छत्तीसगढ़ के महान संत परंम पुज्य गुरू घासीदास ल सत सत नमन। सतनाम के अलख जगइया, जात पात के भेद मिटइया गरीब अउ दलित के तारण हारक बाबा ल आज वोकर जयंती के सती सोरियावथवं। काबर की सच्चा संत मन अइसने बेरा बखत म ही सुरता आथे। कतको संत मन के तो सुरताच नइ आवे। केहे के बेरा भले गरब से कहि देथन कि हमर छत्तीसगढ़ म बड़े-बड़े ऋषि मुनी अउ संत महात्मा मन जनम धरे हे फेर नाव लेके बेरा एको झन के नाव मुंह म नइ आवे। चेत हरा जथे अइसन बात नोहे कारण कुछ अऊ रिथे।
गुरू घासीदास के बारे म कहे जाथे कि बाबा ह अपन समय के समाजिक आर्थिक विषमता, शोषण अउ जात-पात के लड़ाई लड़िन। वो समय संत ह सत मार्ग के जोन बिजहा अंचल म बगराए रिहीस वो बिजहा ह आज भी पेड़वा नइ बन पाय हे। कोनो जगा झाड़ी रूप म हे,कोनो तिर पाना फेकत हे,त कहु हर तो अभी जरई जमावत हे। कोन जनी कब विशाल पेड़ बनही मोला तो यहू संका हे कि पेड़ बन पाही की नही। काबर कि संत मन के अतका ज्ञान अउ उपदेश बाटे के बाद भी मनखे ह मनखे नइ बन पाय हे। हाड़ मास के काया म कुछू अऊ दिखथे।
देखव न जिंही कारज बर घासीदास ह धरती म अवतार लेके आय रिहीस तिही म हमी ओला अरझा डरे हन। केहे के मतलब बाबा ह जाति धरम अउ उच निच के डबरा ल पाटे के परयास करिस, मानुस चोला के राहत ले मनखे ल मनखे बनाय के बनाय के कोशिश करिस। संत के प्रयास सार्थक घलो होगे रिहीस हमर सियान मन उंकर बताय रद्दा म चलके अपन घर संसार ल संवारत रिहीस। जइसे ही संत अउ सियान के मानुस चोला खपिस हमर बिच फेर जात-पात के डबरा खनागे।
संत ल सोरियाय के बेरा अपन-अपन धरम सुरता आथे अउ उही धरम के धरहा छुरी म चानी-चानी चनाके अलग थलग फेका जथन। घासीदास बर सतनामी समाज,कबीर साहेब बर कबीरहा मन,कर्मा भक्तिन बर तेली समाज,धीरे-धीरे सबो समाज के धर्म उपदेश अउ संत प्रकट हो जथे। ज्ञान के अखर बांचे म कोनो बुराइ नइये, जहां ले मिलय जइसे मिलय बटारेव। फेर ज्ञानी ध्यानी के सुरता करे के बेरा म एक चिनहीत समाज के उपर थोप देना ये बने बात नोहय। हमर छत्तीसगढ़ के संत महात्मा के नमन म तो सबो छत्तीसगढ़ीया के माथा झुकना चाही। खैर सबके अपन-अपन मानता अउ आस्था हे कोनो जोर जबरई नइ हे,काबर अपन ऊपर क्षेत्रियता के मुखौटा लगाहू,राष्ट्यिता के ढोंग लगाय खुश राहव।
हहो संत मन घलो स्थानी प्रादेसिक राष्टिय अउ अंतरराष्टिय होगे हे। संत ह ज्ञान अउ उपदेश के बजाय मेंबर बनाय के मेसेज वाचन करथे। मनीआडर अउ ड्ाप्ट म दक्षिणा लेके डाक से आसिर्वाद भेजथे। अइसने धर्मिक संप्रदायिक सज्जन मन के ठोकपरहा गोठ के सेती हमर छत्तीसगढ़ के संत मन बेरा बखत के बेरा म ही सुरता आथे बाकी दिन ऑनलाइन डारेक्ट टू होम बाबा मन ह। अब तो सबो गांव घर म इही हाल हे मोर घर तो अऊ जादा इही पाय के कलेश काटे बर सत के ध्वजा धरे जोग लगाय हवं। जय सतनाम... जय घासीदास... जय छत्तीसगढ़...,
