बिगर परमान के मनुष्य आत्मा समान

अनुभागिय अधिकारी दौरा म रिहीस। पटवारी अउ आर आई अपन-अपन दुघरा गे रिहीस। सरपंच ह अपन सारी के बिहाव म सरपंचीन दूनो अपन ससुरार म बइठे हे। गांव म कोनो हस्ताक्षर वाला सियान नइये अइसन बखत म आत्माराम ल मरना आगे। काकर मरना कब लिखाय हे ते तेला तो कोनो नइ जानय फेर मरईया ल तो थोरिक सबर करना रिहीस। पढ़े लिखे पंचन ल अगोरना रिहीस। मरे बर तो काल अइस तभे मरीस फेर दुनिया बर अकाल मृत्यु होगे।
           आत्माराम के मुर्दा घर म परे हे नारी परानी मन सुलिन लगा के रोवा-राही करत हे। डउका लोगन मन रोवई ले जादा मृत्यु परमान पत्र के फिकर म हलाकान हे। बड़े टूरा ह मुड़ी धरे बाप करा बइठे हे, मंझला ह परमान पत्र बनावय बर बुद्वी लगावथे अउ रई-रई के छोटे टूरा ल काम तियारत हाबे। एला-बला,ओला-बला इही बुता फदके हे। कभु काठी के नेवता ल कभु गवाही बर आदमी सकेले बर। सांझ कुन के आत्माराम करे एकतो रात कन के खाए नइये। संझा ले बिहनियां, बिहनिया ले मंझनिया होगे। ऐती ओती के दउड़ भाग के टूरा के भुख करलागे। सरी बेरा म सही दिमाक लगाईस अउ ददा करा घोलंड के बमफाड़ रोए लगगे। रोवा राही म लगीस तव दुसर काम ले छुटकारा मिलीस। बाकी काम ल पास परोयस के मन संभाल लिस।
         बिगर मृत्यु प्रमाण पत्र के आदमी ल मृत नइ माने जा सके फेर हस्ताक्षर वाला मन के अगोरा म तो आत्माराम के मास बस्सा जतिस। आत्माराम के लाश के फोटू खिचाइस अउ लेसे बर मुरदौली म लेगिस। आत्माराम के लाश मुरदौली म परे हे अउ वोकर आत्मा ह सॉए ले यमराज करा चल दिस। यमराज आत्माराम के आत्मा ल बिना परिचय पत्र के भितर खुसरन नइ दिस। आत्मा ल किथे जा वापिस धरती अउ अपन आई डी प्रुफ लेके आ। राशन कार्ड, बिजली बिल, 1984 ले पहिली के भु-अभिलेख, मतदाता परिचय पत्र, बैंक के पास बुक, जन्म प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, मुल निवास येमा से एको ठिन तोर करा होही तव ओकर फोटो कापी लेके आबे तभे भितरी जाबे।
           आत्माराम के आत्मा ह अपन घर आके कगत पुरजा खोजिस, अरे रईतिस तब तो मिलतिस। दुच्छा आत्मा लहुटगे। आत्मा किथे मोर तो कोनो आई.डी.नइये, गांव के सियान करा लिखा के लानवं का जेन मन मोला जानथे। यमराज किथे वो नइ चलय,गांव के आदमी करा लिखाय वाला ल घलो राजपत्रित अधिकारी करा सत्यपित कराय बर परही। आत्मा बर अउ बकवाए होगे।
            सरपंच हे तेन हल्का उमर के, पटवारी आन गांव के, अउ तहसीलदार अंते राज के। येमन 87 साल के आत्माराम ल भला आत्माराम के रूप कइसे परमानित करही। यमराज किथे आत्माराम तोर कतको पिढ़ी इही गांव म जनमिस अउ मर खपगे ये बात ल तै जानथस मैं जानथवं तभो ले लिखित म होना जरूरी हे। अबतो जेन मनखे करा जन्म, जाति, निवास, अउ मतदाता पत्र म नाम नइये तिकर धरती म कोनो अस्तित्व नइये जीते जी आत्मा समान निवास करत हे। आत्मा किथे जादा झन सता महराज का करना हे तेला बता। यमराज किथे मै कुछू नइ करे सकवं तै तो आत्मा रूप हावस,शरीर सुद्वा रिते सोना चांदी पइसा कउड़ी धरे रिते तव कुछू अऊ सोचतेवं। तै जा अपन शरीर म लहुट जा।
          आत्मा मगन होगे वोला तो अऊ जिये के अवसर मिलगे। मारे खुशी के आव देखिस न ताव सॉए ले शरीर म झपागे। शरीर म आगी ढिलागे रिहीस। चिचियावत-चिचियवत आत्माराम चिता ले उठगे। शरीर म आगी के भभकती होइस अउ आत्मा के खुसती होइस। बचाव-बचाव किके बरते-बरत अलथी कलथी छटपटाए लगगे। कठीयारा मन के हावा पानी बंद होगे तभो ले बल करके धकर-लकर आगी ल भुताईस अउ सहर के सरकारी अस्पताल म लेगिस। आई.सी.यू.के खटिय म सुतिस अउ बिगर दवई बुटी खाय फेर मरगे। सरकारी अस्पताल के एम.बी.बी.एस.डॉक्टर ह आत्माराम ल मृत घोसित करिस अउ डेथ साटिपिकट जरी कर दिस। आत्माराम के आत्मा ल यमलोक म खुसरे के परमिसन मिलगे। घरोक मन घलो ये दरी के मरना ह सुभित्ता लागिस। प्रमाण पत्र घलो तुरते पा लीस। अब इही प्रमाण पत्र ह वोकर कुटुम के अस्तित्व के परमान होगे।

