अस्पताल म गोड़ मड़ाय के ठउर नइये, दवई दुकान कचाकच


सम्मत के जर आए धन खान-पान के असर ते जेन अस्पताल म जाबे तिहेच मनमाड़े भीड़ पेले रिथे। अस्पताल ल ठउर-ठउर म खोले डॉक्टर मन गरीब ल देखते ही ठोमहा-ठोमहा दवई ल देके खून जांच, पेशाब जांच, अऊ ऐ जांच ओ जांच के पर्ची थमहा देथे। अस्पताल तो अब अइसे होगे हाबे जानो-मानो चाय-पान के दुकान, हरेक गली म एक ठन मिलही। आन देश के मन किथे के इहां के लोगन मन गरीबी अउ बीमारी म ज्यादा मरथे। ए सोचे के बात आए के अतेक बड़े-बड़े अस्पताल अउ डाक्टर होय के बावजूद बीमारी म लोगन मरत हावय। अरबों-खरबों रूपिया गवां के गरीब मन खातिर सरकार ह कल्याणकारी योजना चलावत हावय, तभो भूख ले कइसे मर जथे अऊ जेन गरीब भूख ले बांचगे वो बपरा ह नानकून बीमारी म मर जथे। जब आदमी के काल आथे तव ओला मउत ले कोनो नइ बचा सकय। फेर अब जबकि चिकित्सा विज्ञान ह अपनेच मुंह ले आगर के घाघर गोठियावथाबे के हमर कना हरेक बीमारी के दवई हाबे त ये बात कोति घलोक सोचे पर परथे के का ओ दवई के असर अमीर अउ गरीब उपर आने-आने होथे। कतकोन शहर म तो समे म उपचार अउ दवई-बुटी के बने बेवस्था होय के बाद घलोक बीमारी अउ बीमरहा मनके संख्या दिनों-दिन बाड़त काबर हावय। पहिली घलोक बीमारी होवत रिहिसे, उपचार तको होवय। समे के मुताबिक धीरे-धीरे उपचार के तरीका ह बदलत हावय। अब जेन झिन डाक्टर ते ठिन दवाई, उहू म जीव बांच जही येकर कोनो गारेंटी नइये। आदमी मरे चाहे बांचे डाक्टर के पूरा फीस देना जरूरी हावय। मरीज मरगे त ओकर घरवाले मन अस्पताल के पूरा खर्चा देही तभे लाश ल उठाही, अइसन हवय अब के उपचार व्यावस्था अउ डॉक्टर मनके नीति। 
सरकार किथे इलाज के आभाव म काकरो मउत नइ होना चाही, सबला बने उपचार मिलय। फेर इहां तो बने इलाज सिरिफ बड़हर बर हावय। जेकर कना रूपिया पइसा हावय ओमन बड़े से बड़े बीमारी ले उबर जथे अऊ जेकर कना इलाज कराय बर पइसा नइये ओमन सर्दी-खासी म तको ढलंग जथे। माने तोर करा पइसा हवय तव सब इलाज होही वरना भगवाने जाने तोर का होही? आयुर्वेद, योग, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्धा, होम्योपैथी, स्थानीय वनौषधि, जड़ी-बूटी अउ योग विज्ञान ले आगु लोगन के उपचार होवय। अब सबले ज्यादा ऐलोपैथी के बोलबाला हावय। आदमी के दिनचर्या म शामिल होगे हावय दवई ह। ए गोली मनके पहुंच दवई दुकान ले गांव के किराना दुकान तक होगे हावय। दुनिया म अइसन कोनो आदमी नइ बांचे होही जेन बिन दवई खाये जियत होही। लइका ह महतारी के गरभ म रिथे तभेच ले ओला विटामिन, प्रोटिन अउ कैल्शियम के टेबलेट के आदत हो जाये रिथे, तब बाहिर आये के बाद कइसे ओ लइका ह बिगर गोली दवई के भला-चंगा रइही। बात-बात म डॉक्टर अउ दवई के देखे तो अइसे लागे लागथे मानो दवई बनइया अउ डॉक्टर मन मिलके हर आदमी ल गोली-दवई के आदी बनावत हावय। दुबर-पातर ल मोटाय के दवई, मोट-डाट ल पतराये के। बाल झड़ाय के, जगाये के। बीमारी के हउ्वा ले आज देश म गोली-दवई के बाजार अतेक फूलत-फलत हावय के जेन ल कुछूच बीमारी नइये तेनो हा मोला कुछू बीमारी झिन होतिस भगवान किके बने-बने रेहे के दवई ल खावत हाबे।  
 ( जयंत साहू )
JAYANT SAHU
ward-52, Dunda, post-Sejbahar, Raipur CG
9826753304
jayantsahu9@gmail.com

चलना तोला रइपुर घुमाहूं सनिमा देखाहूं अउ भजिया खवाहूं!

