छायाचित्र- लोक वाद्य संग्रहकर्ता/रंगकर्मी अउ बस्तर बैंड के संयोजक/निर्देशक श्री अनूप रंजन पांडेय जी के संग्रह ले साभार। |
झुमकाहा ल एक दिन ओकर टूरा ह किथे बाजा मन ल काबर नइ निकालत हाबस। निकालतेस नवा-नवा लइका मन ल सिखातेस। तूमन अपन समय के गजब नामी बजनिया रेहेव अभी तक लोगन मन बाजा लगाय बर तूहर नाव लेके पूछत गांव म आथे। लइका मन ल सिखोतेव तव तूहर नाव ल आगू बढ़ातिस। झुमकाहा किथे इही तो मै नइ चाहवं। हमन ह भले उमर भर बजगरी रेहेन ते रेहेन फेर अब कोनो लइका ल बजगरी होन नइ दवं। कलाकारी के सउख हे त जाव कोनो दूसर कलाकारी करव। लइका मन ल झुमकाहा ह समाजी बाजा बजाय बर मना करय, वो काहय कलाकारिच करे बर हे तव अऊ गजब विधा हे कोनो म जाव फेर गाड़ा बाजा झन बजाव।
काबर झुमकाहा ह समाजी बाजा बजाय के नाम से गुसियाथे ये बात ल गांव के सबो कोनो ह जानथे। गांव म एक पइत बड़ेक जान जलसा होत रिहिस। वो जलसा म राज के सबो नेता मन आए रिहिस। हमर राज भर के लोककला दल मन ल नेवता दे के बलाय रिहिन। झुमकाहा मन ल घलो बलाय रिहिन। नेता अइस तव समाजी बाजा वाला मन आगू-आगू जोहारत ठउर तक लेगिन। नेता मन ठउर म जाके भाषण दिन, ताहन फेर बाहिर ले आय कलाकार मन ल पारी-पारी मंच म बला के सम्मान करत गीस। सरी कार्यक्रम ह सीरागे फेर समाजी बाजा वाला मन के पारी आबे नइ करिस। सबो नेता मन अब मंच ले उतर के आर्केस्टा देखे बर नीचे म आगे। रात के दस बजती रिहिस। निसनहा के छाती पिरा उठगे। सबो बजगरी मन सकपका गे। संतरी-कंतरी सबो रिहिन फेर कोनो ह निसनहा ल इलाज पानी कराय के जिकर नइ करिस। मनोरंजन करत हाहा हीही म रमे रिगे। थोरकेच अलथी-कलथी लिस ताहन नारी जुड़ागे। अइसने-अइसने घटना मन म ओकर पार्टी के बजगरी संगी मन सिरागे। संगी मन के सिराय के बाद झुमकाहा ह बाजा ल छुबे नइ करिस। झुमकाहा के मन म इही बात के रिस हमागे हाबे कि सबो गाजा-बाजा अउ नचइया-गवइया वाला मन रूपिया पइसा लेथे। कला के परसादे अपन घर चलाथे। फेर काबर हमन बजगरी अउ वो मन वादक कलाकार होथे। हमर बर एनसन-पेंसन मान-सम्मान काही नइ।
ये बात के जानबा झुमकाहा के लइका के होइस तव ओहा ये बिसय म गजब गुनान करिस। अउ अपन गांव के संगी साथी मन ल सकेल के एक ठीन संस्था बनइस। संस्था के एके ठीन उद्देश्य रखिस गांव-गांव के पारंपरिक कला ल संजो के रखना हे। गांव के कोनो भी विधा के जानकार होय ओकर मान बढ़ाना हे काबर की वोमन हमर प्रदेश के लोक संस्कृति ल जीवित राखे के बुता करत हे। लइका मन परन करके निसुवारथ काम म लगगे। वोमन गांव-गांव जाके पारंपरिक लोक वाद्य के संग समाजी बाजा दल,गोदना वाली,चिकारा नाच वाला,अखाड़ा वाला, भजनाहा, नाचा पार्टी, सुवा दल, पंथी, बांस गीत गवईया, आल्हा गवईया माता सेवा जइसन लोक संस्कृति के जानकार मन ल एके ठउर म समोख के उंकरे मन के मान बढ़ाय के उदिम म रमगे।
