शराबबंदी के खिलाफ काबर सरकार?

छत्तीसगढ़ सरकार के काम-काज के चारो मुड़ा बड़ई होवत हाबे, केंद्र ले तको साल के सम्मान मिलते हाबे। इंकर काम करे के तरीका ल देखबे तव अइसे लागथे मानो आन राज के मन कुछू काम-धाम करबे नइ करय। छत्तीसगढ़ सरकार करही तेने ल बता-बताके, काम ल जनवाथे के देखव हम ये काम करे हाबन। सरकार के मंत्रीमंडल ह तको काम ल अपन फर्ज अउ जुमेदारी समझ के नहीं बल्कि एहसान करे बर करथे, तभे तो देश म सोर बगराके ओकर ओढ़र म सम्मान पाथे के फलाना काम करने वाला छत्तीसगढ़ देश के पहिली राज। सम्मान तो अतका झोकत हावय के दिल्ली म एक 'सम्मान झोकइया' विभाग बनाके परमानेंट बइठारे के जरूरत पड़ सकत हावय। भारत के आन राज्य मन छत्तीसगढ़ सरकार ले काम के कइसे ढिंढोरा पिटना हे येला तो जानी डरे होही। इहां पहिली समस्या पैदा करना अऊ फेर ओकर समाधान बर जबर बुता करना ही सरकार के पहिली प्राथमिकता होथे। अब देखव न टेबल ठोक-ठोक के हरेक साल हजारों करोड़ के बजट पेश होथे, हरेक बजट म गांव, गरीब अउ किसान ल पहिली प्राथमिकता देके करार होथे। अब तो अइसे जनाथे के बजट सत्र के भासन हरेक साल उहीच होथे सिरिफ रूपिया के आंकड़ा म ही बदलाव करके पेश करे जाथे।
जेन गांव, गरीब अउ किसान ल पहिली प्राथमिकता म राख के सरकार ह बजट के आकार ल बड़ा-बड़ा के पेश करथे। ऊंकर विकास म सबले बड़े बाधक तो सरकारे हवय। फेर सरकार ये दिशा म नंबर वन के काम काबर नइ करत हावय। छत्तीसगढ़ म मध्यम अउ गरीब वर्ग के मरद मन तो जतका कमाथे ओकर ले आगर ल दारू म सिरवाथे। अऊ घर के निस्तारी ल ओकर गोइसन चलाथे। महिला मन जोर-सोर ले छत्तीसगढ़ म पूरा शराबबंदी के मांग करत हावय तभो ले सरकार ह कान मूंदे बइठे हावय। सरकार कना अभी एक मउका तको रिहिसे जब सुप्रीम कोर्ट ह हाइवे ले शराब दुकान हटाये के आदेश दे हावय।
लोगन के कहना हावय के भटठी हटाये के बजाए बंद काबर नइ करे जाए। हाइवे म हादसा कम करे बर आबादी म लानत हावय, तव का आबादी म हादसा नइ होही? हाइवे ले जादा तो बस्ती म हादसा होही, दारू घर-घर म झगरा मताही। तिर म पाके बेरा-कुबेरा पीये-पाए लोगन घर आही। इहां पूरा शराबबंदी ये सेती घलोक जरूरी हावय के दारू इहां के कतकोन समाज के परंपरा अउ संस्कृति के अंग आए। खुलेआम शराब मिले ले पंरपरा के आड़ म लोगन घर परिवार ल बरबाद करे म लगे हावय। शराबबंदी खातिर लोगन ह अब सड़क म उतर के प्रदर्शन अउ अनशन तको करत हावय। फेर सत्ता के नशा म चूर सरकार स्वयं निगम बनाके शराब बेचे के फइसला करे हावय। शराबबंदी के मांग ल सरकार विपक्षी उपद्रव करार देके राज के जनता ल भ्रमित करत हावय। का विपक्ष मन अच्छा विचार तको नइ सुझा सकय। जन कल्याण के हरेक अच्छा विचार के तो दलगत राजनीति ले उपर उठके सुवागत होना चाही। फोकट-फोकट वाला योजना चलाके सरकारी खजाना उरकाए ले भल तो शराबबंदी म हावय। प्रदेश के महिला मंडल, धार्मिक संगठन, मुख्य विपक्षी दल अउ आन राजनीतिक पार्टी मन के अलावा समाजसेवी संगठन मन विधानसभा ले मुख्यमंत्री आवास तक रैली अउ घेराव करके पूरा शराबबंदी के शंखनांद करे हावय। 0



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