छत्तीसगढ़ी साहित्य के विकास यात्रा

छत्तीसगढ़ी ह छत्तीसगढ़ के महतारी भाखा आए, जेन ल राजभासा के दर्जा तको मिले हावय। छत्तीसगढ़ के साहित्य ह तइहा समे ले कथा कंथली अउ गाथा के रूप म मौखिक रूप ले लोक जीवन म रचे बसे हावय। जब छत्तीसगढ़ ह मध्यप्रदेश म रिहिस हावय तभो, ये अंचल के लोक साहित्य के अलगेच सोर रिहिस हावय। इहां के लोगन मन ज्यादा पढ़े-लिखे नइ रिहिन हावय तभो ले अपन साहित्य ल कथा-कहानी अऊ गाथा के रूप म एक पीढ़ी ले दूसर पीढ़ी तक सहेजे के बुता करय। 

छत्तीसगढ़ी साहित्य के वाचिक परंपरा म सबले सजोर महाभारत के कथा हावय जेकर गायन विधा ल पंडवानी कहे जाथे। अइसने आल्हा गायन के अलावा तइहा के राजा महाराजा मनके तको छत्तीसगढ़ी म कथा-कहानी अउ गाथा मिलथे जेन ल इहाँ के लोगन मन मुअखरा जानथे। इही रकम ले संस्कार गीत मन तको इहां के लोक साहित्य ल सजोर करथे। जनम, विवाह अउ मरन संस्कार के रीति रिवाज गीत के रूप म संरक्षण पाथे। अइसने छत्तीसगढ़ी परंपरा ह तको गीत के रूप म लोक म संरक्षित हावय। ओ जुग ले ए जुग तक वाचिक ह अब धीरे-धीरे लिखित रूप म लहुटे लगे हावयं। येकर सबले बड़े परमान सवांगे छत्तीसगढ़ राज्य आए जेन ल दुनिया तको जानथे कि अलग छत्तीसगढ़ राज ह सांस्कृतिक अउ साहित्यिक संघर्ष के परिणाम आए। 

तइहा जुग म जब हम जाथन अउ छत्तीसगढ़ी के सुरूआत के साहित्य के जर ल खोधियातन तव सबले पो_ परमान ह इही किथे कि धनीधरम दास जेन ह कबीर दास के चेला आए। उही बखत माने १५ वीं १६ वीं शताब्दी म छत्तीसगढ़ी म पद्य रचना करय। धनीधरम दास के रचना मन के हरि ठाकुर अउ बाबू रेवाराम मन तको संकलन करिन हाबय। १७ वीं शताब्दी के तको दंतेवाड़ा म छत्तीसगढ़ी के कुछ शिलालेख मिले हावय फेर ये शिलालेख के संबंध म अनेक इतिहासकार मनके मत भिन्नता हावय।

छत्तीसगढ़ी के लिखित साहित्य के इतिहास म सन् १८८५ ओ युग आए जेकर परमान स्वयं इतिहास देथे। १८वीं शताब्दी म छत्तीसगढ़ म अंग्रेज मनके शासन रिहिस। इहां कतकोन स्कूल चलत रिहिस हावय जेन म छत्तीसगढ़िया बेटा मन तको शिक्षा पाइन फेर ओमा सिरिफ हीरालाल चन्नाहू धमतरी जिला के एक नानकुन गांव के रहइया छत्तीसगढ़ के बेटा हा छत्तीसगढ़ी म लिखे के सुरू करिस। हीरालाल चन्नाहू ह सन १८८५ म छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सिरजन करिस। जेकर अंग्रेज लेखक सर जार्ज ग्रियर्सन ह अंग्रेजी म अनुवाद करे हावय, अइसे परमान छत्तीसगढ़ के इतिहासकार डां. रमेन्द्रनाथ मिश्र के किताब ले मिलथे। इतिहासकार आचार्य मिश्र जी लिखथे कि हीरालाल चन्नाहू ल १८९० म कोलकाता के एक साहित्यिक संस्था कोति ले काव्योपाध्याय के उपाधि प्रदान करे गे रिहिसे। इही उपाधि के सेती हीरालाल चन्नाहू ल हीरालाल काव्योपाध्याय के नाम ले देश अउ साहित्य समाज ह जानथे। 

वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रशेखर चकोर ह छत्तीसगढ़ी भासा के सरंक्षण अउ संवर्धन बर हीरालाल काव्योपाध्याय ल माई मूड़ी बताये हावय। चकोर जी के अनुसार हीरालाल काव्याोपाध्याय के लिखे के बाद कोनो-कोनो अउ कलमकार मन छत्तीसगढ़ी म लिखे के जोंगिन। छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पो_ करइया जम्मो साहित्यकार मनके विधा अउ नाव के गोठ करे म तो बेरा पहा जही तब अइसन म छत्तीसगढ़ी साहित्य के विकास यात्रा ल चार काल म बाट के गोठबात करथन-

  1. छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्षण काल जेन म १८८५ ले १९४७ तक रचनाकार मन सामिल हावय।
  2. छत्तीसगढ़ी भासा के स्वाधीनता काल जेन म १९४८ ले १९७० तक के कलमकार मन सामिल हावय।
  3. छत्तीसगढ़ी भासा के जागरन काल जेन म १९७१ ले २००० तक के कलमकार मन सामिल हावय।
  4. छत्तीसगढ़ी भासा के राज्य गठन काल जेन म २००१ ले अब तक के कलमकार मन सामिल हावय। 

1. छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्षण काल- छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्षण काल जेन १८८५ ले १९४७ तक के हावय ये काल म देश ल आजादी नइ मिले रिहिस हावय। छत्तीसगढ़ म ठेठ छत्तीसगढ़ियापन दिखय। ये बखत के कलमकार मन म प्रमुख रूप ले पंडित शुकलाल प्रसाद पांडेय, जगन्नाथ प्रसाद भानु, बिसाहू राम सोनी अउ पंडित सुंदरलाल शर्मा के नाम आथे। इंखर लेखनी ह छत्तीसगढ़ी साहित्य बर नवा अंजोर के काम करिन। साहित्य के संगे छत्तीसगढ़ी संस्कृति ह तको चिनहारी पाइस। 

2. छत्तीसगढ़ी भासा अउ साहित्य के स्वाधिनता काल- छत्तीसगढ़ी भासा अउ साहित्य के स्वाधिनता काल आथे जेन म १९४८ ले १९७० तक के कलमकार मन हावय। देश ल आजादी मिले के बाद सबो डहर उच्छाह उमंग के माहौल रिहिस लोगन मन अपन-अपन मति अनुसार आजादी के जोइदा मनके गुनगान करिन। ये काल म प्रमुख रूप ले डॉ. खूबचंद बघेल, भगवती लाल सेन, गिरवर दास वैष्णव, कपिलनाथ कश्यप, धरमसिंग दानी, गोविंदराम वि_ल, विद्याभूषण, ईश्वर बघेल, बद्री बिशाल परमानंद, कोदुराम दलित, हेमनाथ यदु, डॉ. दशरथलाल निषाद, टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा, प्यारेलाल गुप्त, मेहत्तर राम साहू, नरेन्द्र देव वर्मा, श्माम लाल चर्तुवेदी, लक्ष्मण मस्तुरिया, द्वारिका प्रसाद विप्र, रामेश्वर वैष्णव, डॉ. बलदेव साव, पवन दीवान जइसे अउ कतकोन कलमकार मन अपन महतारी भाखा म साहित्य सिरजन करिन। 

