अन्नदाता के आंखी म आंसू?

छत्तीसगढ़ म किसानी के परसादे अपन जीवनयापन चलइया किसान मन के संगे-संग भूमिहिन मजदूर मनके दशा अउ दिशा म अब तक अइसन कोनो खास बदलाव नइ दिखत हाबे जेन ला देखके सरकार ल नम्बर एक सरकार केहे जाए। फेर कोन जनी कोन से आंकड़ा ल देखा के येमन राष्ट्रीय पुरस्कार पा लेथे ते? दिनों-दिन खेती के रकबा कम होवथाबे। कतको के जमीन ह सरकारी तंत्र के बलि चड़गे त कतकोन के खेती ल बयपारी मन पइसा देखा के झटक लिन। 

खेत कमतियागे, पुरखा के काबिज जमीन म अब सरकार के कबजा होगे, उपजाऊ माटी म बड़े-बड़े कारखाना खुलत हाबे, बढ़हर बर सौ योजना अउ छोटे किसान मन एक योजना के लाभ ले खातिर एड़ी खुरचत हाबे, समर्थन मूल्य अउ बोनस के तो बाते छोड़ अऊ उपराहा म फसल बीमा के ओढ़र म सोज्झे बीमा कंपनी ल फायदा पहुंचवात हाबे। किसान मनके विकास ल रोके खातिर अतेक कानून बनगे के अब अन्नदाता के आंखी ले आंसू पोछइया तको नइ मिलत हाबे। जल, जंगल, जमीन के मालिक स्वयं राज सरकार अऊ विभाग के मुक्तियारी म प्रशासनिक अफसर मनके तानाशही ले भूमिहिन गरीब किसान के जीना दुबर होवथाबे। 

काननू के जानकार मन कानून म संशोधन करत काबिज भूमि ले बेदखल करना शुरू कर दे हावय, वनोपज म पाबंदी लगत हाबे। जल, जंगल अउ जमीन ल जीवकोपार्जन बर बउरना माने अपराध, अब के समे म सरकार ले अनुमति लेबे तभेच तोर जीवन चलही। सरकारी तंत्र ह भूमि कानून के अइसे तोड़ निकाले हाबे के कारखाना अउ उद्योगपति मन बर बने नियमावली ल किसान मनला देखा के डरवा देथे। विलासिता के संसाधन ल तको जनहित के नाम देके कृषि भूमि के कबाड़ा करे म भू-माफिया ले जादा तो सरकार खखाय रिथे। 

येकर सबूत रायपुर विकास प्राधिकरण के कमल विहार योजना सउहत हवय जेन ह सौकड़ों एकड़ कृषि भूमि ल किसान मनले नंगाके जबरन एनओसी लेके बैंक ले कर्जा ले डरिस, कृषि भूमि के डायर्वसन करवा डरिस अउ विकसित प्लाट तको बेचे के शुरू होगे। अब कमल विहार म किसान मनला मिलत हाबे कूल भूमि के सिरिफ 35 प्रतिशत हिस्सा, बाकि के 75 प्रतिशत विकास म सिरागे। माने तोरे जमीन म तिही किरायेदार। सबले बड़े बात ये हावय के कमल विहार म प्रभावित किसान मन कना बकायदा जमीन के किसान पुस्तिका रिहिसे।

एक एनओसी ले भूमि के मालिक मन तीसरा पक्षकार होगे अउ रायपुर विकास प्राधिकरण प्रथम पक्षकार के रूप म जमीन के खरीदी-बिक्री करत हाबे। जबकि कानून के जानकार मनके संगे-संग न्यायालय तको रायपुर प्राधिकरण के जमीन अधिग्रहण ल गलत बताये रिहिसे। इही हाल नया राजधानी क्षेत्रवासी मनके होवथाबे। जब सवांगे कानून ल ठेंगा देखा सकथे तव गरीब किसान मनके का औकात। किसान मनके भूमि ले तो अऊ जबर समस्या कृषि उपज के बाजार भाव के हाबे। किसान के बदकिस्मती देखव ऊंकर उपज के दाम एक बयपारी तय करथे। का अन्नदाता ल अपन मेहनत ले उपजाए अन्न के किमत तय के हक नइये? मंडी म बइठे बयपारी उपज ल औने-पौने भाव लगाके मांगत किथे अतका म देना हे त दे नहीं ते जा, सरो अपन खेत म फसल ल। कोनो तो अइसन बेवस्था बनाव के हमर किसान तको अपन उपज के दाम तय करत बयपारी ल लतिया सकय।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: 'योग ले निरोग बनाही' के सिरिफ रिकार्ड बनाही

आज सरी दुनिया म योग ह तन, मन ल फरिहर करे के बने साधन बनगे हावय। आगू के समें म अइसन कारज सिरिफ बड़े-बड़े रिसी मुनी मन भर करय। अपन जप अउ तप ले सिद्धी पावय अउ लोगन ल भव ले उबारे के नेक काम करय। फेर अब समे के संग योग के रूप म तको बदलाव देखब म अइस। योग अउ साधना ले लोगन ल निरोग बनाये के उदीम चलत हाबे। योग गुरू मन बताथे के कोन से योगासन करे म कति-​कति रोग भागथे येकर जानकारी देवत उन मन परमान तको देखाथे। आज के समे ल देखत योग अउ साधना लोगन मन बर घातेच जरूरी होगे हावय। ऐती-ओती चारो मुड़ा के हाय-हपट ले जीव तालाबेली हो जथे। मुड़ पीरा ले कंझाय मन ल सुकून दे खातिर योग ल बुढ़वा, जवान के संग नोनी मन तको अपनावत हाबे। समे के संग हमर खान-पान अउ कामधंधा तको बदलगे हावय अइसन का लोगन कुछू अइसे उदीम खोजथे जेन तनाव ले मुक्ति देवय। भारत के संगे संग अब सरी दुनिया योग ल ही सब रोग खातिर उपयोगी मानत हाबे। मन चंगा तव कठउती म गंगा काहत योगासन म दुनिया रमत हाबे। हिमालय के पहाड़ी म जाये जरूरत नइये जेन जिहा ठउर मिलत हाबे उहें धियान योग म बइठे घंटा-पाहर।

