किताब छत्तीसगढ़ के मूल निवासी मनके सामाजिक, आरथिक अउ राजनैतिक दसा-दिसा ऊपर चिंतन करइया बर घातेच उपयोगी हावय। 0 </div><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-UsWFdQZs-VM/YUcmrhEv-DI/AAAAAAAAJfI/xd7v8Z6Zmjwyr3IaPhrzF-2ZcW2xXl78gCLcBGAsYHQ/s2048/jayant%2Bsahu.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="2048" data-original-width="1463" height="200" src="https://1.bp.blogspot.com/-UsWFdQZs-VM/YUcmrhEv-DI/AAAAAAAAJfI/xd7v8Z6Zmjwyr3IaPhrzF-2ZcW2xXl78gCLcBGAsYHQ/w143-h200/jayant%2Bsahu.jpg" width="143" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">jayant sahu</td></tr></tbody></table><br /><div style="text-align: justify;"><br /></div>jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-29613489722334058272020-10-18T10:55:00.001+05:302020-10-18T10:55:35.762+05:30वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य डॉ. दशरथ लाल निषाद ‘विद्रोही’ जी के व्यक्तित्व अउ कृतित्व उपर जयंत साहू के विशेष लेख- <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-bc19P4m59Dk/X4vRDBJLWSI/AAAAAAAAH34/nW1h_tRgVMY4u9_S0WR0ynPCs2xCdAaxgCLcBGAsYHQ/s2821/Dashrath-lal-Nishad-2020.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1115" data-original-width="2821" height="252" src="https://1.bp.blogspot.com/-bc19P4m59Dk/X4vRDBJLWSI/AAAAAAAAH34/nW1h_tRgVMY4u9_S0WR0ynPCs2xCdAaxgCLcBGAsYHQ/w640-h252/Dashrath-lal-Nishad-2020.jpg" width="640" /></a></div><br /><h2 style="text-align: justify;">दू कोरी ले आगर शोधपरक साहित्य के रचयिता : दशरथ लाल निषाद</h2><div style="text-align: justify;">छत्तीसगढ़ के गवई गांव म रहन-सहन, खान-पान, नता-रिस्ता, पहनावा, सिंगार अउ बोली-भाखा के अलगेच महत्ता हावय। हम देखथन, सुनथन, महसूस करथन फेर ओला लिखे के बारे म सोचथन तव बिसय ह छोटकून लागथे। ये डहर काकरो धियाने नइ जाए। अऊ जेन कोति काकरो धियान नइ जावे उही म दशरथ बबा के जबर कलम चलथे। गवई गांव के लोक जीवन ल उजागर करत उंकर अब तक दू कोरी किताब छपगे हाबे, अऊ अतकेच कन पांडुलिपि छपे के अगोरा म हावय। दशरथ बबा ह छत्तीसगढ़ के पहिली अइसे साहित्यकार आए जेमन ग्राम्य जनजीवन ल रेखांकित करत सबले जादा किताब लिखे हावय, जइसे- छत्तीसगढ़ी सतसई, छत्तीसगढ़ के भाजी, छत्तीसगढ़ के कांदा, छत्तीसगढ़ के गांधी, छत्तीसगढ़ के पान, छत्तीसगढ़ के भक्तिन, छत्तीसगढ़ के बासी, छत्तीसगढ़ के मितानी, छत्तीसगढ़ के रोटी, छत्तीसगढ़ के फूल, छत्तीसगढ़ के मछरी-मास, छत्तीसगढ़ के चटनी, अऊ गजब अकन। दशरथ बबा के बारे म ये कहना गलत नइ होही के यदि आप डॉ. दशरथ लाल निषाद अऊ उंकर कृति ल जानथो तब तो आप छत्तीसगढ़ ल जानथो, छत्तीसगढ़ के साहित्य-कला-संस्कृति ल जानथव। </div><div style="text-align: justify;">83 बछर के सियानी उमर म आज ओमन के शरीर जवाब देदे हावय, हांथ-गोड़ नी चले। तभो ले जिपरहा साहित्यकार दशरथ बबा ह अपन खटिया म कंप्यूटर वाला ल बइठा के नवा किताब के सिरजन म लगे हावय। शरीर भले थक गे हावय, फेर मन अउ आत्मा आज भी चेम्मर हावय माटी के लाल के। मगरलोड जिला धमतरी के दुरलवा आचार्य डॉ. दशरथ लाल निषाद ‘विद्रोही’ एक मध्यम किसान परिवार के गुनिक बेटा आए। संगम साहित्य समिति के माई मुड़ी। उंकर जनम तेंदूभाठा म 20 नवंबर 1938 के होइस। महानदी अउ पइरी के कोरा म बसे मगरलोड उंकर कर्मभूमि बनिस। पाख बरोबर अंधियारी अउ अंजोरी के दिन ल तापत अपन मेहनत के दम म दशरथ बबा ह बनि-भूति के संग पढ़ई तको करते रिहिन। हिन्दी साहित्य रत्न के परीक्षा पास करके 'आचार्य' के मानद उपाधि पाइन, अऊ ओ समे म ‘आयुर्वेद विशारद’ के परीक्षा म तको सफल होइन। ओमन अखबारी प्रचार अउ सोशल मीडिया ले कोसो दूरिहा, आंचलिक साहित्यकार अउ एक अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक के रूप म अंचल म जाने जाथे। </div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">दशरथ बबा के आज जतके उमर होहे ओतके अकन ओमन सम्मान तको पा डरे हावय जेमा नागपुर, इलाहाबाद, इंदौर, हरियाणा, बिजनौर, हैदराबाद, पानीपत, गाजियाबाद, गुना, तलेन, हिमांचल प्रदेश, खंडवा, राजगढ़ अउ बैतूल जइसन शहर के बड़का संस्था कोति ले उनला सम्मानोपाधि मिले हावय अउ स्थानीय स्तर म सम्मानित होइन तेन अलग। हिन्दी म ओमन देशभर के आन-आन पत्रिका म गजब छपे हावय। फेर उंकर ठोस कृति छत्तीसगढ़ी म दिखथे जेहा किताब के संग छत्तीसगढ़ी के पहिली पत्रिका छत्तीसगढ़ी सेवक, मयारू माटी, बरछाबारी, अंजोर, अऊ दैनिक समाचार पत्र के विशेषांक म प्रमुखता ले छपे हावय। दशरथ बबा ह साहित्य सिरजन भर नइ करत रिहिसे बल्कि अलग छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म तको जबर योगदान दे हावय।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">दशरथ बबा के लेखन के जबर विशेषता आए के ओमन शोधपरक तथ्य लिखथे, चिंतन-मनन के बाद ओला कृति के रूप देथे। अब उंकर ‘छत्तीसगढ़ के कांदा’ किताब म देखव 41 प्रकार के कांदा के उल्लेख हावय- जिमी कांदा, कलिहारी कांदा, गुलाल कांदा, केंवट कांदा, ढुलेना कांदा, डांग कांदा, करू कांदा, जग मंडल कांदा, बनराकस कांदा, बरकान्दा, केशरुआ कांदा। अइसने ‘छत्तीसगढ़ के भाजी’ किताब म- गूमी भाजी, कोलियारी भाजी, मकोइया भाजी, भेंगरा भाजी, सेम्भर भाजी मनके सुवाद अउ लाभ तको बताये गे हावय। ‘छत्तीसगढ़ के सिंगार’ किताब म 76 सवांगा के बरनन हावय जेमा गहना गुठा, गोदना अउ ओनहा पहिरे के विधी विधान ह लिखाये हाबे। </div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">दशरथ बबा के पुस्तक 'छत्तीसगढ़ के बासी' म अमरित बासी, चटनी बासी, बोरे बासी, दही बासी, कोदो बासी, पेज बासी, बासी भात अऊ केउ किसम के बरनन उंकर विशेषता सहित हावय। ‘छत्तीसगढ़ के मितानी’ ह इहां के लोक जीवन म मानवता के मया के जबर परिभाषा रखथे- महाप्रसाद, भोजली, गंगाजल, जंवारा, गंगाबारू जइसन नता के बंधना के रीति अउ विधि ले आजीवन चले के सीख संग परम्परा ल संजोये के गियान आधुनिक साहित्य समाज ल देवत हाबे दशरथ बबा ह।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">अइसने अड़तालिस पेज के छोटकून ‘छत्तीसगढ़ के चटनी’ किताब ल पढ़े म पढ़ते-पढ़त जीभ ह चटकारा लेथे अउ मुँह ले लार चुचवा जथे। ये विशेषता आए आचार्य डॉ. दशरथ लाल निषाद 'विद्रोही' जी के लेखन शैली के जोन 15 बछर के उमर ले सुरू होके आज 83 साल तक सरलग चलते हावय। भगवान ओमन ल गजब अऊ लम्बा उमर देवय ताकि हमन अइसने उंकर कलम ले शोधपरक साहित्य पढ़त राहन। संगे-संग सरकार ले घलोक गेलौली हावय के ओमन के दीर्घकालीन साहित्य सेवा ल देखत सर्वोच्च सम्मानोपाधि ले अलंकृत करय।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: right;"><b>0 जयंत साहू, रायपुर 9826753304</b></div>jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-88394600189471612442020-09-02T09:40:00.001+05:302020-09-02T09:40:15.106+05:30Pitru Paksha 2020 : पितर पाख आज ले सुरू, छत्तीसगढ़ म तरपन संग पितर भात म बरा अउ तरोई के महत्ता<div style="text-align: justify;"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-yEUqkE-BWPA/X08Y96DnhTI/AAAAAAAAHmw/Wmibs8RQJx4pkvp4KsqXz74j3C1tCgpnQCLcBGAsYHQ/s2048/pirta-paksha-03.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1108" data-original-width="2048" src="https://1.bp.blogspot.com/-yEUqkE-BWPA/X08Y96DnhTI/AAAAAAAAHmw/Wmibs8RQJx4pkvp4KsqXz74j3C1tCgpnQCLcBGAsYHQ/s640/pirta-paksha-03.jpg" width="640" /></a></div><br />रायपुर.2। छत्तीसगढ़ म आज ले सुरू होवत हाबे पितर पाख, घर के दुवारी म पुरखा मन खातिर चउक पुर के पान, दतुन, तरोई फूल अउ काशी माड़े घरो-घर दिखही। येहा पुरखा मनला सुरता करे के परब आए, जेन मन ए दुनिया म नइये। ‘पितर-बइसकी’ माने गणेश विसर्जन के दिन, भादो के अंधियारी ले लेके लगते कुंवार तक ‘पितर पाख’ मनाथे। पाख भर घर के बिते सियान मन ओसरी पारी आथे कोनो दिन बबा, त कोनो दिन बाबू के बबा। अइसे तीन पीढ़ी के पितर देवता मन धरती म आथे, ‘पितर-खेदा’ के दिन सबो फेर देवधाम चल देथे।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;"><script async="" src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
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</script></div><div style="text-align: justify;"><br /></div><h3 style="text-align: justify;"><span style="color: red;">पितर पाख कब हावय-</span></h3><div style="text-align: justify;">एसो पितर पाख 2 सितंबर ले सुरू होवत हाबे। येला छत्तीसगढ़ के बाहिर पितृ पक्ष, श्राद्ध पर्व के रूप म देशभर म मनाए जाथे, छत्तीसगढ़ म ‘पितर पाख’ के रूप म मनाथे। देवलोक वासी पुरखा मनके सुरता के परब आए पितर ह, केहे जाथे के ये पाख म पुरखा मन धरती म आथे।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><h3 style="text-align: justify;"><span style="color: red;">पितर देवता के आसिस- </span></h3><div style="text-align: justify;">अइसे मानता हावय के जेन मन अपन पुरखा ल सुरता करके पानी नइ देवय ओमन ल पितर दोस लगथे। अऊ श्राद्ध करे ले ही पितरदोस ने मुक्ति मिलथे। येकर ले उंकर मन ल तको शांति मिलथे अउ हासी-खुसी ले पितर देवता मन घर-परिवार के खुसहाली के आसिस देके जाथे।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;"><script async="" src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
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</script></div><div style="text-align: justify;"><br /></div><h3 style="text-align: justify;"><span style="color: red;">कब-कब आही पितर- </span></h3><div style="text-align: justify;">पितर ह पाख भर चलथे अउ तिथि मुताबिक पुरखा मन ल सुरता करे जाथे। कोन दिन पितर माने जाए ये हा सियान के बिते के दिन ले रिथे। एक्कम, दूज, तिज, चउत पंचमी, छट, साते, आठे जइसे-जइसे बिते रिथे तइसे सियान मन ल पितर माने जाथे। नवमीं के दिन सबो सियनहिन मनला एके दिन मानथे। जेन मनके बिते दिन सुरता नइये तेन मनला आखरी म मान गुन करके पितर खेदे जाथे।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><h3 style="text-align: justify;"><span style="color: red;">पितर बर जेवन-</span></h3><div style="text-align: justify;">पितर पाख जइसे के येहा पुरखा मनला सुरता करे के परब आए तव सियान मनके पसंद के तको खियाल करे जाथे। बरा, बोबरा, सोहारी, खीर अउ तरोई साग तो चुरबे करथे अऊ संग म सियान के पसंद के भोजन तको बनाके देथे। </div><div style="text-align: justify;"><br /></div><h3 style="text-align: justify;"><span style="color: red;">पहिली पितर अउ पितर भात-</span></h3><div style="text-align: justify;">छत्तीसगढ़ म बिते सियान ल पहिली पितर माने खातिर नता-गोतर के हियाव करके नेवता पठोय जाथे। डोकरा मनला जेन दिन उंकर स्वर्गवास होए रिथे उही तिथि के पितर मानथे। अउ डोकरी मनला नवमीं के दिन पितर मिलाथे। पितर मिलाथे ते दिन तरपन करके पितर मनला खाए बर देके बाद गांव कुटुम ल तको पितर भात खवाथे। </div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;"><script async="" src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
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</script></div><div style="text-align: justify;"><br /></div><h3 style="text-align: justify;"><span style="color: red;">पितर माने के विधी-विधान, जेवन म उरिद दार अउ तरोई के महत्ता : वरिष्ठ साहित्यकार सुशील भोले के अनुसार-:</span></h3><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-XXZ_taIyTpg/X08ZGdTtZ3I/AAAAAAAAHm0/8EMjYQ0fkVQ-ZNyzYtpQPlPc4QOJHhS8gCLcBGAsYHQ/s1000/pirta-paksha-02.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="750" data-original-width="1000" src="https://1.bp.blogspot.com/-XXZ_taIyTpg/X08ZGdTtZ3I/AAAAAAAAHm0/8EMjYQ0fkVQ-ZNyzYtpQPlPc4QOJHhS8gCLcBGAsYHQ/s640/pirta-paksha-02.jpg" width="640" /></a></div><br /><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">‘पितर पाख के लगते माई लोगिन मन घर के दुवारी ल बने गोबर म लीप के वोमा चउंक, रंगोली आदि बनाथें अउ फूल चढ़ा के सजाथें। वोकर पाछू उरिद दार के बरा बनाथें जेमा नून नइ डारे जाय। संग म बोबरा, गुरहा चीला आदि घलोक बनाए जाथे अउ साग के रूप म तरोई ल आरुग तेल म छउंके जाथे। </div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">जानबा राहय के ए पाख म तरोई के विशेष महत्व होथे। घर के दरवाजा म जेन गोबर लीप के चउंक पूरे जाथे वोमा आने फूल मन के संगे-संग तरोई के फूल घलोक चढ़ाए जाथे। वइसने साग तो सिरिफ तरोई ल तेल म छउंक के दिए जाथे अउ पितर मनला जेन जगा हूम-धूप अउ बरा-बोबरा दिए जाथे उहू ल तरोई के पान म रख के दिए जाथे। </div><div style="text-align: justify;">अइसे मानता हे के तरोई तारने वाला जिनीस आय काबर के ये शब्द के उत्पत्ति तारन ले तरोई होए हे। वइसे तरोई ह पाचक अउ स्वादिष्ट होथे जेमा अनेकों किसम के पुस्टई होथे फेर बने नरम-नरम घलोक होथे, जेला भोभला डोकरा-डोकरी मन आसानी के साथ पगुरा के लील डारथें। आखिर पितर मन ला तो हमन उहिच रूप म सुरता करथन न।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">वइसे तो अपन पुरखा मन के कई पीढ़ी तक के सुरता अउ तरपन करना चाही फेर जे मन अइसन करे म अपन आप ल सक्षम नइ पावंय वोमन पितर पाख म गया जी (बिहार राज्य) म जाके उंकर तरपन करके हर बछर के सुरता अउ तरपन ले मुक्ति पा जथें। अइसे मानता हे के जेकर मन के तरपन ल पितर पाख म गया जी म कर दिए जाथे वोमन ल मोक्ष मिल जाथे, वोकर बाद फेर वोकर मन के तरपन करना जरूरी नइ राहय। वइसे जेकर मन के श्रद्धा अउ सामरथ हे वोमन अपन पुरखा मन के सुरता अउ तरपन गया जी म तरपन करे के बाद घलोक कर सकथें। एमा कोनो किसम के बंधन या दोस नइ माने जाय। तरपन देवइया मनला जल-अरपन करे के बेर उत्ती मुड़ा म मुंह करके जल अरपन करना चाही अउ ए बखत अपन खांध म सादा रंग के कांचा कपड़ा पंछा आदि घलोक रखना चाही।</div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">वइसे तो हिन्दू धर्म अउ रीति रिवाज के मुताबिक पितर मानये के कई विधी बताये गे हावय, फेर लोक जीवन म ग्राम्य मानता के अनुसार जेन प्रचिलित हावय तेनो ह गुनिक सियान मनके चलागन आए ये सेती जेन तइहा समे ले घर के सियान मन मानत आवत हाबे उही मुताबिक परब ल मनाना चाहि। आन देश या राज्यक ले देखे जाए तव छत्तीरसगढ़ रीजि रिवाज म जादा कुछ अंतर नइ दिखे।’ </div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">पितर देवता मन खातिर नेवता, चउंक पुरे अंगना म पानी अउ पिड़हा मड़ाके आव-भगत, नदिया-नरवा-तरिया म काशी, तरोई ले तरपन। मन पसंद भोजन म उरिद दार के बरा, अऊ छानही म कउवा मनला देख के दू परोसा उपराहा देना, पुरखा मनके सुघ्घर सुरतांजलि आए।</div>jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-56592331719130964132020-03-28T08:42:00.002+05:302020-03-28T08:42:24.323+05:30कोरोना के सेती गांवबंदी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-_IOLV_0C3rk/Xn7AR7kMk8I/AAAAAAAAHSM/kv4Mr9pM1cIrhgHpOh8bp8jIugurC-28gCLcBGAsYHQ/s1600/lock--04.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="900" data-original-width="1600" height="225" src="https://1.bp.blogspot.com/-_IOLV_0C3rk/Xn7AR7kMk8I/AAAAAAAAHSM/kv4Mr9pM1cIrhgHpOh8bp8jIugurC-28gCLcBGAsYHQ/s400/lock--04.jpg" width="400" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
कोरोना वायरस अब अपन जनम भुइंया चीन के वुहान ले निकलगे हावय सरी दुनिया खुवार करे खातिर। कोनो नी जाने रे भाई कतका के जीव लेके आवत हावय। कोनो नी जाने रे भाई येकर दवई ल। बीमारी होही अउ पट ले मरबे अइसन तको तो नी हे रे भाई। अपन तो जाही अउ संग म जतका झिन सपेड़ा म आही, रपेट के ले जही। अलवा-जलवा झिन जान रे भाई तीन हजार किलोमीटर ले उड़ाके आये हाबे माने हाहाकार मचाके जाही। अइसन गोठबात संग कतकोन गांव के जागरूक लोगन मन गांवबंदी करे हावय। माने अपन गांव म अवइया रद्दा ल ही बंद कर दे हावय। अइसे नहीं के आड़ काट के चैन से सुते हावय बल्कि ओसरीपारी पाहरा तको देवत हावय। जय जय होवय अइसन सोचे बिचारे फइसला के। सबो बने बने रही तव जरूर मेहनत के फल मिलही अउ गांव का सरी जग ये चाइना के कोरोना बीमारी ले उबरही।</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-azFbsIV71_o/Xn7AR0nRViI/AAAAAAAAHSI/VY0NQHv3dcA_w2lEyOZcGa1g8dNnn9wvACEwYBhgLKs4DAMBZVoDiQbN82g3vhkUjaFHLFWelMnIOJwzkOIfqhVqj1RGdpwFTQbSkxUcj4kJ9jh5Kt_LhgaHFu-RHt1IR3jW1eQl3C1TduiDCOO3_0dHdXx6A7hD2GGsxYymJp4Hs_n9GsVAFtGqVHXDFzEly6Izk1V_n7LjzTzpRjqXU8gu8Td71HpuAlulSE6tZN__sdLjj31Co0gdGQnLfoL6Exxo2FpfuAg4_-JNXc6vbU9wvCBvPnqtNQuhOj5hTvbSAHJKYx9M4srbvTA-mmaGqQQihV026iW8SSgXGjDBmzwQxipCHbw6YANsoZpJKZzfYVjxEjl2wzkw5HxPkK3P_KdRwW7YSMs_w5IftedHZ2i7QjZgE8eZq7wlDSqfY3YAkDCGhiyfde3QN9ilOjDak_3j8S98rRmLZicfhzJsjbYpVCdtZS5CmC8bwje91MGARHBZGetxXFXbuP42K3Jn7ohP4dLK3ajTsZafthU1Ker5wOxe7mRUv3lFr2XlV6OPoXDmF2DWKGqeWjmC8aMk95f8JvJ02PW0eaBiyoITUFWloyxkR1FbVxPj7fhc5inKPy-FXw8iHYMxCBiT_Ry9p7hrNYthtUWbylYN9wy8JMNOF-_MF/s1600/lock-01.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="900" data-original-width="1600" height="225" src="https://1.bp.blogspot.com/-azFbsIV71_o/Xn7AR0nRViI/AAAAAAAAHSI/VY0NQHv3dcA_w2lEyOZcGa1g8dNnn9wvACEwYBhgLKs4DAMBZVoDiQbN82g3vhkUjaFHLFWelMnIOJwzkOIfqhVqj1RGdpwFTQbSkxUcj4kJ9jh5Kt_LhgaHFu-RHt1IR3jW1eQl3C1TduiDCOO3_0dHdXx6A7hD2GGsxYymJp4Hs_n9GsVAFtGqVHXDFzEly6Izk1V_n7LjzTzpRjqXU8gu8Td71HpuAlulSE6tZN__sdLjj31Co0gdGQnLfoL6Exxo2FpfuAg4_-JNXc6vbU9wvCBvPnqtNQuhOj5hTvbSAHJKYx9M4srbvTA-mmaGqQQihV026iW8SSgXGjDBmzwQxipCHbw6YANsoZpJKZzfYVjxEjl2wzkw5HxPkK3P_KdRwW7YSMs_w5IftedHZ2i7QjZgE8eZq7wlDSqfY3YAkDCGhiyfde3QN9ilOjDak_3j8S98rRmLZicfhzJsjbYpVCdtZS5CmC8bwje91MGARHBZGetxXFXbuP42K3Jn7ohP4dLK3ajTsZafthU1Ker5wOxe7mRUv3lFr2XlV6OPoXDmF2DWKGqeWjmC8aMk95f8JvJ02PW0eaBiyoITUFWloyxkR1FbVxPj7fhc5inKPy-FXw8iHYMxCBiT_Ry9p7hrNYthtUWbylYN9wy8JMNOF-_MF/s400/lock-01.jpg" width="400" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
लोगन के मन म सवाल उमड़त हावय के ये बीमारी हमर कोती कइसे आइस। तव बात अइसे हे के कोरोना नाव के वायरस ले हमर देश म विदेश ले अवइया लोगन मन धरके लानिस। कोनो विदेश घुमे बर गे रिहिसे, कोनो पढ़े बर गे रिहिसे अउ कतकोन झिन मन रूपिया कमाये बर गे रिहिसे। अब ये बात सोचव की जेमन विदेश म रिहिन तेन मनला का जानबा नी रिहिसे के कोरोना महामारी सचरत हावय, कम पढ़े अप्पढ़ तो नोहय। सब के सब जानत रिहिसे के ये कोरोना बहुत ही जी लेवा बीमारी आए। इही पाके तो उहां ले धकर-लकर भागिस अउ अपन-अपन घर म आगे। उहां ले बांच के आये के बाद इहां उही लोगन मन जीव बांचगे ददा कहिके गली-गली छैलानी मारिस। इहां-उहां न जाने कहां-कहां वायरस ल बगरा दिस। जबकी ओमन ला कानोकान चेताये रिहिसे के कहूंच नी जाना हे अकेल्ला रहना हाबे। घेरे-बेरी हाथ धोना हे, ते जेकर तिर म जाबे तेकरो उपर ये वायरस खुसरही। </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-H0ecNoxyBCs/Xn7AR00hRlI/AAAAAAAAHSE/c9gyTerDdO8Iz-0xaRB7rkCLcjcNezviQCEwYBhgLKs4DAMBZVoDiQbN82g3vhkUjaFHLFWelMnIOJwzkOIfqhVqj1RGdpwFTQbSkxUcj4kJ9jh5Kt_LhgaHFu-RHt1IR3jW1eQl3C1TduiDCOO3_0dHdXx6A7hD2GGsxYymJp4Hs_n9GsVAFtGqVHXDFzEly6Izk1V_n7LjzTzpRjqXU8gu8Td71HpuAlulSE6tZN__sdLjj31Co0gdGQnLfoL6Exxo2FpfuAg4_-JNXc6vbU9wvCBvPnqtNQuhOj5hTvbSAHJKYx9M4srbvTA-mmaGqQQihV026iW8SSgXGjDBmzwQxipCHbw6YANsoZpJKZzfYVjxEjl2wzkw5HxPkK3P_KdRwW7YSMs_w5IftedHZ2i7QjZgE8eZq7wlDSqfY3YAkDCGhiyfde3QN9ilOjDak_3j8S98rRmLZicfhzJsjbYpVCdtZS5CmC8bwje91MGARHBZGetxXFXbuP42K3Jn7ohP4dLK3ajTsZafthU1Ker5wOxe7mRUv3lFr2XlV6OPoXDmF2DWKGqeWjmC8aMk95f8JvJ02PW0eaBiyoITUFWloyxkR1FbVxPj7fhc5inKPy-FXw8iHYMxCBiT_Ry9p7hrNYthtUWbylYN9wy8JMNOF-_MF/s1600/lock--02.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="900" data-original-width="1600" height="225" src="https://1.bp.blogspot.com/-H0ecNoxyBCs/Xn7AR00hRlI/AAAAAAAAHSE/c9gyTerDdO8Iz-0xaRB7rkCLcjcNezviQCEwYBhgLKs4DAMBZVoDiQbN82g3vhkUjaFHLFWelMnIOJwzkOIfqhVqj1RGdpwFTQbSkxUcj4kJ9jh5Kt_LhgaHFu-RHt1IR3jW1eQl3C1TduiDCOO3_0dHdXx6A7hD2GGsxYymJp4Hs_n9GsVAFtGqVHXDFzEly6Izk1V_n7LjzTzpRjqXU8gu8Td71HpuAlulSE6tZN__sdLjj31Co0gdGQnLfoL6Exxo2FpfuAg4_-JNXc6vbU9wvCBvPnqtNQuhOj5hTvbSAHJKYx9M4srbvTA-mmaGqQQihV026iW8SSgXGjDBmzwQxipCHbw6YANsoZpJKZzfYVjxEjl2wzkw5HxPkK3P_KdRwW7YSMs_w5IftedHZ2i7QjZgE8eZq7wlDSqfY3YAkDCGhiyfde3QN9ilOjDak_3j8S98rRmLZicfhzJsjbYpVCdtZS5CmC8bwje91MGARHBZGetxXFXbuP42K3Jn7ohP4dLK3ajTsZafthU1Ker5wOxe7mRUv3lFr2XlV6OPoXDmF2DWKGqeWjmC8aMk95f8JvJ02PW0eaBiyoITUFWloyxkR1FbVxPj7fhc5inKPy-FXw8iHYMxCBiT_Ry9p7hrNYthtUWbylYN9wy8JMNOF-_MF/s400/lock--02.jpg" width="400" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
पढ़े लिखे अड़हा मन के गलती के भुगतना अब सरी देश भुगतत हावय। देश म 21 दिन के कर्फ्यू लगे हावय। सरकार साफ-साफ चेताय हाबे के कोनो ल बाहिर नी निकलना हाबे। ये मामला म हमर छत्तीसगढ़ के गांव के लोगन म बने चेत करत हावय अपन-अपन गांव के मेड़ों में कांटा छरप के बाहिर के अवइया-जवइया ल रोकत हावय। बहुत अकन गांव के लोगन मन रद्दा म पेड़ गिरा के आन आदमी मनके अवइ ल रोकत हावय। गांव के जवान मन परहरा देवत हावय के कोनो गांव ले बाहिर न जा सके अउ न कोनो गांव भीतर आ सके। अइसने साव चेत राहव हो। गांव म निस्तारी करव। हांसी-खुशी ले दुबर दिन काटव। जेन होही बनेच होही इही आस राखे राहव।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-5754352446256600422020-03-27T16:29:00.003+05:302020-03-27T17:48:37.123+05:30कोरोना के रोना<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-_vP0LlzAvug/Xn3caiZ06XI/AAAAAAAAHRw/F9hh3Mqs6z4NQgdsHmQOeXO2GA4S1gwbgCLcBGAsYHQ/s1600/coraon%2Bka%2Brona.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="365" data-original-width="960" height="151" src="https://1.bp.blogspot.com/-_vP0LlzAvug/Xn3caiZ06XI/AAAAAAAAHRw/F9hh3Mqs6z4NQgdsHmQOeXO2GA4S1gwbgCLcBGAsYHQ/s400/coraon%2Bka%2Brona.jpg" width="400" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
कोरोना नाव के महामारी ह सरी दुनिया ल मउत के तमासा देखावत हावय। अबतक दुनिया के 200 देश म हाहाकार मचे हाबे। किथे के चीन के वुहान शहर म ये महामारी के जनम होहे। जानवर ले मनखे म आये ये कोरोना कोविड- 19 नाव के वायरस के अब तक कोनो ईलाज नी पाये हाबे। दुनिया भर के डाक्टर मन प्रयास म दिन रात लगे हावय। बड़ अंचभा के बात आए के सबले ज्यादा कोरोना के वायरस उही देश म जादा बगरिस जिहा साफ-सफई अउ आधुनिक चिकित्सा विकसीत हाबे। बताथे के येहा अतका खतरनाक वायरस आए के बगरत देरी नी लागय। पल भर म कहां ले कहां बगर जथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
बात सुरूआत के करन तव चीन देश के वुहान शहर ले जनवरी महीना के बात आए। अबतक कोरोना ह तीने महीना म ही दुनिया 200 देश ल अपने चपेट म ले डरे हावय। WHO के ताजा आकड़ा के मुताबिक आज 465,915 केस आगु आए हाबे। अउ 21,031 के मउत के पुष्टि तको हो चुके हावय। ये आंकड़ा तो WHO ल मिले पुख्ता जानकारी के आए, हो सकत हे येकर ले अउ केउ गुना मरीज के मउत होय होही !</div>
<div style="text-align: justify;">
कोरोना के सेती दुनिया के 20 देश ह लॉकडाउन होगे हावय माने कोनो ल कहुंचो नी जाना हाबे। सबो ल दुबक के घरे म रहना हाबे। भारत सरकार 24 मार्च ले पूरा देश म लॉकडाउन लागू करे हावय। अपन कोति ले सरकार तीन हफ्ता के टेम दे हावय मनखे मनला, ये बीच रूक जही बीमारी के फैलाव ह तो बने बात नहीं त चारो कोति मउत ही मउत दिखही। घर म रेहे ले भी ज्यादा जरूरी हे बाहिर के लोगन मन ले बचना हावय। कोन जनि कोन कहां ले आये होही ? ये जरूरी तो नही के अनजान आदमी ही बीमारी लानही, चिनजान के ह तको अनजाने म बीमारी लान देही। तव अइसन म साफ-सफाई के धियान रखना घातेच जरूरी होगे हावय। </div>
<div style="text-align: justify;">
जब ले देश म 21 दिन लॉकडाउन के घोसना होय हाबे लोगन मन आनी-बानी के गोठ गोठियावत हाबे। फेर कोनो ह उखान के पूरा नी बांध सके। ये पार्टी, ओ पार्टी करे ले कोरोना का लुवाठ मरही। सबो ह सुनता बंधा के कोनो नेक उदीम करव तभे बुता बनही। गुनन त भले 21 दिन जिनगी ले जादा लंबा नी हे फेर रोज कमइया खवइया मनके का होही? अइसन बखत म बीमारी ले लड़े के संगे-संग जेन मनखे के कोनो दोस नी हे ओमन भूख झिन मरे इहू बात ह लॉकडाउन के करार ल पोट्ठाही। </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-3l2EEgwwM28/Xn3chqItR1I/AAAAAAAAHR0/hRr3TIPLIdEwxD5qdNVCGCvb5GTWhisaACLcBGAsYHQ/s1600/corona.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="960" data-original-width="640" height="400" src="https://1.bp.blogspot.com/-3l2EEgwwM28/Xn3chqItR1I/AAAAAAAAHR0/hRr3TIPLIdEwxD5qdNVCGCvb5GTWhisaACLcBGAsYHQ/s400/corona.jpg" width="266" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
सुनइ तो अब इहू बात के आए हाबय के छत्तीसगढ़ म कोरोना के तीसरा स्टेज के लक्षण आगे हावय। तीसरा स्टेज वो हरय जेमा कोनो आन आदमी, जे कोरोना पाजेटिव रिथे ओकर संपर्क म आये ले तीसर ह संक्रमित हो जथे। ये बहुत ही खतरनाक स्थिति आए वुहान म बीमारी सचरिस, उंहा ले कोनो बीमारी धरे आइस अउ इहां बगरा दिस। सोचो अब हाथ ले हाथ अतका दिन म कतका हाथ म बगरगे होही। इही हाथ ले हाथ के कड़ी ल ही लॉकडाउन ह टोरही अउ सरी दुनिया ह कोरोना ले उबरही। बाद म भले बेरा के गोठ निकलही के कोरोना ल हमर छत्तीसगढ़ म कोन लानिस, का ओला जनबा नी रिहिसे? अभी तो भितरेच म राहव।</div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-50095707168229467342020-03-16T19:32:00.000+05:302020-03-16T19:32:02.298+05:30चंदैनी गोंदा म खुमान साव जी के भूमिका<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="text-align: center;">
<span style="color: red;">लोकसंगीत के पुरोधा: खुमान लाल साव</span></h3>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-Jch8oHzmZ4A/Xm-FL2TUI9I/AAAAAAAAHLo/s0Si--TqNfsnHJj1NACkURT_XDkYtN6bgCLcBGAsYHQ/s1600/khuman-lal-saw.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="900" data-original-width="1600" height="225" src="https://1.bp.blogspot.com/-Jch8oHzmZ4A/Xm-FL2TUI9I/AAAAAAAAHLo/s0Si--TqNfsnHJj1NACkURT_XDkYtN6bgCLcBGAsYHQ/s400/khuman-lal-saw.jpg" width="400" /></a></div>
<div>
<br /></div>
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<div>
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
जन मन के गीत ल जन-जन के अंतस म उतारने वाला महान संगीतकार खुमान साव अब हमर बीच नइ रिहिन। 5 सिंतबर 1929 के अवतरे खुमान लाल साव जी ह 90 बच्छर के उमर म 9 जून 2019 के ये दुनिया ल छोड़ दिस अऊ जावत-जावत हारमोनियम अउ तबला के संगत म सबला रोवावत कहिगे- 'माटी होही तोर चोला रे संगी, माटी होही तोर चोला...।' सिरतोन म ये चोला माटी के तो आए अउ सबला एक दिन दुनिया छोड़ उही माटी म जाना हावय। फेर ये नश्वर दुनिया म उंकरे अवई ह सार्थक होथे जेन जावत खानी अपन काम के बुति जबर नाम छोड़ जाथे। लोक संगीत के दुनिया म खुमान लाल साव जी एक अइसे नाम आए जेन ल जन-जन जानथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