जिही कारज बर अवतरिस घासीदास तिही म अरहजगे

              छत्तीसगढ़ के महान संत परंम पुज्य गुरू घासीदास ल सत सत नमन। सतनाम के अलख जगइया, जात पात के भेद मिटइया गरीब अउ दलित के तारण हारक बाबा ल आज वोकर जयंती के सती सोरियावथवं। काबर की सच्चा संत मन अइसने बेरा बखत म ही सुरता आथे। कतको संत मन के तो सुरताच नइ आवे। केहे के बेरा भले गरब से कहि देथन कि हमर छत्तीसगढ़ म बड़े-बड़े ऋषि मुनी अउ संत महात्मा मन जनम धरे हे फेर नाव लेके बेरा एको झन के नाव मुंह म नइ आवे। चेत हरा जथे अइसन बात नोहे कारण कुछ अऊ रिथे।
              गुरू घासीदास के बारे म कहे जाथे कि बाबा ह अपन समय के समाजिक आर्थिक विषमता, शोषण अउ जात-पात के लड़ाई लड़िन। वो समय संत ह सत मार्ग के जोन बिजहा अंचल म बगराए रिहीस वो बिजहा ह आज भी पेड़वा नइ बन पाय हे। कोनो जगा झाड़ी रूप म हे,कोनो तिर पाना फेकत हे,त कहु हर तो अभी जरई जमावत हे। कोन जनी कब विशाल पेड़ बनही मोला तो यहू संका हे कि पेड़ बन पाही की नही। काबर कि संत मन के अतका ज्ञान अउ उपदेश बाटे के बाद भी मनखे ह मनखे नइ बन पाय हे। हाड़ मास के काया म कुछू अऊ दिखथे।
                देखव न जिंही कारज बर घासीदास ह धरती म अवतार लेके आय रिहीस तिही म हमी ओला अरझा डरे हन। केहे के मतलब बाबा ह जाति धरम अउ उच निच के डबरा ल पाटे के परयास करिस, मानुस चोला के राहत ले मनखे ल मनखे बनाय के बनाय के कोशिश करिस। संत के प्रयास सार्थक घलो होगे रिहीस हमर सियान मन उंकर बताय रद्दा म चलके अपन घर संसार ल संवारत रिहीस। जइसे ही संत अउ सियान के मानुस चोला खपिस हमर बिच फेर जात-पात के डबरा खनागे।
                 संत ल सोरियाय के बेरा अपन-अपन धरम सुरता आथे अउ उही धरम के धरहा छुरी म चानी-चानी चनाके अलग थलग फेका जथन। घासीदास बर सतनामी समाज,कबीर साहेब बर कबीरहा मन,कर्मा भक्तिन बर तेली समाज,धीरे-धीरे सबो समाज के धर्म उपदेश अउ संत प्रकट हो जथे। ज्ञान के अखर बांचे म कोनो बुराइ नइये, जहां ले मिलय जइसे मिलय बटारेव। फेर ज्ञानी ध्यानी के सुरता करे के बेरा म एक चिनहीत समाज के उपर थोप देना ये बने बात नोहय। हमर छत्तीसगढ़ के संत महात्मा के नमन म तो सबो छत्तीसगढ़ीया के माथा झुकना चाही। खैर सबके अपन-अपन मानता अउ आस्था हे कोनो जोर जबरई नइ हे,काबर अपन ऊपर क्षेत्रियता के मुखौटा लगाहू,राष्ट्यिता के ढोंग लगाय खुश राहव।
           हहो संत मन घलो स्थानी प्रादेसिक राष्टिय अउ अंतरराष्टिय होगे हे। संत ह ज्ञान अउ उपदेश के बजाय मेंबर बनाय के मेसेज वाचन करथे। मनीआडर अउ ड्ाप्ट म दक्षिणा लेके डाक से आसिर्वाद भेजथे। अइसने धर्मिक संप्रदायिक सज्जन मन के ठोकपरहा गोठ के सेती हमर छत्तीसगढ़ के संत मन बेरा बखत के बेरा म ही सुरता आथे बाकी दिन ऑनलाइन डारेक्ट टू होम बाबा मन ह। अब तो सबो गांव घर म इही हाल हे मोर घर तो अऊ जादा इही पाय के कलेश काटे बर सत के ध्वजा धरे जोग लगाय हवं। जय सतनाम...  जय घासीदास...  जय छत्तीसगढ़...,