कोनो भी धरम के संत होवय सबोच सिद्धी साधना के बल म पाये हाबे अउ साधना ध्यान ले आथे तव योग ल हम सरी रोग के रामबाण उपचार के रूप म तको अपना सकत हन। योग ह रोग ल तो दूरिहाथे ये उपचार होगे, फेर योग करे ले कोनो प्रकार के रोग नइ होवय ये लोगन बर संजीवनी के काम करत हाबे। तनाव अउ से मुक्ति पाये खातिर घर-परिवार के सबो माई​ पिला जुर मिलके घरे म योग ल अपन दैनिक जीवन म उतारके घंटा पाहर योगासन करथे। संझा-बिहनियां धियान म बइठे बर कोनो खास नेंग-जोग के घलोक जरूरत नइये, आज योग एकदम आसान होगे हावय। अउ योग ल सीखे के तमाम साधान तको आसानी ले मिलत हाबे। रोज के टीवी चैनल म लाइव योग गुरू मन सीखावत हे कतकोन पुस्तक के प्रकाशन होय हाबे। जेन ल कोनो रोग नइये तेन ल कोनो विशेष योगगुरू के जरूरत नइये फेर रोगी मनला योग गुरू के अनुसार योग ल करना चाही ताकि कोनो अलहन झिन होवय। आसानी से घर म करे लायक गजब अकन योग हाबे जइसे के-
  • सुखासन
  • अर्धपद्मासन
  • वज्रासन
  • शशक आसन
  • मार्जारि आसन
  • ताड़ासन
  • समपाद आसन
  • शवासन
  • सिंहासन
  • वृक्षासन
  • पद्मासन
  • तिर्यकताड़ासन
  • कटिचक्रासन
  • पादहस्तासन
  • उष्ट्रासन
  • ​पश्चिमोत्तानासन
  • नौकासंचालन
  • चक्कीचालान

ये योग मन ल करे खातिर लोगन ल योग-शिक्षा के सामान्य जानकारी होना चाही।
  • योग खाली पेट करना चाही, जने मन भात खा डरे हाबे तेन मन तीन-चार घंटा के बाद योगासन करय। आहार म तको सात्विक भोजन लेवय।
  • योग करे के पहिली शौच, स्नान जइसे नित्यकर्म ले मुक्त होके करय।
  • कठिन आसन ल बरपेली झिन करय।
  • योग ल बरोबर भुइया म बइठ के करय, बोरा जठाके पेड़ तरी करे ले अउ बने धियान म मन लगही। जादा रोठ रजई म झिन बइठय।
  • योग ल बिहनियां करना बने होथे अउ योग करे के बाद थोकिन रूकय तेकर पाछू कुछ अल्का खावय। योग करे के बाद हबरस ले कुछू भी नइ खाना चाही। फल, दूध या अंकुरति अनाज योगासन के आधा घंटा बाद खाना चाही।

प्राणायाम-: वर्तमान समें म प्राणायाम ल सबो उमर के लोगन मन करत हाबे, आसान अउ असरकारक होय के सेती। जेन म प्राणायाम माने "प्राण" अउ "आयाम" अर्थात  प्राण के उलट गमन। 
  • भस्त्रिका प्राणायाम
  • कपालभाति प्राणायाम
  • बाह्य प्राणायाम
  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम
  • भ्रामरी प्राणायाम
  • उद्गीथ प्राणायाम
  • प्रणव प्राणायाम
  • उज्जायी प्राणायाम
  • सीत्कारी प्राणायाम
  • शीतली प्राणायम
  • चंदभेदी प्राणायाम
जइसन अउ प्राणायाम के केउ प्रकार बताये गे हावय जेन ल योगगुरू के बताये अनुसार करे ले उचित लाभ होही।

ये पइत योग दिवस ल बिकराल रूप मनाये खातिर भारत सरकार बनेच जोर-शोर ले ​भीड़े हावय। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दिवस 21 जून के भारत म योग ह नवा किर्तिमान बनाही। लाखों आदमी एके संघरे योग करे के गिनीज बूक म वर्ल्ड रिकार्ड म भारत के नाम दर्ज होही। केंद्र ले लेके राज्य मन तको योग के तियारी म लगे हाबे। इहां तक गांव गली मो​हल्ला म तको योग के प्रचार-प्रसार दिखत हाबे। खास करके भाजपा शासित राज्य मन तो अउ ज्यादा योग-योग रटत हाबे। योग के सरकारी रटन ह तभे सफल होही जब लोगन खुद ले योग साधना ल अपनाही। योग के सबले पहिली पाठ ह इही किथे के योग करत बखत मन म कोनो प्रकार के तनाव नइ होना चाही, काकरो केहे म नहीं बल्कि स्वयं होके मन से योग म मन लगावय। सरकार के ये कारज म सबो जुरमिलके योग दिवस म रिकार्ड बनाये खातिर नहीं बल्कि अपन तन-मन ल फरिहाय खातिर जुरियावन।