साव जी ये मुकाम तक पहुंचे बर गजब मेहनत करे हावय, 14 बच्छर के नान्हे उमर म संगीत के लगन ह उनला नाचा पेखन ले जोड़ दिस। दाऊ मंदराजी के रवेली साज के अलावा अऊ कतकोन नाचा पार्टी, आर्केस्टा उक म अपन संगीत के धाक जमाईस। साव जी आन-आन संगीत समिति ले जुड़े बर तो जुड़िस फेर ओकर मन ह तो छत्तीसगढ़ के लोक संगीत बर कुछ ठोस काम करे बर मनन करते राहय, ठउका उही बखत दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ह उनला अपन संस्था म शामिल करिस अउ फेर ताहन शुरू होइस मिशन चंदैनी गोंदा। साव जी ह अपन बारे म कहाय कि जब मैं दाऊ रामचंद्र देशमुख जी संग जुरेव तव कई महीना ले अपन घर-दुवार, खेती-खार, परिवार सब ल छोड़के संगीत के कठिन साधना करेवं। </div>
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14 बच्छर के उमर ले सुरू होय संगीत साधना के सफर ह अंतिम सांस तक जारी रिहिस। अऊ ये कला यात्रा म धुप छॉव सही कतकोन दुख-सुख उंकर आगू आइस जेकर ने लड़के छत्तीसगढ़ी लोककला मंच के सर्जक दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के बाद चंदैनी गोंदा के सियानी पागा बांधे दाऊ जी के सपना ल पूरे करे म कोनो कसर नइ छोड़िन। कला के प्रति समर्पण ल देखत लोक संगीतज्ञ खुमान साव जी ल हम छत्तीसगढ़ी कला संस्कृति अउ साहित्य के क्रांति युग 1971 के आखरी महारथी कहि सकथन। अऊ अब उंकर जाए ले माने एक युग सिरागे। साव जी घलोक दाऊ रामचंद्र देशमुख के सानिध्य म छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया के अस्तित्व अउ अस्मिता के बात अपन गीत-संगीत अउ गम्मत के माध्यम ले आम जनता के बीच राखे के प्रयास करय। गुनी जन मन कहिथे कि दाऊ रामचंद्र देशमुख के चंदैनी गोंदा सिरिफ सांस्कृतिक संस्था भर नइ रिहिस भलुक एक मिशन रिहिस छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया मनके अस्तित्व अउ अस्मिता जागाए के। जेमा खुमान लाल साव जी के भी अहम भूमिका रिहिसे। </div>
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<a href="https://1.bp.blogspot.com/-OAIsV-FKQeA/Xm-F5EA6bKI/AAAAAAAAHLw/dKgVfBvXH6oyrr9aZxOgcWKu93QNeKi9gCLcBGAsYHQ/s1600/Ramchandra-deshmukh.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="900" data-original-width="1600" height="225" src="https://1.bp.blogspot.com/-OAIsV-FKQeA/Xm-F5EA6bKI/AAAAAAAAHLw/dKgVfBvXH6oyrr9aZxOgcWKu93QNeKi9gCLcBGAsYHQ/s400/Ramchandra-deshmukh.jpg" width="400" /></a></div>
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अतका साल बाद अब अइसे लगथे कि दाऊ जी के सपना ह साकार रूप लेवथे। गांव-गांव म छत्तीसगढ़ी कला, संस्कृति अउ साहित्य के संस्था बनगे हावय। अलग छत्तीसगढ़ राज बनगे। छत्तीसगढ़ी म गीत, गजल, कहानी, बियंग, उपन्यास सबे कुछ लिखे जावथे। वइसे दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ल देखे के सौभाग्य तो नइ मिलिस हमला फेर जतका उनला पढ़े हाबन ते मुताबिक इहिच तो सपना रिहिस दाऊ जी के जेन ल पुरा करे खातिर खुमान साव जी ल अपन संग जोड़ के मिशन चंदैनी गोंदा के माध्यम ले छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी कला संस्कृति अउ साहित्य के अलख जगाइस। दाऊ जी के अधुरा सपना ल खुमान साव जी ह पूरा होवत अपन नजरभर देखे हावय अउ ओमन सरग म जाके ये सब बात ल उनला जरूर बताइन होही। </div>
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अलग छत्तीसगढ़ राज बने के बाद कई बार चंदैनी गोंदा के कार्यक्रम देखे के अवसर मिलिस। गजब के प्रस्तुतिकरण रिथे, शहर म तो एके दू घंटा के होथे पर असल आनंद तो गांव के मंच म रातभर देखे ले आथे। लगभग 30-40 कलाकार के दल ल अतका साल तक चलाना साव जी के कुशल नेतृत्व क्षमता ल दर्शाथे। चंदैनी गोंदा के कार्यक्रम जेन भी गांव म लगे होही ओमन साव जी के बेवहार ले भी वाकिफ होही। गांव के लोगन जब कार्यक्रम लगाये बर जाथे तो साव जी आगूच म रट-रट माने सोज-सोज बात करय, अतका कन देबे, एदइसे-एदइसे कार्यक्रम होही अउ गांव म तै अइसन बेवस्था बनाके राखबे। साव जी साफ-साफ बात करय भले सामने वाला ल लगय के सियान ह कड़ा जुबान के हावय फेर साव जी तो साफ अउ नेक दिल के स्वाभिमानी व्यक्ति रिहिसे। उन जीवन म कभु अपन स्वाभिमान संग समझौता नइ करिन। स्वाभिमानी अउ सिद्धांतवादी साव जी अनुशासन के पक्का रिहिसे जेन गांव म भी कार्यक्रम लगय उहां कोनो भी विकट परिस्थिति होवय पहुंचय जरूर। चंदैनी गोंदा के अलावा अउ कोई संस्था छत्तीसगढ़ शायद ही होही जेमा 30-40 हजार के दर्शक जुटत होही। अतका भीड़ ल संभालना अउ रातभर मंच ले जोड़े रखना साव जी के कुशल निर्देशन क्षमता अउ प्रतस्तुतिकरण के ऊंचाई ल दर्शाथे। 21 वीं सदी के भारत म पुरातन छत्तीसगढ़ के लोकरंग के अमिट छाप छोड़ना चंदैनी गोंदा के मिशन अउ खुमान साव जी मेहनत ले ही साकार होइस। </div>
<div style="text-align: justify;">
मिशन चंदैनी गोंदा के कारण ही आज छत्तीसगढ़ के लोक कला कहा ले कहा पहुंचगे हावय। केहे जाथे कि छत्तीसगढ़ के लोक जीवन म कला, संस्कृति अउ साहित्य ह तइहा समे ले अब तक वाचिक परंपरा म संरक्षित हावय। जुन्ना सियान मन भलुक आखर गियान कोति चेत नइ करिन फेर अपन परंपरा अउ संस्कृति के सरेखा करे के बड़ सुघ्घर उदिम करिन किस्सा-कहिनी अउ गीत-गाथा के रूप म अपन लोक कंठ म सहेजे के। पीढ़ी दर पीढ़ी उही लोक कला-संस्कृति अउ साहित्य ह आज मौखिक ले लिखित युग तक पहुंचगे हावय अउ ये समयांतराल म बखत के कतकोन धुर्रा माटी के लबादा ह उनला प्रभावित करे के कोशिश म लगे रिहिस तभे देवता सहीं छत्तीसगढ़ के माटी म दाऊ दुलार सिंह मंदराजी अउ दाऊ रामचंद्र देशमुख के बाना उचइया खुमान लाल साव जइसन व्यक्तित्व के जनम होइस। </div>
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खुमान साव जी ह अपन जीवन भर लोक म बगरे गीत कर्मा, ददरिया, सुवा, गउरा-गउरी, भोजली, पंथी, फाग, जसगीत, बिहाव गीत, सोहर गीत के अलावा अऊ आन पारंपरिक गीत मनला संकलित करके ओला नवा साज संगत म पिरो के मौलिकता के संग लोकप्रिय बनाये के जबर बुता करे हावय। एक तरह से केहे जाए तव छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोकगीत मन खुमान साव जी के संगीत ले नवा जीवन पाइस नहिते आधुनिकता के बरोड़ा अउ पाश्चात्य संगीत के प्रभाव ह जीलेवा हो जतिस। उकरे मेहनत के परसादे आज घर-घर म चंदैनी गोंदा के गाना बाजथे अउ ओकर गीत बिगर तो कोनो नेंग-जोग पूरा नइ होवय। </div>
<div style="text-align: justify;">
बिहाव संस्कार के गीत ल ही देखव ना एक डहर दफड़ा, दमउ अउ मोहरी म चुलमाटी, तेलमाटी, मायन भड़उनी, टिकावन अउ बिदाई गीत बाजत रिथे अउ दूसर कोति दाई-माई, ढेड़हिन सुवासिन मन बिहाव के नेंग-जोग करत रिथे। छट्टी छेवारी आगे अब सोहर गाना हावय तव चंदैनी गोंदा के गीत बजाव। परंपरा के निर्वाह अउ धार्मिक अनुष्ठान बर पंथी, गउरा गउरी, सुवा, जसगीत, फाग, राउत नाचा अऊ उच्छाह मंगल बर कर्मा, ददरिया के लोकधुन। चंदैनी गोंदा अउ खुमान साव के ओढ़र म आज भले हम लोकगीत के बात करत हन फेर येमा छत्तीसगढ़ के कला संस्कृति अउ साहित्य तको समाय हाबे। कला संस्कृति संग साहित्य घलो मिशन चंदैनी गोंदा के हिस्सा रिहिसे। आज के समे म हमर युवा पीढ़ी ह मौखिक ले लिखित परंपरा म आगे हावय तव हमरो जिम्मेदारी बनथे कि अपन पुराखा के करनी करम के सरेखा करन जेकर ले हमर अवइया पीढ़ी तको 1927 अउ 1971 के छत्तीसगढ़ी कला संस्कृति अउ साहित्य के पुरोधा मनके योगदान ल सुरता राखे राहय। </div>
<div style="text-align: right;">
- जयंत साहू, डूण्डा, रायपुर </div>
<div style="text-align: right;">
[9826753304]</div>
<div style="text-align: right;">
jayanysahu9@gmail.com</div>
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jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-36609523198042133192020-03-15T07:31:00.001+05:302020-03-16T19:06:03.400+05:30छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य के चंदैनी शैली के संरक्षण म लोक प्रहसन के भूमिका<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: right;">
<b><span style="color: blue;">रेडियोवार्ता: अकाशवाणी केन्द्र रायपुर</span></b></div>
<div style="text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ ल वइसे तो लोक कला अउ साहित्य के गढ़ केहे जाथे। इहां जतेक भी लोक जीवन म कला बगरे हे, साहित्य के जरई फोकियाए हे। ओमा हर प्रकार ले लोक जीवन के छइंहा दिखथे। या लोक कला के बारे म इही कई सकथन के लोक जनमानस जेकर प्रदर्शन करथे उही ह हमर लोक कला के रूप म आगू आथे। अउ संस्कृति ह लोक जीवन के अंग आय काबर की लोक ह जोन जीवन जीथे ओही ह ओकर संस्कृति आए। अबहो घलोक अब कहू हम अपन लोक कला अउ साहित्य ल लिखित रूप म संरक्षित राखे के बारे म विचार करबोन त ये करा जबर अड़चन इही आथे कि हम कतका ल लिख-लिख के राखे राहन। अउ का हम संरक्षण के बात करथन तव ओला लिखेच के गोठ काबर करथन। का संरक्षित करे के दूसर अऊ कोनो रद्दा नइ हो सके। जइसे हमर अंचल के लोक कलाकार मन अपन लोककला मंच के माध्यम ले इहां के लोक परंपरा अउ संस्कृति ल देखाथे। अगर हम वोकर कला ल देख के लिखे सकन तव तो ठीक हे, अउ नइ लिखेन तव का वोहा नंदा जही, अइसन बात नोहे। केहे के मतलब वोहा कभु नइ नंदावे। काबर कि हम अब अपन कला अउ संस्कृति ल जीयत हाबन।<br />
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आज जतेक भी लोककला ह अंतर्राष्ट्रीय अउ राष्ट्रीय मंच म प्रसिद्धी पाए हे वोकर कारण रिहिस के वोकर प्रदर्शन म विविधता रिहिस। समय के संग वोकर स्वरूप म नावा-नावा प्रयोग होवत गीस। इही नवा प्रयोग ले इलौता विधा चंदैनीच भर ह बांचगे हाबे। लोक नाट्य के दूसर विधा याने नाचा हम देखथन तव ओमा आनी-बानी के गीत अउ प्रहसन ह मिंझरगे हाबे। समय के संगे-संग नवा-नवा गीत-संगीत के समावेश होगे हाबे। अब अइसन चंदैनी विधा संग काबर नइ होइस ये हा चिंता अउ चिंतन करे के बात आए।</div>
<div style="text-align: justify;">
जइसे हम कोनो के मुंह ले सुनथन कि फलाना जगा चंदैनी होवत हाबे। तव सुनते साठ हमर मन म एके ठन चित्र दिखथे लोरिक-चंदा के। वास्तव म आज तक जतेक भी कलाकार मन ह चंदैनी विधा ल धरे हे, सुरू ले अब तक सिरिफ उहीच कथा-प्रहसन ल अनेक मंच म खेलत हे। देखइया मन तको उहीच-उही ल बार-बार देखत हे। अब ओमा के प्रहसन के बात करन अउ अन्य दूसर विधा ले ओकर तुलना करन, तव हम जान पाबो के ये लोरिक अउ चंदा प्रहसन ही चंदैनी शैली के बड़वार म अड़चन बनिस। ये विषय म अगर लोक कला अउ संस्कृतिकर्मी मन कइही कि चंदैनी म लोरिक चंदा किस्सा भर ल गाना हे तभे ओ चंदैनी शैली परिपूर्ण होही। कतको झिन के ये मानना हे कि लोरिक-चंदा ही चंदैनी आए। जबकि अइसन नइ हे। जे कलाकर साहित्यकार मन के ये मनना हे कि लोरिक चंदा अउ चंदैनी एक दूसर के परियाए आय तव ऐ मेरन वो बात के पै उघारना जरूरी हे कि अइसन बात रिहिस तव लोरिक चंदा ल लोकगीत, लोकभजन अउ बांस के कलाकार मन काबर गाये। लोरिक चंदा के उहीच किस्सा ल हम गीत नाटक अउ कथा-कंथली के माध्यम ले तको सुनथन। ये बात चिंतन करे के आय कि जब विधा के संरक्षण के बात करथन तव ये बात तको होना चाही के चंदैनी म तको आवत नावा प्रयोग, माने नावा प्रसंग ल लोक नाट्य चंदैनी शैली के संरक्षण म एक नव प्रयास के रूप म देखे जाना चाही। अउ ओकर भरपूर समर्थन होना चाही।<br />
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जइसे के ये बात ल तो सबो कोनो मानथन कि इहां कथा-कंथली के कोनो कमी नइ हे। अउ इहां के लोक नाट्य के नाचा विधा हर ये मामला गजब धनी हे काबर के ओला तो अनेक प्रसंग मिले हे मंचन बर, ओला कोनो बंधन तको नइ हे कि इही लोक प्रहसन ल खेलतेच रहना हे। जइसे चंदैनी वाला मन खेलत आवथे- <span style="color: red;"><b>" जय महामाई मोहबा के वो, अखरा के गुरू बैताले ये मोर, चौसठ जोगनी पुरखा के वो, भुजा पर होई सहाई वो मोर, सिया रामा सिया रामा सिया रामा हो, बंशी के बजइया मन मोहना ये तोर।"</b></span></div>
<div style="text-align: justify;">
ये प्रसंग म राजा महर के बेटी राजकुमारी चंदा अउ लोरिक राऊत के प्रहसन निकलथे। एमा एक राजकुमारी ह गांव के चरवाहा संग प्रेम करथे। ओकर कारण, अनेक कथाकार मन अपन-अपन ढंग ले प्रस्तुत करथे। फेर सबो के कथा म इही समानता आथे कि लोरिक एक गांव के चरवाहा होय के संगे-संग एक वीर योद्धा तको रिहिस। लोरिक ह आदमखोर बघवा ल अकेल्ला मार गिराथे। चंदैनी के कलाकर मन चुकि एक मंच नाटक के रूप म प्रस्तुत करथे तेन पाय के ओकर प्रहसन ह हांसी-ठट्ठा के किस्सा ले सुरू होथे। आम जन मानस ह लोरिक-चंदा म चार पात्र ल मंच म देखथे, जेमा सूत्रधार बने लोरिक ह कथा ल आगू बढ़ावत, कथा ल गावत रिथे। ओकर बाद के तीन कलाकार जेन मन चंदैनी के जान आए वोमा हे राजकुमारी चंदा अउ लोरिक राउत के गोसइन दौना मांजर। तीसरइया म पारी आथे लोरिक के डोकरीदाई जेन चंदैनी म मल्लीन दाई के नाम से जाने जाथे। मल्लीन के संवाद ले लोगन म हास्य के उमंग छूटथे। तव राजकुमारी चंदा हा अपन मया ल पाये के नाना उदीम करथे। उहे दौना मांजर घरेलू औरत के किरदार म जीव पारथे। आज के लोक जन मानस ह चंदैनी म इही तीनो-चारो पात्र के माध्यम ले मल्लीन घर के पासा पाली खेलना, दौना मांजर अउ राजकुमारी चंदा के बीच झगरा। ये प्रकार ले अब तक चंदैनी म अतकेच किस्सा ल देखत-सुनत आए हाबन।<br />
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<div style="text-align: justify;">
अब कलाप्रेमी मन ल तको पारंपरिक के साथ-साथ ओमा कुछ अऊ देखे-सुने के चुलुक लागत हे। फेर चंदैनी शैली म कुछू अऊ उपराहा करे के गुंजाइसे नइ दिखे। अइसन म अब चंदैनी के तर्ज म दूसर कोनो प्रहसन आथे त वोहा निश्चित ही चंदैनी बर अमृत समान होही। छत्तीसगढ़ राज निर्माण के बाद अब चंदैनी के संरक्षण बर तको बहुत काम होवथे। ये जानके खुशी अऊ बाढ़थे कि प्रयोग म चंदैनी के प्रस्तुतीकरण माने ओकर गीत-संगीत ल मुख्य आधार मान के, प्रहसन माने कथा म आन कथा ल समोख के चंदैनी ल फेर हरियाए के मउका देवत हे। अंचल म अनेक लोक कथा हे जोन ल चंदैनी के तर्ज म पिरो के प्रस्तुती करे के सुरूवात तको होगे हाबे। अभी तक चंदैनी के पच्चासो दल सक्रीय हे जेन मन सिरिफ लोरिक अउ चंदा के प्रसंग के सेती अधिक मंचीय प्रस्तुती नइ दे पावत हे। आज जबकि दूसर विधा मन म अतेक विविधता आगे हे तव चंदैनी संग ये तो होनेच रिहिस। </div>
<div style="text-align: justify;">
अब अंचल के लोक कला मर्मज्ञ चकोर के प्रयास ले चंदैनी शैली ल फेर नवा दिशा दे के उदीम होवथाबे। लोरिक-चंदा बरोबर टेकहराजा के प्रसंग ल अब वोमन मंच म खेलत हे-<b> </b><span style="color: red;"><b>" आगुच सुमिरौ में पंच देवा, फेर जे दे जनम परान। सुमिरन करवं में ह पाली पहर, ये दे दिये हे जेन गियान। सुमिरन करवं में ह कुल देवता, दया मया जेन ले लें।। सुमिरन करंव में ह डिहसरी, कुवां डबरी नरवा खेव। डोंगरगढ़ के देवी बमलाई मोर, कुदरगढ़िन माई। खल्लारी गोहरावौं बरन-बरन, गोहरावौ दंतेश्वरी दाई। भोरमदेव ल पठोयेंव नेवता, नेवता नीक राजीम धाम। बारसूर सिरपूर पठोयेंव, बदौ जेकर नाम रे संगवार रे मोर..."</b> </span>अइसन वंदना के बाद सुरू होथे टेकहाराजा प्रहसन ह। टेकहाराजा के प्रहसन सिरसागढ़ राज्य के राजा धनराज अउ रानी पवांरा के इकलौता पुत्र मनसुख के जीवन चरित्र ऊपर केंद्रित हे। टेकहाराजा ह बड़ जिद्दी प्रवृत्ति के रिहिस जेन काम ल करे बर जोंग दय उहीच काम ल फत पारे, इही पाय के ओकर नाम टेकहाराजा परगे। कथा म आगू बताथे कि एक दिन टेकहाराजा हा अपन प्रजा के दुख-दरद जाने बर अपन राज्य म भ्रमण करे बर निकलथे। ओ कोति ढालू अउ केवंरा नाव के प्रेमी-प्रेमिका अपन मन के गोठ गोठियाए बर उही लच्छूखेव म मिले बर आय रिहिस। अइसने बाते-बात म ढालू ह अपन केवंरा ल चार चरितर के बात बताथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
</div>
<ul>
<li><span style="color: blue;">पहिली बात- अपन के जहिजाद कोनो ल होय कभूच नइ धराना चाही। </span></li>
<li><span style="color: blue;">दूसर- अपन के माहंगी जीनिस अनचिनहार ल कभूच झन धराय।</span></li>
<li><span style="color: blue;">तीसर- नीच बिचार, नीच बेवहार नइते नीच बुता करइया के चाकरी कभूच नइ करना चाही। <span style="white-space: pre;"> </span></span></li>
<li><span style="color: blue;">चौथा- बिहाव होय सगियान नारी ल जादा दिन ले मइके म झन राखय। </span></li>
</ul>
<br />
<div style="text-align: justify;">
ये चारो बात ल ढालू ह अपन केवंरा ल बताथे फेर ओला टेकहाराजा तको सुन डारथे अउ राजा ह अपन नाम के मुताबिक चारो बात के थाह ले बर निकल जथे। ओरी-ओरी सबो बात के परछो लेथे। चारो बात ह सिरतोन हो जथे। अइसन ढंग ले ये कथा ह प्रहसन के रूप म लोगन ल भरपूर मनोरंजन के संगे-संग समाज म गियान के अंजोर तको बगराइस। चंदैनी के अइसने दूसर प्रहसन आथे खोखन खल्लू के झूला-झांझरी म। जेन म एक चतुर ठग ह कइसे ढंग ले लोगन ल अंध विश्वास के जाल म फांस के धोखाधड़ी करथे। भोला-भाला मानुख मन के संगे-संग बने साव मनखे तको ठगी के सिकार हो जथे। ये मेरन प्रहसन के मूल उद्देश्य ल अउ किस्सा ल बताना ये पाय के जरूरी हे काबर की हमन चंदैनी के संरक्षण अउ संवर्धन के गोठ करत हन।<br />
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<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
आज छत्तीसगढ़ अंचल म लोक कथा के अकूत भंडार हे। जेन प्राय: वाचिक परंपरा म फलत-फूलत हे। वर्तमान संदर्भ म कुछ-कुछ अब प्रकाशित घलव होय लगे हवै। एक पीढ़ी ले दूसर पीढ़ी लोक कथा गायन के परंपरा के गति ह अब धिरलगहा हो चुके हे। जेखर गजब अकन कारण हे। मूल करण पारंपरिक जाति मन के परिवार के भरण पोषण अउ स्वयं के अस्तिव ल बचाए रखे खातिर लगातार जूझई। आधुनिकता अउ सिनेमा के चलत पारंपरिक लोक कला द्वारा उकर रोजी-रोटी जुटाय म असमर्थ होना, जेला सबो जानथे। इही पाय के आज कलाकार मन तको उही कला कोति लोरघत हे जेन कोति जादा आमदनी होथे या जेन विधा म काम करे से उंखर रोजी रोटी चल सके। चंदैनी के पिछवाय के एक ठिनकारण इहू रिहिस। अब जबकि चंदैनी शैली के उन्नयन बर नवा काम होवथे ओकर गीत-संगीत अउ मंचन ल आरूग रख के सिरिफ ओकर कथा ल परिवर्तित करके जुन्नाए तन म नवा सवांगा पहिराके फेर चंदैनी ल जन जन म लोकप्रिय बनाय जा सकत हे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: right;">
- जयंत साहू </div>
<div style="text-align: right;">
ग्राम-डूण्डा, पोस्ट-सेजबहार, रायपुर छ.ग.</div>
<div style="text-align: right;">
मो. 9826753304</div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-25031398192342727512020-03-13T19:47:00.003+05:302020-03-14T07:24:50.401+05:30छत्तीसगढ़ी लोकगाथा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: blue;">छत्तीसगढ़ी रेडियो वार्ता || विषय- छत्तीसगढ़ी लोकगाथा || समय- 12 मिनट</span></div>
<div style="text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ के लोक जनमानस म गजब अकन लोकगाथा प्रचलित हावय। आज जतके कन लोकगाथा लिपिबद्ध होय हाबे ओकर ले केऊ आगर ह मुअखरा लोक कंठ म समाये हाबे। चूंकि लोकगाथा के कोनो एक रचनाकार नइ होवे वो तो समकालिक परिशिष्ट म स्वमेंव उध्रित होथे। लोक गाथा के सिरजन के विषय म अनेक विद्वान मन अपन-अपन अनुमान बताथे फेर कोनो ह एकर सही परमान नइ देवय की ओकर सिरजन कब होय हाबे। लोकगाथा के कथानक मन गजब लंबा होथे अउ लोकगाथा के लंबा होय के कारण तत्कालीन परिवेश अउ लोक व्यवहार आए। जेन व्यक्ति नहीं बल्कि सकल समाज के प्रतिनिधित्व करथे। छत्तीसगढ़ अंचल के लोकगाथा मन सिरिफ मनोरंजन के काम भर नइ करे भलुक सामाजिक कुप्रथा, रीति रिवाज के बोध के संगे-संग लोक साहित्य अउ संस्कृति के सरेखा तको करथे।<br />
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<div style="text-align: justify;">
अब आव कुछ छत्तीसगढ़ी लोकगाथा मन ल अलग-अलग खंड म बांट के विस्तार ले वर्णन करथन। तव सबले पहिली सोरियाथन नारी प्रधान लोकगाथा मन ल जेमा दसमत कइना, नगेसर कइना, चंदा ग्वालिन, बिलासा केवटिन, अहिमन रानी, फूलकुंवर, रेवा रानी, केवला रानी, बहादुर कलारिन या कलार सुंदरी जइसन गाथा ल छत्तीसगढ़ म प्रमुखता ले गाये जाथे। ये सबो गाथा मन ले नारी शक्ति के अपने रूप के दर्शन होथे। अइसने प्रेम प्रधान लोकगाथा हावय जेमा ढोला मारू, लोरिक चंदा, रहिमन रानी, काम कंदला, सुतनुका-देवदीन, लीलागर, बोधऊ उक के प्रेम के किस्सा गजब सुने बर मिलथे। अब देखव आगू वीराख्यान लोकगाथा जेमा आल्हा, गोपाल राय, हीराखान, बीरसिह पवाड़ा, पंडवानी, रायसिह पवाड़ा, बीर बंधु आदि गाथा प्रमुखता ले गाये जाथे। इही रकम ले छत्तीसगढ़ म अध्यात्मिक लोकगाथाएं घलोक गाये जाथे जेमा भरथरी, गोपी चंदा, सरवन कुमार के किस्सा लोक म गजब प्रचलित हावय।<br />
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नारी प्रधान लोकगाथा म दसमत कइना के किस्सा ल इहां के कतकोन कलाकार मन अब मंच म तको गाये के शुरू कर दे हावय। कलाकार मन साज संगत के संग गजब सुघ्घर दमसत कइना के किस्सा ल गावत बताथे के ये भोजनगर के राजा भोज के किस्सा आए। राजा भोज के सात झिन बेटी रथे जेमा सबले छोटे बेटी के नाम रथे दसमत। एक दिन राजा अपन सातो बेटी ल बलाके एक सवाल पुछथे कि- बेटी तुमन काकर करम के खाथव, काकर करम के लेथव नाव। बारी-बारी ले छै बेटी मन किथे की पिताजी हमन तोरे करम के खाथन अउ तोरे करम के लेथन नाव। आखिर में दसमत कइना के पारी ल आथे त ओ कइथे कि पिता जी मै अपन करम के खाथवं अउ अपने करम के लेथव नाव। राजा भोज दसमत के बात सुनके गुस्सा जथे। मने मन गुनथे अउ किथे मैं देखिहवं तोर करम ल। राजा अपन सैनिक मनला बलाके दसमत बर अइसन वर तलाश करे बर किथे जेकर कर खाय बर अन्न झिन राहय, पहिरे बर ओन्हा झिन राहय अउ रहे बर घर झिन राहय। राजा के बात मानके सैनिक मन वइसनेच निच्चट गरीब आदमी ल पकड़ के लानथे अउ राजा ह अपन बेटी के बिहाव ल ओकर संग करा देथे। राजकुमारी दसमत अपन करम के लेखा मानके ओ गरीब आदमी संग चल देथे।<br />
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दसमत अपन पति संग गरीबी के जीवन गुजारत रिथे। एक दिन दसमत अपन पति ले पुछथे के तुमन तो रोज अतेक काम बुता करथव तभो ले गरीब के गरीबेच हव। आखिर का काम करथव तुमन। तब ओकर पति बताथे के हमन साहूकार बर पथरा फोड़ के जोगनी धरथन। दसमत किथे के एको ठिन जोगनी लाबे तो महूं देखहू। दूसर दिन एक ठिन जोगनी धर के घर लानथे। दसमत देखके दंग रही जथे। ओ तो हीरा आए अनमोल हीरा। तुरते दसमत ह अपन पति ल लेके ओ साहूकार कना जाथे अउ हीरा म हिस्सा मांगथे। अब हीरा पाये के बाद दसमत मनके गरीबी दूरिहा जथे। दसमत अब तो अपन पिता राजा भोज ले घलो जादा अमीर होगे। ये लोकगाथा ह एक नारी के आत्म सम्मान, राजा के अंहकार के पतन अउ गरीब के शोषण ल उजागर करत हाबे। लोकगाथा के अंत म नारी ह अपन पति के खातिर सति हो जथे, काबर के ओकर पति ह अपने पत्नी के इज्जत के रक्षा खातिर परान गवाए रिथे। दसमत कइना के ये गाथा ल परमुख रूप ले देवार कलाकार मन गाथे। श्रीमती रेखा देवार येकर सिद्धहस्त कलाकार हाबे।<br />
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अब अहिमन रानी के कथा ल देखथन त दुरूग राज के राजकुमारी के बिहाव सारंगढ़ राज के बीरसिंह के साथ होथे। वीरसिह शंकालू प्रवित्ति के रिहिसे। नानकून बात म वो अपनेच पत्नी ल मारे बर लग जथे। अहिमन रानी के ये गाथा म अपन सास के अवेहलना के दुष्परिणाम भोगत देखाय हाबे संगे-संग पतिव्रत धर्म के सेती फेर जीवन मिल जथे। अहिमन रानी के कथा म एक प्रसंग आथे जेमा राजा घोड़ा चोरी हो जथे। जेकर वापसी बर पासा पाली के खेल खेलना अउ अपन सरी गहना ल हार जाना बताये हाबे। बाद अहिमन के मुह बोले भाई ल ओला ओकर गहना ल वापस कर देथे। उही गहना के सेती अहिमन के पति राजा बीरसिंह भाई बहिनी के नता ल आन जानके अपन पत्नी उपर भरम जथे और ओला मार परथे। अंत म ओकर मुंह बोला भाई के सेती फेर ओमन संघर जथे।<br />
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अब प्रेम प्रधान लोकगाथा म लोरिक चंदा के किस्सा ल फरिहाथन। लोरिक चंदा म लोरिक राउत अउ राजकुमारी चंदा के प्रेम के किस्सा गाये जाथे। लोरिक अहिर समाज के बलखर युवा रिथे जेन बघवा ल तको मारे रिथे। तइहा समे म राजकुमारी चंदा के बिहाव राजा बिरबावन संग होय रिथे। जब गवना के बेरा आथे तव राजा ल कोढ़ के बिमारी रिथे। गवना कराये खातिर राजा ह लोरिक ल बिरबावन बनाके भेज देथे। ओ कोति राजकुमारी चंदा ह लोरिक ल ही अपन मन मंदिर म बसा लेथे। लोरिक के बिहाता पत्नी के नाम हे दौना मांजर राहय। लोरिक के मया म राजकुमारी ह ओकर घर मल्लीन दाई के ओड़र म मिले बर जाथे। लोरिक अउ चंदा ल मिलत दौना मांजर देख डारथे। चंदा अउ दौना म झगरा होथे। चंदा ह लोरिक ल बारा साल बर भगा के ले जथे। अइसन रकम ले ये लोरिक चंदा के ये किस्सा म प्रेम के संग हास्य और वीरता के भाव तको देखे ल मिलथे। लोरिक चंदा के किस्सा ल कतकोन नाचा गम्मत वाले मन तको देखाथे अउ चंदैनी दल मन तो लोरिक चंदा प्रसंग ल ही प्रमुखता ले देखाथे जेमा रामाधार साहू एक बड़े नाम हावय।<br />
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अइसनेहे एक अउ प्रेम प्रधान गाथा हावय ढोला मारू के। जेमा राजा ढोला लाल अउ रानी मारू के प्रेम के गाथा ल छत्तीसगढ़ में ढोला मारू के संगे-संग रेवा परेवा के नाम से तको जाने जाथे। ये छत्तीसगढ़ के अइसन लोकगाथा आए जेला आन राज म तको गाये जाथे। छत्तीसगढ़ म 'ढोला-मारू' राजस्थान म 'ढोला-मारू रा दूहा' ब्रज म 'मदारी को ढोला' आदि नाव ले जाने जाथे। गाथा अनुसार नरवर गढ़ के कछवाहा राजा नल के पुत्र के नाम सलह कुमार रिहिसे जेन बाद म ढोला लाल के नाम से प्रसिद्ध होइस। जब उंकर बिहाव होइसे ओ बखत ढोला के उमर तीन साल अउ मारू के उमर ढेड़ साल रिहिस। ढोला अउ मारू के बिहाव के प्रसंग के बाद रेवा नाम के जादुगरनी के प्रसंग आथे। रेवा जादुगरनी ह ढोला उपर मोहित हो जथे। ओहा एक दिन ढोला ल परेवा बनाके अपन संग ले जथे। अइसन ढंग ले ये गाथा ल लोक कलाकार मन सो सुने म बड़ रोचक लागथे। आज के समे म श्रीमती सुरूज बाई खांडे के बाद अब श्रीमती रेखा जलक्षत्रि अउ रजनी रजक येकर प्रमुख कलाकार हावय जेन मन ये किस्सा ल जीवित राखे हावय। </div>
<div style="text-align: justify;">
अब गोठ करबोन वीराख्यानक लोकगाथा मनके जेमा सबले पहिली नाव आथे आल्हा-उदल के। आल्हा उदल के किस्सा में विरता अउ साहस के कई प्रसंग सुनाये जाथे। वीर पुरूष ह समाज म नारी के सम्मान अउ न्याय खातिर लड़थे। ये गाथा ल अइसन रकम ले गाये जाथे कि सुनइया मन के मन म जोस जाग जथे अपन मातृभूमि खातिर। आल्हा अउ उदल दूनो भाई गजब पराक्रमी रिहिन ओमन अपन मातृभूमि के रक्षा खातिर पृथ्वीराज संग भयंकर युद्ध करिस। ये गाथा म अनठावन लड़ाई के वर्णन हाबे। आल्हा खंड काव्य के गायन छत्तीसगढ़ के बाहिर घलोक होथे। जेन प्रकार ले वेदव्यास जी महाभारत महाकाब्य के रचना करिस, महर्षि बाल्मीकि ह रामायण के। ओइसने रकम ले जगनिक ह आल्हा काब्य के रचना करे हावय।<br />
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अब सोरियाथन लोकगाथा पंडवानी ल। पंडवानी ह हमर छत्तीसगढ़ के अमुल्य धरोहार आए। जेन ल दू शैली म गाये जाथे एक कपालिक अउ दूसर वेदमति। माने कपालिक म कथा के संग काल्पनिकता प्रयोग करे जाथे अउ वेदमति म सिरिफ वेद सम्मत गाथा के गायन होथे। पंडवानी के कलाकार मन हाथ म तंबूरा अउ करतान धरे पांडव मनके किस्सा ल सुनाथे। छत्तीसगढ़ के मूर्धन्य पंडवानी गायक मन म सबले पहिली नाव आथे झाड़ूराम देवांगन, पद्मश्री पुनाराम निषाद, पद्मभूषण डॉ. तीजन बाई, चेतन देवांगन, प्रभा यादव, मीना साहू, प्रभा यादव, रितु वर्मा, शांति बाई चेलक अउ उषा बारले आदि के नाम विख्यात हावय। पंडवानी म महाभारत के मूलकथा ल आंचलिक भाखा म एक दिन, दू दिन, तीन दिन, सात दिन अउ नौ दिन तक घलोक सुनाये जाथे। पंडवानी गायक मन ल भजनहा तको केहे जाथे जेमन सबलसिंह चौहान के लिखे कथा के गायन 18 पर्व म बांट के करथे।पंडवानी में प्रमुख रूप ले आदि पर्व, सभा पर्व, उद्यम पर्व, भीषम पर्व, द्रोण पर्व, करन पर्व, शैल पर्व, तिलक पर्व, अश्वमेघ पर्व, स्वर्ग रोहन पर्व, मूसल पर्व, द्रोपदी स्वंबर, दुशासन वध, कीचक वध, अर्जुन शिव तपस्या, कुंती-गांधारी के शिव पूजा, अभिमन्यु विवाह, देवासुर संग्राम, भरत वंश की कथा, कर्ण जन्म, गीता उपदेश आदि कथा प्रसंग के गायन होथे।<br />