गुरू घासीदास के बारे म कहे जाथे कि बाबा ह अपन समय के समाजिक आर्थिक विषमता, शोषण अउ जात-पात के लड़ाई लड़िन। वो समय संत ह सत मार्ग के जोन बिजहा अंचल म बगराए रिहीस वो बिजहा ह आज भी पेड़वा नइ बन पाय हे। कोनो जगा झाड़ी रूप म हे,कोनो तिर पाना फेकत हे,त कहु हर तो अभी जरई जमावत हे। कोन जनी कब विशाल पेड़ बनही मोला तो यहू संका हे कि पेड़ बन पाही की नही। काबर कि संत मन के अतका ज्ञान अउ उपदेश बाटे के बाद भी मनखे ह मनखे नइ बन पाय हे। हाड़ मास के काया म कुछू अऊ दिखथे।
देखव न जिंही कारज बर घासीदास ह धरती म अवतार लेके आय रिहीस तिही म हमी ओला अरझा डरे हन। केहे के मतलब बाबा ह जाति धरम अउ उच निच के डबरा ल पाटे के परयास करिस, मानुस चोला के राहत ले मनखे ल मनखे बनाय के बनाय के कोशिश करिस। संत के प्रयास सार्थक घलो होगे रिहीस हमर सियान मन उंकर बताय रद्दा म चलके अपन घर संसार ल संवारत रिहीस। जइसे ही संत अउ सियान के मानुस चोला खपिस हमर बिच फेर जात-पात के डबरा खनागे।
संत ल सोरियाय के बेरा अपन-अपन धरम सुरता आथे अउ उही धरम के धरहा छुरी म चानी-चानी चनाके अलग थलग फेका जथन। घासीदास बर सतनामी समाज,कबीर साहेब बर कबीरहा मन,कर्मा भक्तिन बर तेली समाज,धीरे-धीरे सबो समाज के धर्म उपदेश अउ संत प्रकट हो जथे। ज्ञान के अखर बांचे म कोनो बुराइ नइये, जहां ले मिलय जइसे मिलय बटारेव। फेर ज्ञानी ध्यानी के सुरता करे के बेरा म एक चिनहीत समाज के उपर थोप देना ये बने बात नोहय। हमर छत्तीसगढ़ के संत महात्मा के नमन म तो सबो छत्तीसगढ़ीया के माथा झुकना चाही। खैर सबके अपन-अपन मानता अउ आस्था हे कोनो जोर जबरई नइ हे,काबर अपन ऊपर क्षेत्रियता के मुखौटा लगाहू,राष्ट्यिता के ढोंग लगाय खुश राहव।
हहो संत मन घलो स्थानी प्रादेसिक राष्टिय अउ अंतरराष्टिय होगे हे। संत ह ज्ञान अउ उपदेश के बजाय मेंबर बनाय के मेसेज वाचन करथे। मनीआडर अउ ड्ाप्ट म दक्षिणा लेके डाक से आसिर्वाद भेजथे। अइसने धर्मिक संप्रदायिक सज्जन मन के ठोकपरहा गोठ के सेती हमर छत्तीसगढ़ के संत मन बेरा बखत के बेरा म ही सुरता आथे बाकी दिन ऑनलाइन डारेक्ट टू होम बाबा मन ह। अब तो सबो गांव घर म इही हाल हे मोर घर तो अऊ जादा इही पाय के कलेश काटे बर सत के ध्वजा धरे जोग लगाय हवं। जय सतनाम... जय घासीदास... जय छत्तीसगढ़...,
जय सतनाम....जय गुरूबाबा....
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