पर्यावरण ले जुरे हमर संस्कृति


प्राकृतिक रूप ले हमर चारों मुड़ा जोन वातावरण हवय इही तो हमर पर्यावरण आए। चराचर जगत के जीव-जनावर के जिनगी के आधार आए पर्यावरण। उत्पत्ति ले विनाश के ओखी, पालनहारी, जीवनदाई हमर पर्यावरण के सरेखा के गुनान करे के अब बखत आगे हावय। पर्यावरण सम हाबे तब तो कोनो गम नइये फेर थोरको उंच-नीच होय म इही पर्यावरण हमर विनाश के कारण तको हो जथे। एक के गिनहा होय ले सबोच के जिनगी खुवार होय के डर अब दुनिया ल सतावत हाबे। इहीच बात ल दुनिया भर के वैज्ञानिक मन चेतावत तको हाबे के अब धीरे-धीरे पर्यावरण के संतुलन बिगड़त हाबे, बेरा राहत कहू चेत नइ करबोन तब न सिरिफ धरती के जीव-जनावर भलूक सउहत धरती तको खुवार हो जही। जल, जंगल, जमीन काहिंच नइ बांचही। ये बात अउ बड़ संसो के आए के जेन जीव ल प्रकृति ह सोचे-समझे अउ गुने के शक्ति दे हावय तेनेच हर ज्यादा पर्यावरण संग खेलाही करत हाबे। ऐसो आराम के जीवन खातिर जंगल के विनाश करते चले आवत हावय जेखर सेती जल संकट विकराल रूप लेवत हाबे। जमीन परिया परत हाबे। अइसने करते-करत एक दिन कुछ नइ बांचही।
अवइया विनाश ल देखत हमर सुजानी सियान मन पर्यावरण ल बचाये खातिर केउ ठन योजना चलावत हाबे। फेर हमन अउ हमर छत्तीसगढ़ ये मामला म बड़ भागमानी हावय काबर के हमर पुरखा मन पर्यावरण के अभिन्न अंग जल, जंगल अउ जमीन ले हमर संस्कृति म जोड़े हाबे। जल, जंगल अउ जमीन ल बचाये खातिर पुरखा मन जेन रीत-रिवाज अउ परंपरा के चलागन शुरू करे हाबे, हमु ल ओकरे निर्वाहन करना हवय अउ अपन अवइया पीढ़ी ल तको धरोहर सहिक धराबो तभे हमर धरा बाच पाही।
संगी हो थोरिक सोरियावव तो हमर सियान मन कइसे परंपरा के आड़ धराके पर्यावरण ल बचाये राखे हाबे तेन ल। सबले आगू रूख-राई के गोठ करन, काबर के सबले ज्यादा नुकसान तो पेड़ के अंधाधुंध कटाई ले पर्यावरण ल होवत हाबे। सास ले खातिर आरूग हवा बर तरसे ल होगे। हवा म पाना-पतेरा, कोहा-पथरा समागे हावय। फेर लोकांचल म शुद्ध वायु के संकट नइये, आजो उहां पावन पुरवाही बोहाथे। येकर सबले बड़े कारण हावय लोगन मन के रूख-राई के प्रति आस्था अउ मान्यता। लोगन मन पेड़-पौधा के पूजा करथे। लोक संस्कृति म केउ ठन अइसन पेड़-पौधा हावय जेन ल काटना पाप माने जाथे। जइसे पीपर पेड़ के बिसय म कहे जाथे कि ओमा भगवान विष्णु के वास होथे। केउ ठन धार्मिक कारज के मउका म पीपर के पेड़ के जड़ म पानी देके शक्कर, गुड़ अउ शहद चड़ाये जाथे। गांव के लोगन मन रोज बिहनिया नहा के पीपर के पेड़ ल पानी देथे, पांव परथे अउ मनौती मांगथे। इही सेती गांव-गांव म पीपर के बड़े-बड़े अउ बड़ जुन्ना-जुन्ना पेड़ हमला देखे ल मिलथे। धार्मिक आस्था के सेती लोगन मन घर के दुवार म पीपर के पेड़ लगाथे। इही रकम ले बर के पेड़ ल तको नइ काटे जाए, न ही जलाउ लकडी के रूप म उपयोग करय। बर, पीपर के लकड़ी के इमरती के रूप म उपयोग तको देखे बर नइ मिलय। बर पेड़ म दाई-बहिनी मन उपास राखके मनौती के डोरी बांधथे अउ पूजा-पाठ करथे। इही बर के छांव म सुघ्घर वट सावित्री के कथा सुने अउ सुनाये जाथे। अइसने डूमर पेड़ के तको बड़ सांस्कृतिक महत्ता हाबे। बिहाव संस्कार के बखत बांस के मड़वा गड़थे, डूमर के मंगरोहन बनाये जाथे अउ सबले पहिली तेल हरदी इही मड़वा अउ मंगरोहन म चड़थे। इही रकम ले ऑवला नवमी के व्रत पूजा म तको ऑवला के पेड़ के गजब विसेस महत्ता हाबे। लोकांचल म जब पेड़-पौधा के प्रति अतेक आस्था अउ प्रेमभाव देखबे तव मन म अइसे भाव उमड़थे के जब तक ये पेड़-पौधा ल पूजे के संस्कृति छाहित रइही तब तक जंगल खतम नइ हो सकय भलूक अउ पेड़ लगाये बर लोगन मन प्रेरित होही। हमर रूख-राई के पूजा पाठ करे के संस्कृति म तो कई ठन अइसन पौधा हावय जेखर औषधि के रूप