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<div style="text-align: justify;">
अब पारी हावय आध्यात्मिक लोकगाथा भरथरी के। भरथरी म उज्जैन के राजा भर्तहरि के जीवन चरित्र के गायन करे जाथे। येमा राग, विराग के अंतर्द्वन्द अउ तर्क-वितर्क के द्वंद्व ले जुरे राजा भरथरी के नीति, श्रृंगार, वैराग्य के अध्यात्मिक कथा हावय। छत्तीसगढ़ म भरथरी के किस्सा ल तको अलग-अलग खंड म बांट के गाये जाथे। भरथरी के प्रसिद्ध गायिका श्रीमती रेखादेवी जलक्षत्री अउ श्रीमती सुरूज बाई खांडे ह राजा भरथरी के गाथा ल जनम से लेके विवाह अउ वैराज्ञ तक नौ खण्ड म सुनाथे। बताथे कि राजा भरथरी अउ रानी सामदेवी के बिहाव के रात ही ओकर पलंग टूट जथे। जेला देखके रानी हांस परथे। तब राजा ह पलंग टूटे के कारन ल रानी ले पुछथे। रानी किथे के मोर बहिनी पिंगला येकर कारन ल जानथे। राजा ह पिंगल ल बलाके पुछथे तव वो बताथे के पूर्व जन्म म तुमन महतारी बेटा रेहेव इही पाके ये पलंग ह टूटे हावय। अतका ल सुनके राजा दुखी हो जथे। येकर बाद आगू के प्रसंग म राजा के शिकार के किस्सा आथे जेमा ओमन एक काला मिरगा के शिकार कर देथे। एक काला मिरगा के छै आगर छै कोरी मिरगीन मन राजा ल श्राप दे देथे। राजा श्राप ले मुक्ति खातिर गुरू गोरखनाथ के शरण म चल देथे। गोरखनाथ बाबा कहिथे के तोला अपने महल म भिक्षा मांगे बर जाना हावय अउ अपन रानी ल मां कहिके पुराना हाबे। अइसन ढंग ले भरथरी गाथा म राजा के जीवन के अनेक घटना ल बताये जाथे।<br />
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अइसने रकम ले सरवन गाथा तको हावय। सरवन कुमार के गाथा ह रामचरित मानस ले लिये गे हावय। येहू गाथा ल छत्तीसगढ़ के अलावा आन राज के मन तको गाये जाथे। ये गाथा म संतान बर माता-पिता के सेवा ल ही सबसे बड़े धर्म बताये गे हावय। ये कथा सुरू होथे अंधरी अंधरी माता-पिता ले जेकर ऐकच झिन औलाद रिथे सरवन कुमार। सरवन कुमार के पत्नी ह कुलक्षणी रिहिसे। सास ससुर के थोरकोच जतन नइ करत रिहिसे। अतेक दोगलई करे के ओकर भोजन रांधे के बर्तन म तको दू खंड रिहिसे। एकेच बर्तन ल दू किसम के चुरय। एक भाग म 'खीर' त दूसर भाग म 'महेरी'। अपन मन खीर खावय अउ सास ससुर न महेरी। ये बात के पता जब सरवन कुमार ल होथे त ओहा बहुत दुखी होथे अउ अपन पत्नी ल निकाल के माता-पिता ल तिरथ कराये के संकल्प लेके लकड़ी के कांवर बनाथे। सरवन कुमार अपन अंधी-अंधा मां-बाप ल कांवर म बइठार के तिरथ करे बर निकलथे। एक दिन प्रयाग जाये के रद्दा म ओमन ल पियास लागथे तव सरवन कुमार अपन माता पिता ल उही जंगल म छोड़ के सरयू नदी पानी लाने बर जाथे। ओ कोति राजा दशरथ शिकार करे बन निकले रिथे। ये कोति सरवन कुमार पानी के तुमड़ी ल नदी बुड़ोथे त ओ कोति राजा दशरथ पशु पानी पियथे समझके शब्दभेदी बान छोड़ देथे। बान लगते ही सरवन कुमार घायल होके गिर जथे। राजा दशरथ मनखे के आरो पाके दौउड़थे तव देखथे कि बान लगे सरवन कुमार आखरी सास लेवथे। राजा ल जबर दुख हो जथे, ये कोति सरवन मरगे ओ कोति ओकर मां-बाप पियास मरत हाबे। राजा दशरथ पानी लेके जब अंधरी अंधरा कना जाथे अउ पुरा घटना ल बताथे तव ओहू मन राजा ल श्राप देके अपन परान तियाग देथे। राजा दशरथ पछतावत-पछतावत तीनों झिन के अंतिम संस्कार करथे।<br />
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<div style="text-align: justify;">
अइसन ढंग ले छत्तीसगढ़ म कतकोन लोक गाथा गाये जाथे जोन इहां के सांस्कृतिक विरासत के संगे-संग इहां के लोक जीवन म समाज के कुप्रथा अउ रूढ़ि वादी रीति रिवाज उपर कटाक्ष तको करथे। कतकोन लोकगाथा मन के गायन गुड़ी म नइ होय के सेती विलुप्त तको होवत होवय। हमर आगू के सियान मन मुअखरा जाने फेर नवा पीढ़ी मन सरेखा नइ करिन तेन पाके कतकोन मन के नावे भर बांचे हावय। कुछ लोकगाथा मन ज्यादा गुड़ी म गाये बजाये के सेती विकृत तको होवत हावय माने ओमा आधुनकिता के प्रभाव देखे बर मिलत हावय। अइसन म हमर जुन्ना तइहा के लोकगाथा मन ला लिपिबद्ध करके सरेजे के जबर उदीम करे के घातेच जरूरत हावय।</div>
<div style="text-align: right;">
ब्लॉगर के गोठ- ब्लॉग म संकलित एदे लेख ल कतकोन झिन बड़का कलाकार, साहित्यकार अउ पत्रकार मनके वाचिक अउ लिखित तथ्य ल आधार बनाके गढ़े गे हावय जेन म मानवीय भूल हो सकत हावय। क्षमा सहित आप मनके मया आसिस के अगोरा म... जयंत साहू</div>
<div style="text-align: right;">
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-psr5bxY4sQI/XmuVgxraZZI/AAAAAAAAHKU/tAKhPmrufYkt0Q5eRVfQ-1X-KZOBTPIGQCLcBGAsYHQ/s1600/jayant%2Bsahu.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" data-original-height="1080" data-original-width="1075" height="200" src="https://1.bp.blogspot.com/-psr5bxY4sQI/XmuVgxraZZI/AAAAAAAAHKU/tAKhPmrufYkt0Q5eRVfQ-1X-KZOBTPIGQCLcBGAsYHQ/s200/jayant%2Bsahu.jpg" width="198" /></a><a href="https://1.bp.blogspot.com/-psr5bxY4sQI/XmuVgxraZZI/AAAAAAAAHKU/tAKhPmrufYkt0Q5eRVfQ-1X-KZOBTPIGQCLcBGAsYHQ/s1600/jayant%2Bsahu.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;">JAYANT SAHU </a><a href="https://1.bp.blogspot.com/-psr5bxY4sQI/XmuVgxraZZI/AAAAAAAAHKU/tAKhPmrufYkt0Q5eRVfQ-1X-KZOBTPIGQCLcBGAsYHQ/s1600/jayant%2Bsahu.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;">MO- 9826753304</a><a href="https://1.bp.blogspot.com/-psr5bxY4sQI/XmuVgxraZZI/AAAAAAAAHKU/tAKhPmrufYkt0Q5eRVfQ-1X-KZOBTPIGQCLcBGAsYHQ/s1600/jayant%2Bsahu.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;">Email- jayantsahu9@gmail.com</a><a href="https://1.bp.blogspot.com/-psr5bxY4sQI/XmuVgxraZZI/AAAAAAAAHKU/tAKhPmrufYkt0Q5eRVfQ-1X-KZOBTPIGQCLcBGAsYHQ/s1600/jayant%2Bsahu.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><br /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-44179818196085421732019-11-12T22:48:00.001+05:302019-11-22T20:41:35.356+05:30छत्तीसगढ़ी साहित्य में कहानी अउ निबंध<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ राज म कला, साहित्य अउ संस्कृति के अदभुत समागम देखे कर मिलथे। इहां नाव अउ जाति ह लोगन के चिन्हारी नोहय बल्कि ओकर संस्कृति अउ परंपरा ह उंकर स्वांगे चिन्हारी बने हावय। इही चिन्हारी आज साहित्य सिरजन म लगे साधक मनके लेखन के आधार बनिस। नहीं ता अतका बछर बाद कोन गम पातिस के तइहा समे म छत्तीसगढ़ के लोगन मनके दसा-दिसा, रहन-सहन, रीत-रिवाज का रिहिसे? जबकि ओ बखत तो हमर साहित्य ह लेखन म नइ आये रिहिस हावय। हां लेकिन वाचिक परंपरा ह जबर रिहिसे, हरेक परंपरा ह कोनो न कोनो कथा कंथनी ले सुरू होथे अउ नहींते गायन के रूप म ओला धरनाहा राखे के उदिम हमर सियान मन करिन।<br />
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उही तइहा के सियान के मुअखरा साहित्य के सिरजन ल आज हमर राज के साहित्यकार मन लिखित रूप करत हावय। छत्तीसगढ़ी सहित्य के सिरजन सही माइने म अलग नवा छत्तीसगढ़ राज बने के बाद नंगत घऊंरे लागे हावय। छत्तीसगढ़ राज के उदय होय के कारण तको साहित्यिक आंदोलन ल ही माने जाथे। अब इहां के साहित्य लेखन ल एकदम नावा तको नइ केहे सकन काबर के छत्तीसगढ़ी म तको गाथा युग अउ भक्तियुग के बाद आधुनिक युग के परभाव सउहत देखे बर मिलथे।</div>
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छत्तीसगढ़ी साहित्य के परमानिकता के विषय म हमर तिर एकेच ठी थाती हावय हीरालाल काव्योपाध्याय के जोन ह 1890 म प्रकाशित होय हावय। हीरालाल काव्योपाध्याय के लिखे आखर के अंजोर न सिरिफ छत्तीसगढ़ बल्कि बंगाल अउ इग्लैंड तक तको पहुंचिस। छत्तीसगढ़ के जुन्ना साहित्यकार मन तको इही दिन-बादर 1890 ल छत्तीसगढ़ी गद्य लेखन के प्रारंभिक काल माने हावय। येकर पहिली के छुटपुछ आरो म साहित्यकार मनके एकमत नइये।<br />
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छत्तीसगढ़ी साहित्य के गद्य विधा माने कहानी अउ निंबध के विषय म इतिहासकार अउ जुन्ना साहित्यकार मनके कथन हावय के ओ बखत के रचना मन म अब के मानक छत्तीसगढ़ी जइसे रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव के अलावा छत्तीसगढ़ी के उपबोली जइसे खल्टाही, सरगुजिहा, लरिया, सादरी कोरवा, हल्बी, भतरी, गोंडी, भूलिया, बिंझवारी के प्रभाव दिखय। कुछेक शब्द अवधी, बघेली, बुंदेली के ह घलोक छत्तीसगढ़ी साहित्य म दिखथे।</div>
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अब के समे म देखे जाए तव भले ही मानक छत्तीसगढ़ी अउ उपबोली मनके सबो विधा म बरोबर प्रभाव नी दिखे तभो ले नवा रचनाकार मन अपन-अपन अंचल के प्रतिनिधित्व करत साहित्य के सबो विधा म जबर लेखन करत हावय। गद्य विधा ल सजोर करत कहानी लिखइया मनके नाव ल सोरियाबोन तव सबले आगू डॉ. खूबचंद बघेल, शिवशंकर शुक्ला, लखनलाल गुप्त, सुकलाल पांडेय, कपिलनाथ कश्यप, डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा, पं॰ सीताराम मिश्र, केयूर भूषण, टिकेन्द्र टिकरिहा, परदेशीराम वर्मा, नारायणलाल परमार, डॉ॰ पालेश्वर शर्मा, राम कुमार वर्मा, डॉ॰ बिहारी लाल साहू, परमानंद वर्मा, पुनुराम साहू, दादूलाल जोशी, सुशील यदु, राजेन्द्र सोनी, चेतन भारती, पंचराम सोनी, डॉ. गोरेलाल चंदेल, डुमन लाल ध्रुव, हेमनाथ यदु, सुशील भोले, डॉ. बलदेव साव, मंगत रविन्द्र, श्रीमती सुधा वर्मा, हरप्रसाद निडर, चंद्रशेखर चकोर, किसान दीवान, दुर्गाप्रसाद पारकर आदि सहित अऊ केऊ झिन के कृति हमर आगू म हावय।<br />
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तइहा के कहानी के कथानक अउ भाषा शैली कइसन रिहिस होही ये बात के गुनान करत कुछ बड़े कहानीकार मनके कहानी ल अब ओसरी पारी ओरियाके मरम ल जाने के बखत हावय। सबसे पहिली शिवशंकर शुक्ल जी के कहानी ‘फिरंतिन’ ल देखन। शिवशंकर शुक्ल जी छत्तीसगढ़ी के बड़े नाम आए, ओमन के उपन्यास ल लोगन मन छत्तीसगढ़ी के पहिली उपन्यास तको मानथे। शिवशंकर शुक्ला जी ह फिरंतिन कहानी म मोसी दाई के मया के भाव उजागर अइसन ठंग ले लिखे हावय के। एक दिन रतिहा जब फिरंतिन ल सुते छोड़के रजवा ह घर ले निकर गिस। दूसरे दिन मुंधियार फिरंतिन ह रजवा के मांची ल खाली देखते बक्क खागे। अंगना म निकर के देखिस त उहां रजवा ह नइ रहय। बिहनियां गांव म किंजर-किंजर के एक-एक झिन मनखे ल पूछिस, तभ्भो ले ओखर कोनों आरो नइच्च मिलिस। काबर करम के छंडहिन ह ओला बूता बर तियारतेंव, कहूं अइसने गोठ ल नइ चलातेंव त वो ह अपन दाई ल अधवार मा छोड़ के कभू नइ जातिस। वो ह अपने ल जी मारके बखान लेवय। कोन कुबेरा म मेंहा अपने बेटा ल बूता बर कहेंव। नइ कहितेंव त नइ जातिस कहूं। अइसन भाव लेके रचनाकार ह फिरंतिन के ओड़र म समाज म नवा संदेश देवत हावय के सबो मोसीदाई ल बेकार नइ होवय। बियाय लइका नइ राहय तभो ले पर के लइका बर पीरा ल उमड़थे।</div>
<div style="text-align: justify;">
अइसने श्यामलाल चतुर्वेदी ह अपन कहानी ‘सतवंतिन सुकवारा’ म गांव के गरीब के दसा अउ ओकर बेवहार ल बताये हावय। किथे के- चैतु हर घूमारे के मशीन के चक्का ल, अउ सुकवारा हर ओनहा ल खिलय। चिरहा फटहा के पइसा नइ लेवय सुकवारा। ओला पइसा लेहे बर जोजियावै तब कहय भगवान हर मोरे करम ल फुटहा बनाये रहिसे तइसने ओनहा मन फटहा हे। जतके ओला जोर देके खिल दैहों तब सबके देखइया भगवान ह कभ्भू न कभ्भू मोरो फटहा करम ल जोरही। नवा कुरथा के काज बटन लगाय बर अपने अबके सउत अउ पहिली के देरानी ल सिखो डारिस सुकवारा ह। अइसन रकम ले ये कहानी म गरीब ह गरीब के कइसे मदद करथे इही भाव ल बताथे। संगे-संग ये कहानी ह रायपुर अउ बिलासपुर के छत्तीसगढ़ी के फरक ल तको उजागर करत हावय।<br />
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लखनलाल गुप्त ह अपन रचना ‘सुवा हमार संगवारी’ म सुवा पोसे के केऊ ठी कारन बताव किथे के हमर छत्तीसगढ़ घलाव म सुवा के रंग-रंग के कथा कहानी सुनेबर मिलथयं इहां के सुवा गीत ल आप पढ़िहौ तो दंग रहि जाहव। उन का काम नइ करे हे। कहां-कहां संदेसा नइ पहुंचाये हे। सुवा राजा मनके संगवारी राहय अउ रानी मनके सहचर के काम करय। वो अवइया नइते दुर्भाग्य के चिन्हारी दे देत रहिन। हमर इहां के लोककथा म किसिम-किसिम के गोठ बात सुवा के मिलथय। एखरे सेती हमर छत्तीसगढ़ म सुवा हा बड़ मयारूक पक्षी के रूप म घरोघर पोसथय। जेखर घर म बाल बच्चा नइ राहय उन मन तो जरूर सुवा रखथंय। अउ ओखर से किसिक-किसिम के ठिठोली कर करके खेलथंय अउ अपन समय बीताथंव अऊ तो अऊ सुवा ल संतान कस मान लागथंय। ये भाव आए लखनलाल गुप्त जी के छत्तीसगढ़ी रचना के।</div>
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अब डॉ. पालेश्वर शर्मा के कहानी ‘तिरिया जनम झनि देय’ म नारी मनके दसा अउ दिसा के बखान करत समाज ल तको बताये के प्रयास करे हावय के हमर समाज म नारी मनके कतका सम्मान अउ आदर के भाव हावय। छत्तीसगढ़ म नारी मन कभू अपन घर-दुवार, सास-सुसर ल छोड़ा के पति संग अकेल्ला रहे के बात ल बेवहार म नइ लानय भलूक संयुक्त परिवार म सुनता ले रहे के पक्षधर होथे। जेन घर म नारी के सियानी रिथे तेन तो अऊ जबर उदाहरण आए पुरूष प्रधान समाज बर। इहां आजीविका के आधार खेती हरे अऊ एक एकेल्ला नारी तको खेती किसानी करके अपन लोग लइका पालन-पोसन कर लेथे। ये रकम ले रचनाकार ह नारी मनला समाज म सम्मान देवाय के संग आत्म विस्वासी अउ नारी परानी कइसे घर चलाथे इहू बात के जबर उदाहरण रखथे।<br />
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हर पुरखा कलमकार केयूर भूषण तो गद्य विधा के माई मुड़ी आए जोन स्वतंत्रता आंदोलन म भाग लिन अउ केऊ ठी रचना ल जेल भीतरी ल तको करिन हावय। कतको ह प्रकाशित होइस अउ कतकोन तो हस्तलिखित प्रतिलिपि के रूप मे धरनाहा रखाय हावे। उंकर रचना ‘आंसू म फिले अंचरा’ ह पढ़इया-लिखइया लइका मनके स्कूल अउ कालेज के दिन ल लिखथे के कतको हुसियार लइका काबर नइ होये, पहली साल ह उंकर लटेपटे म निभथे। बड़ चउज करथें। जुन्ना लइका मन, नवा लइका मन ल रोवा के छोड़थे। कोनों कहिथे हमला सलाम करके जा। तब कोनो कहिथे गीत गा के बता। कतको झन जुन्ना छोकरी मन तो नवा छोकरी मनके मुंह म काजर नहीं तो केरवस पोछ देथे। अइसे ठोलहीं के आंखी ले आंसू निकले के डउल हो जाथे। फेर धीरे-धीरे हुसियार छोकरा-छोकरी मन के जुत्था बने लगथे। रचनाकार के ये भाव ह नवा पीढ़ी ल शिक्षा ले अपन रद्दा चतवारे के संगे-संग जेन बिपत सुरू म आथे तेकर बरन करे हावय।</div>
<div style="text-align: justify;">
अब छत्तीसगढ़ी साहित्य के गद्य विधा म महिला मनके नाव सोरियावन तो कुछेक नाम ही आगू आथे। जेमा एक बड़े नाम हवय डॉ. सत्यभामा आडिल जेखर कहानी ‘रमिया अउ केतकी’ ह अपन पात्र मन के माध्यम ले तत्कालीन परिदृश्य ल देखाय के उदीम करत हावय। रमिया केतकी बिहाव के लइक होगे। दुनो के रूपरंग सोन जइसे जग-जग ले। उंखर भरे जोबन ल देख के सबो उखरे डाहर खिंचावत आवयं। समय अपन रंग देखइस। धान कटई, मिंजई खतम होगे, तहां ले बर बिहाव खातिर, सब कमइया किसान मन, लड़का-लड़की खोजे बर निकलगे। इहां गांव के काम बूता उरके के बाद बिहाव के गोठ कहे हावय अउ कतका सुघ्घर नोनी के सुंदरता के बखान करे हावय। आगू लिखे हावय के बछर ऊपर बछर बीतगे, रमिया घलो एक बेटा के महतारी बनगे। पिपरदेव म अंचरा के धागा चढ़ायेबर गिस। तब ले लेके आज तक कसही अउ फूंड़र गांव के संग-संग आगू पिछू के गांव के मन घलो पिपरदेव के पूजा करन लगिन। हर बछर अपन-अपन गांव के तरिया तीर म नवा रूख राई रोपत गिन। कहुं नीम, कहुं बरगद, कहुं पिपर अब तो आमा, संतरा, जाम के रूख म सबो के बारी बखरी भरगे, हरियर लागथे। रमिया अउ केतकी के कथा घर-घर सुनाके, गांव वाले मन रूख राई ल पूजन लागिस। अइसे ढंग ले रचनाकार ह अपन कहानी म प्रकृति ल पूजा के रूप म समोखे हावय के पढ़इया तको रूख राई के जतन करे के सुरू कर देथे।<br />
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अइसने रकम ले परमानंद वर्मा के कहानी के कथानक तको सीधा सरल फेर गंभीर बात करथे। कहानी ‘तोर सुरता’ एक मया के बानगी आए। वइसे तो मै गुन के खरीददार नोहवं अउ ना बाजार म खरीददारी करे बर निकले हौ? अइसे तो बजार म एकर जइसे कतको मूरत बिकथे अउ खरीददार मन खरीद के ले जाथे। फेर मै ना ये मूरत ल खरीदना चाहत हौ अउ ना घर ले जाय के इच्छा हे। मैं तो देवी के रूप म पूजा करना चाहत हवं अउ उही तो करथवं। एला मैं कोनो पाप नइ मानो। फेर मोर माने नइ माने ले का फरक पड़ना हे। कानून अउ नीतिशास्त्र के पंडित मन के अदालत म तो एला अपराध अउ पाप के दर्जा दे जाही। ओकर मन के हिसाब से तो फेर कसूरवार हौ। ककरो बहू-बेटी ऊपर गलत निगाह रखना तो पाप हे। अउ पापी बर दंड के विधान हे। तब तो अपराधी ठहरेवं। अइसन ठोस बात ल जब एक बड़े कलमकार ह लिखथे तव ओमा सिरिफ मन-चाहत भर नहीं भलूक आस्था के भाव दिखथे। वहू ल रचनाकार किथे के काकरो बहू-बेटी बर अइसन सोचना तको पाप आए। कहानी के ये भाव युवा मनला सीख के संगे-संग आरूग मया म चिभोरे के दम तको रखथे। येमा एक बात के अऊ देखे भर मिलिस, लेखन म भासा शैली अउ शब्दावली जेन निमगा रायपुरिहा छत्तीसगढ़ी म रिहिसे। </div>
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अइसने एक झीं अऊ कहानीकार हावय मंगत रवीन्द्र। जेखर रचना म कथानक ठेठ गांव के होथे अउ पात्र मन कोनो न कोनो माध्यम ले सादा जीवन उच्च विचार के बेवहार ल जीथे। कहू-कहू तो धर्म, दर्शन के मरम ल रचनाकार अपन कृति म समोखे के सुघ्घर उदीम करथे। जइसे देखव कहानी ‘संवरा’ के ये भाव ल। हमर छत्तीसगढ़ ककरो मान करे म पाछू नइ रहे। दोना पतरी म भात ल परोस के लोटा म पानी पियाथे। छत्तीसगढ़ के मनखे, लोटा म पानी देथे। खटिया-पिड़हा म बइठार के चरनामृत ल लेथे। सुसर आइस घर म, गोड़ लगरे रात के, ढोंक ठोंक के तरिया नहवाइस एही बेटा बाप के। घमंड फुग्गा तो आय, कतका बेरा ओसकही पता नइ चले। ज्ञानीक जी मनटुटहा फिरत हे। सांप चाबे सांप के मुंह दुच्छा, आज ज्ञानी के घमंड चूर-चूर होगे।</div>
<div style="text-align: justify;">
अइसने रकम के गोठ हरप्रसाद निडर जी तको किथे के छत्तीसगढ़ हर हमर दई ये अउ छत्तीसगढ़ी ह बहिनी, फेर दूनों के मरजाद छत्तीसगढ़िया मन के पागा घलो ये। पागा ल बिना दागी के अदक धौरा रहना चाही, तभे तो मुड़ म जुगजुग ले फबही। बड़ बात तो लिखत हावंय, चाहे कसनो बनय, फेर गवाईहां छत्तीसगढ़ी ह तो असल ये। असल म नकल के गेरू झन घोंसयं, अइसना म असल छत्तीसगढ़ी नंदा जही अउ नकल म रंग चढ़ जही। ये संसो आए एक रचनाकार के जेन छत्तीसगढ़ी म होवत आनतान लेखन के विरोध करत हावय। जब हम छत्तीसगढ़ी साहित्य के बात करथन तो ओमा आरूग पर होना घातेच जरूरी हावय। देखव हरप्रसाद निडर के कहानी ‘ठड़गी’ ल जेमा ओमन कथे- रमला के बिहाव होय तीस बरिस ले आगर होगे हे, फेर ओकर लइका नइ होय हे, तेकर सेती घर-परवार, पारा-गली के मन ओला ठड़गी कथे। रमला के गोसईया रमला ल अपन जीव ले बहुते मया करथे, फेर का करै मयाराम के दई ह ओला निसदिन ठेला मारै के हमर डीह म दीया बरैया एको झन पुतरी नइये, कहां लंग के सरपदोखही ल हमन पतोहू पायेन के हमर कुल ह अंधियार होगे। ये कहानी म ठड़गी के दुख जेला ठगड़ी तको कथे के पीरा ल बताये हाबय रचनाकार ह कि कइसे-कइसे तना सुने ल परथे। संगे-संग एमा गारी बखाना के मर्यादित रूप के प्रयोग होय हाबे। कतकोन शब्द हमर अंचल म अइसने घलोक हावय जेन ल बोलचाल म भले कहि दे जाथे। फेर ओकर भाव ल बने नी माने जाये। हरप्रसाद निडर के कहानी मन म आरूग अउ ठेठ शब्द के भंडार देखे बर मिलथे। <br />
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<div style="text-align: justify;">
इही रकम ले कहानीकार किसान दीवान के रचना हर तको आंचलिक शब्दावली के कोठी रिथे। भले ओमन छोटे-छोटे कहानी गढ़थे फेर पढ़इया ल आनंद देथे। ‘टेंकहा बेंगवा’ म ओमन लिखथे के एक ठन तरिया म आनी बानी के कीरा मकोरा, मछरी जोंख अउ बेंगवा राहय। मजा मारत बिधुन होके जीयंत खात रिहिन। दुख-पीरा नांव नीही। उहंचे एक ठन बेंगचुल मूंगा कस चिकचिकी हरियर अउ ठस्सा राहय। पिला, बकेना, पठरू, बेंदरा, कुकुर, बिलई, बाघ भालू सबे जीव परानी मन नान्हेपन म घात मन मोहना होथंय। तइसने वहू राहय। घात उदबिरिस अउ टेंकहा-जिद्दी। महतारी के बरजना सुन के अऊ टेचराही देखावय। आन के तान करय। उद्दाबादी जावय। अइसन सुघ्घर कहानी के भाव ह लोगन ल प्रकृति के तिर लेगे के उदीम करथे। गांवखेरा के लोगन के मन बिलमथे अइसने कहानी मन म अउ फेर किसान दीवान के रचना मन तो कम शब्द म अपन बात ल फरी फरा कर देथे।</div>
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छत्तीसगढ़ी साहित्य के गद्य विधा म कहानी तो छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद गजब घउरे हावय जेन म लघुकथा, लोककथा, नाटक, उपन्यास अउ बियंग के रचनाकार मनके सूची गजब लंबा हावय। अभी छोट हावय तो थोकिन छत्तीसगढ़ी के निबंध लेखक मनके नावसूची ह। कुछेक साहित्यकार मन सबो विधा म लेखन करत हावय। अउ जब प्रकाशन के बेरा आथे तव सबो ल एके किताब म समोख देथे ते पाके उंकर नाव ह निबंध लेखन के मूल विधा म उल्लेखित नइ हो पावय। तइहा ले केयूर भूषण, टिकेन्द्र टिकरिहा, डॉ. गोरेलाल चंदेल, पंचराम सोनी, पुनूराम साहू, डॉ बलदेव साव आदि रचनाकार मन तो सबो गद्य विधा ल सजोर करे म अपन योगदान दे हावय। अब प्रकाशित कृति अउ सरलग सहराये के लइक बुता ल सोरियाबोन तव आज गद्य लेखन के निबंध विधा म श्रीमती सुधा वर्मा के किताब ‘परिया धरती के सिंगार’ अउ ‘तरिया के आंसू’ हमर करा हावय। ये दूनो कृति म उंकर एक से सेख निबंध पढ़े बर मिलथे। परिया धरती के सिंगार ह मानूख ल प्रकृति ले जोड़े के प्रयास करथे। ओमन किथे के मय प्रकृति म विरचन करथवं। पर्यावरण मोर मन म बहुत असर करथे। तेज आंधी म हवा के पीरा, पेड़, पौधा के दरद अउ समुद्र के हलचल के भितरी खुसरके ओला अनुभव करथवं। जब-जब ये दुख पीरा के अनुभव होथे मोर कलम चले लग जाथे। दुख-पीरा ही नहीं खुसी के अनुभव घलो होथे। उही अनुभव उही पीरा ह मोर आखर म ढलके निबंध के रूप लेथे। इही क्रम एक नवोदित लेखिका म श्रीमती किरण शर्मा के किताब ‘छत्तीसगढ़ के अंगना म बगरत चिन्हारी’ ह तको प्रकाशित कृति के रूप म हमर तिर हावय। जेमा लेखिका ह अपन अंतस के भाव ल समोखे हावय। </div>
<div style="text-align: justify;">
निबंध लेखन के विधा म वर्तमान म सुशील भोले के कृति ‘भोले के गोले’ घलोक प्रकाशित होय हाबे। सुशील भोले वइसे तो सबो विधा म लेखन करथे फेर लोगन मन उंकर छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति के गोठ ल बने पसंद करथे। भोले के रचना म छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति के पीरा, साहित्यकार मनके पीरा अउ छत्तीसगढ़ी भासा बर अगाध मया दिखथे। ओमन किथे के वाजिब म छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति एक मौलिक संस्कृति आय, जेला हम सृष्टिकाल के या युग निर्धारण के हिसाब ले काहन त सतयुग के संस्कृति कहि सकथन। इहां कतकोन तिहार अउ परब हे, जे ए देश के अऊ कोनो भाग म न तो जिये जाए अउ न मनाए जाय।<br />
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<div style="text-align: justify;">
इही रकम ले चंद्रशेखर चकोर के निबंध तको छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति, कला अउ कलाकार मनके दरद ल उजागर करथे। चंद्रशेखर चकोर ह नानपन ले ही लोक खेल कोति सूर लगाये ओकर संरक्षण अउ संवर्धन बर प्रयासरत रिहिन हावय। ओमन लोकखेल ले उरऊती खातिर कतकोन निबंध के रचना करे हावय जेन देश के कतकोन पत्र-पत्रिका म प्रकाशित होय हावय। </div>
<div style="text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ी साहित्य के गद्य विधा म एक अउ बड़े नाम हावय डुमनलाल ध्रुव। जिखर रचना स्कूल अउ कॉलेज के पाठ्यक्रम म समोखे जाथे। डुमनलाल ध्रुव के संगे-संग बीआर साहू, डॉ. जीवन यदु, विनयशरण सिंह, पाठक परदेशी, मंगत रवींद्र, अउ डॉ. मांगीलाल यादव सरीख जुन्ना छत्तीसगढ़ी लेखक मन लइका मन बर पाठ्यक्रम लिखके नवा पीढ़ी ल तको छत्तीसगढ़ी साहित्य ने जोरे के जबर उदीम करे हावय।</div>
<div style="text-align: justify;">
आज अतेक बच्छर बाद भी अब जबकि हम सब लिखे-पढ़े ल जानथन तभो ले अपने लोक साहित्य म रम नइ पावत हावन। इही पाके जादा से जादा ठोस अउ वाजिब बात के लेखन होना चाहि। साहित्य ल समाज के दरपन किथे तव ये दरपन ल घलोक साफ सुथरा राखे के उदीम वर्तमान समाज ल करे बर परही तभेच हमर लोक साहित्य के भूत, भविष्य अउ वर्तमान संरक्षित रही पाही।</div>
<blockquote class="tr_bq" style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">नोट-: </span>ये लेख ह अनेक बड़का साहित्यकार मनके समिलहा लिखित विचार के संकलन आए जेमा अऊ सुधार के जरूरत हावय। अलग-अलग काल म अऊ कतकोन साहित्यकार मनके नाव येमा जोड़े ल परही जानकारी मुताबिक।<span style="color: red;"> - जयंत साहू, डूण्डा रायपुर छत्तीसगढ़ 9826753304</span></blockquote>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-58155820519838811492019-08-05T19:26:00.001+05:302019-11-12T22:56:43.536+05:30छत्तीसगढ़ी साहित्य के विकास यात्रा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ी ह छत्तीसगढ़ के महतारी भाखा आए, जेन ल राजभासा के दर्जा तको मिले हावय। छत्तीसगढ़ के साहित्य ह तइहा समे ले कथा कंथली अउ गाथा के रूप म मौखिक रूप ले लोक जीवन म रचे बसे हावय। जब छत्तीसगढ़ ह मध्यप्रदेश म रिहिस हावय तभो, ये अंचल के लोक साहित्य के अलगेच सोर रिहिस हावय। इहां के लोगन मन ज्यादा पढ़े-लिखे नइ रिहिन हावय तभो ले अपन साहित्य ल कथा-कहानी अऊ गाथा के रूप म एक पीढ़ी ले दूसर पीढ़ी तक सहेजे के बुता करय। </div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ी साहित्य के वाचिक परंपरा म सबले सजोर महाभारत के कथा हावय जेकर गायन विधा ल पंडवानी कहे जाथे। अइसने आल्हा गायन के अलावा तइहा के राजा महाराजा मनके तको छत्तीसगढ़ी म कथा-कहानी अउ गाथा मिलथे जेन ल इहाँ के लोगन मन मुअखरा जानथे। इही रकम ले संस्कार गीत मन तको इहां के लोक साहित्य ल सजोर करथे। जनम, विवाह अउ मरन संस्कार के रीति रिवाज गीत के रूप म संरक्षण पाथे। अइसने छत्तीसगढ़ी परंपरा ह तको गीत के रूप म लोक म संरक्षित हावय। ओ जुग ले ए जुग तक वाचिक ह अब धीरे-धीरे लिखित रूप म लहुटे लगे हावयं। येकर सबले बड़े परमान सवांगे छत्तीसगढ़ राज्य आए जेन ल दुनिया तको जानथे कि अलग छत्तीसगढ़ राज ह सांस्कृतिक अउ साहित्यिक संघर्ष के परिणाम आए। </div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
तइहा जुग म जब हम जाथन अउ छत्तीसगढ़ी के सुरूआत के साहित्य के जर ल खोधियातन तव सबले पो_ परमान ह इही किथे कि धनीधरम दास जेन ह कबीर दास के चेला आए। उही बखत माने १५ वीं १६ वीं शताब्दी म छत्तीसगढ़ी म पद्य रचना करय। धनीधरम दास के रचना मन के हरि ठाकुर अउ बाबू रेवाराम मन तको संकलन करिन हाबय। १७ वीं शताब्दी के तको दंतेवाड़ा म छत्तीसगढ़ी के कुछ शिलालेख मिले हावय फेर ये शिलालेख के संबंध म अनेक इतिहासकार मनके मत भिन्नता हावय। <span class="Apple-tab-span" style="white-space: pre;"> </span></div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ी के लिखित साहित्य के इतिहास म सन् १८८५ ओ युग आए जेकर परमान स्वयं इतिहास देथे। १८वीं शताब्दी म छत्तीसगढ़ म अंग्रेज मनके शासन रिहिस। इहां कतकोन स्कूल चलत रिहिस हावय जेन म छत्तीसगढ़िया बेटा मन तको शिक्षा पाइन फेर ओमा सिरिफ हीरालाल चन्नाहू धमतरी जिला के एक नानकुन गांव के रहइया छत्तीसगढ़ के बेटा हा छत्तीसगढ़ी म लिखे के सुरू करिस। हीरालाल चन्नाहू ह सन १८८५ म छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सिरजन करिस। जेकर अंग्रेज लेखक सर जार्ज ग्रियर्सन ह अंग्रेजी म अनुवाद करे हावय, अइसे परमान छत्तीसगढ़ के इतिहासकार डां. रमेन्द्रनाथ मिश्र के किताब ले मिलथे। इतिहासकार आचार्य मिश्र जी लिखथे कि हीरालाल चन्नाहू ल १८९० म कोलकाता के एक साहित्यिक संस्था कोति ले काव्योपाध्याय के उपाधि प्रदान करे गे रिहिसे। इही उपाधि के सेती हीरालाल चन्नाहू ल हीरालाल काव्योपाध्याय के नाम ले देश अउ साहित्य समाज ह जानथे। </div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रशेखर चकोर ह छत्तीसगढ़ी भासा के सरंक्षण अउ संवर्धन बर हीरालाल काव्योपाध्याय ल माई मूड़ी बताये हावय। चकोर जी के अनुसार हीरालाल काव्याोपाध्याय के लिखे के बाद कोनो-कोनो अउ कलमकार मन छत्तीसगढ़ी म लिखे के जोंगिन। छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पो_ करइया जम्मो साहित्यकार मनके विधा अउ नाव के गोठ करे म तो बेरा पहा जही तब अइसन म छत्तीसगढ़ी साहित्य के विकास यात्रा ल चार काल म बाट के गोठबात करथन-</div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