3. छत्तीसगढ़ी साहित्य के जागरण काल- छत्तीसगढ़ी साहित्य के जागरण काल के जेन म १९७१ ले २००० तक के कलमकार मन सामिल हावय। सन् १९७१ ले छत्तीसगढ़ी संस्कृति अउ साहित्य ल नवा सुरूज मिलिस चंदैनी गोंदा के रूप म। बघेरा दुर्ग के रहइया दाउ रामचंद्र देशमुख ह नाचा पेखन के कलाकार मन ल जोड़ के एक अइसन संस्था बनाइस जोन छत्तीसगढ़ी साहित्य जगत म क्रांति के सूत्रपात करिन। हम ए बात ल गरब ले कहि सकथन के छत्तीसगढ़ी म नाटक-प्रहसन, गीत, कहानी, कविता के सिरजन होय के सुरूआत लोगन मन चंदैनी गोंदा ल देखे के बाद सुरू करिस। गांव-गांव म लोक कला मंच बने लगिस। छोटे-छोटे गांव के लेखक अउ कलाकार मन ल मंच मिलिस, उखर रचना ल मान सम्मान मिलिस। असल म केहे जाए तव सबले जादा साहित्य के सिरजन छत्तीसगढ़ सन् १९७१ के बाद ही होय हावय। 
इही बखत छत्तीसगढ़ी सेवक नाव के साप्ताहिक पेपर तको छपे के सुरूआत होइस जेकर संपादक रिहिस जागेश्वर प्रसाद। येकर अलावा एक अउ मासिक पत्रिका छपिस मयारू माटी जेकर संपादक रिहिन सुशील भोले। जागरण काल म अवतरे लेखक मन म प्रमुख रूप ले डॉ. राजेन्द्र सोनी, परदेशी राम वर्मा, रामेश्वर शर्मा, मंगत रविद्र, जीवन यदु राही, किसन दीवान, हरप्रसाद निडर, पंचराम सोनी, चंद्रशेखर चकोर, पुनूराम साहू राज, पीसीलाल यादव अउ दुर्गा प्रसाद पारकार जइसन अउ कतकोन साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ी साहित्य ल सजोर करे म अपन योगदान दिस। 

4. छत्तीसगढ़ साहित्य के राज गठन काल- छत्तीसगढ़ साहित्य के राज गठन काल जेन २००१ ले सुरू होथे। नवा छत्तीसगढ़ राज के उदय होय के बाद छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया के एक लहर चलिस अउ युवा मन छत्तीसगढ़ी म लिखे-पढ़े खातिर उमियाइन। ये काल म घातेच छत्तीसगढ़ी लिखे गिस। लगभग सबो विधा म सिरजन होइस। ये काल म गोविंद धनगर, तुकाराम कंसारी, जयंत साहू,  दिनदयाल साहू, चंपेश्वर गिरी गोस्वामी, संतोष सोनकर, रमेश चौहान जइसे कतकोन कलमकार मन अबही घलोक अपन कलम चलावत हावय। 
छत्तीसगढ़ी म गीत, कहानी, कविता, भजन, गजल, उपन्यास सबे कुछ लिखे जावत हावय। अउ अब तो प्रकाशन के गजब अकन माध्यम तको आगे हावय। तइहा म लोगन मन वाचिक रूप से साहित्य के संरक्षण करय फेर अब लिपिबद्ध होय ले छत्तीसगढ़ी साहित्य ह जुग-जुग तक अम्मर रइही। गजब अकन पत्र-पत्रिका मनके अलावा इंटरनेट म वेबसाइट मन तको छत्तीसगढ़ी साहित्य ल सहेजे के उदीम करत हावय। 
छत्तीसगढ़ी सेवक, मयारू माटी, लोकाक्षर, बरछाबारी, गुरतुर गोठ, अंजोर जइसन पत्रिका मन कतकोन कलमकार मनके रचना ल प्रकाशित करके साहित्य ल संजोय राखे के संगे-संग नवा नवा लेखक मन अवसर तको देवत हावय आगू आए के।  
नोट-: ये लेख ह अनेक बड़का साहित्यकार मनके समिलहा लिखित विचार के संकलन आए जेमा अऊ सुधार के जरूरत हावय। आगू अलग-अलग काल म अऊ कतकोन साहित्यकार मनके नाव येमा जोड़े ल परही जानकारी मुताबिक। - जयंत साहू,  डूण्डा रायपुर छत्तीसगढ़ 9826753304