म गजब उपयोग होथे। जइसे के तुलसी के पौधा। हर घर के अंगना म तुलसी के बिरवा मिलही। महतारी मन बड़ जतन ले अंगना म तुलसी के बिरवा लगाथे, रोज के पानी रूकोथे। संझा बिहनियां दीया बारथे, आरती करथे। हरियर-हरियर तुलसी के बिरवा ले अंगना ह गमकत रहिथे। संगे-संग घर के वातावरण ल तको शुद्ध करत रिथे अउ वायु म आक्सीजन के मात्रा ल बड़ाथे। इही रकम ले पूजा-पाठ म तको फूल पान के विसेस रूप ले उपयोग होय के सेती मोंगरा, दसमत, गोंदा, धतुरा, बेल, दूबी जइसन पौधा सबो के अंगना म महकत रिथे। ये फूल पान तो अब बारो महीना मिले बर धर ले हाबे, कतकोन मन तो येकर व्यवसायिक खेती म लगगे हावय। पाना के सेती संरक्षण ले जुरे पेड़ के चेत करन तव आमा, केरा के अलावा बेल पान घलो विसेस महत्व के हाबे। सावन के महीना म बेलपान के विसेस मांग रिथे। अइसे मान्यता हाबे के सावन के महीना म खास करके सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ ल बेल पान अउ धतुरा चड़ाये म बड़ जल्दी भगवान के किरपा मिलथे। 
लोकांचल म बर, पीपर, आमा, बेल, डूमर जइसन अउ कतकोन पेड़ मन सांस्कृतिक महत्व के सेती तइहा समे ले लोगन के संरक्षण म बाड़त हाबे। जेन गांव के दइहान, गुड़ीचौरा, तरिया पार, डोंगरी-खार म लोगन ल आरूग पुरवाही देवत हाबे। पेड़वा के छांव म सुघ्घर ढंग ले गरमी के दिन म तको लइका मन बांटी, बिल्लस, तिरीपासा, खेलथे। सियान मन ढेरा आंटत बइठे रिथे। अउ ते अउ कतकोन गांव के बइठका इही पेड़ के छांव तरी उरकथे।
अब पर्यावरण के सबले अनमोल धरोहर पानी के बात करे जाय तव ये मामला म छत्तीसगढ़ बड़ सुजानी हावय। इहां के लोगन मन हिसाब लगा-लगाके पानी के हरेक बूंद के उपयोग करे ल जानथे। खेती किसानी के बुता करइया किसान मन बर पानी ले बड़के कुछूच नइये। पानी ले उंकर आजीविका जुरे हाबे। किसान हर वो उदीम करथे जेखर ले ज्यादा ले ज्यादा बरसा होवय। ओमन बरसात के पानी ल संजोए राखे बर तको जानथे। लोकांचल के कृषक मनला जल संरक्षण के गियान कृषि संस्कृति ले मिले हाबे। कुआं-बउली, तरिया-डबरी, डोड़गी-झिरिया, नदिया-नरवा जइसन पानी के स्त्रोत कृषि संस्कृति म पूजनीय हाबे। इतिहास किथे के नदिया-नरवा के तिरे-तिर संभ्यता के उदय होथे अउ पानी के धार ले संस्कृति पल्लवित होथे। ये बात सिरतोन आए। किसान मन पानी के अकारज दूरूपयोग कभू नइ करिन। भलूक पानी ल कोन-कोन से उदीम करके बचाये जाए अउ कइसे उपयोग करै येकरो नवा रद्दा निकालिन। असिंचित खेती म फसल के बने पैदावार ले खातिर नाननान डबरी बनाके बरसात के पानी ल रोके लगिन अउ भू-जल स्तर ल बनाये राखे खातिर बउली बनाइन। पीये के साफ पानी खातिर गांव म सुम्मत के तरिया खोदिन। तरिया डबरी बनाके निस्तारी चलाइये के चलागन सुरू करिन। निस्तारी तरिया म नहावन के नेंग-जोग के संगे-संग मवेशी मन बर तको पीये के पानी के जोखा करिन। वास्तव म छत्तीसगढ़ अइसन राज आए जिहां प्रकृति प्रेम ह आस्थ के संग लोक संस्कृति म जिंदा हावय। इहां के लोक जनमानस म पर्यावरण संरक्षण खातिर कोनो विसेस अभियान चलाये के जरूरत नइये काबर के पर्यावरण के अभिन्न अंग लोगन मन स्वयं अपन आप ल ही मानथे। बइसाख के अंजोरी पाख म तीज के अक्ती ले किसानी के बुता के सुरूआत होथे ये दिन किसान मन जुर मिलके गांव के ठाकुरदेव म दोना-दोना  धान चड़ाके गांव के देवधामी ले अरजी बिनती करथे के एसो घलोक बने बखत म पानी आवय, हमर खेत के छिताय हरेक बीजा म अंकुरण फूटय, कोनो प्रकार के रोग-राई झिन आवय, मवेशी मन बने किसानी म सहायक रइही इही सब अरजी के संकलप करत डीह-डोंगरी के सबोच जुन्ना पेड़ के जर म पानी रूकोथे। बइसाख के लक-लक घाम म बिन पानी के सूखावत पेड़ म पानी रूकोथे किसान अक्ती परब म। तव पेड़ तको किसान ल आसीस देथे। 