झुमकाहा के लइका ह गांव-गांव म अपने सहिक जवान मन ल संगी बना के अपन संस्था ल राज भर म फैला डरिस। अब तो राज म कोना कलाकार ल काहीं के तकलीफ होथे त उंकर संस्था ह भरपूर मदद करथे। कोनो ल आर्थिक तंगई छाथे तिकरों बर वो मन चंदा सकेल-सकेल के मदद करथे। लइका मन ल अइसन काम करत देख के झुमकाहा के मन के पिरा ह थिरइस। एक दिन खुदे अपन लइका ल बला के किथे जा तो रे सीड़ीया लान अउ वो पटउहा के बाजा मन ल हेर। लइका ह खुशी-खुशी गीस अउ बाजा ल हेरिस। सोनडोंगर के समाजी बाजा काहत लागे। नाननान लइका मन के कनिहा म साज बांध के झुमकाहा ह अपन झुमका झनकारिस। देवधाम के रहईया अपन बजगरी संगी मन के नाव सुमर के सोनडोंगर समाजी बाजा पार्टी ल फेर नवा बजगरी मन संग तियार करिस, दफड़ा, दमऊ, मोहरी, टिमकी ह फेर गदके लगगे।
ये बात के जानबा झुमकाहा के लइका के होइस तव ओहा ये बिसय म गजब गुनान करिस। अउ अपन गांव के संगी साथी मन ल सकेल के एक ठीन संस्था बनइस। संस्था के एके ठीन उद्देश्य रखिस गांव-गांव के पारंपरिक कला ल संजो के रखना हे। गांव के कोनो भी विधा के जानकार होय ओकर मान बढ़ाना हे काबर की वोमन हमर प्रदेश के लोक संस्कृति ल जीवित राखे के बुता करत हे। लइका मन परन करके निसुवारथ काम म लगगे। वोमन गांव-गांव जाके पारंपरिक लोक वाद्य के संग समाजी बाजा दल,गोदना वाली,चिकारा नाच वाला,अखाड़ा वाला, भजनाहा, नाचा पार्टी, सुवा दल, पंथी, बांस गीत गवईया, आल्हा गवईया माता सेवा जइसन लोक संस्कृति के जानकार मन ल एके ठउर म समोख के उंकरे मन के मान बढ़ाय के उदिम म रमगे।
झुमकाहा के लइका ह गांव-गांव म अपने सहिक जवान मन ल संगी बना के अपन संस्था ल राज भर म फैला डरिस। अब तो राज म कोना कलाकार ल काहीं के तकलीफ होथे त उंकर संस्था ह भरपूर मदद करथे। कोनो ल आर्थिक तंगई छाथे तिकरों बर वो मन चंदा सकेल-सकेल के मदद करथे। लइका मन ल अइसन काम करत देख के झुमकाहा के मन के पिरा ह थिरइस। एक दिन खुदे अपन लइका ल बला के किथे जा तो रे सीड़ीया लान अउ वो पटउहा के बाजा मन ल हेर। लइका ह खुशी-खुशी गीस अउ बाजा ल हेरिस। सोनडोंगर के समाजी बाजा काहत लागे। नाननान लइका मन के कनिहा म साज बांध के झुमकाहा ह अपन झुमका झनकारिस। देवधाम के रहईया अपन बजगरी संगी मन के नाव सुमर के सोनडोंगर समाजी बाजा पार्टी ल फेर नवा बजगरी मन संग तियार करिस, दफड़ा, दमऊ, मोहरी, टिमकी ह फेर गदके लगगे।
बजकरी के दुखपीरा के बने पिरोय हव बधई जयन्त भाई
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