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<ol style="text-align: left;">
<li><span style="color: blue;">छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्षण काल जेन म १८८५ ले १९४७ तक रचनाकार मन सामिल हावय।</span></li>
<li><span style="color: blue;">छत्तीसगढ़ी भासा के स्वाधीनता काल जेन म १९४८ ले १९७० तक के कलमकार मन सामिल हावय।</span></li>
<li><span style="color: blue;">छत्तीसगढ़ी भासा के जागरन काल जेन म १९७१ ले २००० तक के कलमकार मन सामिल हावय।</span></li>
<li><span style="color: blue;">छत्तीसगढ़ी भासा के राज्य गठन काल जेन म २००१ ले अब तक के कलमकार मन सामिल हावय। </span></li>
</ol>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<span style="color: red;">1. छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्षण काल-</span> छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्षण काल जेन १८८५ ले १९४७ तक के हावय ये काल म देश ल आजादी नइ मिले रिहिस हावय। छत्तीसगढ़ म ठेठ छत्तीसगढ़ियापन दिखय। ये बखत के कलमकार मन म प्रमुख रूप ले पंडित शुकलाल प्रसाद पांडेय, जगन्नाथ प्रसाद भानु, बिसाहू राम सोनी अउ पंडित सुंदरलाल शर्मा के नाम आथे। इंखर लेखनी ह छत्तीसगढ़ी साहित्य बर नवा अंजोर के काम करिन। साहित्य के संगे छत्तीसगढ़ी संस्कृति ह तको चिनहारी पाइस। </div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<span style="color: red;">2. छत्तीसगढ़ी भासा अउ साहित्य के स्वाधिनता काल- </span>छत्तीसगढ़ी भासा अउ साहित्य के स्वाधिनता काल आथे जेन म १९४८ ले १९७० तक के कलमकार मन हावय। देश ल आजादी मिले के बाद सबो डहर उच्छाह उमंग के माहौल रिहिस लोगन मन अपन-अपन मति अनुसार आजादी के जोइदा मनके गुनगान करिन। ये काल म प्रमुख रूप ले डॉ. खूबचंद बघेल, भगवती लाल सेन, गिरवर दास वैष्णव, कपिलनाथ कश्यप, धरमसिंग दानी, गोविंदराम वि_ल, विद्याभूषण, ईश्वर बघेल, बद्री बिशाल परमानंद, कोदुराम दलित, हेमनाथ यदु, डॉ. दशरथलाल निषाद, टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा, प्यारेलाल गुप्त, मेहत्तर राम साहू, नरेन्द्र देव वर्मा, श्माम लाल चर्तुवेदी, लक्ष्मण मस्तुरिया, द्वारिका प्रसाद विप्र, रामेश्वर वैष्णव, डॉ. बलदेव साव, पवन दीवान जइसे अउ कतकोन कलमकार मन अपन महतारी भाखा म साहित्य सिरजन करिन। </div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<span style="color: red;">3. छत्तीसगढ़ी साहित्य के जागरण काल-</span> छत्तीसगढ़ी साहित्य के जागरण काल के जेन म १९७१ ले २००० तक के कलमकार मन सामिल हावय। सन् १९७१ ले छत्तीसगढ़ी संस्कृति अउ साहित्य ल नवा सुरूज मिलिस चंदैनी गोंदा के रूप म। बघेरा दुर्ग के रहइया दाउ रामचंद्र देशमुख ह नाचा पेखन के कलाकार मन ल जोड़ के एक अइसन संस्था बनाइस जोन छत्तीसगढ़ी साहित्य जगत म क्रांति के सूत्रपात करिन। हम ए बात ल गरब ले कहि सकथन के छत्तीसगढ़ी म नाटक-प्रहसन, गीत, कहानी, कविता के सिरजन होय के सुरूआत लोगन मन चंदैनी गोंदा ल देखे के बाद सुरू करिस। गांव-गांव म लोक कला मंच बने लगिस। छोटे-छोटे गांव के लेखक अउ कलाकार मन ल मंच मिलिस, उखर रचना ल मान सम्मान मिलिस। असल म केहे जाए तव सबले जादा साहित्य के सिरजन छत्तीसगढ़ सन् १९७१ के बाद ही होय हावय। </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
इही बखत छत्तीसगढ़ी सेवक नाव के साप्ताहिक पेपर तको छपे के सुरूआत होइस जेकर संपादक रिहिस जागेश्वर प्रसाद। येकर अलावा एक अउ मासिक पत्रिका छपिस मयारू माटी जेकर संपादक रिहिन सुशील भोले। जागरण काल म अवतरे लेखक मन म प्रमुख रूप ले डॉ. राजेन्द्र सोनी, परदेशी राम वर्मा, रामेश्वर शर्मा, मंगत रविद्र, जीवन यदु राही, किसन दीवान, हरप्रसाद निडर, पंचराम सोनी, चंद्रशेखर चकोर, पुनूराम साहू राज, पीसीलाल यादव अउ दुर्गा प्रसाद पारकार जइसन अउ कतकोन साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ी साहित्य ल सजोर करे म अपन योगदान दिस। </div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<span style="color: red;">4. छत्तीसगढ़ साहित्य के राज गठन काल-</span> छत्तीसगढ़ साहित्य के राज गठन काल जेन २००१ ले सुरू होथे। नवा छत्तीसगढ़ राज के उदय होय के बाद छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया के एक लहर चलिस अउ युवा मन छत्तीसगढ़ी म लिखे-पढ़े खातिर उमियाइन। ये काल म घातेच छत्तीसगढ़ी लिखे गिस। लगभग सबो विधा म सिरजन होइस। ये काल म गोविंद धनगर, तुकाराम कंसारी, जयंत साहू, दिनदयाल साहू, चंपेश्वर गिरी गोस्वामी, संतोष सोनकर, रमेश चौहान जइसे कतकोन कलमकार मन अबही घलोक अपन कलम चलावत हावय। </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ी म गीत, कहानी, कविता, भजन, गजल, उपन्यास सबे कुछ लिखे जावत हावय। अउ अब तो प्रकाशन के गजब अकन माध्यम तको आगे हावय। तइहा म लोगन मन वाचिक रूप से साहित्य के संरक्षण करय फेर अब लिपिबद्ध होय ले छत्तीसगढ़ी साहित्य ह जुग-जुग तक अम्मर रइही। गजब अकन पत्र-पत्रिका मनके अलावा इंटरनेट म वेबसाइट मन तको छत्तीसगढ़ी साहित्य ल सहेजे के उदीम करत हावय। </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ी सेवक, मयारू माटी, लोकाक्षर, बरछाबारी, गुरतुर गोठ, अंजोर जइसन पत्रिका मन कतकोन कलमकार मनके रचना ल प्रकाशित करके साहित्य ल संजोय राखे के संगे-संग नवा नवा लेखक मन अवसर तको देवत हावय आगू आए के। </div>
<blockquote class="tr_bq" style="text-align: justify;">
<span style="color: red;"><span style="color: red;">नोट-:</span> ये लेख ह अनेक बड़का साहित्यकार मनके समिलहा लिखित विचार के संकलन आए जेमा अऊ सुधार के जरूरत हावय। आगू अलग-अलग काल म अऊ कतकोन साहित्यकार मनके नाव येमा जोड़े ल परही जानकारी मुताबिक।</span><span style="color: red;"> </span><span style="color: red;"><span style="color: red;">- जयंत साहू, </span><span style="color: red;">डूण्डा रायपुर छत्तीसगढ़ 9826753304</span></span></blockquote>
</div>
जयंत साहू [ charichugli ] http://www.blogger.com/profile/06994108700105989559noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-3716909625655610022018-06-13T20:00:00.000+05:302019-11-12T22:41:08.395+05:30छत्तीसगढ़ में कृषि संस्कृति<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-tNl9rn34pDo/WyPwkAJ2F4I/AAAAAAAADnQ/f4IcaR5e7gkNE4ab698jvjyMlMVfe7eEQCLcBGAs/s1600/chhattisgarh-me-krishi-sanskriti.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="999" data-original-width="1600" height="248" src="https://4.bp.blogspot.com/-tNl9rn34pDo/WyPwkAJ2F4I/AAAAAAAADnQ/f4IcaR5e7gkNE4ab698jvjyMlMVfe7eEQCLcBGAs/s400/chhattisgarh-me-krishi-sanskriti.jpg" width="400" /></a></div>
<br />
छत्तीसगढ़ ह एक कृषि प्रधान अंचल आए, इहां के एक तिहाई लोगन मन सिरिफ खेती म निर्भर हावय। खेती ह तइहा ले अब तक छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास के प्रमुख साधन रेहे हावय। कृषि संस्कृति के विकास इहां तभे ले होय हाबे जब लोगन खाये के जिनिस ल गड्डा म गड़िया के बोवय। अउ फेर धीरे-धीरे ओमन देखिन के बीजा ले पौधा बनथे तव उंकर मति ह उही कोति लामिस, अपन निस्तार खातिर खाद्यान्न उपजाए के उदीम उंखर भीतर पनपे लागिस। आदिम संस्कृति ले अब समय के संग धीरे-धीरे खेती ह व्यवसाय के रूप लेवत आज प्रदेश के आर्थिक विकास म मजबूती देवत खड़े हावय। अब तो ये बात ल छत्तीसगढ़ ले सात समुंदर पार के मानखे मन तको मानथे के वाकई 'छत्तीसगढ़ धान के कटोरा' आए। इहां सबले ज्यादा धान के पैदावार होय के साथ सबले ज्यादा धान के किस्म तको इंहचे देखे बर मिलथे।</div>
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<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">कृषि भूमि अउ फसल- </span></b>छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग म प्रमुख रूप ले धान, गहू, चना, मटर, सरसो, अरहर, सोयाबीन अउ तिवरा जइसन फसल के खेती होथे अउ पहाड़ी, उत्तरी पठार अंचल म लोगन मन प्राकृतिक रूप ले उपजे पेड़ पौधा उपर निरभर रिथे। जइसन इहां के मैदानी भाग म खेती के लायक समतल जमीन हावय वइसन पठार अउ पहाड़ी अंचल म कम हावय, जेकर कना समतल जमीन नइये ओमन फल अउ औषधी कंदमूल के खेती करके अपन जीवका चलाथे। कुछ अंचल म प्रशासन के प्रोत्साहन ले गांव के युवा मन उन्नत खेती ल अपनावत हावय अउ कम रकबा म बागवानी खेती करत हावय।धीरे-धीरे उहू कोति कृषि के विस्तार होवत हाबे अउ लोगन मन व्यवसायिक रूप ले, खेती ल अपन जीवकोपार्जन के जरिया बनावत, जांगर टोर मेहनत करत हाबे। </div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">सिचाई प्रबंधन-</span></b> छत्तीसगढ़ अंचल में आज भी सर्वाधिक किसान मन भगवान भरोसा खेती करथे, माने उंकर कना पानी के साधन नइये, बरसात होथे तव उंकर खेत म अन्न उपजथे। इही पाके साल म एकेच फसल लेथे, बने पाग रेहे म कभू-कभू ओनहारी आगे तव दूसर फसल के जोंगथे। ये काहन के छत्तीसगढ़ म पारंपरिक रूप ले जेन किसान मन खेती करत हाबे ओमन खरीफ के मौसम म धान के खेती करथे अउ उहीच नमी म गहूं या फेर दलहन, तिलहन के खेती करथे जेन अढ़ाई ले दू महीना के होथे। पारंपरिक ल छोड़के वर्तमान म देखे जाए तव कुछ अंचल म बांध बनाके नहर के मांध्यम ले खेत म पानी पहुंचाये जात हावय त कुछ किसान जेन मन आर्थिक रूप ले संपन्न हावय ओमन खेत म कुंआ, तरिया, बोर तको खाने रिथे खेत पानी पलोय बर फेर यहू तो बरसा उपर ही निर्भर रहिथे। बरसात खतम होये के बाद किसान मन बाकी समय ल खेत के तियारी म लगाथे। छै महीना के खेती बर छै महीना के तियारी ह किसान मनके पैदावार म उरवती के रूप दिखथे।</div>
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<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">खेती के नवा दिन</span></b>- छत्तीसगढ़ परब तिहार वाले प्रदेश आए इही सेती, इहां के सबोच बिसेस काम के पीछू कोनो न कोनो पारंपरिक, धार्मिक अउ अध्यात्मिक विधान के प्रचलन देखे बर मिलथे। जइसे इहां के किसान मनके नवा दिन सुरू होथे अक्ती ले। अक्ती के दिन जोन पुतरी-पुतरा के बिहाव होथे तेन तो अलगे हावय, येकर अलावा गांव म जेन नाउ, धोबी, पाहटिया, बइगा अउ सौंजिया लगे रिथे तेन मन अपन मालिक ठाकुर घर ले मेहनताना पाथे। अक्ती के दिन ही कतकोन मन मालिक घर के काम ल छोड़थे तव कतको मन आन सौंजिया तको लगाथे। इहां मेहनत के सम्मान होते तेन पाके नौकर जइसन शब्द के उपयोग नइ होवय मालिक ठाकुर मन सौंजिया या फेर कमइया कहिके संबोधित करथे अउ जब उकर चुकारा के दिन आथे तव तय मुताबिक अनाज दिये जाथे। छत्तीसगढ़ म सौंजिया मनला रूपिया म नहीं बल्कि धान म लगाये जाथे। अइसने नाउ, धोबी, राउत, बइगा उक मनके तको सालाना तय रिथे, धान ह, जोन पइली काठा, ओ मुताबिक गांव के सबो घर ले देना रिथे। अक्ती के दिन ही गांव के किसान ठाकुर देवता म धान के बीजा ल डूमर पाना के दोना म चड़ाथे। जेला गांव के बइगा ह नेंगहा खेत म बो के जोतई करथे, बांचे धान ल किसान मन ल फेर दोना दोना बांट देथे। इही बीज ल किसान मन प्रमाणित बिजहा मानथे अउ जमो के राखे रिथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">खेती के तइयारी-</span></b> किसान मन कभू ठलहा नइ राहय। असाढ़ अउ अवइया बरसा के अगोरा करत किसान मन जेठ अउ बइसाख के महीना म खेत के जेन भी काम बांचे रिथे तेन ल उरकाथे जइसे के कोनो खेत ल चतवार के बरोबर करना हे, मेड़ सिरजाना हावय। बिड़ा बांधे खातिर पैरा डोरी बरई, खचका डबरा पाटना, कांटा बिनना, खातू पालना, नांगर खापना आदि।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">घुरूवा खातु के महत्ता-</span></b> छत्तीसगढ़ म पारंपरिक रूप ले जोन खेती करथे किसान मन ओ बहुतेच लाभकारी हावय, जइसे पारंपरिक खाद के उपयोग ह फसल के पैदावार तो बड़ाबे करथे येकर अलावा खेत के उर्वरा क्षमता ल तको बड़ाथे। येकर से जोन अन्न उपजथे वोहा गजब पौष्टिक होथे अउ डाक्टर मन तको तो रासायनिक के बजाय जैविक खाद ले उपजे सब्जी खाए के सलाह देथे। पारंपारिक खाद बनथे कइसे अउ काबर गांव म किसान मन घरोघर तइयार करथे येला देखबे तो अतका साहज हावय के बिगर कोनो विशेष लागत के घर म ये तइयार होथे। किसान मन के घर माल मवेशी होबे करथे, धान के पैरा होथे, चुल्हा के राख निकलथे। इही सब ल फेके खातिर एक ठिन गड्डा खाने रिथे जेन ल घुरूवा किथे। घुरूवा म कोठा के कचरा, जेन म पैरा के अलावा मवेशी मनके मल-मूत्र तको रिथे। घर म चुल्हा के राख निकलथे तेनो ल घर के नारी परानी या सौंजिया मन ह गांव गली म नइ फेके, ओला सकेल के घुरूवा म डारथे। घुरूवा भरे के बाद ओमा पानी डारके माटी म तोप देथे, जेठ-बइसाख के आवत तक बर। जइसे ही खातू पाले के दिन आथे किसान मन गाड़ा बइला म जोर के खेत म बगरा आथे। गांव म स्वच्छता के ये घुरूवा ह जबर उदाहरण आए कि वो समे म तको हमर छत्तीसगढ़ म गांव के किसान मन कचरा फेके बर एक गड्डा के उपयोग करत रिहिन हाबे, आजो करथे। आधुनिकता के दौर म कचरा के निस्पादन अउ ओकर सार्थक उपयोग घुरूवा खाद के रूप म करना ये छत्तीसगढ़ के कृषि संस्कृति के देन आए।</div>
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<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">खेती म अधिया, रेगहा अउ सापर-</span></b> छत्तीसगढ़ के कृषि संस्कृति म आपसी भाई चारा तको गजब देखे बर मिलथे। जइसे कोनो किसान ह सवांगे अपन खेती ल नइ कमा सकत हावय तव ओहा आन किसान ल अधिया या फेर रेगहा म दे देथे। अधिया माने ओ खेत म जतेक भी पैदावार होही, दूनो के आधी-आधी अउ रेगहा माने किसान ह आगू ले आठ बोरा दस बोरा अइसे चक अनुसार करार करे रही ओतका देना परही। अउ जेन किसान मन आपस म जुरमिल के काम ल उरकाथे माने दू-तीन किसान मिलगे सझा रूप ले खेती करथे ओला सापर कथे। सापर म एक दूसर के काम उरकाना रथे बिगर कोनो मेहनताना के।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">बनिहार-</span></b> गांव म तो सिरिफ किसानी बुता होथे तव जेखर घर खेती नइये तेन का करत होही यहू बात मन म आथे। तव खेती ह अइसन बुता आये के एकेच झिन के बुती नइ सिरजय, बनिहार भुतिहार के जरूरत परबे करथे। जेकर घर खेती नइये तेन मन आन घर बनि कमाय बर जाथे। गांव म वइसे भी जात समाज के अनुसार काम सबो बर सपुरन रिथे। जेन मन अपन पुरखौती पारंपरिक बुता ल नइ करे ओमन खेती किसानी कमाथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;"><b>दिगर समाज के सहयोग-</b></span> किसानी के अलावा गांव म पारंपरिक पुरखौती बुता करइया मन जइसे के लोहार ह किसान बर नांगर के लोहा, गाड़ा के पट्टा, रापा, कुदारी, हसिंया बनाथे तव बढ़ई ह नांगर, जूड़़ा, चक्का के संगे-संग गाड़ा बनाये के काम ल करथे। कुम्हरा मन माटी के जिनिस बनाथे जइसे बर्तन भड़वा जेमा साग, भात रांधे के अलावा दूध, दही, मही धरे के मैइरसा अउ पानी बर करसा उक बनाके किसान घर अमराथे। अइसने गांव म लगे नाउ मन तको किसान मनके सावर बनाये खातिर खेत म बियारी के बेरा जाथे। नांगर जोतत बखत किसान के गोड़ म कांटा ठेसा के टूट जथे तेने ह हेरवाय बर नाउ मन कना जाथे।</div>
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<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">पारंपरिक खेती म वैज्ञानिकता- </span></b>छत्तीसगढ़ के कृषि संस्कृति म गजब वैज्ञानिक आधार घलोक देखे बर मिलथे जेकर कृषि वैज्ञानिक मन सवांगे बढ़ई करत नइ थकय। बरसात के पहिली माने जब पहिली खरीफ के नमी रइथे तभेच एक पइत जोतई करके छोड़ देथे। माने अकरस जोतर्इ् करथे इही ल वैज्ञानिक मन प्री मानसून के प्राथमिक जोताई किथे। अइसन करे ले खेत के जोन कीरा-मकोरा अउ दूबी बन रिथे तेन म उफला के उपर आ जथे अउ बइसाख के घाम म भूंजा के मर जथे। छत्तीसगढ़ म किसान मन नांगर ले खेत के जोताई करथे तेन पाके माटी ह बने भरभरा जाए रिथे। कन्हार ले जदा मटासी ल जोताई के जरूरत परथे। कन्हार माटी ह कम पानी म जोतत बन जथे तेन पाके खुर्रा जोतई बने होथे काबर के जदा पानी म भुइंया लटलटा जथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">कोंटा कोड़ना- </span></b>खेती के दिन म लइका मन के मुंह ले अक्सर सुने बर मिलथे कि कोंटा कोड़े बर जानथन। खेत के जोताई नांगर म होय रिथे, नांगर ह गोलाकार रेंगथे तेन पाके खेत के कोंटा ह छु जाये रिथे। इहीं छूटे कोंटा म धान छितके कुदारी म कोड़ के बोए जाथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">मुंही-</span></b> खेत के मेड़ म कोनो अइसन जगह जिहा ले आन खेत म पानी उतर सके ओ ठउर ल निकासी खातिर छोड़े रिथे। मेड़ के फुटे इही पानी आए जाए के ठउर ल मुंही कथे। मुंही ल बोवई के बखत बांध के राखथे अउ जब पानी जादा हो जथे तव फोर के बाहिर निकाले जाथे।</div>
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<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">निंदई अउ बियासी-</span></b> बोवई के बाद निंदई कोड़ई के दिन आथे। काबर के हमर इहां बोता पद्धति ले जादा खेती होथे माने बरसात म पानी के गिरे ले खेत ल एक पइत जोत के धान ल छिड़क के फेर नांगर म बो देथे। इही म रोपा पद्धति तको होथे जेन म एक ठी खेत म धान के नर्सरी तइयार करके 20 दिन बाद ओला खेत म लगाये जाथे। रोपा लगाये के पहिली खेत म कोपर तको चलाये जाथे जेकर ले खेत म पहिली ले उपजे दूबी बन मन माटी म दब जथे अउ खेत ह तको बरोबर दिखथे। रोपा म अब कतार बोनी तको सुरू होगे हावय अउ येमा बियासी करे के तको जरूरत नइ परय काबर के ओला नर्सरी ले उखान के खेत म लगाये रिथे। जेन किसान बोता पद्धति ले धान बोथे ओमन ल बियासी करे के जरूरत परथे। बियासी मने धान बोवाय खेत म नांगर चलाना। बियासी म छोटे नास के नागर के उपयोग करे जाथे जेकर ले धान के जर मन टूटे नहीं, बियासी बर पानी घातेच जरूरी रिथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">खुमरी अउ मोरा- </span></b>पानी बादर ले बांचे बर खेत कइमया मन कमरा खुमरी अउ मोरा के उपयोग करथे। खुमरी ह बांस के बने होथे जेकर उपर म प्लास्टिक झिल्ली छवाय रिथे। किसान मन के मुड़ बुलकउ डोरी फंसे रिथे जेकर से आसानी ले किसान के मुड़ म माड़े रिथे अउ काम तको चलत रिथे। अइसने खेत निंदइया बनिहारिन मन मोरा ओड़हे रिथे। खेती के दिन म उपर चक म नांगर के पड़की थामहे नंगरिहा अउ खाल्हे चक ले बनिहारिन के ददरिया के सवाल जवाब के ओड़र ह कड़कत बिजली म जीवरा नइ डराय, ये संस्कृति आए छत्तीसगढ़ के।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">कृषि औजार के पूजा- </span></b>इहां के कृषि संस्कृति म कृषि औजार के रखरखाव अउ जतन ह एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप म होथे जेन ल हरेली के रूप म जानथ। हरेली ह किसान मन बर सबले प्रमुख अउ बड़का तिहार आए। ये दिन कृषि औजार जइसे नागर, जूड़ा, रापा, कुदारी आदि मनके साफ सफाई करे जाथे, उंकर पूजा होथे। पिसान के हांथा देके बंदन के तिलक लगाथे, चीला चघाथे। जेन नांगर मन के काम उरक जाथे तेन ल परवा म जतन के राख देथे। इही दिन कृषि काम के अलाव आन मावेशी मन ल तको रोग राई ले बचाये खातिर गंवखरा दवई खवाये जाथे। अइसने पोरा म नंदिया बइला के पूजा ह मेहनत कस किसान ल धर्म ले जोरे राखे के संगे संग अपन खेती के संगवारी, माने बइला भइसा के जतन करे के तको सीख देथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">रखवार-</span></b> गांव म खेती ल देखबे तव सबेच के खेत ह खुल्ला रिथे फेर काकरो खेत म मावेशी मन खुरखुंद नइ मतावे येकर कारण ये रिथे के गांव म गाय चरवाहा लगे रिथे जेन ह गांव भर के गाय गरवा ल सकेल के कृषि भूमि ले दुरिहा चरावत रिथे। कतकोन गांव के किसान मन रखवार लगाये रिथे जेन ह खार म किंजरत रिथे अउ काकरो गाय ह खेत म चरत मिल जथे तव घर गोसइया ल हियाव करथे के अपन गरवा ल बांध के राखय। घेरी-बेरी के पकड़ाये ले काठा पइली डांढ तको बांधे रिथे। इही पाके खेती के दिन म गरवा मन ल ढिल्ला नइ छोड़य।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">भंदई अउ अकतरिया- </span></b>खेत बुता करइया मन खार म हरर्स भरर्स रेंगत रइथे बेरा कुबेरा। इही पाके ओमन बर गांव के मेहर ह पनही बनाथे जेन ह अतेक मजबूत रिथे के कांटा खूंटी कांच अउ लोहा ले तको फरक नइ परय। ये पनही मन ह चमड़ा ले बने रिथे, पुरूष मनके ल भंदई अउ माई लोगिन मनके ल अकतरिया किथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">नाहना- </span></b>गांव के मेहर मन किसान मन बर खास मजबूती वाला पनही के संगे संग नांगर बर नाहना तको बनाथे। चमड़ा के बने नाहना ह नांगर के डाड़ी अउ जूड़ा ल जोड़े के काम करथे। अइसने मजबूत चमड़ा के बइला गाड़ी के नाहना तको बने रिथे, गाड़ा म कतको भरती भर ले बइला ह तिरत ले हकर रही फेर मेहर के बनाये नाहना नइ टूटे, ये कृषि संस्कृति म इमानदारी के प्रत्यक्ष नमूना आए।</div>
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<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">बियारा बुता-</span></b> धान के फसल ह तीन महीना बाद पाके ल धर लेथे। तव किसान मन ओकर लुवई करे के पहिली राखे के ठउर तियार करथे, माने बियारा ल सिद्ध पारथे। चतवार के कांटा छरपथे, भाड़ी रुंधथे, राचड़ ल बने करथे। गोबर ले बियारा ल लिपे रिथे काबर के उहचे, खेत ले धान आना हावय। बाली ह टूट के गिरे ले उठावत बन जावय अतेक पान सफई होना चाही। येती जब धान ह पक के तइयार होथे तव लोहार कना ले हंसिया पंजवा के लानथे अउ देवधामी ल सुमर के खेत म हंसिया गिराथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">लुवई अउ बोझा डोहरइ-</span></b> लुवई के बाद जब धान के करपा कर्रा जथे तव ओला पैरा के डोरी म बिड़ा बांध के गाड़ा म भर के बियारा तक लाये जाथे। येमा समय के थोरको चूक होय ले नकसानी होथे तेन पाके किसान मन बेरा म सबो काम ल सिद्ध पारथे। जइसे लुवई अउ करपा उठई म देरी करे ले बाली ह खेते म गिरे के डर रिथे। कचलोइहा लुवे ले धान ह मोटबदरा हो जथे। किसान के परिवार म सबो काम म लगे रिथे सियनहा मन करपा ल बिड़ा बांधके राखथे, लइका मन सिला बिनथे, सियनहिन मन मुड़ म बोह के गांड़ा म अमराथे, खेत दूरिहा रेहे म दोहरा भारा तको डोहारथे। कावर अउ सूल म दूनों कोति बिड़ा फांस के तको डोहारे जाथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">बड़होना पुदकना- </span></b>आखरी खेत म लुवई के दिन एक कोन्टा म लइका मन बर बड़होना छोड़े जाथे जेन ल लइका मन पुदकथे अउ ओकर मुर्रा बिसाथे। बड़होथे तेन दिन सबोच ल खुशी होथे, लइका मन ल धान मिलथे जेकर ओमन मुर्रा बिसाके खाथे अउ सियान मन ये पाके मगन रिथे के खेत म बगरे लछमी ह अब सकलागे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">सिला बिनना- </span></b>लुवाये धान के करपा ल जब बिड़ा बांधथे तव बाली ह टूट के गिर जथे, उठाके गाड़ी तक डोहारे म तको गिरत जाथे। बियारा ह दूरिहा म रेहे ले धान के बाली गिरत गिरत आथे। इही गिरे धान के बाली मन ल सिला कथे जेना घर के लइका उक मन बिनथे।</div>
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<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">मिंजई- </span></b>बखत म बरसा होय ले फसल बने उतरथे फेर एमा देखरेख अउ सूझबूझ तको घातेच जरूरी होथे। बियारा म राखे खरही ल अइसे तरीका ले रखे जाथे के ओमा कतको पानी परै धान खराब नइ होवय। वइसे धान के खरही ल किसान मन जादा दिन बर नइ बनावे, सबो चक के धान ल सकेले के बाद बेलन म मिंचई सुरू कर देते थे। बेलन के मिंजई ह बने तको होथे काबर के पैरा ह बने मर्रा जथे जेला माल मवेशी मन चाव से खाथे। बेलन म मिंजई करत बखत कलारी ले पैर ल कोड़ा दे बर परथे, माने तरि के ल उपर करना होथे। मिजंई ह रात रात ले चलथे, बेलन चड़े-चड़े आनी बानी के ददरिया तको सुने बर मिलथे। अधरतिहा ले बेलन चले के बाद जब धान के बाली पूरा झर जथे तब बड़े फजर ले अलहोर के पैरा ल अलग करके सकेलथे। आधा पेरउसी तो दतारी म अलहोरे ले अलगा जथे ताहन बियारा म अंगाकर रोटी ल अमटाहा मुरई संग खाके धान ओसाई के काम रिथे। जड़काला के दिन तको आ जाए रिथे तेन पाके बुता बने उसरथे। धान ले कटकरा बदरा ल ओसा के सफा धान ल कोठी म भरके राख दिये जाथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">बेलन-</span></b> बेलन जइसे कि शब्द ले ही ओकर स्वरूप के पता चलत हावय बेलनाकार। धान मिंजे खाजिर किसान मन रोटहा पेड़ के तना न काट के गोल छोले रिथे। दूनो छोर म लोहा के पट्टा लगाके उपर म बइठक बनाये रिथे। ये बइठक के उपयोग बियासी के बखत कोपर के रूप म तको होथे। बेलन ल गाड़ा अउ नांगर सहिक बइला मन तिरथे। धान मिंजई म गाड़ा, छाकड़ा के तको उपयोग होथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="color: red;">धान के नाप-</span></b> गांव म अइसन किसान जेकर घर के धान चाउर ह बच्छर भर नइ पूरे ओमन आन घर बाड़ही मांगे रिथे, माने उधारी म धान ले रिथे के मोर धान होही तहान लहूटा देहू। ओमन धन ल नाप के लहुटाथे। इहा धान के नाप काठा म होथे। हमर छत्तीसगढ़ म तउल के हिसाब किताब करे के परंपरा इतिहास म नइ दिखे इहां के सियान मन तइहा ले काठा नाप करत आवथे। अब के मुताबिक कइबे तव लगभग तीन किलो के एक काठा होथे। अइसने 20 काठा ल एक खाड़ी, 25 खाड़ी ल एक गाड़ा केहे जाथे। अइसने गिनती के हिसाब ल कोरी म रखथे जेमा 20 ठिन के एक कोरी होथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
अइसन हवय हमर छत्तीसगढ़ के कृषि संस्कृति जेन ल विज्ञान संग संघेरबे तव ओमा वैज्ञानिक तथ्य दिखथे। धर्म संग जोड़ के देखे म मानवता अउ भाईचारा दिखथे। प्रकृति संग जोड़बे तव पशु बर प्रेम के व्यवहार नता मितानी, रूख-राई, नदिया-नरवा अउ जल, जंगल, जमीन के सरंक्षण बर न जाने कतको पीढ़ी माटी म मिले होही।</div>
<blockquote class="tr_bq" style="text-align: right;">
0 जयंत साहू,<br />
डूण्डा रायपुर छत्तीसगढ़ 492015<br />
मोबाइल- 9826753304<br />
ईमेल- jayantsahu9@gmail.com</blockquote>
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jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-1295320754584897512018-01-11T16:07:00.002+05:302018-02-22T18:52:46.542+05:30छत्तीसगढ़ी भाषा में हाना (लोकोक्तियाँ) का प्रयोग<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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छत्तीसगढ़ी भासा ह व्याकरण के दृष्टि ले गजब समृद्ध हवय। 1885 म हीरालाल चन्नाहू ह छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सिरजन करिन जेकर अंग्रेजी भासा म अनुवाद तको होवय रिहिसे। इही कृति खातिर हीरालाल जी ल कलकत्ता के एक संस्था कोति ले 1890 म काव्योपाध्याय सम्मान ले विभूषित करे गे रिहिस। तब ले अब तक छत्तीसगढ़ी ह देवनागरी लिपि म लिखे अउ पढ़े जावथाबे। अभिव्यक्ति के माध्यम म मौखिक परंपरा ह छत्तीसगढ़ म जादा सजोर होय हाबे। मौखिक या वाचिक परंपरा ह संस्कृति के सरेखा के अभिन्न अंग होथे। जेन लोक समुदाय ह लिखित भाषा के प्रयोग नइ करय ओकर सांस्कृतिक आधार कथा, गाथा, गीत, भजन, नाचा, प्रहसन अउ हाना आदि ह होथे। छत्तीसगढ़ म जब हम वाचिक परंपरा के बात करथन तब हमन ल लोकनाट्य नाचा ह सबले जादा कारगर दिखथे, हम नाचा ल लोक संस्कृति के ध्वज वाहक कही सकथन। </div>