छत्तीसगढ़ म एक ठन अऊ नवा गजब के योजना के आरो मिले हावय जेकर नाव हे 'हमर छत्तीसगढ़Ó। ये योजना म गांव-गांव के नेता, माने पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधि मनला रायपुर घुमाये जाही। सरकारी खर्चा म पंच, सरपंच अउ सचिव मन डपट के राजधानी घमुही, सनिमा देखही अउ रिसोट म भजिया खाही। पाछु दिन दुर्ग संभाग के तीन जिला के पंचायत प्रतिनिधि मन राजधानी के नया रायपुर म मंत्रालय, मुक्तांगन, घासीदास संग्रहालय, जंगल सफारी, सांइस सेंटर, कृषि विश्वविद्यालय देखिन अउ रात के लोकरंग अर्जुन्दा वाले मनके प्रोग्राम देखिन। येमा दुर्ग के 167, बेमेतरा, नवागढ़, बेरला के 167 अउ बालोद के 166 निर्वाचित जनप्रतिनिधि सामिल रिहिसे। गांव म अभी नंगत खेती-किसानी के बुता फदके हावय अइसन म सरकारी फरमान तो मानेच ल परही। सरकार ल अभीच राजधानी देखाय के का सुझिस ते उही जाने। गांव के लोगन मन सियानी पागा बांध के पंचायत म आगे हावय येकर ये मतलब नइये के गांव के नेता मन करा घलो करिया रंग के स्कार्पियो या फेर मारूती-होन्डा होही। पंच अउ सरपंच मन रोजी-मजूरी करके अपन अउ परिवार के पालन-पोसन करथे। कतकोन पंचायत के प्रतिनिधि मन तो आन राज म बनि कमाय बर तको जाथे। सरकार ह अइसने पंचायत प्रतिनिधि मन बर हमर छत्तीसगढ़ योजना लाने हावय। सरकार ल लागत होही के हमन राजधानी म बड़ भारी काम कर डारे हाबन, मानो ये धरती हा सरग बरोबर संवरगे हवय। ये योजना के चित अउ पट दूनो ल देखे जाए तव सरकार ह चित होवत दिखत हावय। गांव के पंच, सरपंच मन राजधानी आके नवा-नवा गियान के बात नइ सीखय नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के सरकार के उपलब्धि ल देखही। डॉ. रमन सिंह अपन तीसरइया बछर तक पहुंचे के बाद का का काम करे हावय जनता खातिर इही देखाय के योजना आए। अइवइया पारी के अभी ले तियारी चलत हावय। पाछू महीना म जब लोक सुराज के आयोजन होय रिहिसे ओ बखत जब सरकार गांव-गांव म बइठिस तब सरकार के प्रति जनता के असल चेहरा दिखे लगगे। हमर छत्तीसगढ़ योजना ल पूरा-पूरा चुनावी परपंच कारर देके गजब अकन तथ्य हाबे। ये उही छत्तीसगढ़ आए जेन ल एक एजेंसी ह गरीब राज्य केहे हाबे, ये उही छत्तीसगढ़ आए जिहां के लोगन मन दू रूपिया के चाऊर अउ फोकट के नून खाथे। कुल मिलाके केहे जाए तब इहां फोकट-फोकट वाला योजना जादा चलथे, तव फेर सरकार ह कोन मुंह ले अपने गुनगान करत विकास के सरग ल अमरत हावय। जनता ल अब चुनई म वोट देके अलावा अऊ कुछुच काम करे के जरूरत नइये। मति अनुसार अब तो अनुमान लगाये जा सकथे के अवइया चुनई म सरकार ए घोसना कर सकथे के आप सिरिफ हमर सरकार बनन दव। फेर तुमन ला कुछू करे के जरूरत नइये। सब कुछ सरकार करही। चाऊर-दार के जोखा, लोग-लइका के जतन अउ तिरथ-बरथ तको सरकारी खरचा म होही। मंदिर-मस्जिद म जाके देव-धामी पूजन के बजाय नेता जी के जय बोलो, वो सबके मुराद पुरा करही। अभी आवव... रइपुर घुमाबो, सनिमा देखाबो अउ होटल-मोटल-रिसॉट म आनी बानी के जेवन खवाबो मन भर के इही तय 'हमर छत्तीसगढ़Ó। 
 * जयंत साहू*
jayantsahu9@gmail.com
9826753304
( येहा लेखक के स्वतंत्र विचार आए येमा कोनो राजनैतिक टिप्पणी नइ होय हाबे ​बल्कि एक आम आमदी के पक्ष ल राखे गे हावय। कोनो—कोनो के मन म कुछ-कांही उमड़ही तव नीचे कमेंट बाक्स म लिख दिहव। जय जोहार...  )