नेता मन के टोटका अउ ठोटका

चारो मुड़ा चुनई परब के बरोड़ा चलत हाबे। का गांव, का साहर ल किबे गली-गली म तको नेता मन के रेंगई ले फुतकी उड़त हाबे। जेन ल कभू चार आना दान-धरम म देवत नी देखे रेहेन तेने मन अब जनता ऊपर अपन कोठी उरकावत हाबे। जनता ल मोहय के नाना उदीम करत हाबे। रूपिया-पइसा, दारू, बोकरा, ओनहा-कपड़ा, घर बऊरे के समान के संगे-संग, जंतर-मंतर अउ पूजा-पाठ तको होवत हाबे। ये दरी आन बच्छर ले जादा चुनई के गदर माते हाबे। काबर कि हमर छत्तीसगढ़ म अभिच्चे विधान सभा के चुनई निपटे हे अऊ ये दे फेर लोकसभा होगे। सबोच ल अपन-अपन जीत के भरोसा होवथाबे। काबर कि सबो कोनो ह अपन-अपन सलाहकार के बात मान के ओकरे विधी-विधान ले फारम ल भरे हाबे। 
फारमे भरेच भर ले जीते के उम्मीद ये पाय के तको जादा हे काबर कि ये पइत बड़े-बड़े ज्योतिष के बात मान के ओकर केहे मुताबिक दिन-बादर ल देख के सही बेरा म फारम भरे हाबे। येहा सोचे के बात आए कि जेन नेता मन ल देश अउ समाज ल चलाना हे, जनता के दुख-सुख के संगवारी बनना हे वो मन हा मुहरत देख के नामांकन भरही तब जीते के बाद ओकर दिन-बादर कइसे रइही। मुहरत के फेर म छोटे बड़े सबो नेता मन फसे हाबे। उत्तर ले दक्षिण, पूरब ले पश्चिम सबो डहर एकेच बात सुने बर मिलिस के फलाना नेता ह अपन नामांकन ल अपन ज्योतिष के बताए मुताबिक भरिस हाबे। नामांकन भरे ल जाए के आगू घर म पूजा-पाठ अउ हुमन-धूपन के कार्यक्रम होना भले ही धरम अउ आस्था ल उजगार करथे फेर इहीच दिन अइसना करना यहु तो बतावत हाबे कि का सोच के नामांकन भरे बर जावत हस। जेन मन पहिली पइत चुनई परब म उतरे ते मन ह कहू पूजा-पाठ करत हाबे, हुमन-धूपन करत हे तिकर म जादा अलकरहा नइ लागे फेर जेन मन बीस-बीस साल ले कुर्सी म पलथियाए हे तेन मन कहू अइसन करथे तव मन म कुछू अऊ सोच विचार उमड़थे। कहू ये नेता मन पूजा-पाठ, हुमन-धूपन अउ तंजर-मंतर ले तो नइ जीतत होही? का ज्योतिष के बताए बेराच म नामांकन भरे ले चुनई जीताथे। कतको मन तो ज्योतिष ले पुछ के उकरे मुताबिक ओनहा-कपड़ा तको पहिरथे। अइसन सब आस्था अउ भक्ति ह चुनईच के बेरा म जादा देखे बर मिलथे। चुनई लड़त बखत जेन-जेन मंदिर म मुड़ी नावए रिथे तिहा जीते के बाद हिरक के नइ देखे, ओकर बाद तो घर के जोगी जोगड़ा अउ आन गांव के सिद्ध हो जथे कहे के मतलब नेताजी ल चुनई जीते के बाद दूरिहा-दूरिहा के देव-धामी दरस करे के साध लाग जथे। बेरा के फेर ह ओमन ल चुनई जीताए म कतका साहमत करथे उही मन जाने।
बड़का नेता मन करत हाबे तव काकरो आंखी म नइ गड़त हाबे। कहू इही ल छोटे मनखे मन करे तव अंधविश्वासी कहाही, इहीच मन केहे बर धर लिही के ये नाननान नेता मन तंत्र-मंत्र करके समाज म अंधविश्वास बगरावथे। आयोग तको तुरते उमिया जही कार्यवाही करे बर। चुनई ल छोड़ के आन दिगर सिजन म कुछ कार्यकरम ल देखन तव इकर मन के करई ह विधी-विधान हो जथे अउ छोटे आदमी मन के ह अंधविश्वास अऊ आडंबर होथे। येमन के करत किरिया करम ल जनता म टीवी, रेडियो अउ पेपर म परगट देखत हाबे। ये नेता मन जतके चुनई जीते म टोटका करथे ततका तो आम आदमी मन तको नी करत होही। इकर मन के आगू पाछू चार आंखी लगे रिथे तेन पाय के इमन दूसर के मार्फत काम ल सिद्ध पारथे। एकक झिन नेता के नाम बकरना बने नोहे काबर के सबोच के इही हाल हे, सबो पंचन, सबोच दल के नेता मन टोटका अजमावत रिथे।