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लोक कथा के बात करे जाए जो ये हा हमर सांस्कृतिक दर्पण आए जेन ह नवा पीढ़ी ल कथा के काल अउ समय के माध्यम ले ओ बखत के संस्कृति अउ परंपरा ल लोक म संरक्षित राखे के बुता करथे। अइसने पंडवानी, भरथरी, चंदैनी, नाचा, देवार गीत, बांस गीत आदि मन अपन गायन शैली म तइहा ल वर्तमान म देखाय के जबर उदिम करथे। इही रकम ले छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक गीत जइसे करमा, ददरिया, पंथी, सोहर, फाग, बिहाव गीत, गौरा गीत, जसगीत, सुवा, निर्गुणी भजन आदि ह लोककाव्य लोक-जीवन के हर्ष-विषाद, आस-विश्वास, आमोद-प्रमोद, रीति-नीति, श्रद्धा-भक्ति अउ राग-विराग के भाव ल अत्यंत सहजता ले जीवंत करथे।</div>
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<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
वाचिक परम्परा ल समृद्ध बनाये म हाना के गजब योगदान हावय। हाना ह छत्तीसगढ़ के लोक-जीवन के नीति शास्त्र आए, जेन म कम से कम शब्द म बहुत ठोस अउ बड़े ले बड़े बात ल कहे के क्षमता होथे या ये काहन के गागर म सागर भरे के काम हाना म होथे। येकर कोनो लेखक या सर्जक नइ होवय लोगन गोठबात करते-करत टप ले कही परथे आन के ओढ़र म आन ल। लोक-जीवन म अनुभव के बल म ही लोकोक्ति या हाना बनथे। इहा ये बात जरूरी नइये कि कहने वाला या जेखर बर कहे जावथे ओमन कोनो भासा विद्धान होय। समे म बात के लाइन म लोगन अकरस ले कहीं परथे जेला सुनइया मन समझ तको जाथे। छत्तीसगढ़ म हजारों हाना प्रचलित हावय अउ कोन हाना ल कब कोन ह बनाये होही येकर कल्पना करना असंभव हवय। </div>
<div style="text-align: justify;">
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<div style="text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ी म हाना ह आम बोलचाल के सबो विषय म प्रयोग म आथे। फेर सरी छत्तीसगढ़ म गांव के संस्कृति रचे बसे हावय ये पायके अइसे कही सकथन के गांव के रहन-सहन अउ रीति रिवाज ल लेके गजब अकन हाना केहे गे हावय। जेकर मरम ल ओरी-ओरी फरियात जाबो। </div>
<div style="text-align: justify;">
मेहनत कस छत्तीसगढ़िया मन भाग्य म बिसवास नइ करय बल्कि अपन करम म भरोसा करथे। लोगन जानथे कि बने काम करबे त बने फल मिलबे करही, काम ले अजिरन होके भाग्य ल कोसना बेकार बिरथा होथे। तभे तो सियान मन केहे हाबे- ''चलनी म दूध दूहै, करम म दोस दवै।'' सीख अउ संदेश ले भरे ये हाना ल सुन के एक बात अऊ केहे जा सकतथे के छत्तीसगढ़ी हाना म लोक म उपयोग होवइया जिनिस मनके बड़ सुग्घर ढंग ले प्रयोग करे गे हावय जेखर से कोनो कम बुद्धि के मनखे तको आसानी ले समझ जाही। चलनी के उपयोग ह चाउर चाले म होथे अउ ओहा पूरा छेदा-छेदा रइथे तेन पाके कोनो जिनिस ल भरे नइ जा सकय। जब ओमा दूध दूहै के बात होवथे तव ये गुने के बात आये के दुध ह भला ओमा कइसे भराही, अब ये मउका म दुहइया हा अपन भाग्य ल दोस देही तब का फइदा। बल्कि ओ जगह अपन काम के शैली ल बदलही या फेर बने असन दुहना के उपयोग करे म लाभ होही।</div>
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कोनो भी समाज के बात होवय सब अपन-अपन अहम म जीथे वो किथे मोर बने, ए किथे मोर बने। कतकोन मन अपन ल बने कहाय बर आन के कमजोरी ल उजागर करथे। अइसन मन बर छत्तीसगढ़ी म हाना केहे गे हावय- ''अपन ला तोपै, पर के ला उघारै।'' ये हाना म बिगर कोनो लारी-लग्गा के सोज्झे अपने बात ल केहे गे हावय।</div>
<div style="text-align: justify;">
कतकोन अइसन आदमी घलोक होथे जेन मन जीवन म बने कारज करिन या गिनहा ये बात ल काखरो आगू म कहे ले बुरा मन जथे या नाराज हो जथे। वइमन मनखे ल हाना म केहे हावय-''करनी दिखै, मरनी के बेरा।'' ये हाना म हास्य घलोक हावय अउ संग म तीखा व्यंग्य तको करे गे हावय। जिनगी भर आदमी अपन काम के सही गलत के पै ल नइ देखै ओला भगवान देखा देथे आखरी बेरा म।</div>
<div style="text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ म अधिकांश लोगन मन खेती किसानी म बुता करके अपन जीवन यापन करथे। परिवार के सबो सदस्य मन जुरमिल के काम ल उरकाथे। अउ जेन लइका ह काम ल छोड़के येती-ओती भागथे तिकर बर हाना केहे हावय-''काम बुता बर जांगर नहीं, दउरी बर बजरंगा।'' ये हाना म दउरी के बड़ सुग्घर उपयोग होय होबय, दउरी म फंदाय बइला ल सिरिफ गोल-गोल किंजरे भर के काम रिथे उपराहा म ओला पैरा अउ दाना खाये बर तको मिल जथे। इही बात ल धियान म राखत केहे गे हावय कि मेहनत के काम ल करे बर जी लुकाथे, जांकर पीरा के ओढ़र म मड़ाथे अउ जेन काम म सोज्झे किंजर-किंजर के खाना रिथे तेकर पर टन्नक हो जथे। हाना के भाव ल देखे जाए तव महतारी बाप मन अपन लोग लइका ल केहे हावय तेन पाके व्यंग्य म तको मया दिखत हाबे। ये हाना ल कोनो ल अकरस ले कहि देबे तभो रिस नइ करै अइसन मया छलत हाबे फेर ये सुनइया ल सीख तको देथे के काम बुता म चेत नइ करस तेन पाके तोला दउरी के बइला के संज्ञा देवत हाबे। </div>
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छत्तीसगढ़ म काम बुता के आधार म उंकर बेड़ा खाप बने हावय जइसें लोहा के काम करइया लोहार, तेल पेरे के काम करइया तेली, कपड़ा लत्ता के काम करइया कोष्टा, माटी के बर्तन-भड़वा बनइया कुम्हार, सोना के काम करइया सोनार। कतकोन जातिगत अउ काम ल लेके तको हाना बने हावय-''खेत बिगाड़े सौभना, गांव बिगाड़े बामना।'' येमा कड़ा व्यंग्य के भाव दिखथे जेमा सुनने वाला ल बुरा घलोक लगथे। जेन आदमी ह पर के उभरई म अपन सवांग बर आनी-बानी के जिनीस बिसाथे ऊंकर एक दिन खेती बिगड़ जथे माने बेचे के नौबत तको आ जथे। अउ आगू किथे के गांव म सही सुजानी बाम्हन नइ मिले ले गांव बिगड़ जथे। ये हाना ह लोगन ल संस्कारी बने रेहे के सीख दे गे हावय। इही म एक ठिन अउ हाना किथे के- ''खेती धन के नास, जब खेले गोसइयां तास।'' समाज के लोगन मन ल चेतावत सुजानी सियान किथे कि जब किसान ह तास खेलथे तव ओकर खेती धन के नास हो जथे। ये हाना ह सोज-सोज कहे गे हावय काबर के खेत ही किसान के सबले बड़े धन होथे अउ तास म हालाकी खेती ल दाव म नइ लगावे फेर गोसइया हा सवांगे तास खेले बर बइठे रही तव ओकर खेती के सरेखा कोन करही, खेत के काम बुता कइसे उरकही अउ अइसने-अइसने म वो मानुख आलसी हो जही। किसान के आलसी होय ले खेती धन तो बिगड़बे करही। अइसने मनखे मन बर तो ''जइसन बोही, तइसन लुही'' तको केहे गे हावय।</div>
<div style="text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ म कृषि प्रधान अंचल आये इही सेती सबो घर काहीं न काहीं जिनिस के उत्पादन होथे माने ओकर घर सपुरन हाबे। तब जेकर घर जेन चीज हाबय ओमन उहीच-उहीच थोरहे बउरही। ये मेरन ये हाना आथे के-''तेली घर तेल रही तव माहल ल नइ पोतै।'' हाना ले दू बात सामने आथे के छत्तीसगढ़ म तेल निकाले के काम तेली मन करथे अउ दूसर बात ये के कोनो भी जिनिस के अति होय म ओकर व्यर्थ उपयोग नइ करे जाए। </div>
<div style="text-align: justify;">
हमर अंचल म बेटी मन बर तको बड़ मार्मिक भाव लेके हाना केहे गे हावय। दाई-ददा बर ओकर दुलौरिन बेटी ह आन-बान अउ अभिमान होथे। बड़ दुलार ले नोनी ल ओकर मइके पठोथे तिजा-पोरा म पुछथे। जइसन बनथे तइसन मया के चिनहा भाई तको देथे। बेटी कहू भगवान घर ल चल दीस तव दाई-ददा उपर दुख के पहाड़ टूट जथे। तब महतारी बाप ल परिवार वाले सांत्वना देवत किथे-''दई लेगे लेगे, दमाद लेगे लेगे।'' ये हाना म दुख घलोक हे अउ सांत्वना के शब्द तको, काबर के बेटी पराया धन होथे। बाड़हे नोनी ल दमांद बिहा के लेग जथे। इही बात म दुख के भाव समेटत केहे गे हावय के बेटी ल तो बाप के घर ले जाना ही होथे, भगवान लेगय या दमांद। </div>
<div style="text-align: justify;">
बहुत अकन हाना मन दू पद के तको होथे जेमा तुलना करे जाथे जइसे-</div>
<div style="text-align: justify;">
''तेल फूल म लइका बढ़य, पानी म बाढ़े धान।</div>
<div style="text-align: justify;">
खान पान म सगा कुटुम्ब, कर बइना बाढ़े किसान।।''</div>
<div style="text-align: justify;">
ये हाना म बड़ सुग्घर ढंग ले तुलनात्मक रुप म जिन्दगी के मरम ल बताये गे हावय। बने तेल फूल ले घर के लोग लइका बढ़थे अउ पानी ले बाढ़थे धान, घर के खान-पान ले सगा सोधर बाड़थे अइसने रकम ले किसान तको किसानी म जोंग देके कमाही तब ओकरो उरऊती ओही। </div>
<div style="text-align: justify;">
''आषाढ़ करै गांव गौतरी, कातिक खेलय जुआं।</div>
<div style="text-align: justify;">
पास-परोसी पूछै लागिन, धान कतका लुआ।''</div>
<div style="text-align: justify;">
किसान बर असाढ़ के महीना ह बड़ महत्ता के होथे इही म तो किसान अपन खेती किसानी के काम बुता म फदके रिथे। काटा खुटी बिनना, खातु कचरा पालोना। मउका म बने पानी दमोरे ले बोवई के काम करना। अब अइसन म कोना गांव किंजरत हाबे तव तो गै ओकर किसानी। अऊ कातिक महीना धान लुवई के होथे। जेन मनखे कातिक के महीना म जुआं खेलत बइठे रिथे ओमन ल ये हाना ह व्यंग्य करत पूछथे के तोर खेत म कतका धान होइसे। एक प्रकार से हाना ह सीख के तको हाबे के एक किसान बर असाढ़ अउ कातिक के महीना ह कतका काम के होथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
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अइसने समय के महत्ता बतावत एक ठी अउ हाना हावय-''डार के चूके बेंदरा अऊ बेरा के चूके किसान'' जइसे बेंदरा ह पेड़ के डारा ले कुदत बखत चूक जथे अउ भुइंया म गिर जथे वोइसन बरोबर किसान के तको बेरा के चुके ले ओकर फसल म गिरावट आथे माने किसानी म एक-एक समय गजब अनमोल होथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
बहुत अकन हाना म ऐतिहासिक अउ धार्मिक तिरिथ बरत मनके तको नाम अउ महिमा के उल्लेख मिलथे जइसे- ''गोकुल के बिटिया, मथुरा के गाय, करम छांड़े त अंते जाय।'' ये हाना म गोकुल अउ मथुरा के नाव के उल्लेख होय हाबे। नाम के मरम अइसे हावय के जेकर कना सबो जिनिस हावय रहे बसे के तेकर बावजूद ओला अंते जाना परय त अइसन मानखे के दुरभाग आए। </div>
<div style="text-align: justify;">
''घर के जोगी जोगड़ा, आन गाँव के सिद्ध'' कतकोन अइसे लोगन घलोक होथे जेन मन अपने बीच के जानकार मनखे के कदर नइ करय अउ आन गांव के बइद ल राई टारे बर बला लेथे। अलस मरम ये हावय के हाना ले लोगन सीखय के गांव-घर म तको जानकार मनखे रिथे तेकरो आदर करना चाही, ये जरूरी तो नइये के आन गांव ले आही तिहिच ह अमग गियानी होही।</div>
<div style="text-align: justify;">
इही बात म बल देवत एक ठिन अउ हाना हवय-''अपन मरे बिन सरग नइ दिखय'' ये हाना के प्रयोग कथा कहानी म जादा देखे बर मिलथे काबर के इहां मउत अउ सरग के बात होवथाबे। कोनो मनखे जब आन आदमी के बात ल नइ मानय अऊ बर बरजोरी करके उहिच अनित ल कर देथे जेकर भुगतना ल आन ह भुगतत हावय तब किथे के तै नइ मानेस अब तहू भुगत। छत्तीसगढ़ी म कोनो अप्रशिक्षित आदमी कना कही सलाह लेवइया मन बर बड़ सुघ्घर हाना हावय-''अड़हा बइद परान घाती'' मतलब कोनो ल जर धरे हाबे अउ वोला कहू अड़हा बइद कर धरके लेगे तव तो बीमारी कमतीय ल छोड़ अऊ बाड़ जही, पराने छूट जही। वइसे तो ये हाना ह सुने म बीमार मनखे अउ अढ़हा बइद के उल्लेख हावय फेर येकर उपयोग अप्रशिक्षित आदमी ले काम करइया सबो जगह आसानी ले बोले जाथे। </div>
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अब के समय म अइसन हाना ह बोलचाल म भले नइ आवय फेर लोकांचल ले नंदाय नइये। लिपिबद्ध नइ होय के बावजूद कलाकार मनके मूख ले जन मानस म बगरत हाबे। येकर सबले बड़े उदाहरण नाचा आए। नाचा म दू जोक्कड़ रिथे, एक झिन लेड़गा-भकला अउ दूसर ह बने चेतलग। गम्मत सुरू करे के पहिली ओमन हाना भांजरा ले दर्शक म हास्य भरे के प्रयास करथे। चेतलग जोक्कड़ ह हाना भरथे तव दूसर ह आन मतलब निकाल के लोगन ल हंसाय के बुता करथे तब ओला हाना के सही अरथ बताये जाथे। जइसे ये हाना-''ठाडे खेती गाभिन गाय जब आये तभे पतियाय'' म बात बहुत गंभीर हावय के खेत म फसल तो बोवाय हाबे, अब फसल ल देख के कतका होही येकर सही-सही हिसाब बताना बड़ मुस्किल हावय, जब सामने आही तभे ओकर भेद ह खुलही। मुस्किल अउ अटपटहा असन हाना के बाद नाचा म आसान अउ सोज-सोज अपन बात ल रखने वाला हाना ल गम्मत म कहे जाथे जइसे- आज के बासी काल के साग, अपन घर म काके लाज। कउवा के रटे ले बइला नइ मरय। जादा मीठा म कीरा परथे। देह म नइ ए लत्ता, जाए बर कलकत्ता। खातू परै त खेती, नइ त नदिया के रेती। खेती अपन सेती। उप्पर म राम-राम तरी म कसाई। छानी म होरा भूँज। तीन पईत खेती, दू पईत गाय। भाठा के खेती, अड़ चेथी के मार। धान-पान अऊ खीरा, ये तीनों पानी के कीरा। जब आये बरात तब ओसाये कपास। </div>
<div style="text-align: justify;">
वर्तमान समय के छत्तीसगढ़ी गीत मन म हाना के प्रयोग अब देखे बर नइ मिलत हाबे लेकिन तइहा के पारंपरिक ददरिया म दू पद वाले हाना के प्रयोग गजब होय हाबे। जइसे- बराती बर पतरी नही, बजनिया बर थारी। मँही मागे बर जाय अव ठेकवा ल लुकाय। फोकट के पाईस मरत ले खाईस। सबे कुकुर गंगा नहाये बर जाहि त पटरी ला कोन चाटही। कब बबा मरही, त कब बरा चुरही। </div>
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गाथा गायन म तको घातेच अकन हाना आथे जइसे- ''दाई देखे ठऊरी डऊकी देखे मोटरी।'' ये हाना म महतारी ह अपन औलाद के पेट के भात के थैली ल देखथे के मोर दुलरवा बेटा हा कमाय ल गे रिहिस दई खाय-पिये रिहिसे के नहीं, बने पानी पसिया मिलिस के नहीं। उही मेर ओकर घरवाली ह अपन पति के मोटरी ल देखथे के मोर आदमी ह कतका रूपिया कमा के लाने हावय। थोर बहुत बचाय हाबे के सबो ल फूक डारे हाबे। ये नानकून हाना के अतेक जबर मरम ल जब कोनो गाथा गायक ह अरथ ल बतावत गाथे तव सुनत दाई माई मनके आंखी म आंसू भर जथे। अइसने एक ठिन हाना हावय- ''बिआवत दुख बिहावत दुख।'' औलाद ल पैदा करे के पीरा ल एक महतारी के अलावा कोनो आन ह नइ जान सकय, अपन गरभ म नौ महीना राखे अउ ओकर सेवा जतन करे के पीरा हा महतारी बर नानकून आय फेर ओकर बिहाव के बेरा के पीरा ह ओकर बर दुख के पहाड़ हो जथे। बेटी ह बिहा के अपन पति घर चल देथे अउ बेटा के बिहाव करे म ओहा अपन गोसइन के हो जथे येकरे सेती केहे के गे हावय के बिआवत दुख बिहावत दुख। छत्तीसगढ़ म जतेक भी जीवन के सार ल बताने वाला हाना हावय ओमन ल हम किस्सा कहिनी मन म सुनते रिथन जइसे- उपास न धास फरहार बर लपर-लपर। चमगेदरी घर सगा गेस, तंहु लटक महु लटकहू। कंहा जाबे मोर बोरे बरा किंजर-फिर के आबे मोरे करा। जाने बर ना ताने बर, बड़का नांगर फांदे बर। जेखर नौ सौ गाय ते हर मही मांगे जाए। दार भात घर गोसइयां खाए, अपजस ले के पहुना जाए। घर के पिसान कुकुर खाए, परथन बर मांगे जाए। घर गोसइयां ल पहुना डेरवाए। एक झन लइका बर गांव भर टोनही। चार बेटवा राम के, कौड़ी के ना काम के। जिहां जिहां दार भात, तिहां तिहां माधो दास। खांध म लइका, गांव म गोहार। खाए बर भाजी अऊ बताए बर बोकरा।</div>
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<br /></div>
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ये जम्मो हाना मन अब हमन ल अपन अंचल के लोक जीवन ल समझे म मददगार साबित होवथाबे। आगू हमर पुरखा मन का गुनय, का चीज ल मन करय, काला बने मानय अउ काला गिनहा। छत्तीसगढ़ के हाना म प्रयोग होय आखर ह यहू बात बताथे के कोन-कोन से जिला म कते जिनिस के उच्चरण कइसे होथे। काबर के इहां कोस-कोस म पानी अउ बानी बदले के बात होय हाबे तव हाना मन ही मौखिक ले लिखित तक आये म जइसे के तइसे सबुत माढ़हे हावय। वर्तमान समय म इही हाना ही हमर साहित्य ल अउ ठोसलगहा बनाही। बोलचाल म बात ल प्रभावशाली तो बनाबे करथे संगे-संग बोलइया बर सभ्यता अउ लिखइय के आखर म मिठास तको भरथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
दस्तावेजीकरण-</div>
<div style="text-align: justify;">
-जयंत साहू</div>
<div style="text-align: justify;">
9826753304</div>
<div style="text-align: justify;">
jayantsahu9@gmail.com</div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-36569614684792297782018-01-02T14:29:00.001+05:302018-01-02T15:32:31.699+05:30वो... याचक बनके आथे<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-hXYkG9DeX0I/WktYrI43VLI/AAAAAAAAB3Q/Em51Kzd5XGkdpuDm-P6S5RF_6qDGKUdwACLcBGAs/s1600/yachak.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="505" data-original-width="480" height="320" src="https://1.bp.blogspot.com/-hXYkG9DeX0I/WktYrI43VLI/AAAAAAAAB3Q/Em51Kzd5XGkdpuDm-P6S5RF_6qDGKUdwACLcBGAs/s320/yachak.jpg" width="304" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">तइहा समे ले ये किस्सा चले आवत हाबे के कमजोर मनला रोटहा मन दबा देथे अउ अपन सत्ता चलाथे। राजा रजवाड़ा सिराय के बाद भी आज लोगन के मन ले पीढ़ी के शोषक अउ शासक के आदत ह नइ छुटे हावय। एक आदमी ल शासन करे के तव दूसर ल शोषित होय के आदत होगे हावय। कभू-कभू तो अइसे जनाथे मानो गरीब आम जनता ल सदियों तक शोषित रेहे के सजा मिले होही। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<div style="text-align: center;">
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</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">छत्तीसगढ़ म ये बात अऊ जादा देखत म आथे के इहां आन राज के आदमी मन तको आके सेठ साहूकार हो जथे अउ छत्तीसगढ़िया मन बनिहार के बनिहार रही जाथे। इहां के लोगन मन खेती किसानी अउ रोजी-मजदूरी करइया हाबे तव आन मन अइसे समझथे के छत्तीसगढ़ पिछड़ा, अढ़हा अउ बनिहार मनके राज आए अऊ छत्तीसगढ़िया मनखे ल आसानी ले बुद्धू बनाके अपन सिक्का चलाये जा सकत हावय। असल कहे जाए तव कमजोरी छत्तीसगढ़िया मन म तको हावय, इहां घर के जोगी जोगड़ा आन गांव के सिद्ध वाला हिसाब चलत हाबे। बाहिर ले आथे तेकर बर रेहे-बसे, खाय-पिये सबोच के जोखा मड़ा देथन। ओमन हमर सिधवापन के फायदा उठावत अंगरी ल धरत-धरत मरूवा अउ टोटा ल तको अमर देथे। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<div style="text-align: center;">
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</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">याचक बनके अवइया ह जब शासक बने खातिर चुनई म आथे तव हम अपनेच बेड़ा के समारथ मनखे, जेन मन चुनई म आथे ओला संग नइ देके आन ल चुन देथन, रूपिया अउ दारू म बेचा के। उही याचक मन चुनई जीते के बाद शासक बनके हमरे मुड़ी म बइठ जथे। आज चुनई अउ नेता के परिभाषा बदल गे हावय, समाज अउ जनता के सेवा सिरिफ देखावा आए असल म जनता अउ समाज के लगाम ल थामहे बर पद म आथे। पद पाये के बाद का होथे तने ल तो सरी दुनिया देखत हाबे। आज छत्तीसगढ़ के किसान ल ओकर उपज के सही दाम नइ मिलत हाबे, छत्तीसगढ़ के महतारी भासा म पढ़ई-लिखई नइ होवथाबे। जवान लइका मन बेरोजगार किंजरत हावय, जेन ल रोजगार मिले हावय तेन ल बखत म पगार नइ मिलत हाबे। इंकर कना योजना तो गजब अकन हावय फेर कागज म। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<div style="text-align: center;">
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</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">मूल छत्तीसगढ़िया आज भी उपेक्षित हावय सिरिफ बाहरी नेता मनके सेती। येमन के नीति म छत्तीसगढ़िया मन दुबरावत हावय अउ परदेशिया मन पोक्खावत हाबे। कुछ छत्तीसगढ़िया नेता तको हावय पद म फेर कोनो फायदा के नइये, उंकर तो चलतीच नइये। संसार सोभा पद म बइठे आन मनके अंगरी म नाचने वाला नेता घलोक कोने काम के। बड़े-बड़े पद म परदेशिया अउ नाननान म छत्तीसगढ़िया, ये सब उंकरे चाल आए। नाननान गांव अउ पारा मोहल्ला के सियानी तो गांवे के मनखे मनला मिले हावय फेर राज के सियानी के गोठ करे जाये तव परदेशिया मन ही छत्तीसगढ़ ल चलावत हाबे। जेन मन ह छत्तीसगढ़ के अस्मिता अउ स्वाभिमान ल पांव तरी रऊंदे के उदीम करत हाबे। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<div style="text-align: center;">
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</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">गिनती म मुठाभर होही तेन मन सरी राज ल मुठा म बांधे राखे हावय अउ मन म जेन आवथे तेन करत हावय। हमर म तो विरोध करे के तको हिम्मत नइये काबर के हम कुछू केहे के कोशिश करबो तव मुंह ल चपक देथे, कोनो छोड़इया तको नइ मिलही। परदेशियावाद के बात करे म छत्तीसगढ़िया मन उपर केस बनाके जेल म तको ठेस देथे। जेखर सरकार हवय ओमन ल तो अऊ कुछ केहे नइ सकस, राजद्रोह के केस ठोक दिही। अब तो गुने ल होगे, कोन जनी कब छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़िया शासक आही अउ परदेशिया मन भगाही? </span> </div>
<div style="text-align: right;">
* जयंत साहू*</div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-8133114493114325142017-07-26T19:45:00.003+05:302017-07-26T19:47:06.669+05:30अन्नदाता के आंखी म आंसू?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-Y5isX0-faiI/WXij94kbSAI/AAAAAAAABus/XtzPs-Ko5Z4B2HF0yQdSDI0j6MAlYm5HQCKgBGAs/s1600/kamal%2Bvihar01.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="185" data-original-width="278" src="https://1.bp.blogspot.com/-Y5isX0-faiI/WXij94kbSAI/AAAAAAAABus/XtzPs-Ko5Z4B2HF0yQdSDI0j6MAlYm5HQCKgBGAs/s1600/kamal%2Bvihar01.jpg" /></a></div>
<span style="font-size: large;">छत्तीसगढ़ म किसानी के परसादे अपन जीवनयापन चलइया किसान मन के संगे-संग भूमिहिन मजदूर मनके दशा अउ दिशा म अब तक अइसन कोनो खास बदलाव नइ दिखत हाबे जेन ला देखके सरकार ल नम्बर एक सरकार केहे जाए। फेर कोन जनी कोन से आंकड़ा ल देखा के येमन राष्ट्रीय पुरस्कार पा लेथे ते? दिनों-दिन खेती के रकबा कम होवथाबे। कतको के जमीन ह सरकारी तंत्र के बलि चड़गे त कतकोन के खेती ल बयपारी मन पइसा देखा के झटक लिन। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
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<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">खेत कमतियागे, पुरखा के काबिज जमीन म अब सरकार के कबजा होगे, उपजाऊ माटी म बड़े-बड़े कारखाना खुलत हाबे, बढ़हर बर सौ योजना अउ छोटे किसान मन एक योजना के लाभ ले खातिर एड़ी खुरचत हाबे, समर्थन मूल्य अउ बोनस के तो बाते छोड़ अऊ उपराहा म फसल बीमा के ओढ़र म सोज्झे बीमा कंपनी ल फायदा पहुंचवात हाबे। किसान मनके विकास ल रोके खातिर अतेक कानून बनगे के अब अन्नदाता के आंखी ले आंसू पोछइया तको नइ मिलत हाबे। जल, जंगल, जमीन के मालिक स्वयं राज सरकार अऊ विभाग के मुक्तियारी म प्रशासनिक अफसर मनके तानाशही ले भूमिहिन गरीब किसान के जीना दुबर होवथाबे। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
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</script></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">काननू के जानकार मन कानून म संशोधन करत काबिज भूमि ले बेदखल करना शुरू कर दे हावय, वनोपज म पाबंदी लगत हाबे। जल, जंगल अउ जमीन ल जीवकोपार्जन बर बउरना माने अपराध, अब के समे म सरकार ले अनुमति लेबे तभेच तोर जीवन चलही। सरकारी तंत्र ह भूमि कानून के अइसे तोड़ निकाले हाबे के कारखाना अउ उद्योगपति मन बर बने नियमावली ल किसान मनला देखा के डरवा देथे। विलासिता के संसाधन ल तको जनहित के नाम देके कृषि भूमि के कबाड़ा करे म भू-माफिया ले जादा तो सरकार खखाय रिथे। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
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<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">येकर सबूत रायपुर विकास प्राधिकरण के कमल विहार योजना सउहत हवय जेन ह सौकड़ों एकड़ कृषि भूमि ल किसान मनले नंगाके जबरन एनओसी लेके बैंक ले कर्जा ले डरिस, कृषि भूमि के डायर्वसन करवा डरिस अउ विकसित प्लाट तको बेचे के शुरू होगे। अब कमल विहार म किसान मनला मिलत हाबे कूल भूमि के सिरिफ 35 प्रतिशत हिस्सा, बाकि के 75 प्रतिशत विकास म सिरागे। माने तोरे जमीन म तिही किरायेदार। सबले बड़े बात ये हावय के कमल विहार म प्रभावित किसान मन कना बकायदा जमीन के किसान पुस्तिका रिहिसे।</span></div>
<div style="text-align: justify;">
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</script></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">एक एनओसी ले भूमि के मालिक मन तीसरा पक्षकार होगे अउ रायपुर विकास प्राधिकरण प्रथम पक्षकार के रूप म जमीन के खरीदी-बिक्री करत हाबे। जबकि कानून के जानकार मनके संगे-संग न्यायालय तको रायपुर प्राधिकरण के जमीन अधिग्रहण ल गलत बताये रिहिसे। इही हाल नया राजधानी क्षेत्रवासी मनके होवथाबे। जब सवांगे कानून ल ठेंगा देखा सकथे तव गरीब किसान मनके का औकात। किसान मनके भूमि ले तो अऊ जबर समस्या कृषि उपज के बाजार भाव के हाबे। किसान के बदकिस्मती देखव ऊंकर उपज के दाम एक बयपारी तय करथे। का अन्नदाता ल अपन मेहनत ले उपजाए अन्न के किमत तय के हक नइये? मंडी म बइठे बयपारी उपज ल औने-पौने भाव लगाके मांगत किथे अतका म देना हे त दे नहीं ते जा, सरो अपन खेत म फसल ल। कोनो तो अइसन बेवस्था बनाव के हमर किसान तको अपन उपज के दाम तय करत बयपारी ल लतिया सकय।</span></div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-57686010122568375182017-06-18T10:13:00.000+05:302017-06-18T10:31:48.484+05:30अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: 'योग ले निरोग बनाही' के सिरिफ रिकार्ड बनाही<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-jUI7tGDYhkU/WUYDlB9FuTI/AAAAAAAABso/ED9l4-pUz-cBV6SSXojYJdGZafy6OND_wCLcBGAs/s1600/yoga_ramdev_pranayama_modi_raman_yogi.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><span style="font-size: large;"><img border="0" data-original-height="480" data-original-width="720" height="266" src="https://3.bp.blogspot.com/-jUI7tGDYhkU/WUYDlB9FuTI/AAAAAAAABso/ED9l4-pUz-cBV6SSXojYJdGZafy6OND_wCLcBGAs/s400/yoga_ramdev_pranayama_modi_raman_yogi.jpg" width="400" /></span></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">आज सरी दुनिया म योग ह तन, मन ल फरिहर करे के बने साधन बनगे हावय। आगू के समें म अइसन कारज सिरिफ बड़े-बड़े रिसी मुनी मन भर करय। अपन जप अउ तप ले सिद्धी पावय अउ लोगन ल भव ले उबारे के नेक काम करय। फेर अब समे के संग योग के रूप म तको बदलाव देखब म अइस। योग अउ साधना ले लोगन ल निरोग बनाये के उदीम चलत हाबे। योग गुरू मन बताथे के कोन से योगासन करे म कति-कति रोग भागथे येकर जानकारी देवत उन मन परमान तको देखाथे। आज के समे ल देखत योग अउ साधना लोगन मन बर घातेच जरूरी होगे हावय। ऐती-ओती चारो मुड़ा के हाय-हपट ले जीव तालाबेली हो जथे। मुड़ पीरा ले कंझाय मन ल सुकून दे खातिर योग ल बुढ़वा, जवान के संग नोनी मन तको अपनावत हाबे। समे के संग हमर खान-पान अउ कामधंधा तको बदलगे हावय अइसन का लोगन कुछू अइसे उदीम खोजथे जेन तनाव ले मुक्ति देवय। भारत के संगे संग अब सरी दुनिया योग ल ही सब रोग खातिर उपयोगी मानत हाबे। मन चंगा तव कठउती म गंगा काहत योगासन म दुनिया रमत हाबे। हिमालय के पहाड़ी म जाये जरूरत नइये जेन जिहा ठउर मिलत हाबे उहें धियान योग म बइठे घंटा-पाहर।</span><br />
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<script>
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</script></span><br />
<span style="font-size: large;">कोनो भी धरम के संत होवय सबोच सिद्धी साधना के बल म पाये हाबे अउ साधना ध्यान ले आथे तव योग ल हम सरी रोग के रामबाण उपचार के रूप म तको अपना सकत हन। योग ह रोग ल तो दूरिहाथे ये उपचार होगे, फेर योग करे ले कोनो प्रकार के रोग नइ होवय ये लोगन बर संजीवनी के काम करत हाबे। तनाव अउ से मुक्ति पाये खातिर घर-परिवार के सबो माई पिला जुर मिलके घरे म योग ल अपन दैनिक जीवन म उतारके घंटा पाहर योगासन करथे। संझा-बिहनियां धियान म बइठे बर कोनो खास नेंग-जोग के घलोक जरूरत नइये, आज योग एकदम आसान होगे हावय। अउ योग ल सीखे के तमाम साधान तको आसानी ले मिलत हाबे। रोज के टीवी चैनल म लाइव योग गुरू मन सीखावत हे कतकोन पुस्तक के प्रकाशन होय हाबे। जेन ल कोनो रोग नइये तेन ल कोनो विशेष योगगुरू के जरूरत नइये फेर रोगी मनला योग गुरू के अनुसार योग ल करना चाही ताकि कोनो अलहन झिन होवय। आसानी से घर म करे लायक गजब अकन योग हाबे जइसे के-</span></div>
<div style="text-align: justify;">
</div>
<ul>