नादी, दीया, करसा म चिरई-चिरगुन बर पानी मड़ा के। कचलोइहा धान ले सियानिन दाई के बनाये फाता माने धान के झालर ल आंगना अरो देथे। चिरई-चिरगुन मन अंगना म आथे अउ झालर ले चुन-चुन धान के बाली ल खाथे अउ नांदी के पानी ल पीके उड़ा जाथे। जेठ बइसाख के महीना म जेन मन चिरई-चिरगुन संग मया करथे ओमन भला आन जीव संग कइसे अनित करे सकही। रूख-राई ल देवता, तरिया नदिया ल महतारी कहइया छत्तीसगढ़िया मन जनावर संग मितानी बधथे। हरेली परब म घर-घर लीम के डारा खोच के सावन महीना म रोग-राई ले मनखे अउ मवेशी मनला बचाये के संदेशा देथे। कातिक महीना के देवारी के गोबरधन पूजा ह द्वापर के सुरता देवाथे। ये परब ह गोवर्धन परवत के पूजा अउ गउ वंश के संवर्धन के संदेशा देथे। अइसने अउ केउ ठन परब आथे जेन ह पर्यावरण ले जुरे हावय अउ हमला इही परब संस्कृति ह जल, जंगल अउ जमीन के सरेखा करे के सीख देथे। हमन सियान मनके दिये सीख ल गांठ बांधके अपन-अपन जीवन म अमल म लानबो तभे प्रकृति ह हमर बर जीवनदाई बने रइही। संगे-संग वर्तमान समय म पर्यावरण के बिगड़त स्वरूप के संतुलन बनाये खातिर कुछ नवाचार के तको जरूरत हाबे। जइसे के घर के अंगना म जरूर एक पेड़ लगाना। उपहार स्वरूप कोनो ल भेट देना हावय त ओला आन कुछू कांही देके बजाए ओला फलदार पेड़, ओषधिय पौधा या आनी-बानी के फूल के पौधा देवन। उच्छाह मंगल के बेरा म पर्यावरण ल बचाये के संकल्प धरन। कोनो के जनम दिन, बिहाव या पुन्य तिथि के मउका म एकक पेड़ लगाये के नवा चलागन के सुरूआत के हिरदे ले सुवागत होना चाही। अइसन नवाचार न सिरिफ समाज पर प्रेरणा होही बल्कि वो उपहार म मिले या कोनो व्यक्ति के दिन विसेस के सुरता म लगे पेड़ के फल, फूल अउ सुघ्घर छांव हमला जिनगी भर सुकून देही। 0
- जयंत साहू
डूण्डा, पोस्ट सेजबहार 
जिला रायपुर छ.ग. 9826753304 