टोटका अजमाए के बाद अब इहू बात ह झूट होवथे के बड़े आदमी के बड़े ठोटका। चुनई के होवत ले छोटे-बड़े, उच-नीच के खचका डबरा सबो बरोबर होगे हाबे। अउ चुनई आयोग के सेती सबो नेता मन देख ताक के परचार करथे। चुनई म कतका रूपिया बरोना हे तेहू ल आयोग ह बताए हे तेन पाय के अब ये बड़का नेता मन के ठोटका ह तको सटगे हाबे। का मजदूर का बनिहार सबो के घर जाके पेज-पसिया पियत हाबे। काकरो घर जाए के आगू नेता मन थोरको नइ बिचार करत हे कि कोन जात-धरम के मनखे के घर जावत हाबन, ओकर घर के चऊर-दार कइसन चूरे-पके होही। नेता मन जावत हे अउ मांग के चार कांवरा खावत हे। चांदी के थारी के म सोन के सीथा खवइया मन अब गरीब के पसिया पीके का बताना चाहत हे तेन तो अब सबो कोनो जान डरे हाबे। गरीब बर मया-पीरा होतिस अउ सिरतोन म गरीबहा समाज के बड़वार बर बुता करे के मंसा होतिस तब आज अतेक बच्छर बाद तको हमर देश के दशा अउ दिशा आज जस के तस नइ रितिस। चुनई परब म जतका रूपिया उरकाथे, ए रूपिया काहां ले आथे येला सबोच ह जान डरे हाबे।
अब रूपिया के बात अइगे हाबे त इहू बात कोति बिचार करे बर परही कि आज देश के जेन-जेन बड़का राजनीतिक दल हे ओही मन सबले जादा रूपिया सिरवाथे। ओकर पार्टी म करोड़ों का अरबों रूपिया जमा होही। आखिर ये रूपिया ल पार्टी वाला मन कहा ले बटोरथे। पार्टी म अतेक कोस के काबर जरवत परथे। अऊ सबले बड़े दुर्भाग के बात ये आए कि दल वाले मन के बटोरे रूपिया ल कोनो जनहित म नइ लगाए जाए। नेता मन अपन पार्टी के निज काम अउ चुनई लड़े बर सकेले रिथे। कुल मिलाके केहे जाए तव राजनीति घलोक अब व्यवसाय होगे हाबे। अउ बैयपारी मन पइसा ले पइसा बनाना जानथे। आज चुनई म पांच लाख गवावथे तव चुनई जीते के बाद पांच के पचास होके रिही। सब पइसा अउ सत्ता के खेल हे तबे तो सरी करम करे जावत हाबे। बड़े नेता मन के सिखान ल अब छोटे मन सिखत हाबे। काबर की इहां तो राजनीति म तको एक परिवारवाद अउ विचाराधारा ह पार्टी म मिंझरे हाबे। एकर ले कोनो अलग होय के कोसिस नी करे अउ न कबू अलग होय। सबो बड़का नेता चाहथे कि ओकर बनाए राजसत्ता के सुख ओकरे कुल-कुटुम भोगते राहे। आधा तो इही परिवारवाद वाला मन के सेती पार्टी के परमुख बुता माने जनसेवा ह कुलुप हो जथे अउ पार्टी सेवा के भावना जादा उमियाए रिथे। काबर कि आगू चलके सबे ल चुनई म टिकट चाही। जेन नेता मन आज पार्टी के टिकिट पाके चुनई म अपन भाग अजमावत हे वोमन पार्टी के बड़ लगन ले सेवा करे हे तेकरे फल आए। लेदे टिकट पाथे नाम पाथे तव सत्ता पाए बर जोर अजमाइस होनेच हे। ये सब तो अब राजनीति के अमेट लेख होगे हाबे। इही पाए के जगा-जगा के मंदिर देवाला म पूजा-पाठ, हुमन-धूपन, मांदी-मेला सब चलत हाबे, अउ सनातन चलते रइही तइसे लागथे।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (17-04-2014) को "गिरिडीह लोकसभा में रविकर पीठासीन पदाधिकारी-चर्चा मंच 1584 में अद्यतन लिंक पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. टोटके-फोटके, पूजा-पाठ, ग्रह पूजा पाठ सब चलता है चुनाव जीतने के लिए। . क्या क्या नहीं करते है ये लोग। . क्यों न करे बस कुछ दिन की तो बात रहती है एक बार जीत गए ५ साल के फुर्सत , फिर पौ बारह। .
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रिंट मीडिया के संगवारी मन ये लेख के कोनो भी पांत ल निसंकोच उपयोग कर सकत हव। अतेकच धियान राखिहव के लेखक ल आरो जरूर कर दिहव। जय छत्तीसगढ़, जय छत्तीसगढ़ी, जय छत्तीसगढ़िया।

    जवाब देंहटाएं