<li><span style="font-size: large;">सुखासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">अर्धपद्मासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">वज्रासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">शशक आसन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">मार्जारि आसन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">ताड़ासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">समपाद आसन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">शवासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">सिंहासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">वृक्षासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">पद्मासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">तिर्यकताड़ासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">कटिचक्रासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">पादहस्तासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">उष्ट्रासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">पश्चिमोत्तानासन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">नौकासंचालन</span></li>
<li><span style="font-size: large;">चक्कीचालान</span></li>
</ul>
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</script></span><br />
<span style="font-size: large; text-align: justify;">ये योग मन ल करे खातिर लोगन ल योग-शिक्षा के सामान्य जानकारी होना चाही।</span><br />
<ul style="text-align: left;">
<li><span style="font-size: large;">योग खाली पेट करना चाही, जने मन भात खा डरे हाबे तेन मन तीन-चार घंटा के बाद योगासन करय। आहार म तको सात्विक भोजन लेवय।</span></li>
<li><span style="font-size: large;">योग करे के पहिली शौच, स्नान जइसे नित्यकर्म ले मुक्त होके करय।</span></li>
<li><span style="font-size: large;">कठिन आसन ल बरपेली झिन करय।</span></li>
<li><span style="font-size: large;">योग ल बरोबर भुइया म बइठ के करय, बोरा जठाके पेड़ तरी करे ले अउ बने धियान म मन लगही। जादा रोठ रजई म झिन बइठय।</span></li>
<li><span style="font-size: large;">योग ल बिहनियां करना बने होथे अउ योग करे के बाद थोकिन रूकय तेकर पाछू कुछ अल्का खावय। योग करे के बाद हबरस ले कुछू भी नइ खाना चाही। फल, दूध या अंकुरति अनाज योगासन के आधा घंटा बाद खाना चाही।</span></li>
</ul>
<div style="text-align: justify;">
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</script></span><br />
<span style="font-size: large;">प्राणायाम-: वर्तमान समें म प्राणायाम ल सबो उमर के लोगन मन करत हाबे, आसान अउ असरकारक होय के सेती। जेन म प्राणायाम माने "प्राण" अउ "आयाम" अर्थात प्राण के उलट गमन। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
</div>
<ul>
<li><span style="font-size: large;">भस्त्रिका प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">कपालभाति प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">बाह्य प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">अनुलोम-विलोम प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">भ्रामरी प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">उद्गीथ प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">प्रणव प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">उज्जायी प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">सीत्कारी प्राणायाम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">शीतली प्राणायम</span></li>
<li><span style="font-size: large;">चंदभेदी प्राणायाम</span></li>
</ul>
<span style="font-size: large; text-align: justify;">जइसन अउ प्राणायाम के केउ प्रकार बताये गे हावय जेन ल योगगुरू के बताये अनुसार करे ले उचित लाभ होही।</span><br />
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</script></span><br />
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">ये पइत योग दिवस ल बिकराल रूप मनाये खातिर भारत सरकार बनेच जोर-शोर ले भीड़े हावय। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दिवस 21 जून के भारत म योग ह नवा किर्तिमान बनाही। लाखों आदमी एके संघरे योग करे के गिनीज बूक म वर्ल्ड रिकार्ड म भारत के नाम दर्ज होही। केंद्र ले लेके राज्य मन तको योग के तियारी म लगे हाबे। इहां तक गांव गली मोहल्ला म तको योग के प्रचार-प्रसार दिखत हाबे। खास करके भाजपा शासित राज्य मन तो अउ ज्यादा योग-योग रटत हाबे। योग के सरकारी रटन ह तभे सफल होही जब लोगन खुद ले योग साधना ल अपनाही। योग के सबले पहिली पाठ ह इही किथे के योग करत बखत मन म कोनो प्रकार के तनाव नइ होना चाही, काकरो केहे म नहीं बल्कि स्वयं होके मन से योग म मन लगावय। सरकार के ये कारज म सबो जुरमिलके योग दिवस म रिकार्ड बनाये खातिर नहीं बल्कि अपन तन-मन ल फरिहाय खातिर जुरियावन।</span></div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-39699845834542619642017-05-21T14:00:00.000+05:302017-06-09T07:53:28.691+05:30पर्यावरण ले जुरे हमर संस्कृति<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-family: inherit; font-size: large;"><br /></span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-cYZtFkLQvcI/WSFPyVf1CtI/AAAAAAAABpg/MHqRQ8xS1pIUwIS7hHi3ynhNJ7SfHe3lgCLcB/s1600/paryavaran.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><span style="font-family: inherit; font-size: large;"><img border="0" height="320" src="https://4.bp.blogspot.com/-cYZtFkLQvcI/WSFPyVf1CtI/AAAAAAAABpg/MHqRQ8xS1pIUwIS7hHi3ynhNJ7SfHe3lgCLcB/s320/paryavaran.jpg" width="227" /></span></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-family: inherit; font-size: large;"><span style="color: red;">प्राकृतिक</span> रूप ले हमर चारों मुड़ा जोन वातावरण हवय इही तो हमर पर्यावरण आए। चराचर जगत के जीव-जनावर के जिनगी के आधार आए पर्यावरण। उत्पत्ति ले विनाश के ओखी, पालनहारी, जीवनदाई हमर पर्यावरण के सरेखा के गुनान करे के अब बखत आगे हावय। पर्यावरण सम हाबे तब तो कोनो गम नइये फेर थोरको उंच-नीच होय म इही पर्यावरण हमर विनाश के कारण तको हो जथे। एक के गिनहा होय ले सबोच के जिनगी खुवार होय के डर अब दुनिया ल सतावत हाबे। इहीच बात ल दुनिया भर के वैज्ञानिक मन चेतावत तको हाबे के अब धीरे-धीरे पर्यावरण के संतुलन बिगड़त हाबे, बेरा राहत कहू चेत नइ करबोन तब न सिरिफ धरती के जीव-जनावर भलूक सउहत धरती तको खुवार हो जही। जल, जंगल, जमीन काहिंच नइ बांचही। ये बात अउ बड़ संसो के आए के जेन जीव ल प्रकृति ह सोचे-समझे अउ गुने के शक्ति दे हावय तेनेच हर ज्यादा पर्यावरण संग खेलाही करत हाबे। ऐसो आराम के जीवन खातिर जंगल के विनाश करते चले आवत हावय जेखर सेती जल संकट विकराल रूप लेवत हाबे। जमीन परिया परत हाबे। अइसने करते-करत एक दिन कुछ नइ बांचही।</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-family: inherit; font-size: large;">अवइया विनाश ल देखत हमर सुजानी सियान मन पर्यावरण ल बचाये खातिर केउ ठन योजना चलावत हाबे। फेर हमन अउ हमर छत्तीसगढ़ ये मामला म बड़ भागमानी हावय काबर के हमर पुरखा मन पर्यावरण के अभिन्न अंग जल, जंगल अउ जमीन ले हमर संस्कृति म जोड़े हाबे। जल, जंगल अउ जमीन ल बचाये खातिर पुरखा मन जेन रीत-रिवाज अउ परंपरा के चलागन शुरू करे हाबे, हमु ल ओकरे निर्वाहन करना हवय अउ अपन अवइया पीढ़ी ल तको धरोहर सहिक धराबो तभे हमर धरा बाच पाही। <script async="" src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
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</script></span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-family: inherit; font-size: large;">संगी हो थोरिक सोरियावव तो हमर सियान मन कइसे परंपरा के आड़ धराके पर्यावरण ल बचाये राखे हाबे तेन ल। सबले आगू रूख-राई के गोठ करन, काबर के सबले ज्यादा नुकसान तो पेड़ के अंधाधुंध कटाई ले पर्यावरण ल होवत हाबे। सास ले खातिर आरूग हवा बर तरसे ल होगे। हवा म पाना-पतेरा, कोहा-पथरा समागे हावय। फेर लोकांचल म शुद्ध वायु के संकट नइये, आजो उहां पावन पुरवाही बोहाथे। येकर सबले बड़े कारण हावय लोगन मन के रूख-राई के प्रति आस्था अउ मान्यता। लोगन मन पेड़-पौधा के पूजा करथे। लोक संस्कृति म केउ ठन अइसन पेड़-पौधा हावय जेन ल काटना पाप माने जाथे। जइसे पीपर पेड़ के बिसय म कहे जाथे कि ओमा भगवान विष्णु के वास होथे। केउ ठन धार्मिक कारज के मउका म पीपर के पेड़ के जड़ म पानी देके शक्कर, गुड़ अउ शहद चड़ाये जाथे। गांव के लोगन मन रोज बिहनिया नहा के पीपर के पेड़ ल पानी देथे, पांव परथे अउ मनौती मांगथे। इही सेती गांव-गांव म पीपर के बड़े-बड़े अउ बड़ जुन्ना-जुन्ना पेड़ हमला देखे ल मिलथे। धार्मिक आस्था के सेती लोगन मन घर के दुवार म पीपर के पेड़ लगाथे। इही रकम ले बर के पेड़ ल तको नइ काटे जाए, न ही जलाउ लकडी के रूप म उपयोग करय। बर, पीपर के लकड़ी के इमरती के रूप म उपयोग तको देखे बर नइ मिलय। बर पेड़ म दाई-बहिनी मन उपास राखके मनौती के डोरी बांधथे अउ पूजा-पाठ करथे। इही बर के छांव म सुघ्घर वट सावित्री के कथा सुने अउ सुनाये जाथे। अइसने डूमर पेड़ के तको बड़ सांस्कृतिक महत्ता हाबे। बिहाव संस्कार के बखत बांस के मड़वा गड़थे, डूमर के मंगरोहन बनाये जाथे अउ सबले पहिली तेल हरदी इही मड़वा अउ मंगरोहन म चड़थे। इही रकम ले ऑवला नवमी के व्रत पूजा म तको ऑवला के पेड़ के गजब विसेस महत्ता हाबे। लोकांचल म जब पेड़-पौधा के प्रति अतेक आस्था अउ प्रेमभाव देखबे तव मन म अइसे भाव उमड़थे के जब तक ये पेड़-पौधा ल पूजे के संस्कृति छाहित रइही तब तक जंगल खतम नइ हो सकय भलूक अउ पेड़ लगाये बर लोगन मन प्रेरित होही। हमर रूख-राई के पूजा पाठ करे के संस्कृति म तो कई ठन अइसन पौधा हावय जेखर औषधि के रूप म गजब उपयोग होथे। जइसे के तुलसी के पौधा। हर घर के अंगना म तुलसी के बिरवा मिलही। महतारी मन बड़ जतन ले अंगना म तुलसी के बिरवा लगाथे, रोज के पानी रूकोथे। संझा बिहनियां दीया बारथे, आरती करथे। हरियर-हरियर तुलसी के बिरवा ले अंगना ह गमकत रहिथे। संगे-संग घर के वातावरण ल तको शुद्ध करत रिथे अउ वायु म आक्सीजन के मात्रा ल बड़ाथे। इही रकम ले पूजा-पाठ म तको फूल पान के विसेस रूप ले उपयोग होय के सेती मोंगरा, दसमत, गोंदा, धतुरा, बेल, दूबी जइसन पौधा सबो के अंगना म महकत रिथे। ये फूल पान तो अब बारो महीना मिले बर धर ले हाबे, कतकोन मन तो येकर व्यवसायिक खेती म लगगे हावय। पाना के सेती संरक्षण ले जुरे पेड़ के चेत करन तव आमा, केरा के अलावा बेल पान घलो विसेस महत्व के हाबे। सावन के महीना म बेलपान के विसेस मांग रिथे। अइसे मान्यता हाबे के सावन के महीना म खास करके सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ ल बेल पान अउ धतुरा चड़ाये म बड़ जल्दी भगवान के किरपा मिलथे। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
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</script> लोकांचल म बर, पीपर, आमा, बेल, डूमर जइसन अउ कतकोन पेड़ मन सांस्कृतिक महत्व के सेती तइहा समे ले लोगन के संरक्षण म बाड़त हाबे। जेन गांव के दइहान, गुड़ीचौरा, तरिया पार, डोंगरी-खार म लोगन ल आरूग पुरवाही देवत हाबे। पेड़वा के छांव म सुघ्घर ढंग ले गरमी के दिन म तको लइका मन बांटी, बिल्लस, तिरीपासा, खेलथे। सियान मन ढेरा आंटत बइठे रिथे। अउ ते अउ कतकोन गांव के बइठका इही पेड़ के छांव तरी उरकथे।</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-family: inherit; font-size: large;">अब पर्यावरण के सबले अनमोल धरोहर पानी के बात करे जाय तव ये मामला म छत्तीसगढ़ बड़ सुजानी हावय। इहां के लोगन मन हिसाब लगा-लगाके पानी के हरेक बूंद के उपयोग करे ल जानथे। खेती किसानी के बुता करइया किसान मन बर पानी ले बड़के कुछूच नइये। पानी ले उंकर आजीविका जुरे हाबे। किसान हर वो उदीम करथे जेखर ले ज्यादा ले ज्यादा बरसा होवय। ओमन बरसात के पानी ल संजोए राखे बर तको जानथे। लोकांचल के कृषक मनला जल संरक्षण के गियान कृषि संस्कृति ले मिले हाबे। कुआं-बउली, तरिया-डबरी, डोड़गी-झिरिया, नदिया-नरवा जइसन पानी के स्त्रोत कृषि संस्कृति म पूजनीय हाबे। इतिहास किथे के नदिया-नरवा के तिरे-तिर संभ्यता के उदय होथे अउ पानी के धार ले संस्कृति पल्लवित होथे। ये बात सिरतोन आए। किसान मन पानी के अकारज दूरूपयोग कभू नइ करिन। भलूक पानी ल कोन-कोन से उदीम करके बचाये जाए अउ कइसे उपयोग करै येकरो नवा रद्दा निकालिन। असिंचित खेती म फसल के बने पैदावार ले खातिर नाननान डबरी बनाके बरसात के पानी ल रोके लगिन अउ भू-जल स्तर ल बनाये राखे खातिर बउली बनाइन। पीये के साफ पानी खातिर गांव म सुम्मत के तरिया खोदिन। तरिया डबरी बनाके निस्तारी चलाइये के चलागन सुरू करिन। निस्तारी तरिया म नहावन के नेंग-जोग के संगे-संग मवेशी मन बर तको पीये के पानी के जोखा करिन। वास्तव म छत्तीसगढ़ अइसन राज आए जिहां प्रकृति प्रेम ह आस्थ के संग लोक संस्कृति म जिंदा हावय। इहां के लोक जनमानस म पर्यावरण संरक्षण खातिर कोनो विसेस अभियान चलाये के जरूरत नइये काबर के पर्यावरण के अभिन्न अंग लोगन मन स्वयं अपन आप ल ही मानथे। बइसाख के अंजोरी पाख म तीज के अक्ती ले किसानी के बुता के सुरूआत होथे ये दिन किसान मन जुर मिलके गांव के ठाकुरदेव म दोना-दोना धान चड़ाके गांव के देवधामी ले अरजी बिनती करथे के एसो घलोक बने बखत म पानी आवय, हमर खेत के छिताय हरेक बीजा म अंकुरण फूटय, कोनो प्रकार के रोग-राई झिन आवय, मवेशी मन बने किसानी म सहायक रइही इही सब अरजी के संकलप करत डीह-डोंगरी के सबोच जुन्ना पेड़ के जर म पानी रूकोथे। बइसाख के लक-लक घाम म बिन पानी के सूखावत पेड़ म पानी रूकोथे किसान अक्ती परब म। तव पेड़ तको किसान ल आसीस देथे। </span><br />
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</script></span><br />
<span style="font-family: inherit; font-size: large;">नादी, दीया, करसा म चिरई-चिरगुन बर पानी मड़ा के। कचलोइहा धान ले सियानिन दाई के बनाये फाता माने धान के झालर ल आंगना अरो देथे। चिरई-चिरगुन मन अंगना म आथे अउ झालर ले चुन-चुन धान के बाली ल खाथे अउ नांदी के पानी ल पीके उड़ा जाथे। जेठ बइसाख के महीना म जेन मन चिरई-चिरगुन संग मया करथे ओमन भला आन जीव संग कइसे अनित करे सकही। रूख-राई ल देवता, तरिया नदिया ल महतारी कहइया छत्तीसगढ़िया मन जनावर संग मितानी बधथे। हरेली परब म घर-घर लीम के डारा खोच के सावन महीना म रोग-राई ले मनखे अउ मवेशी मनला बचाये के संदेशा देथे। कातिक महीना के देवारी के गोबरधन पूजा ह द्वापर के सुरता देवाथे। ये परब ह गोवर्धन परवत के पूजा अउ गउ वंश के संवर्धन के संदेशा देथे। अइसने अउ केउ ठन परब आथे जेन ह पर्यावरण ले जुरे हावय अउ हमला इही परब संस्कृति ह जल, जंगल अउ जमीन के सरेखा करे के सीख देथे। हमन सियान मनके दिये सीख ल गांठ बांधके अपन-अपन जीवन म अमल म लानबो तभे प्रकृति ह हमर बर जीवनदाई बने रइही। संगे-संग वर्तमान समय म पर्यावरण के बिगड़त स्वरूप के संतुलन बनाये खातिर कुछ नवाचार के तको जरूरत हाबे। जइसे के घर के अंगना म जरूर एक पेड़ लगाना। उपहार स्वरूप कोनो ल भेट देना हावय त ओला आन कुछू कांही देके बजाए ओला फलदार पेड़, ओषधिय पौधा या आनी-बानी के फूल के पौधा देवन। उच्छाह मंगल के बेरा म पर्यावरण ल बचाये के संकल्प धरन। कोनो के जनम दिन, बिहाव या पुन्य तिथि के मउका म एकक पेड़ लगाये के नवा चलागन के सुरूआत के हिरदे ले सुवागत होना चाही। अइसन नवाचार न सिरिफ समाज पर प्रेरणा होही बल्कि वो उपहार म मिले या कोनो व्यक्ति के दिन विसेस के सुरता म लगे पेड़ के फल, फूल अउ सुघ्घर छांव हमला जिनगी भर सुकून देही। 0</span><br />
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</script></span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red; font-family: inherit; font-size: large;">- जयंत साहू</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red; font-family: inherit; font-size: large;">डूण्डा, पोस्ट सेजबहार </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red; font-family: inherit; font-size: large;">जिला रायपुर छ.ग. 9826753304 </span><br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-Pma-aujtqBw/WToGC6Me5eI/AAAAAAAABr4/QRbdYYTsK2gLQNM-BbM9U7QIzd-eDYN7ACLcB/s1600/desgbandhu-4june2017.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1403" data-original-width="1600" height="175" src="https://3.bp.blogspot.com/-Pma-aujtqBw/WToGC6Me5eI/AAAAAAAABr4/QRbdYYTsK2gLQNM-BbM9U7QIzd-eDYN7ACLcB/s200/desgbandhu-4june2017.jpg" width="200" /></a></div>
<a href="https://2.bp.blogspot.com/-w1kdJ5OE484/WToGCves33I/AAAAAAAABr0/r_sQjE0dlH494tFITtsyy1rkKIu9_i55gCLcB/s1600/Patrika_pahat_6-6-17-WB.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" data-original-height="1600" data-original-width="1192" height="200" src="https://2.bp.blogspot.com/-w1kdJ5OE484/WToGCves33I/AAAAAAAABr0/r_sQjE0dlH494tFITtsyy1rkKIu9_i55gCLcB/s200/Patrika_pahat_6-6-17-WB.jpg" width="148" /></a><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://2.bp.blogspot.com/-IZ5UAhr76T4/WToGC0pzNII/AAAAAAAABr8/1xd5wDhnE6wKnp8583ly9qvllvG1iEK7wCLcB/s1600/chaopal-25-06-1_WEB.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="947" data-original-width="1600" height="118" src="https://2.bp.blogspot.com/-IZ5UAhr76T4/WToGC0pzNII/AAAAAAAABr8/1xd5wDhnE6wKnp8583ly9qvllvG1iEK7wCLcB/s200/chaopal-25-06-1_WEB.jpg" width="200" /></a></div>
<span style="color: red; font-family: inherit; font-size: large;"><br /></span></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-60574313858069503722017-03-31T16:26:00.001+05:302017-03-31T16:33:44.634+05:30छत्तीसगढ़ में सातवां वेतनमान लागू, तभो ले चाय-पानी लेही बाबू? ...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://2.bp.blogspot.com/-BlqBbUaBiFU/WN40c05lFRI/AAAAAAAABk8/NdMT9t8GdUoPsCUJhXEKNylbDbJ6UyY9QCLcB/s1600/%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2582%2B%25E0%25A4%25B5%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8_Seventh%2Bpay%2Bscale_chhattisgarh_raman%2Bsingh.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://2.bp.blogspot.com/-BlqBbUaBiFU/WN40c05lFRI/AAAAAAAABk8/NdMT9t8GdUoPsCUJhXEKNylbDbJ6UyY9QCLcB/s320/%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2582%2B%25E0%25A4%25B5%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8_Seventh%2Bpay%2Bscale_chhattisgarh_raman%2Bsingh.jpg" width="320" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><b>छत्तीसगढ़</b> विधानसभा के ग्यारहवां सत्र ह इहां के सरकारी करमचारी मन खातिर जबर उच्छाह के रिहिसे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह प्रदेश के 2 लाख 60 हजार करमचारी मनला सातवां वेतनमान के लाभ देके घोसना करे हाबे। अवइया वित्तीय वर्ष 2017-18 खातिर विनियोग विधयेक म चर्चा के जवाब देवत सरकार कोति ले मुखिया ह ये एलान करिस हावय। सातवां वेतनमान ले सबो करमचारी मनके तनख्वाह म अब बढ़ोत्तरी ह आयोग के सिफारिश के मुताबिक होना तय हाबे। भारत के सातवां केंद्रीय वेतन आयोग ह वेतन-भत्त अउ पेंशन म 23.55 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करे के सिफारिश करे रिहिसे।</span></div>
<div style="text-align: justify;">
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</script></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">सातवां वेतनमान लागू होय के बाद चपरासी मनके तनख्वाह सोलह हजार ले आगर हो जही। उचंहे अधिकारी मन तको पचास हजार के लगभग पगार झोकही। जतेक भी सरकारी विभाग के करमचारी हावय सबोच मन अब 20 ले 50 हजार के बीच म तनख्वाह पाही। जइसे के सरकारी विभाग के बाबू मनके विषय म केहे जाथे के ऊंकर तनख्वाह तो सोज्झे बाचथे, सरी खर्चा अवइया-जवइया मनके चाय-पानी ले निपटथे। केंद्र म मोदी सरकार के बइठते प्रशासनिक ढांचा म मसावट आए हाबे जेकर परिणाम छोटे-छोटे करमचारी मन म तको देखब </span><span style="font-size: large;">म </span><span style="font-size: large;">आए हाथे। फेर पूरा-पूरा भ्रष्टाचार म लगाम लगे हावय अइसनों नइये। काम ऊरकाना हे तव टेबल के तरी ले कुछ न कुछ देनाच परथे, अइसे विभाग के बाबू मनके कहना हाबे। अब सातवां वेतनमान के आये ले का सरकारी विभाग के करमचारी मन के चाय-पानी लेवइ बंद होही? या फेर काम म अऊ चुस्ती आही। बहुत अकन काम ह ऑनलाइन होय ले खूसखोरी म लगाम तो लगे इहू बात ले इंकार नइ करे जा सकय फेर लेवइया-देवइया हाथ ह एकाक कइसे रूकही, सातवां वेतनमान लागू होवय चाहे दसवां! </span><br />
<span style="color: white; font-size: x-small;">German Chaceller Angela Merkel got 13 per cent of the votes in the global survey to rank second only after the US president.</span><br />
<span style="color: white; font-size: x-small;">Kim Jong-nam body 'arrives in Pyongyang'</span><br />
<span style="color: white; font-size: x-small;">A van believed to carry the body of late Kim Jong-nam leaves the mortuary of the Kuala Lumpur Hospital, in Kuala Lumpur,</span><br />
<span style="color: white; font-size: x-small;">Chinese President Xi Jinping ranked sixth on the list for the most popular leader.</span><br />
<span style="color: white; font-size: x-small;">Chinese President Xi Jinping ranked sixth on the list for the most popular leader.</span><br />
<span style="color: white; font-size: x-small;">Floodwaters have inundated the New South Wales town of Lismore. Deaths feared in Australia flood emergency </span><br />
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</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-22181923030284560972017-03-28T20:41:00.003+05:302017-03-29T14:42:41.214+05:30जांच के डर ले छोटे डॉक्टर लुकागे अउ बड़का मनके भाव बाड़गे [NURSING HOME ACT/RULES-2013]<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
</div>
<h2 style="text-align: center;">
<span style="color: red;">NURSING HOME ACT/RULES-2013</span></h2>
<div>
<span style="color: red;"><br /></span></div>
<div style="text-align: justify;">
छत्तीसगढ़ राज म झोलाझाप डॉक्टर मनके उपर कार्रवाई करे खातिर टीम बनाके छापामारी चलत हावय। प्रशासन के ये जांच टीम ह छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट ल जोर देवत ये कार्रवाई के बात करत हावव। जेमा अब तब सौकड़ों नवसिखीया डॉक्टर के दवाखानाल सील करे गे हावय। जांच दल मनके सबले ज्यादा शिकार गली-गोन्टा के छोटे-छोटे डिग्रीधारी मन होवत हाबे। तीन-चार साल कोर्स करे के बाद प्रेक्टीस म लगे डॉक्टर बाबू मन छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट के पालन नइ करत हावय। कायदे से देखे जाये तव ये तो सरासर गलत हावय के सरकार के नियम कानून के विरूद्ध क्लिनिक नइ चलाना चाही। जांच म तो कतकोन अइसनों डाक्टर पकड़ म आवत हाबे जेन मन के पूरा के पूरा डिग्री ही फर्जी हावय। कतकोन मन तो अजरा गोली दवई देवत-देवत बड़का क्लिनिक बना डरथे। ये उही डॉक्टर मन पकड़ म आवत हावय जेन मन 10-20 रूपिया म लोगन के सर्दी-बुखार के इलाज करथे। गाव-गली के गरीब आदमी छोटे-मोटे बीमारी म इंकरे मन कना जाके बने होथे।</div>
<div style="text-align: justify;">
जेन ल सरकार ह आज झोलाछाप डॉक्टर काहत हावय इहिच मनतो आधा आबादी के तानहार हवय। इहां स्वास्थ्य विभाग के अतका खस्ता हाल हवय के लोगन मन मजबूरी म इही डाक्टर सो इलाज करना ज्यादा बेहतर समझथे। एक कोती शहर के बड़का डॉक्टर मन 400 रूपिया सोज्झे देखेच के फीस लेथे उंहचे गांव के डॉक्टर ह 30-40 के दवई म बने कर देथे। अब सरकार के मुताबिक कोन डिग्री बने अउ कोन खइता के हावय येला आम जनता का जानही। हमर बर तो जेने रोई-राई टारिस तेने बने बइद। बपरा मन 10 रूपिया के फीस लेथे तेनो म घर म चउदा परत देखे बर आथे। नानमनू जर-बूखार बर शहर के बड़का डॉक्टर मनके रद्दा जोहत-जोहत जोनन पर जथे, सरकारी होय चाहे परावेट। बेरा कुबेरा जा नइ सकस बिना अपाइंटमेंट के। जब सरकार ह छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट ल लेके अभियान चलाते हावय तव येमा अऊ ज्यादा बड़े रूप म जांच होना चाही। जेन नर्सिंग होम के व्यापार करत हावय तिकरों जांच होनो चाही। स्वास्थ्य के नाम म लोगन के जान संग खिलवाड़ तो झोलाछाप डॉक्टर ले ज्यादा बड़का परावेट नर्सिंग होम वाले मन करथे। ये बात तको काकरो ले छिपे नइये के कोन लोगन मन सरकारी म इलाज कराथे कोन पराबेट म, सब पइसा के खेल हावय। बड़े मनके जांच करे म सांस फूल जथे अउ छोटे मनके टेटवा ल मसके परत हावय।</div>
<ul>
<li>एक नजर राज्य सरकार के राजपत्र के अनुसार नियम ल देखन अऊ अपन तिरके अस्पताल देखन तव हमला जनबा हो जही के कोन-कोन छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट के अवमानना करत हावय-</li>
<li>क्लीनिक बनाये खातिर मानक
</li>
</ul>
<ol style="text-align: left;">
<li><b><span style="color: red;"> क्लीनिक खातिर मानक-</span></b></li>
</ol>
<ul>
</ul>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-8N5k2tPgbl8/WNtqwnJmoJI/AAAAAAAABjY/IP2rtQ1mRfgket3dzacvj1Fj08hCZC-CgCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-13.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://4.bp.blogspot.com/-8N5k2tPgbl8/WNtqwnJmoJI/AAAAAAAABjY/IP2rtQ1mRfgket3dzacvj1Fj08hCZC-CgCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-13.jpg" width="424" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-INz3G96xP4Y/WNtqwfB9zcI/AAAAAAAABjQ/OZslm3cqKsscjA_S9we7WN3NOanhkDotgCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-14.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://1.bp.blogspot.com/-INz3G96xP4Y/WNtqwfB9zcI/AAAAAAAABjQ/OZslm3cqKsscjA_S9we7WN3NOanhkDotgCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-14.jpg" width="392" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-RqvP6phm5wM/WNtqwTIoBjI/AAAAAAAABjU/Y21tGoJE9f8kxQmoq_BzLyEK2Ro_NxpsACLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-15.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://3.bp.blogspot.com/-RqvP6phm5wM/WNtqwTIoBjI/AAAAAAAABjU/Y21tGoJE9f8kxQmoq_BzLyEK2Ro_NxpsACLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-15.jpg" width="414" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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</script><br />
<ol>
<li> <b><span style="color: red;">मेडिकल लैब खातिर मानक-</span></b></li>
</ol>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-jF0GxpZgC10/WNtqyDbpprI/AAAAAAAABjc/gdNUbW1uVm8-Wn6a4wQ0ixx-8VbDs-JJgCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-16.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://4.bp.blogspot.com/-jF0GxpZgC10/WNtqyDbpprI/AAAAAAAABjc/gdNUbW1uVm8-Wn6a4wQ0ixx-8VbDs-JJgCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-16.jpg" width="372" /></a></div>