छत्तीसगढ़ में सातवां वेतनमान लागू, तभो ले चाय-पानी लेही बाबू? ...

छत्तीसगढ़ विधानसभा के ग्यारहवां सत्र ह इहां के सरकारी करमचारी मन खातिर जबर उच्छाह के रिहिसे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह प्रदेश के 2 लाख 60 हजार करमचारी मनला सातवां वेतनमान के लाभ देके घोसना करे हाबे। अवइया वित्तीय वर्ष 2017-18 खातिर विनियोग विधयेक म चर्चा के जवाब देवत सरकार कोति ले मुखिया ह ये एलान करिस हावय। सातवां वेतनमान ले सबो करमचारी मनके तनख्वाह म अब बढ़ोत्तरी ह आयोग के सिफारिश के मुताबिक होना तय हाबे। भारत के सातवां केंद्रीय वेतन आयोग ह वेतन-भत्त अउ पेंशन म 23.55 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करे के सिफारिश करे रिहिसे।

सातवां वेतनमान लागू होय के बाद चपरासी मनके तनख्वाह सोलह हजार ले आगर हो जही। उचंहे अधिकारी मन तको पचास हजार के लगभग पगार झोकही। जतेक भी सरकारी विभाग के करमचारी हावय सबोच मन अब 20 ले 50 हजार के बीच म तनख्वाह पाही। जइसे के सरकारी विभाग के बाबू मनके विषय म केहे जाथे के ऊंकर तनख्वाह तो सोज्झे बाचथे, सरी खर्चा अवइया-जवइया मनके चाय-पानी ले निपटथे। केंद्र म मोदी सरकार के बइठते प्रशासनिक ढांचा म मसावट आए हाबे जेकर परिणाम छोटे-छोटे करमचारी मन म तको देखब म आए हाथे। फेर पूरा-पूरा भ्रष्टाचार म लगाम लगे हावय अइसनों नइये। काम ऊरकाना हे तव टेबल के तरी ले कुछ न कुछ देनाच परथे, अइसे विभाग के बाबू मनके कहना हाबे। अब सातवां वेतनमान के आये ले का सरकारी विभाग के करमचारी मन के चाय-पानी लेवइ बंद होही? या फेर काम म अऊ चुस्ती आही। बहुत अकन काम ह ऑनलाइन होय ले खूसखोरी म लगाम तो लगे इहू बात ले इंकार नइ करे जा सकय फेर लेवइया-देवइया हाथ ह एकाक कइसे रूकही, सातवां वेतनमान लागू होवय चाहे दसवां! 
German Chaceller Angela Merkel got 13 per cent of the votes in the global survey to rank second only after the US president.
Kim Jong-nam body 'arrives in Pyongyang'
A van believed to carry the body of late Kim Jong-nam leaves the mortuary of the Kuala Lumpur Hospital, in Kuala Lumpur,
Chinese President Xi Jinping ranked sixth on the list for the most popular leader.
Chinese President Xi Jinping ranked sixth on the list for the most popular leader.
Floodwaters have inundated the New South Wales town of Lismore. Deaths feared in Australia flood emergency 

जांच के डर ले छोटे डॉक्टर लुकागे अउ बड़का मनके भाव बाड़गे [NURSING HOME ACT/RULES-2013]

NURSING HOME ACT/RULES-2013


छत्तीसगढ़ राज म झोलाझाप डॉक्टर मनके उपर कार्रवाई करे खातिर टीम बनाके छापामारी चलत हावय। प्रशासन के ये जांच टीम ह छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट ल जोर देवत ये कार्रवाई के बात करत हावव। जेमा अब तब सौकड़ों नवसिखीया डॉक्टर के दवाखानाल सील करे गे हावय। जांच दल मनके सबले ज्यादा शिकार गली-गोन्टा के छोटे-छोटे डिग्रीधारी मन होवत हाबे। तीन-चार साल कोर्स करे के बाद प्रेक्टीस म लगे डॉक्टर बाबू मन छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट के पालन नइ करत हावय। कायदे से देखे जाये तव ये तो सरासर गलत हावय के सरकार के नियम कानून के विरूद्ध क्लिनिक नइ चलाना चाही। जांच म तो कतकोन अइसनों डाक्टर पकड़ म आवत हाबे जेन मन के पूरा के पूरा डिग्री ही फर्जी हावय। कतकोन मन तो अजरा गोली दवई देवत-देवत बड़का क्लिनिक बना डरथे।  ये उही डॉक्टर मन पकड़ म आवत हावय जेन मन 10-20 रूपिया म लोगन के सर्दी-बुखार के इलाज करथे। गाव-गली के गरीब आदमी छोटे-मोटे बीमारी म इंकरे मन कना जाके बने होथे।
जेन ल सरकार ह आज झोलाछाप डॉक्टर काहत हावय इहिच मनतो आधा आबादी के तानहार हवय। इहां स्वास्थ्य विभाग के अतका खस्ता हाल हवय के लोगन मन मजबूरी म इही डाक्टर सो इलाज करना ज्यादा बेहतर समझथे। एक कोती शहर के बड़का डॉक्टर मन 400 रूपिया सोज्झे देखेच के फीस लेथे उंहचे गांव के डॉक्टर ह 30-40 के दवई म बने कर देथे। अब सरकार के मुताबिक कोन डिग्री बने अउ कोन खइता के हावय येला आम जनता का जानही। हमर बर तो जेने रोई-राई टारिस तेने बने बइद। बपरा मन 10 रूपिया के फीस लेथे तेनो म घर म चउदा परत देखे बर आथे। नानमनू जर-बूखार बर शहर के बड़का डॉक्टर मनके रद्दा जोहत-जोहत जोनन पर जथे, सरकारी होय चाहे परावेट। बेरा कुबेरा जा नइ सकस बिना अपाइंटमेंट के। जब सरकार ह छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट ल लेके अभियान चलाते हावय तव येमा अऊ ज्यादा बड़े रूप म जांच होना चाही। जेन नर्सिंग होम के व्यापार करत हावय तिकरों जांच होनो चाही। स्वास्थ्य के नाम म लोगन के जान संग खिलवाड़ तो झोलाछाप डॉक्टर ले ज्यादा बड़का परावेट नर्सिंग होम वाले मन करथे। ये बात तको काकरो ले छिपे नइये के कोन लोगन मन सरकारी म इलाज कराथे कोन पराबेट म, सब पइसा के खेल हावय।  बड़े मनके जांच करे म सांस फूल जथे अउ छोटे मनके टेटवा ल मसके परत हावय।
  • एक नजर राज्य सरकार के राजपत्र के अनुसार नियम ल देखन अऊ अपन तिरके अस्पताल देखन तव हमला जनबा हो जही के कोन-कोन छत्तीसगढ़ नर्सिंग होम एक्ट के अवमानना करत हावय-
  • क्‍लीनिक बनाये खातिर मानक  
  1.  क्‍लीनिक खातिर मानक-




  1.  मेडिकल लैब खातिर मानक-





  1.  प्रसुति अस्‍पताल खातिर मानक-





  1.  फिजियोथेरेपी इकाई खातिर मानक-

  1.  अस्‍पताल अउ नर्सिंग हाेम-









  1.  पंजीयन / लाइसेंस जारी / नवीनीकरण-


  1.  घोसना पत्र-

  1.  आवेदन पत्र-

शराबबंदी के खिलाफ काबर सरकार?

छत्तीसगढ़ सरकार के काम-काज के चारो मुड़ा बड़ई होवत हाबे, केंद्र ले तको साल के सम्मान मिलते हाबे। इंकर काम करे के तरीका ल देखबे तव अइसे लागथे मानो आन राज के मन कुछू काम-धाम करबे नइ करय। छत्तीसगढ़ सरकार करही तेने ल बता-बताके, काम ल जनवाथे के देखव हम ये काम करे हाबन। सरकार के मंत्रीमंडल ह तको काम ल अपन फर्ज अउ जुमेदारी समझ के नहीं बल्कि एहसान करे बर करथे, तभे तो देश म सोर बगराके ओकर ओढ़र म सम्मान पाथे के फलाना काम करने वाला छत्तीसगढ़ देश के पहिली राज। सम्मान तो अतका झोकत हावय के दिल्ली म एक 'सम्मान झोकइया' विभाग बनाके परमानेंट बइठारे के जरूरत पड़ सकत हावय। भारत के आन राज्य मन छत्तीसगढ़ सरकार ले काम के कइसे ढिंढोरा पिटना हे येला तो जानी डरे होही। इहां पहिली समस्या पैदा करना अऊ फेर ओकर समाधान बर जबर बुता करना ही सरकार के पहिली प्राथमिकता होथे। अब देखव न टेबल ठोक-ठोक के हरेक साल हजारों करोड़ के बजट पेश होथे, हरेक बजट म गांव, गरीब अउ किसान ल पहिली प्राथमिकता देके करार होथे। अब तो अइसे जनाथे के बजट सत्र के भासन हरेक साल उहीच होथे सिरिफ रूपिया के आंकड़ा म ही बदलाव करके पेश करे जाथे।
जेन गांव, गरीब अउ किसान ल पहिली प्राथमिकता म राख के सरकार ह बजट के आकार ल बड़ा-बड़ा के पेश करथे। ऊंकर विकास म सबले बड़े बाधक तो सरकारे हवय। फेर सरकार ये दिशा म नंबर वन के काम काबर नइ करत हावय। छत्तीसगढ़ म मध्यम अउ गरीब वर्ग के मरद मन तो जतका कमाथे ओकर ले आगर ल दारू म सिरवाथे। अऊ घर के निस्तारी ल ओकर गोइसन चलाथे। महिला मन जोर-सोर ले छत्तीसगढ़ म पूरा शराबबंदी के मांग करत हावय तभो ले सरकार ह कान मूंदे बइठे हावय। सरकार कना अभी एक मउका तको रिहिसे जब सुप्रीम कोर्ट ह हाइवे ले शराब दुकान हटाये के आदेश दे हावय।
लोगन के कहना हावय के भटठी हटाये के बजाए बंद काबर नइ करे जाए। हाइवे म हादसा कम करे बर आबादी म लानत हावय, तव का आबादी म हादसा नइ होही? हाइवे ले जादा तो बस्ती म हादसा होही, दारू घर-घर म झगरा मताही। तिर म पाके बेरा-कुबेरा पीये-पाए लोगन घर आही। इहां पूरा शराबबंदी ये सेती घलोक जरूरी हावय के दारू इहां के कतकोन समाज के परंपरा अउ संस्कृति के अंग आए। खुलेआम शराब मिले ले पंरपरा के आड़ म लोगन घर परिवार ल बरबाद करे म लगे हावय। शराबबंदी खातिर लोगन ह अब सड़क म उतर के प्रदर्शन अउ अनशन तको करत हावय। फेर सत्ता के नशा म चूर सरकार स्वयं निगम बनाके शराब बेचे के फइसला करे हावय। शराबबंदी के मांग ल सरकार विपक्षी उपद्रव करार देके राज के जनता ल भ्रमित करत हावय। का विपक्ष मन अच्छा विचार तको नइ सुझा सकय। जन कल्याण के हरेक अच्छा विचार के तो दलगत राजनीति ले उपर उठके सुवागत होना चाही। फोकट-फोकट वाला योजना चलाके सरकारी खजाना उरकाए ले भल तो शराबबंदी म हावय। प्रदेश के महिला मंडल, धार्मिक संगठन, मुख्य विपक्षी दल अउ आन राजनीतिक पार्टी मन के अलावा समाजसेवी संगठन मन विधानसभा ले मुख्यमंत्री आवास तक रैली अउ घेराव करके पूरा शराबबंदी के शंखनांद करे हावय। 0