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<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-IOeM2P-avpo/WNtqyeY3xlI/AAAAAAAABjg/NTzPiZ2IXyoJvgeeL8rrOu0Nqne-XwNGACLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-17.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://4.bp.blogspot.com/-IOeM2P-avpo/WNtqyeY3xlI/AAAAAAAABjg/NTzPiZ2IXyoJvgeeL8rrOu0Nqne-XwNGACLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-17.jpg" width="406" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-6reckcYDHVE/WNtqynaOr6I/AAAAAAAABjk/XVqF9SrnX9gewTtSqnerwcvqFGNMItE9ACLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-18.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://3.bp.blogspot.com/-6reckcYDHVE/WNtqynaOr6I/AAAAAAAABjk/XVqF9SrnX9gewTtSqnerwcvqFGNMItE9ACLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-18.jpg" width="418" /></a></div>
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</script><br />
<ol>
<li> <b><span style="color: red;">प्रसुति अस्पताल खातिर मानक-</span></b></li>
</ol>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://2.bp.blogspot.com/--SVujSbRI1c/WNtqzE24ncI/AAAAAAAABjo/TUCZB1zN05Ij7aY3dqhdjZ-z6ttOvHs7ACLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-19.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://2.bp.blogspot.com/--SVujSbRI1c/WNtqzE24ncI/AAAAAAAABjo/TUCZB1zN05Ij7aY3dqhdjZ-z6ttOvHs7ACLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-19.jpg" width="394" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-4Hb6fRjWJ7o/WNtq09VoefI/AAAAAAAABjs/V4RcpMNBUjwJKkZuKP3fyV09F9zZ2bZpgCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-20.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://1.bp.blogspot.com/-4Hb6fRjWJ7o/WNtq09VoefI/AAAAAAAABjs/V4RcpMNBUjwJKkZuKP3fyV09F9zZ2bZpgCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-20.jpg" width="382" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-g05Ne0WbDc8/WNtq1fHeCgI/AAAAAAAABjw/vKK4RaI1BmIQPmEX3cAUrshsjzN8eDrywCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-21.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://1.bp.blogspot.com/-g05Ne0WbDc8/WNtq1fHeCgI/AAAAAAAABjw/vKK4RaI1BmIQPmEX3cAUrshsjzN8eDrywCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-21.jpg" width="390" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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</script><br />
<ol>
<li><b><span style="color: red;"> फिजियोथेरेपी इकाई खातिर मानक-</span></b></li>
</ol>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-TCJWKVwQhyE/WNtq17Fa1OI/AAAAAAAABj0/6mdEJYysUkYgzUQt3aKCrqHAsI2sg_W0gCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-22.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://3.bp.blogspot.com/-TCJWKVwQhyE/WNtq17Fa1OI/AAAAAAAABj0/6mdEJYysUkYgzUQt3aKCrqHAsI2sg_W0gCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-22.jpg" width="392" /></a></div>
<ol>
<li> <b><span style="color: red;">अस्पताल अउ नर्सिंग हाेम-</span></b></li>
</ol>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-VGaNivlxDnY/WNtq5mXV_aI/AAAAAAAABj4/g9I5zDEUm08DUeU6P6QnYAJaEs9IkUKkACLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-23.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://1.bp.blogspot.com/-VGaNivlxDnY/WNtq5mXV_aI/AAAAAAAABj4/g9I5zDEUm08DUeU6P6QnYAJaEs9IkUKkACLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-23.jpg" width="402" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://2.bp.blogspot.com/-9kJ5nm5y8z4/WNtq5-XlHHI/AAAAAAAABj8/dsCU1i6Jw2Abejl3ubAgJ--lq9PaByaQgCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-24.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://2.bp.blogspot.com/-9kJ5nm5y8z4/WNtq5-XlHHI/AAAAAAAABj8/dsCU1i6Jw2Abejl3ubAgJ--lq9PaByaQgCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-24.jpg" width="384" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://2.bp.blogspot.com/-0XQkiGUjO-w/WNtq6EkcSnI/AAAAAAAABkA/8uO67xrxrBcJBZ52GNiOLGMvmgdSgPbggCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-25.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://2.bp.blogspot.com/-0XQkiGUjO-w/WNtq6EkcSnI/AAAAAAAABkA/8uO67xrxrBcJBZ52GNiOLGMvmgdSgPbggCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-25.jpg" width="398" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-vCyh3qqiQpQ/WNtq8PBlUlI/AAAAAAAABkE/f-wX7I-mUgw0Sta5AwPbEo_qDbfSSXpxwCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-26.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://1.bp.blogspot.com/-vCyh3qqiQpQ/WNtq8PBlUlI/AAAAAAAABkE/f-wX7I-mUgw0Sta5AwPbEo_qDbfSSXpxwCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-26.jpg" width="382" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-cE8qiiMjqaI/WNtq8kypmYI/AAAAAAAABkI/XKyhm7moLI0ZuykpBd4PviDy5lpuBXstgCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-27.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://1.bp.blogspot.com/-cE8qiiMjqaI/WNtq8kypmYI/AAAAAAAABkI/XKyhm7moLI0ZuykpBd4PviDy5lpuBXstgCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-27.jpg" width="376" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-LVx6dGv3s5Y/WNtq9kh5r8I/AAAAAAAABkM/IO5NdkjA42ABMsBvP7sZSZXUaUgN493SgCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-28.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://4.bp.blogspot.com/-LVx6dGv3s5Y/WNtq9kh5r8I/AAAAAAAABkM/IO5NdkjA42ABMsBvP7sZSZXUaUgN493SgCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-28.jpg" width="380" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-SHniue4Py48/WNtq-d9TDII/AAAAAAAABkU/r9b05ZSyZiI6BSmKaZGU1K4rgO__gph3wCLcB/s1600/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-29.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://3.bp.blogspot.com/-SHniue4Py48/WNtq-d9TDII/AAAAAAAABkU/r9b05ZSyZiI6BSmKaZGU1K4rgO__gph3wCLcB/s640/Chattisgarh_Nursing_Home_Act-Rules2013-29.jpg" width="450" /></a></div>
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<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://2.bp.blogspot.com/-xcvvTygD7bc/WNtq-6sMhQI/AAAAAAAABkY/B5wpyd-OOO083R9FvnxxhzfUlbTqShJrQCLcB/s1600/NursingHome_REG.Form-33-B.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://2.bp.blogspot.com/-xcvvTygD7bc/WNtq-6sMhQI/AAAAAAAABkY/B5wpyd-OOO083R9FvnxxhzfUlbTqShJrQCLcB/s640/NursingHome_REG.Form-33-B.jpg" width="394" /></a></div>
<ol>
<li><b><span style="color: red;"> पंजीयन / लाइसेंस जारी / नवीनीकरण-</span></b></li>
</ol>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-QLvZDipuLzo/WNtq_nRg4bI/AAAAAAAABkc/jhgwD9v1h9MgRM2yDGhYrAxSYFTOUKbzACLcB/s1600/NursingHome_REG.Formules2013-33-A.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://4.bp.blogspot.com/-QLvZDipuLzo/WNtq_nRg4bI/AAAAAAAABkc/jhgwD9v1h9MgRM2yDGhYrAxSYFTOUKbzACLcB/s640/NursingHome_REG.Formules2013-33-A.jpg" width="426" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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<ol>
<li><span style="color: red;"> <b>घोसना पत्र-</b></span></li>
</ol>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-Q0_wa-Socj0/WNtq_pEEgPI/AAAAAAAABkg/m3Zqg_NzZag5Td73pYxBRIhCRYvdabx8QCLcB/s1600/NursingHome_The%2Bghost.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://1.bp.blogspot.com/-Q0_wa-Socj0/WNtq_pEEgPI/AAAAAAAABkg/m3Zqg_NzZag5Td73pYxBRIhCRYvdabx8QCLcB/s400/NursingHome_The%2Bghost.jpg" width="393" /></a></div>
<ol>
<li><b><span style="color: red;"> आवेदन पत्र-</span></b></li>
</ol>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-a9Q3j7UFIBg/WNtq-OLgXMI/AAAAAAAABkQ/Mu389sO85YEpUa6Eb430elcxlO74H6kiACLcB/s1600/NursingHomeRules_Reg-form.gif" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://3.bp.blogspot.com/-a9Q3j7UFIBg/WNtq-OLgXMI/AAAAAAAABkQ/Mu389sO85YEpUa6Eb430elcxlO74H6kiACLcB/s640/NursingHomeRules_Reg-form.gif" width="238" /></a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-54189831343780124302017-03-16T11:39:00.005+05:302017-03-18T18:01:48.121+05:30शराबबंदी के खिलाफ काबर सरकार? <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/--CqdRCJVr6A/WMo5fdwLZuI/AAAAAAAABdA/vTU08VLhRhMTNP8ZN6RmHJpA39ja68qSwCLcB/s1600/sharabbandi-01.png" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://3.bp.blogspot.com/--CqdRCJVr6A/WMo5fdwLZuI/AAAAAAAABdA/vTU08VLhRhMTNP8ZN6RmHJpA39ja68qSwCLcB/s320/sharabbandi-01.png" width="320" /></a></div>
<span style="font-size: large;"><b>छत्तीसगढ़</b> सरकार के काम-काज के चारो मुड़ा बड़ई होवत हाबे, केंद्र ले तको साल के सम्मान मिलते हाबे। इंकर काम करे के तरीका ल देखबे तव अइसे लागथे मानो आन राज के मन कुछू काम-धाम करबे नइ करय। छत्तीसगढ़ सरकार करही तेने ल बता-बताके, काम ल जनवाथे के देखव हम ये काम करे हाबन। सरकार के मंत्रीमंडल ह तको काम ल अपन फर्ज अउ जुमेदारी समझ के नहीं बल्कि एहसान करे बर करथे, तभे तो देश म सोर बगराके ओकर ओढ़र म सम्मान पाथे के फलाना काम करने वाला छत्तीसगढ़ देश के पहिली राज। सम्मान तो अतका झोकत हावय के दिल्ली म एक 'सम्मान झोकइया' विभाग बनाके परमानेंट बइठारे के जरूरत पड़ सकत हावय। भारत के आन राज्य मन छत्तीसगढ़ सरकार ले काम के कइसे ढिंढोरा पिटना हे येला तो जानी डरे होही। इहां पहिली समस्या पैदा करना अऊ फेर ओकर समाधान बर जबर बुता करना ही सरकार के पहिली प्राथमिकता होथे। अब देखव न टेबल ठोक-ठोक के हरेक साल हजारों करोड़ के बजट पेश होथे, हरेक बजट म गांव, गरीब अउ किसान ल पहिली प्राथमिकता देके करार होथे। अब तो अइसे जनाथे के बजट सत्र के भासन हरेक साल उहीच होथे सिरिफ रूपिया के आंकड़ा म ही बदलाव करके पेश करे जाथे।</span><br />
<span style="font-size: large;">जेन गांव, गरीब अउ किसान ल पहिली प्राथमिकता म राख के सरकार ह बजट के आकार ल बड़ा-बड़ा के पेश करथे। ऊंकर विकास म सबले बड़े बाधक तो सरकारे हवय। फेर सरकार ये दिशा म नंबर वन के काम काबर नइ करत हावय। छत्तीसगढ़ म मध्यम अउ गरीब वर्ग के मरद मन तो जतका कमाथे ओकर ले आगर ल दारू म सिरवाथे। अऊ घर के निस्तारी ल ओकर गोइसन चलाथे। महिला मन जोर-सोर ले छत्तीसगढ़ म पूरा शराबबंदी के मांग करत हावय तभो ले सरकार ह कान मूंदे बइठे हावय। सरकार कना अभी एक मउका तको रिहिसे जब सुप्रीम कोर्ट ह हाइवे ले शराब दुकान हटाये के आदेश दे हावय।</span><br />
<span style="font-size: large;">लोगन के कहना हावय के भटठी हटाये के बजाए बंद काबर नइ करे जाए। हाइवे म हादसा कम करे बर आबादी म लानत हावय, तव का आबादी म हादसा नइ होही? हाइवे ले जादा तो बस्ती म हादसा होही, दारू घर-घर म झगरा मताही। तिर म पाके बेरा-कुबेरा पीये-पाए लोगन घर आही। इहां पूरा शराबबंदी ये सेती घलोक जरूरी हावय के दारू इहां के कतकोन समाज के परंपरा अउ संस्कृति के अंग आए। खुलेआम शराब मिले ले पंरपरा के आड़ म लोगन घर परिवार ल बरबाद करे म लगे हावय। शराबबंदी खातिर लोगन ह अब सड़क म उतर के प्रदर्शन अउ अनशन तको करत हावय। फेर सत्ता के नशा म चूर सरकार स्वयं निगम बनाके शराब बेचे के फइसला करे हावय। शराबबंदी के मांग ल सरकार विपक्षी उपद्रव करार देके राज के जनता ल भ्रमित करत हावय। का विपक्ष मन अच्छा विचार तको नइ सुझा सकय। जन कल्याण के हरेक अच्छा विचार के तो दलगत राजनीति ले उपर उठके सुवागत होना चाही। फोकट-फोकट वाला योजना चलाके सरकारी खजाना उरकाए ले भल तो शराबबंदी म हावय। प्रदेश के महिला मंडल, धार्मिक संगठन, मुख्य विपक्षी दल अउ आन राजनीतिक पार्टी मन के अलावा समाजसेवी संगठन मन विधानसभा ले मुख्यमंत्री आवास तक रैली अउ घेराव करके पूरा शराबबंदी के शंखनांद करे हावय। 0</span><br />
<span style="font-size: large;"><br /></span>
<span style="font-size: large;"><br /></span>
<span style="font-size: large;"><br /></span>
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</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-8887235414038188252017-01-09T19:48:00.005+05:302017-01-09T20:09:45.809+05:30छेरछेरा: अन्न दान उत्सव<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">छत्तीसगढ़ के रहइया मन अपन भाग ल संहरावत किथे जब-जब हम धरती म जनम धरन तब-तब इही भुंइया म आवन। इहा के कन-कन म संस्कार समाहित हवय। खेत के माटी ले लेके घर के कोठा कुरिया अउ गांव के सियार ले दइहान तक पछीना के कथा कंथली छाहित हवय। इहां सियान के बीते म परंपरा बिसरे के तको संसो नइये काबर के हरेक परब खेती अउ माटी ले जुरे हावय। जब तक दुनिया म खेती होही, काया माटी म लोटे रइही तब तक इहां के संस्कृति ल भुलाय नइ जा सकय। </span></div>
<div style="text-align: left;">
<span style="color: white; font-size: x-small;">Assembly election 2017: <span style="text-align: left;">Punjab Legislative Assembly election, </span><span style="text-align: left;">Goa Legislative Assembly election, </span>Uttarakhand Legislative Assembly election, Uttar Pradesh Legislative Assembly election, Manipur Legislative Assembly election,</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-x0hyLp1HDKU/WHOULIGagKI/AAAAAAAABaM/Y6B3l7Jx8VgBdDpjdCdeh_rjHV0xj5IMgCEw/s1600/shakamdhari%2Bjayanti.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://4.bp.blogspot.com/-x0hyLp1HDKU/WHOULIGagKI/AAAAAAAABaM/Y6B3l7Jx8VgBdDpjdCdeh_rjHV0xj5IMgCEw/s320/shakamdhari%2Bjayanti.jpg" width="239" /></a></div>
<div style="text-align: center;">
<span style="font-size: large;"><br /></span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">अबही बखत हवय दानपून के तब थोकन छेरछेरा ल तको सोरिया लेथन। छेरछेरा ल अन्नदान के महापरब के रूप म पूस महीना के पुन्नी के दिन मनाये जाथे। ये दिन छत्तीसगढ़ के गांव-गांव म दानशीलता के अनोखा परंपरा देखे बर मिलथे। लइका-सियान सबोच ह घर-घर जाके धान मांगथे। घर वाले मन तको खुशी-खुशी मांगे बर अवइया मनके अगोरा करत चरिहा भर धान ल धरे मुहाटी म बइठे रिथे। घर के दुवारी म अइवइया सबोच हर ठोमहा-ठोमहा धान ल पाथे। दान देवइया अउ लेवइया दूनों के मन म बरोबर खुशी हमाय रिथे। का बड़हर अउ का गरीबहा सबोच मन अन्नदान के ये दिन ल छेरछेरा तिहार के रूप म मनाथे। बिहनिया-बिहनिया घर के मुहाटी म छेरछेरा मंगइया मन किथे- </span><br />
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<div style="text-align: center;">
<b><span style="font-size: large;">छेरिक छेरा, छेर मड़ई दिन छेरछेरा,</span></b></div>
<div style="text-align: center;">
<b><span style="font-size: large;">माई कोठी के धान ल हेर हेरा।</span></b></div>
<div style="text-align: center;">
<b><span style="font-size: large;">अरन-दरन कोदो दरन,</span></b></div>
<div style="text-align: center;">
<b><span style="font-size: large;">जभ्भे देबे तभ्भे टरन।</span></b></div>
<div style="text-align: center;">
<b><span style="color: white; font-size: x-small;">The annual examinations of class 9th and 11th will be conducted by CBSE from 9th March 2017</span></b></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-mdiFUYhmKa0/WHOUpD3n7ZI/AAAAAAAABaQ/AqqJK0W_jqE9ORdx4hmspSabVvvoFgyfQCLcB/s1600/chherchhera.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="247" src="https://1.bp.blogspot.com/-mdiFUYhmKa0/WHOUpD3n7ZI/AAAAAAAABaQ/AqqJK0W_jqE9ORdx4hmspSabVvvoFgyfQCLcB/s320/chherchhera.jpg" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: start;">
<span style="color: white; font-family: "droid" serif , serif; font-size: x-small;"><span style="line-height: 28px;">Dangal has emerged as the highest grossing Hindi film at the box office ever.Aamir Khan’s wrestling drama will also be the first Hindi film to cross Rs 350-crore mark. The film has already collected Rs 345.30 crore in its third week and is still going strong. </span></span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">अइसन रकम ले छेरछेरा मंगइया मन मुहाटी ले बिगर छोके नइ टरय। तइहा समे से चले आवत ये चलागन म ये बात अऊ जबर हावय के छेरछेरा ल कोनो भिक्षाटन ले जोर के नइ देखय। भलूक छेरछेरा ल दानपरब के कहे जाथे। अन्न दान करके गांववाले मन पुन्य कमाये। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><b>छेरछेरा के तिथि</b>- पौष पुर्णमासी माने पूस महीना के अंजोरी पाख के आखरी दिन अन्नदान के महापरब छेरछेरा मनाये जाथे। हिन्दू पंचाग ह इही दिन ल शाकम्भरी जयंती तको किथे। अइसे कहे जाथे के ये दिन के दानधरम के विशेष महत्ता हावय। ग्रंथ के मुताबिक इही दिन भगवान शंकर नटावतार म माता अन्नुपूर्णा ले अन्नदान पाये रिहिसे। छत्तीसगढ़ म अइसे मानता हावय के अन्न के दान करे ले अन्नपूर्णा माता ह किसान मन ऊपर अपन किरपा बरसाथे। दान देवइया के कोठी कभू रिता नइ होवय। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><b>अन्नदान</b>- छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान अंचल आए तेन पाके इहां के सबो परब खेती ले जूरे मिलथे। इहां असाढ़ के महीना म किसान मन धान के फसल उगाथे अउ कुवार-कातिक के आवत ले धान ह लुवा-मिंजा के कोठी म छबा जथे। पूस आवत ले खेती-किसानी के सरी बूता उरक जाये रिथे। परंपरा अनुसार छेरछेरा म किसान मन उही कोठी के धान ल दान करके पुनित कारज करथे। छेरछेरा म धान-कोदो जइसन अन्न के दान ही करथे। तभे तो उनला अन्नदाता कहिथे दुनिया। </span><br />
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<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><b>छेरछेरा परब के लोकमान्यता</b>- छेरछेरा परब ल लेके कतकोन किस्सा तको किथे सियान मन। ओमन बताथे के एक समय म छत्तीसगढ़ म गजब सुघ्घर फसल होय रिहिसे। सबो बड़का किसान मन अपन-अपन खेत के फसल ल लू मिंज के कोठी म छाब दिस। दूसर कोति गरीब बनिहार मन पोट-पोट भूख मरे बर धर लिस तब अन्न माता रिसागे। माता किथे मैं सबोके सपूरन अन्न दे हाबव तभो ले कइसे आधा मानूख भूखन-लांघन हावय। रिस म माता ह धरती म अकाल पार दिस। अकाल ले सबो के कोठी-डोली अटागे। तब सबो जुरमिलके अन्न माता ले अरजी-बिनती करीन। माता ह परगट होके किथे-तुमन मोला अपन कोठी म धांद के राखे झिन राहव बल्कि सबला अन्न के दान करत राहव। जग म कोनो लांघन झिन राहय अइसन उदीम करव। अन्नपूर्णा माता के कहे अनुसार सबो कोनो अन्न के दान करे कर तियार होगे। तब माता के किरपा ले सबो के फसल ह बने होइसे अउ पूस के पुन्नी के दिन माता ह परगट होय रिहिसे तेन पाके उही दिन ल ही दान परब के रूप म मनाये के चलागन शुरू करे गिस। गांव के लइका मन अलग सियान मन अलग-अलग टोली बनाके घरो-घर किंजरथे। दान करइया मन घर के दुवारी मन धान के टोपली धरे ठाढ़े रिथे। ये दिन बीजा-बीजा अउ माली-कटोरी मन नहीं बल्कि म मुठा, पसर अउ काठ-पइली धान के दान करे जाथे। </span><br />
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<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><b>छिर्रा छेरछेरा मंगइया</b>- गांव के नान्हे लइका मन अपन-अपन बर छेरछेरा मांगे बर जाथे। ये दिन के पाये धान ल लइका मन अपन पोगरी धरथे। अइसने घर म सउंधिया अउ गांव म लगे कोतवाल, नाऊ, धोबी, राउत, मेहर मन तको गांव म आन लोगन मन संग संघरे छेरछेरा मांगथे। मालिक ठाकुर मन अपन-अपन बनिहार मनला मनमाफिक दान करथे। </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><b>टोली म छेरछेरा मंगइया</b>- गांव-गांव म भजन-किर्तन, सेवा मंडली, रामायण, रामधुनी, अखाड़ा, लीला मंडली वाले मन चरियारी काम बर छेरछेरा मांगे खातिर गाना-बजाना करत निकलथे। जगह-जगह म गीत-गोविंद तको सुने म मिलथे। रामधुनी अउ डंडा नाच ले गांव भक्तिरस म सराबोर हो जथे। </span><br />
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<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><b>समाजी रूपिया के हिसाब-किताब</b>- गांव के समाजी वाला मन छेरछेरा के सकलाये धान ल बेंचके बाजा-रूंजी बिसाथे। उपराहा रकम ल सकेल के राखे रिथे। जेन कोनो ल मउका म रूपिया के जरूरत परथे तव इही समाजी पइसा ल बियाज म उठाथे। साल के साल छेरछेरा के दिन समाजी पइसा के हिसाब-किताब तको होथे। जेन मन समाजी पइसा ल उठाये रिथे तेन मन फेर समाज म जमा करथे। अइसे रकम ले धीरे-धीरे समाजी पइसा के बढ़ोत्तरी तको होवत रिथे। छेरछेरा परब ह धान के महत्ता तो बगराबेच करथे संगे-संग एक दूसर ल मउका म रूपिया-पइसा, धान-चाउर के साहमत करे के सीख तको देथे।</span></div>
<div style="text-align: center;">
<span style="color: white; font-size: x-small;">Russia: Canada: United States: China: Brazil: Australia: India:</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-tRbLRQ0Sick/WHOVDe1ufEI/AAAAAAAABaU/6-IA9mOXIoYc4LtmDcLZzLZLBytSN9CrACLcB/s1600/rajim%2Bkumbh-01.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="195" src="https://1.bp.blogspot.com/-tRbLRQ0Sick/WHOVDe1ufEI/AAAAAAAABaU/6-IA9mOXIoYc4LtmDcLZzLZLBytSN9CrACLcB/s320/rajim%2Bkumbh-01.jpg" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="font-size: x-small;"><br /></span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="color: white; font-size: x-small;">Iran: Mongolia: Peru: Chad: Algeria:</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">अन्नदान के परब छेरछेरा ह आन राज म तको छत्तीसगढ़ी संस्कृति अउ पंरपरा के शान बनथे। जेन दुनिया के कोनो कोना म नइ होवय वो छत्तीसगढ़ के गांव म देख बर मिलथे। आन बर सीख के गोठ आए के छत्तीसगढ़ म दानपून के तको विशेष परब आथे। येमा जेन मन धरम करम ले जुड़े हावय तेने मन अऊ जेन मन धरम-करम ले कोसो दुरिहा रहिथे तेने मन पूस के पुन्नी म धान के दान करके पून कमाथे। वइये ये दिन के पुराण म एक अउ उल्लेख मिलथे के इही दिन ले पुण्य स्नान के शुरूआत होते जोन मांघी पुन्नी तक चलथे। ये स्न्नान के हिन्दु धर्म </span><span style="font-size: large;">म</span><span style="font-size: large;"> </span><span style="font-size: large;">विशेष महत्व बताये गे हावय। अइसे मनता हवय के ये दिन के स्न्नान, धियान अउ दान मोक्षदायनी होथे। माने छेरछेरा के दिन स्न्नान-धियान-दान आदि करम करे ले जीव घेरी-बेरी जनम-मरण के बंधना ले छूटथे, मोक्ष मिलथे। </span></div>
<div style="text-align: center;">
<span style="color: white; font-size: x-small;">Argentina: Kazakhstan: Congo, Democratic Republic of the:</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-q7mLqCGr2VA/WHOVNMG0YVI/AAAAAAAABac/_i51tWAsWqoiSxSItx3cnr6WDYw5cNkZwCLcB/s1600/rajim%2Bkumbh-02.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="214" src="https://1.bp.blogspot.com/-q7mLqCGr2VA/WHOVNMG0YVI/AAAAAAAABac/_i51tWAsWqoiSxSItx3cnr6WDYw5cNkZwCLcB/s320/rajim%2Bkumbh-02.jpg" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span style="color: white; font-size: x-small;">Mexico: Saudi Arabia: Indonesia: Sudan: Libya: </span></div>
<div style="text-align: center;">
<span style="font-size: x-small;">-------------</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<div style="text-align: left;">
<a href="http://charichugli.blogspot.in/2014/01/blog-post_15.html" target="_blank"><span style="color: red;">छेरछेरा पर चार पंक्ति 15 जनवरी 2014 को प्रकाशित—</span><span style="color: blue;"> http://charichugli.blogspot.in/2014/01/blog-post_15.html</span></a></div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
<div style="text-align: left;">
<br />
<span style="color: blue;">यह लेख छत्तीसगढ़ की जनभाषा छत्तीसगढ़ी में है। जिसमें छेरछेरा पर्व के विषय में प्रचलित पंरपरा को लिपिबद्ध किया गया है। कुछ छायाचित्र गुगल से—</span></div>
</div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-32218592839259569552016-12-05T16:39:00.001+05:302017-01-03T13:47:41.970+05:30आरबीआई देव! हमु ला 'जियो'<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-AGVwnjdteAA/WEVK1NF6krI/AAAAAAAABU4/8jHLY_ZXf3kM6J1YfAOxM_9bDROXagCogCLcB/s1600/notbandi-5-12.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="122" src="https://1.bp.blogspot.com/-AGVwnjdteAA/WEVK1NF6krI/AAAAAAAABU4/8jHLY_ZXf3kM6J1YfAOxM_9bDROXagCogCLcB/s400/notbandi-5-12.jpg" width="400" /></a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;">नोटबंदी के बाद ले चारो मुड़ा इहिच गोठ सबोच के मॅुह म। अब का होही भाई समारू, कइसे करबोन ग बुधारू? जेन कभु टीबी, रेडियो अउ पेपर ले दुरिहा हावय तेने मन रई-रई के आरो लेवत रिथे। अऊ कोनो नवा खबर आगे का रे तिहारू? दसरू हर समारू, बुधारू अउ तिहारू सहिक छोटे पोटा के नइये। छाती फूलोवत किथे- जेन गड़ौना मन गड़िया-गड़िया के राखे हावय तेन मन फिकर करय। मुरहा-पोट्टा कना पइसच नइये तव फिकर काके! धरे हाबन तेन हमर कमई के पइसा आए। आयकर ल सबूत जाही तव गरीब मजदूर मनके ओनहा ल संझाकुन निचो के देख लेही। चेंदरा ले अतका पछिना चुचवाही के धनाहरी-पेटकाप्टी मन बूड़ मरही। मोदी के एक बात अऊ बड़ निक लागिस। ओमन अपन सबो मंत्री मनके खाता के जानकारी मांगे हावय। मंत्री का कका, सबो सरकारी अफसर-कर्मचारी मनके खाता के जांच होवय। गरीब के हक मार-मार के अपन म भोभस भरे हावय।</span><br />
<span style="font-size: large;">होये के रिहिस तने होगे। आगू अवइया दिन म का होही येकर गुनान करे जाय तव अब सबके हाथ म एकक मोबाइल होना घातेच जरूरी होही। वहू म इंटरनेट डाटा राहय। सरी कामकाज नेट बैंकिंग ले होही। थइला अउ घर नगद रूपिया रखना नइये। हमर बैंक खाता म पइसा माढ़ेच-माढ़े लेन-देन चलत रइही। ताजा खबर के मुताबिक अब मोबाइल, बैंक एप, पेटीएम, एसएमएस, के झंझट तको करे बर नइ लागय। चेक, डीडी, एटीएम, क्रेडिट, डेबिड कार्ड कुछूच नइ लागय। अब तो आधार नंबर ले लेन-देन के उदीम करे के जोंगत हावय सरकार। माने बइठे-बइठे देखव तमासा, आगे-आगे होता है क्या-क्या।</span><br />
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</script><span style="font-size: large;"><br /></span>