छेरछेरा: अन्न दान उत्सव

छत्तीसगढ़ के रहइया मन अपन भाग ल संहरावत किथे जब-जब हम धरती म जनम धरन तब-तब इही भुंइया म आवन। इहा के कन-कन म संस्कार समाहित हवय। खेत के माटी ले लेके घर के कोठा कुरिया अउ गांव के सियार ले दइहान तक पछीना के कथा कंथली छाहित हवय। इहां सियान के बीते म परंपरा बिसरे के तको संसो नइये काबर के हरेक परब खेती अउ माटी ले जुरे हावय। जब तक दुनिया म खेती होही, काया माटी म लोटे रइही तब तक इहां के संस्कृति ल भुलाय नइ जा सकय। 
Assembly election 2017: Punjab Legislative Assembly election, Goa Legislative Assembly election, Uttarakhand Legislative Assembly election, Uttar Pradesh Legislative Assembly election, Manipur Legislative Assembly election,

अबही बखत हवय दानपून के तब थोकन छेरछेरा ल तको सोरिया लेथन। छेरछेरा ल अन्नदान के महापरब के रूप म पूस महीना के पुन्नी के दिन मनाये जाथे। ये दिन छत्तीसगढ़ के गांव-गांव म दानशीलता के अनोखा परंपरा देखे बर मिलथे। लइका-सियान सबोच ह घर-घर जाके धान मांगथे। घर वाले मन तको खुशी-खुशी मांगे बर अवइया मनके अगोरा करत चरिहा भर धान ल धरे मुहाटी म बइठे रिथे। घर के दुवारी म अइवइया सबोच हर ठोमहा-ठोमहा धान ल पाथे। दान देवइया अउ लेवइया दूनों के मन म बरोबर खुशी हमाय रिथे। का बड़हर अउ का गरीबहा सबोच मन अन्नदान के ये दिन ल छेरछेरा तिहार के रूप म मनाथे। बिहनिया-बिहनिया घर के मुहाटी म छेरछेरा मंगइया मन किथे- 
छेरिक छेरा, छेर मड़ई दिन छेरछेरा,
माई कोठी के धान ल हेर हेरा।
अरन-दरन कोदो दरन,
जभ्भे देबे तभ्भे टरन।
The annual examinations of class 9th and 11th will be conducted by CBSE from 9th March 2017
Dangal has emerged as the highest grossing Hindi film at the box office ever.Aamir Khan’s wrestling drama will also be the first Hindi film to cross Rs 350-crore mark. The film has already collected Rs 345.30 crore in its third week and is still going strong. 
अइसन रकम ले छेरछेरा मंगइया मन मुहाटी ले बिगर छोके नइ टरय। तइहा समे से चले आवत ये चलागन म ये बात अऊ जबर हावय के छेरछेरा ल कोनो भिक्षाटन ले जोर के नइ देखय। भलूक छेरछेरा ल दानपरब के कहे जाथे। अन्न दान करके गांववाले मन पुन्य कमाये। 
छेरछेरा के तिथि- पौष पुर्णमासी माने पूस महीना के अंजोरी पाख के आखरी दिन अन्नदान के महापरब छेरछेरा मनाये जाथे। हिन्दू पंचाग ह इही दिन ल शाकम्भरी जयंती तको किथे। अइसे कहे जाथे के ये दिन के दानधरम के विशेष महत्ता हावय। ग्रंथ के मुताबिक इही दिन भगवान शंकर नटावतार म माता अन्नुपूर्णा ले अन्नदान पाये रिहिसे। छत्तीसगढ़ म अइसे मानता हावय के अन्न के दान करे ले अन्नपूर्णा माता ह किसान मन ऊपर अपन किरपा बरसाथे। दान देवइया के कोठी कभू रिता नइ होवय। 
अन्नदान- छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान अंचल आए तेन पाके इहां के सबो परब खेती ले जूरे मिलथे। इहां असाढ़ के महीना म किसान मन धान के फसल उगाथे अउ कुवार-कातिक के आवत ले धान ह लुवा-मिंजा के कोठी म छबा जथे। पूस आवत ले खेती-किसानी के सरी बूता उरक जाये रिथे। परंपरा अनुसार छेरछेरा म किसान मन उही कोठी के धान ल दान करके पुनित कारज करथे। छेरछेरा म धान-कोदो जइसन अन्न के दान ही करथे। तभे तो उनला अन्नदाता कहिथे दुनिया। 
छेरछेरा परब के लोकमान्यता- छेरछेरा परब ल लेके कतकोन किस्सा तको किथे सियान मन। ओमन बताथे के एक समय म छत्तीसगढ़ म गजब सुघ्घर फसल होय रिहिसे। सबो बड़का किसान मन अपन-अपन खेत के फसल ल लू मिंज के कोठी म छाब दिस। दूसर कोति गरीब बनिहार मन पोट-पोट भूख मरे बर धर लिस तब अन्न माता रिसागे। माता किथे मैं सबोके सपूरन अन्न दे हाबव तभो ले कइसे आधा मानूख भूखन-लांघन हावय। रिस म माता ह धरती म अकाल पार दिस। अकाल ले सबो के कोठी-डोली अटागे। तब सबो जुरमिलके अन्न माता ले अरजी-बिनती करीन। माता ह परगट होके किथे-तुमन मोला अपन कोठी म धांद के राखे झिन राहव बल्कि सबला अन्न के दान करत राहव। जग म कोनो लांघन झिन राहय अइसन उदीम करव। अन्नपूर्णा माता के कहे अनुसार सबो कोनो अन्न के दान करे कर तियार होगे। तब माता के किरपा ले सबो के फसल ह बने होइसे अउ पूस के पुन्नी के दिन माता ह परगट होय रिहिसे तेन पाके उही दिन ल ही दान परब के रूप म मनाये के चलागन शुरू करे गिस। गांव के लइका मन अलग सियान मन अलग-अलग टोली बनाके घरो-घर किंजरथे। दान करइया मन घर के दुवारी मन धान के टोपली धरे ठाढ़े रिथे। ये दिन बीजा-बीजा अउ माली-कटोरी मन नहीं बल्कि म मुठा, पसर अउ काठ-पइली धान के दान करे जाथे। 
छिर्रा छेरछेरा मंगइया- गांव के नान्हे लइका मन अपन-अपन बर छेरछेरा मांगे बर जाथे। ये दिन के पाये धान ल लइका मन अपन पोगरी धरथे। अइसने घर म सउंधिया अउ गांव म लगे कोतवाल, नाऊ, धोबी, राउत, मेहर मन तको गांव म आन लोगन मन संग संघरे छेरछेरा मांगथे। मालिक ठाकुर मन अपन-अपन बनिहार मनला मनमाफिक दान करथे।  
टोली म छेरछेरा मंगइया- गांव-गांव म भजन-किर्तन, सेवा मंडली, रामायण, रामधुनी, अखाड़ा, लीला मंडली वाले मन चरियारी काम बर छेरछेरा मांगे खातिर गाना-बजाना करत निकलथे। जगह-जगह म गीत-गोविंद तको सुने म मिलथे। रामधुनी अउ डंडा नाच ले गांव भक्तिरस म सराबोर हो जथे। 
समाजी रूपिया के हिसाब-किताब-  गांव के समाजी वाला मन छेरछेरा के सकलाये धान ल बेंचके बाजा-रूंजी बिसाथे। उपराहा रकम ल सकेल के राखे रिथे। जेन कोनो ल मउका म रूपिया के जरूरत परथे तव इही समाजी पइसा ल बियाज म उठाथे। साल के साल छेरछेरा के दिन समाजी पइसा के हिसाब-किताब तको होथे। जेन मन समाजी पइसा ल उठाये रिथे तेन मन फेर समाज म जमा करथे। अइसे रकम ले धीरे-धीरे समाजी पइसा के बढ़ोत्तरी तको होवत रिथे। छेरछेरा परब ह धान के महत्ता तो बगराबेच करथे संगे-संग एक दूसर ल मउका म रूपिया-पइसा, धान-चाउर के साहमत करे के सीख तको देथे।
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अन्नदान के परब छेरछेरा ह आन राज म तको छत्तीसगढ़ी संस्कृति अउ पंरपरा के शान बनथे। जेन दुनिया के कोनो कोना म नइ होवय वो छत्तीसगढ़ के गांव म देख बर मिलथे। आन बर सीख के गोठ आए के छत्तीसगढ़ म दानपून के तको विशेष परब आथे। येमा जेन मन धरम करम ले जुड़े हावय तेने मन अऊ जेन मन धरम-करम ले कोसो दुरिहा रहिथे तेने मन पूस के पुन्नी म धान के दान करके पून कमाथे। वइये ये दिन के पुराण म एक अउ उल्लेख मिलथे के इही दिन ले पुण्य स्नान के शुरूआत होते जोन मांघी पुन्नी तक चलथे। ये स्न्नान के हिन्दु धर्म  विशेष महत्व बताये गे हावय। अइसे मनता हवय के ये दिन के स्न्नान, धियान अउ दान मोक्षदायनी होथे। माने छेरछेरा के दिन स्न्नान-धियान-दान आदि करम करे ले जीव घेरी-बेरी जनम-मरण के बंधना ले छूटथे, मोक्ष मिलथे। 
Argentina: Kazakhstan:  Congo, Democratic Republic of the:

Mexico: Saudi Arabia: Indonesia: Sudan: Libya: 
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यह लेख छत्तीसगढ़ की जनभाषा छत्तीसगढ़ी में है। जिसमें छेरछेरा पर्व के विषय में प्रचलित पंरपरा को लिपिबद्ध किया गया है। कुछ छायाचित्र गुगल से—