<span style="font-size: large;">बड़हर मन तो सबला आसानी ले कर लेही, बीच वाले मन तको धीरे-धीरे लाइन म आ जही। लेकिन फदक जही अनपढ़ गरीबहा मन। नतो मोबाइल जाने, न इंटरनेट। कइसे कैशलेस होही? मोबाइल अउ नेट डाटा कोन देही? सबले मुस्कुल तो डोकरी दाई अउ बबा के होही। आज समाज म भरोसा के आदमी घलोक तो नइये। जेने ल नंबर देबे तेने दूनंबरी कर देही तव। अम्मट ले निकल के चूररूक म परउल हो जही। नोटबंदी के फैसला के बाद ले आरबीआई ह कोनो कोती बाढ़ तव कोनो कोती सुक्खा के हालात बना दे हावय। उपराहा म आयकर ह लिमिट-लिमिट करत हावय तभो ले बैंक अउ एटीएम नो कैश के बोर्ड चिपकाये बइठे हाबे। बैंक के बाबू मन आगू एसी म माछी मारत राहय तेन मन उवत के बुढ़त कमावत खाताधारी मनला कोसत रइथे। करे कोनो अऊ, भरे कोनो अऊ। 10 प्रतिशत गद्दार के भगुतना ल 90 प्रतिशत वफादार मन भुगतत हावय। तभो ले गम नइये। कम से कम दूनंबरी करइया मनतो चेतही। चलव इही ओढ़र म डिजिटल हो जबो हम सब। अबही के बखत ल देखत रिलाइंस के जियो वाले मनके तको गुनगान करे बर परही काबर के अभी ऊंकरे डाबा भरे हावय। दुनिया ल काहत हावय जियो डिजिटल इंडिया, न गोठबात के पइसा न इंटरनेट के। फोकट म अनलिमिटेड 4 जी डेटा रिलाइंस वाले मन अपन जियो सिम म देवत हावय। आगू 31 दिसंबर के बंद ले होवइया रिहिसे फेर अब मार्च तक बाढ़गे। ठट्ठा करे के बेरा नइये नइते आरबीआई अउ आयकर देवता मन सो बिनती करत पहिली इही मांगतेन के अब 4 जी मोबाइल अउ जियो सिम कार्ड दे देवा...।</span></div>
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<span style="font-size: large;"><a href="https://www.google.co.in/" target="_blank">नोटबंदी विशेष लेख का अन्य लिंक-</a> </span></h3>
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<span style="font-size: large;"><span style="color: red;">छत्तीसगढ़ी में पढ़े-:</span> <a href="http://charichugli.blogspot.in/2016/11/barter.html" target="_blank">बिसरगे सुरता अदला-बदली ले निस्तार के... वस्तु विनिमय </a></span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: large;"><span style="color: red;">हिन्दी में पढ़े -: </span> <a href="http://chahalkadami.blogspot.in/2016/11/blog-post_15.html" target="_blank">लाख रूपये वाले चिंता में डूबे है और करोड़ों-अरबों वाले की चिन-ता ता, चिता-चिता...</a></span><br />
<span style="font-size: large;"><span style="color: red;">और ये भी-;</span> <span style="color: blue;"><a href="http://chahalkadami.blogspot.in/2016/12/2-3.html" target="_blank"> जियो सिम के लिये फड़फड़ाते 2G, 3G एंड्रॉयड</a></span></span></div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-18361933621149581372016-11-20T14:34:00.004+05:302016-11-20T15:15:49.623+05:30बिसरगे सुरता अदला-बदली ले निस्तार के<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://3.bp.blogspot.com/-Dv3NvMkkqkw/WDFkDOmuLfI/AAAAAAAABIo/FmLLePRNTOIcedmJF3WkC2DwQi4YxG4EACLcB/s1600/Notbandi_%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%2581%2B%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25AF.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="177" src="https://3.bp.blogspot.com/-Dv3NvMkkqkw/WDFkDOmuLfI/AAAAAAAABIo/FmLLePRNTOIcedmJF3WkC2DwQi4YxG4EACLcB/s400/Notbandi_%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%2581%2B%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25AF.jpg" width="400" /></a></div>
<h2 style="clear: both; text-align: center;">
बिसरगे सुरता अदला-बदली ले निस्तार के : वस्तु विनिमय (barter)</h2>
<div style="text-align: justify;">
तीस बछर पहिली हमर गांव म एक झिन नून बेचइया डोकरा आवय। बइलागाड़ी म एक गाड़ी नून धरके। ओकर डोकरी ह गाड़ी खेदत राहय अउ डोकरा हा गली म ऑक पारय- 'नून लेलव नून... एक काठा धान के दू काठा नून हो...।' ओकर आरो पाके गांव के सियानिन दाई मन टोकनी-टोकनी धान ल धरके घर ले निकलय अउ नून के बदला म धान ल देवय। नूनवाला डोकरा ह हमर गांव म महीना-पंदराही आवय। हमरे तिर-तखार के गांव मन ओकर गवई रिहिसे। नून बेचई म डोकरा के पूरा परिवार लगे राहय। कभू-कभू हाट-बजार म तको ओकर आरो मिलय-'नून लेलव नून... एक काठा धान के दू काठा नून हो...।'</div>
<div style="text-align: justify;">
अबही असन तइहा के सियान मन नोट के गठरी धरे बजार नइ जावत रिहिसे। अऊ आन-तान खरचा तको तो नइ रिहिस हावय। कुछू भी जिनिस लेना राहय तव सबेच ह धान-पान के बदली म मिल जाए। सियान बबा के थइला म पइसा देखेच नइ रेहेन। तभो ले नानपन म घर म सबोच सुख ल देखे हावन। चांउर-दार, तेल-हरदी, धनिया-मिर्चा, हरियर साग के दिन म हरियर-हरियर भाजी, अड़हा दिन बर खुला-सुक्सा। अमली, आम, आलू, भाठा, रमकेलिया, पताल के खुला, सुक्सा म चिवरा, चना, चनौरी मिलय। अब रइगे बात नून अउ गुर के तव नून ल जइसे नूनवाला डोकरा कना बिसावय धान के बदला म ओइसने छिंदी (सिंधी) दुकान म गुर तको धान के बदली म मिलय। तेल म भुंजे-बघारे वाला साग कमेच चुरय हालाकि हमर घर घानी तको रिहिसे, हाना तको किथे न 'तेली घर तेल रही त माहल ल नइ पोतय' तइसे बरोबर। बियारा म एक ठिन घानी गड़ेच राहय। बबा ह अपन पाहरो म अपनेच घानी के तेल खावय। घानी म तिली, सरसो, अरसी, करन, लीम अउ अंडी के तेल पेरय। घर के घानी ले तेल के तेल अउ ओकर खरी तको काम के राहय। फेर हमर दिन के आवत ले बबा ह घानी चलय बर छोड़ दे रिहिसे, हां बियारा म घानी ल गड़े देखे हाबन। रायपुर के नॉका म बड़का-बड़का घानी के पेराय तेल ल खावत रेहेन। घर के कोठा म राउत के दुहना नइ अतरत रिहिसे। एक्का-दुक्का के छेवारी उचेंच राहय। घरे म मही-दही अउ घीव मिलय। बस अइसने जइसे-तइसे दिन कटते-कटत आज सबोच ल पइसा म बिसाये के दिन आगे। </div>
<div style="text-align: justify;">
बाहिर ले एक झन छिंदी ह गांव म आके दुकान खोलिस। हमरेच गांव के लोगन मन कना सामान बिसावये अउ हमरे कना बेंचय। फेर ओकर बेचे के तरीका आन रिहिसे। एकेच ठउर म सबोच जिनिस ल बिसावय अउ बेचय। ओहा न तो गांव के किसान रिहिसे अउ न ही बनिहार। गांव म घर न खार म खेत तइसे बरोबर लोटा-धारी धरे अइस अउ पटइल घर के ओसाही म दुकान जमाइस। जेन गांव म लोगन मन सामान के अदला-बदली करके निस्तारी करय उहां ओ छिंदी ह पइसा के लेन-देन शुरू करिस। धान के अलावा साग-भाजी अउ दलहन-तिलहन ल तको अपने ह पइसा म लेवय अउ गांव के लोगन मन कना बेचय। देखते-देखत सबो जिनिस अमोलहा के होगे।</div>
<div style="text-align: justify;">
जेन आदमी मन मउका परे म अपन घर के सामान ल बेंचय तेन मन फोकटे-फोकट बेच के पइसा सकेले के शुरू कर दिस। घर म होय उपज ल छिंदी के दुकान मन बेचय अउ बदला म पइसा ल सकेल के राखे राहय। वहू छिंदी हरेक चीज ल बिसावय। बड़का किसान मन धान, गहूं, तिवरा, चना, अरसी। छोटे किसान मन राहेर, मसूर, सरसो, उरीद अउ बारी के साग-सब्जी। जेकर घर किसानी लइक खेती नइ राहय तेनो मन खार ले आमा, अमली, तेंदू, चार के फर के संगे-संग करन, लीम, मउहा, अंडी अउ जलाऊ लकड़ी तको सकेलय। </div>
<div style="text-align: justify;">
बनिहार अउ किसान मन एक दूसर के घर ले सामान अदला-बदली करके निस्तारी चलावय, फेर जब ले छिंदी के दुकान खुलिस हर सामान उहां पहिली पहुंचथे तेकर पाछू आन मन पाथे। बेचे-बिसाय के खेल म धीरे-धीरे गांव वाले मन ठंठन गोपाल अउ छिंदी होगे मालामाल। उपज के पाछू कतका मेहनत करे बर परथे येला कमइया के छोड़े अऊ कोन जान पाही। फेर ये मेहनत करइया के दुर्भाग्य आए के मोल ल दुकान अउ बाजार म बइठे बैपारी मन तय करथे। आगू जेन नूनवाला डोकरा ह एक काठा धान के दू काठा नून देवय ओही अब दू पइली देवत हाबे, माने धान के मोल आधा होगे। अइसने छिंदी तको वन उपज अउ फसल ल अठन्नी देके बिसाथे अउ रूपिया म बेचथे। कहू बीच म ये छिंदी नइ आए रितिस तव आजो हमन अपन खेत म उपजे फसल ल धरके जातेन अउ जरूरत के सामान लेके आतेन। आदला-बदली ले दिन बने बिततिस, रूपिया-पइसा बर हाय-हाय नइ करत रइतेन। </div>
<div style="text-align: right;">
जयंत साहू,</div>
<div style="text-align: right;">
ग्राम-डूण्डा-वार्ड-52, रायपुर छ.ग.</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
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</div>
<div style="text-align: right;">
jayantsahu9@gmail.com</div>
<div style="text-align: right;">
9826753304</div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-1691419661014252212016-11-06T10:48:00.001+05:302016-11-06T10:48:56.359+05:30दू रूपिया के चॉउर के गुन! <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
एक समे म अइसे गोठ गोठियावय सियान मन ह के दिल्ली ले पठोय रूपिया के चरन्नी भर ल हितग्राही मन पाथे। अऊ बाकी बारा आना ह बिचौलिया के ओली म रबक जाथे। फेर अब अइसन समय नइये, बखत के संग जनता जानगे के कोन ह हक ल मारत रिहिसे। बीच के बिचौलिया मन चिनहउ होवत हावय, नाव धराय म जेल कोति ढकलावथे। जब तक देश म कानून जिंदा हावय अउ जनता के सक चलत हावय आन ह हक ल नइ मार सकय। अब आम जनता बर चलत विकासकारी योजना के लाभ ह चरन्नी-अठन्नी ले बारा आना तक दिखत हावय। ओ दिन दुरिहा नइये जब जनता ह अपन नेता ले सोला आना काम कराही। कर्मचारी मन ईमानदारी ले अपन-अपन जवाबदारी निभाही। चारों मुड़ा खुसहाली छाही। प्रदेश ह विकास के निसैनी म दिनों-दिन चघत फिलिंग ल छुही। फेर का छत्तीसगढ़ के जनता के जागरूकता अउ नेता मनके बेवहार ले अइसे लागथे के जनता सिरतोन म जागे हावय? अलग राज बने सोला बछर होगे हवय तभो ले छत्तीसगढ़िया मन फोकट के दार-चॉउर-नून म जियत हावय। का इही हैसियत हावय छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़िया मनके? अइसन मउका म छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के एक जुमला सुरता आवत हावय ओमन इहा के आम आदमी ल काहय 'अमीर धरती के गरीब जनताÓ। सोला बछर के छत्तीसगढ़ म पहिली अजीत जोगी के सियानी म कांग्रेस पार्टी ह सत्ता के सुख भोगिस। तीन साल बाद जब चुनई अइस तब नवा छत्तीसगढ़ देवइया अटल जी के छवि के सेती भाजपा बहुमत म आगे अउ डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री बनगे। रमन सरकार ह तो जोगी के जुमला के परिभाषा ल बदल दिस। जनता ल बड़े-बड़े सपना देखना सुरू कर दिस। छत्तीसगढ़िया किसान मनला गरीब-गरीब कहिके फोकट म समान बॅटई शुरू होगे। दू रूपिया के हिसाब ले एक परिवार ल 35 किलो चॉउर, फोकट म नून। फोकट के राशन खाए के आदत डारके इहां के लोगन मनला कोढ़िया, जुआंरी अउ नशेड़ी बनइया सरकार ह छत्तीसगढ़िया मनके कतका पीढ़ी ल तारही अउ गरीब के ओढ़र म जेब भरइया मनके कतका पीढ़ी ह तरही ये उही जाने। सरी दुनिया म धान कटोरा के नाव के चिन्हारी धरे अपन मेहनत के दंभ भरइया छत्तीसगढ़िया मन फोकट के चॉउर म मोहागे। सरकार के ही आंकड़ा बताथे के रिकार्ड तोड़ धान के पैदावार छत्तीसगढ़ म होवथाबे तव फेर राशन दुकान के चॉउर खाये के नौबत काबर आवत हाबे। राशन दुकान के दार-चॉउर खावथे अउ सरकार के गुन गावथे। नेता मन तको जानगे के छत्तीसगढ़िया मन फोकट-फोकट के ल ज्यादा देखथे। चुनई जीतना हे तव चार फोकटइहा योजना चलाओ, जनता ल मोहाओ अउ सरकार बनाओ। ए सरकार के कम किम्मत म चॉउर बांटे ले कतकोन गरीब के भला तको होवत हावय ये बात ल सहरावत दूसर कोति देखे जाए तव बड़ भारी नकसान तको होवथाबे। आन के आगू हम भूखा-नंगा, ररूहा होगेन। जबकि छत्तीसगढ़ म अतेक गरीबी नइये के कोनो भूख म मर जही। अन्नपूर्णा के दिये छत्तीसगढ़ म सब कुछ हवय। धन-दौलत ले ज्यादा तो लोगन म भोलापन हवय। जेकर फायदा नेता मन उठावत हवय। पांच साल म एक पइत खीर खवाके वोट बटोरथे, बाकी दिन पसिया ल चटाथे। जेन मन किथे के छत्तीसगढ़ म गरीब मनके कल्याण खातिर सरकार बने काम करत हावय ओमन एक पइत ग्रामीण अंचल ल किंजर के जरूर देखय फोकटइहा योजना के पै उघर जही।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://4.bp.blogspot.com/-KhZKDQFr2Q8/WB66cdwMp9I/AAAAAAAABEE/C1C1Y9DY7k4PkixLEb52xcU6ET2WzakAgCLcB/s1600/Web%2526Devices-jayant_adventure-120.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="254" src="https://4.bp.blogspot.com/-KhZKDQFr2Q8/WB66cdwMp9I/AAAAAAAABEE/C1C1Y9DY7k4PkixLEb52xcU6ET2WzakAgCLcB/s320/Web%2526Devices-jayant_adventure-120.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">jayant sahu_<span style="font-size: small;">जयंत</span></td></tr>
</tbody></table>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<b>सोचथवं अब राजनैतिक चारी—चुगली ले दुरिहा रइहवं, फेर आए—भाए देखके सहन तको नइ होवय। सहमत होहू त पंदउली दव। अउ बने लागही तव आसिस दव, नइते सुझाव।</b></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="color: red;">जयंत साहू</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="color: red;">डूण्डा वार्ड—52, रायपुर छत्तीसगढ़</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="color: red;">jayantsahu9@gmail.com</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="color: red;">9826753304</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-77708359144988793102016-10-10T18:26:00.000+05:302016-10-17T10:21:25.117+05:30सत्ताधारी की बलिहारी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-KnE_F0PRQtQ/V_uThjTaWxI/AAAAAAAAA7s/9grhpG08uIwkOd8HGQUZ6Opexe-zwUfMgCLcB/s1600/saty-mev-jayate.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://4.bp.blogspot.com/-KnE_F0PRQtQ/V_uThjTaWxI/AAAAAAAAA7s/9grhpG08uIwkOd8HGQUZ6Opexe-zwUfMgCLcB/s320/saty-mev-jayate.jpg" width="192" /></a></div>
आईएएस अफसर माने प्रशासनिक तंत्र के आधार स्तंभ, जेकर कुशलता अउ विवेक ले कार्यपालिका सुचारू रूप ले संचालित होथे। अब अइसन जिम्मेदार व्यक्ति मन कुछू कहिथे तव जरूर ओमा कुछ तथ्य राहत होही, मुद्दा म गंभीरता राहत होही तभे बात उठते। आन आदमी मन सहिक आईएएस अफसर मन तको सोशल मीडिया म मन के बात ल पोस्ट, लाईक अउ कमेन्ट करथे। लेकिन कुछ लोगन मन ऊंकर बात ल अपन नजरिये से सोचथे अउ बिगर तर्क-वितर्क के ही विवाद के विषय बना देथे। सबो ल शायद सुरता होही कुछ समे पहिली के डॉ. जगदीश सोनकर के गोठ ह, जेन म ओकर एक अस्पताल के निरीक्षण करत बखत मरीज के पलंग म गोड़ राखके गोठियाये के फोटो अउ खबर ले अफसर के कार्यशैली उपर विवाद खड़ा करे गे रिहिसे। सोचे के बात रिहिसे के का ये अफसर के आदत म शामिल रिहिस के ओमन गरीब के खटिया म अपन जूता मड़ाथे। राज्य के एक अऊ जिम्मेदार अफसर एलेक्स पाल मेमन तो न्यायपालिका उपर ही सवाल खड़ा कर दे रिहिस हावय। दूनो अफसर उपर राजनीति करइया मन बेलगाम होय के बात करत सरकार कना कड़ा कार्रवाई करे के दबाव बनाये रिहिन हाबे। अइसन बखत म आईएएस अफसर मनके संगठन तको अलग-थलग हो जथे। अभी हाल ही म एक अउ 2012 बैच के आईएएस अफसर शिव अनंत तायल ह सोशल मीडिया के टिप्पणी ले विवाद म फसत दिखत हावय। ओमन अपन फेसबुक म पं. दीनदयाल उपाध्याय के बारे म लिखे रिहिसे के पंडित दीनदयाल कोने..? लेखक या विचारक के रूप म ऊंकर एको ठन अइसे काम नइये जेकर ले ओकर विचारधारा ल समझे जा सकय..। ओमन तो चुनाव तको नइ लड़े हावय..। अइसन काखरो बारे बिना जाने बोलना अउ लिखना जरूर गलत हावय फेर ओमन तो खुदे काहत हावय के मोला जानकारी नइये अऊ जाने खातिर लिखे हाबवं। एक आम आदमी होतिस त भले माफी मिल सकत रिहिसे फेर इहां तो दूनो पक्ष पावरफूल हावय। एक आईएएस अफसर ह भाजपा शासित राज्य म नौकरी करत उंकरे प्रेरणस्त्रोत, मार्गदर्शक अउ विचारक, सियान के उपर टिप्पणी करे हावय। वहू अइसन समे म जब राष्ट्रीय स्तर म पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशती समारोह मनाये के तियारी चलत हाबे। नवा राजधानी म जबर मूर्ति के अनावरण होवइया हाबे। केन्द्र अउ राज्य दूनों म भाजपा के शासन हावय अइसन म अफसर उपर कड़ा कार्यवाही तको हो सकत हावय। यदि कड़ा कार्यवाही होही तव आईएएस अफसर मनके एक गुट म ये संदेश जाही के आंखी-कान मुंदे कलेचुप सत्ताधारी मनके झंडा तरी काम करव नहीं ते नेता जी के डंडा चल जही। सत्ताधारी मनके आगू तो लोकतंत्र, संविधान अउ कानून जइसन शब्द बेबस दिखथे। इही मन जब विपक्ष म बइठे तव लोकतंत्र, संविधान अउ कानून के अतेक बड़े-बड़े व्याख्या करथे के रामचरित मानस तको छोटे जनाथे। अऊ सत्ता पाये के बाद कार्यकर्ता रूपी महाकवि, महाऋषि, महान विद्धान मन सिरिफ अपने-आप ल ही महिमामंडित करत रिथे। लोकतंत्र, संविधान अउ कानून ह महामंडलेश्वर नेताश्री के तकिया तरी चपकाये देखके ऊंकर पार्टी के टेटपुंजिया कार्यकर्ता मन तको क्लास वन अफसर के औकात रखथे, ओ चाहय तो आईएएस अउ आईपीएस मनला तको फटकार लगा सकथे। शायद इही पाके जेकर शासन चलथे, तेकरे छोटे-बड़े सबो कर्मचारी मन जयकारा लगाथे। </div>
<div style="text-align: right;">
JAYANT_जयंत साहू</div>
<div style="text-align: right;">
9826753304</div>
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jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-4261893895724949925.post-86027642482909242016-09-27T18:37:00.002+05:302016-09-27T18:40:36.693+05:30नाचा: नचकारिन के मोंजरा अउ शेरों-शायरी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
नाचा म अतेक अकन विशेषता हवय के शोध करइया मन ले पूरा युनिवर्सिटी(university)खचाखच हो जही। अबतक छत्तीसगढ़ के नाचा उपर म कोन-कोन ह पीएचडी(ph.d) करे हावय तेकर पूरा-पूरा जानकारी नइये फेर एशिया के सबले बड़का संगीत विश्वविद्यालय म (indira kala sangeet vishwavidyalaya) गजब झिन मन लोककला ले डॉक्टरेड के उपाधी पाये हावय। कतकोन के नाचा उपर शोध के काम चलते हावय। </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-O7CbpXbSdfU/V-puNKxFuBI/AAAAAAAAA7M/Xegu5YUqww0U8X7iy3ZuFwP7wIxWt_U7QCLcB/s1600/nacha-05.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://1.bp.blogspot.com/-O7CbpXbSdfU/V-puNKxFuBI/AAAAAAAAA7M/Xegu5YUqww0U8X7iy3ZuFwP7wIxWt_U7QCLcB/s400/nacha-05.jpg" width="400" /></a></div>
<div style="text-align: justify;">
खड़े साज ले नाचा के शुरूआत होय रिहिसे किथे तइहा समे म। हमन तो खड़े साज के समे म पैदा नइ होय रेहेन। अब के नाचा देखथन तब जोन हमर आगू म होथे अऊ जोन हो चुके हावय तेकर कल्पना करत तुलना करन तब हमर पाहरो के हिसाब ले वोला परिवर्तन केहे जाही काबर के हम आज के स्वरूप ल देखत हाबन। सियान मनके पाहरो म का होवत रिहिस, येला उहीच मन जानही। केहे के मतलब का नंदाय हावय अऊ का-का नवा सवांगा म आए हाबे तेकर फरक ल जेन दोनो जुग ल देखे हाबय तेकर कना गोठियाये ले ही पै उघरही। इही सेती नाचा के कलाकार के जीवनी(Family life of artists), नाचा के संगीत(music), पहनावा(costume), नाचा के प्रमुख वाद्य(Instrument), नाचा के पात्र(Character) आदि के विषय म अलग-अलग शोध करे के जरूरत हवय। </div>
<div style="text-align: justify;">
गांव कोति अभी घलोक नाचा के लोकप्रियता खतम नइ होय हावय। मंगल उच्छाह के बेला म रातभर नाचा के प्रोग्राम चलत रिथे। फेर रायपुर शहर म नाचा नहीं के बरोबर होथे। पाछु दिन शहर के रंगकर्मी निसार अली के सियानी म नाचा के कार्यशाला के आयोजन संस्कृति विभाग परिसर म राखे गे रिहिसे। शहर के आम जनता म तो ज्यादा रूची नइ दिखिस फेर खास दर्शक मनके रोजेच हुजूम लगे राहय। सबोच ह निसार अली के काम के बड़ई करिन। ओमन नाचा के सरी विधा के जानकारी लोगन ल देवाय के उदीम बेरा-बेरा म करते रिथे। कुछ दिन बाद 'रंग हबीब' के नाव ले फेर वृंदावन हॉल म नाचा देखे के अवसर मिलिस मउका रिहिसे नाचा ल देश-विदेश के कला जगत के फिलिंग म पहुंचइया हबीब तनवीर के जनम दिन के। जइसे के हम आगू गोठियाये रेहेन के दू आखर के नाचा ह डबरा अउ तरिया नहीं बल्कि विकराल सागर आए इही पाके एकक विधा उपर चर्चा करना ही ज्यादा उचित होही। आन के जुबानी गम्मत, पहनावा, संगीत उक के बारे म सुनतेच रिथन। अब हम सिरिफ नचकारिन (Dancer) अउ ऊंकर मोंजरा के विषय म गोठ करबोन।</div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">...'अई इहां के रहइया नोहय... धमतरी तिर कुरूद ओकर गांव, तिर म बलाके दस के नोट दिस अऊ दसरू मंडल ओकर नाव।'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">...'हां तो ये श्रीमान जी है रायपुर वाले श्री कार्तिक राम साहू जी, इनकी तरफ से हमारी पार्टी को पचास रूपये की सम्मान राशी मिली है हम उनका अपनी पार्टी की ओर से शुक्रियादा करते है...करते है...करते है...।'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
डांसर मन शायरी बोलथे तव उंकर अंजाद गजब के होथे। ओमन ला चार-चार लाइन के गजब अकन शेर याद रिथे। ये बात अलग हे के रचना काखर आए तेन उहू मनला मालूम नइ राहय। </div>
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<a href="https://2.bp.blogspot.com/-9XnVC52x0cw/V-puA24rVCI/AAAAAAAAA7I/UxK5T2M82IklkNWlrL99G5rpVLRU1wHYACLcB/s1600/nacha-09.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://2.bp.blogspot.com/-9XnVC52x0cw/V-puA24rVCI/AAAAAAAAA7I/UxK5T2M82IklkNWlrL99G5rpVLRU1wHYACLcB/s400/nacha-09.jpg" width="400" /></a></div>
<br />
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">...'छोटे से दिल में अरमान कोई रखना,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">दुनिया की भीड़ में पहचान कोई रखना, </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">अच्छे नहीं लगते जब रहते हो उदास, </span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">अपने होठे पे सदा मुस्कान वही रखना।'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">... 'तोड़ दो ना वो कसम जो खाई है,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">कभी कभी याद कर लेने में क्या बुराई है,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">याद आप को किये बिना रहा भी तो नहीं जाता,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">दिल में जगा आपने ऐसी जो बनाई है।'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">...'बड़ी हसीन थी जिन्दगी,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">जब ना किसी से मोहब्बत ना किसी से नफरत थी,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">जिन्दगी में एक मोड़ ऐसा आया मोहब्बत उससे हुई,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">और नफरत सारी दुनिया से हो गयी।'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">...'दिल का हाल बताना नहीं आता,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">किसी को ऐसे तड़पाना नहीं आता,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">सुनना चाहते हैं आपकी आवाज,</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">मगर बात करने का बहाना नहीं आता।'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
डांसर मन मोंजरा लेके बाद पइसा देवइया के नाव ल अपन अंदाज म अइसे लेथे के पइसा देवइया के दिल खुस हो जथे। शेरों-शायरी के संग मोंजरा देवइया के फरमाइस तको आथे जेन ला डांसर मन पूरा करथे। </div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">'...मैने प्यार तुम्ही से किया है... मैने दिल भी तुम्ही को दिया है'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">'...कोयल सी तेरी बोली, कू कू कू, नैन तेरे कजरारे'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">'...चाँदी की दीवार न तोड़ी, प्यार भरा दिल तोड़ दिया</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">इक धनवान की बेटी ने, निर्धन का दामन तोड़ दिया'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">'...दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">सबको हो रही है, खबर चुपके चुपके'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">'...दिल में तुझे बिठाके, कर लूँगी मैं बन्द आँखें</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">पूजा करूँगी तेरी, हो के रहूँगी तेरी'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">'...मैं क्या करूँ राम मुझे बुड्ढा मिल गया</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">हाय, हाय बुड्ढा मिल गया</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">मैं गुड़िया हसीन मेरी मोरनी सी चाल है</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">सर में सफ़ेद उसके दादा जी सा बाल है</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">बिगड़ेगा हर काम मुझे बुड्ढा मिल गया</span></div>
<div style="text-align: justify;">
<span style="color: red;">मैं क्या करूँ राम मुझे बुड्ढा मिल गया'</span></div>
<div style="text-align: justify;">
हम इहा फिल्मी गीत के पंक्ति नइ लिखत हाबन बल्कि ये ह नोट के बदला म डांसर मनके मुख ले निकले गीत आए। मंच म नारी संवागा करे पुरूष कलाकार, माने नाचा के डांसर मन दर्शक मनक बीच जाके मोंजरा झोकथे। येमन मंच म एकेच झिन नइ राहय बल्कि तीन-चार झिन रिथे अउ दर्शक कोति बरोबर नजर राखे रिथे के कोनो कोति ले रूपिया देखाही ताहन टप ले दऊड़ के जाना हवय किके। एक डांसर बीच म गाना ल छोड़के मोंजरा लिये खातिर जाथे तव दूसर डांसर गीत ल पूरा करत रिथे। मोंजरा वाली के मंच म आते ही गीत रूकथे अउ ओमन मोंजरा देवइया के नाव लेके शुक्रियादा करथे। नाचा के डांसर मनला सबो प्रकार के गीत मनके जानकारी होथे जुन्ना फिल्मी गीत के संगे-संग जोन भी नवा फिलिम या ओ बखत जोन चलत रिथे तेकरो गीत ओमन ल गाए बर आथे। ओमन शायरी तको गजब के बोलथे। एक नाचा के डांसर के गाये गीत म मूल गीत ले अलगेच प्रस्तुतिकरण होथे तभो ले ओमा मीठास रिथे। शायरी म व्याकरण अउ भाषा के कमी ल आंचलिकता के खुशबू ह दूर कर देथे। अनपढ़ कलाकार मनला गीत अउ शायरी ह मुखग्र होना, फिल्मी गीत, डिस्को, भजन अउ कव्वाली के संगे-संग लोकगीत के समझ अउ गायकी के पकड़ रखना ममूली बात नोहय। दस रूपिया के सम्मान राशी देके डांसर मनले मनपदंस गीत सुनना हमर लिये साहज बात आए फेर कभू-कभू डांसर मन असहज हो जथे जब ओमन के पाला कोनो शराबी अउ उपई दर्शक ले पड़थे। तिर म बलाके आन-तान कहि देथे, अलकरहा गीत के फरमाईस कर देथे। जइसे के हिन्दी फिलिम 'खलनायक' के सुपर हिट गीत कहे जाने वाला 'चुनरी के नीचे क्या है... चोली के पीछे क्या है।' के दौर म गजब चले रिहिसे। हजारों के भीड़ म एकाते अइसन दर्शक मिलथे जोन अभद्र व्यवहार करथे। </div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-QsUlGHZxDwI/V-puaYKCR5I/AAAAAAAAA7Q/hggdbJFZfZ4hevjxw0C_qfiEGTDrU3loQCLcB/s1600/nacha-04.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://4.bp.blogspot.com/-QsUlGHZxDwI/V-puaYKCR5I/AAAAAAAAA7Q/hggdbJFZfZ4hevjxw0C_qfiEGTDrU3loQCLcB/s400/nacha-04.jpg" width="400" /></a></div>
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मोंजरा लेना अउ देना लाखों नाचा के दिवाना मनके लिये सम्मान राशी आए, ऊंकर कला के प्रोत्साहन आए। नाच के पइसा कमाना, दर्शक के थइली ले पइसा झोरना मोंजरा के उद्देश्य नइ राहय। अब बात नाचा के मोंजरा लेवई-देवई के मउका के करे जाए तव नाचा म गम्मत शुरू करे के पहिली सिरिफ डांसर मन कोति ले करे जाथे। सुघ्घर नव युवती के सिंगार करे युवक कलाकार मन नृत्य अउ गीत के अइसे अद्भुत समां बांध देथे के दर्शक बइठे ठउर ले उठे नइ सकय। इहां ये बात बताना जरूरी हावय के डांसर मन कोनो गम्मत के पात्र होथे तव ओमन मोंजरा नइ लेवय। थ्येटर कलाकार बरोबर अपन पात्र म रमे रिथे। नाचा के शुरूआते म ज्यादा चलथे मोंजरा लेवई अउ देवइ के कार्यक्रम। डांसर मन मंच म जादा समय लेवत हावय येकर मतलब ये होथे के मंच के भीतर म कोनो गम्मत के तियरी होवत हाबे। इही पाके डांसर मन मंच म दर्शक ल बांधे राखे रिथे। जइसे ही कोनो गम्मत सुरू होथे ये डांसर मन मोंजरा अउ गीत फरमाइस ल बंद कर देथे अउ रम जथे गम्मत म।<br />
<div style="text-align: center;">
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<b>जयंत साहू, रायपुर</b></div>
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<b>jayantsahu9@gmail.com</b></div>
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<b>9826753304</b></div>
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jayant sahu_जयंतhttp://www.blogger.com/profile/02414362150433374382noreply@blogger.com0