छत्तीसगढ़ राज के सपना ल साकार करे म लोक कलाकार अउ साहित्यकार मनके गजब योगदान हाबे। सिरतोन बात किबे तव छत्तीसगढ़ ह साहित्यिक आंदोलन के सिरजन आए। भासा के लड़ई ले अलग राज के सपना जोंगईस। इहां के जुन्नटहा कलमकार मन तइहा समे ले अलग अपन चिनहारी खातिर लड़ई लड़त रिहिस हाबे, धीरे-धीरे चारो मुड़ा के कलमकार मन सुनता-सुलाह होके दिल्ली तक पहुंचिस। उकर संग म लोक कलाकार मन तको अपन अलग चिनहारी पाये खातिर साहमत दिस, ओ बखत कोनो राजनेता बने ह ढंग के लड़ई म नइ कुदत रिहिसे। नेता मनला तो अजम तको नइ रिहिस के साहित्यकार अउ कलाकार मनके लड़ई फत परही। कलमकार मनके हौसला ल देखके नेता मन तको धीरे-धीरे लोरघत गीस अउ हम 1 नवंबर 2000 के अलग चिनहारी पागेन। अलग राज बने के बाद राजनेता मन गद्दी पागे उही मन वाहवाही तको बटोरिस। फेर छत्तीसगढ़िया मन ठगागे। भाखा के लड़ई ले राज बनिस, अब नेता मूल बात ल बिसार के छत्तीसगढ़ी संग दगाबाजी कर दीस।
अलग छत्तीसगढ़ राज पाये के बाद कलमकार मन ये सोचत रिहिन के ओमन के लड़ई पुरा होगे, फेर सिधवा मन नेता मनके चाल नइ जान पाइस। सत्ता पाते साठ जेकर बल म छत्तीसगढ़ अलग राज पाइस ओही ल भुलागे। जेन कारन बर अलग राज मिलिस ओकर चेत नइ करिस। हद तो तब होगे जब छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी ल राजभाखा बनाये बर छै बछर के बखत लागिस। छत्तीसगढ़िया कलमकार ल छत्तीसगढ़ी ल राजभाखा बनाये खातिर गेलौली करे बर परिस, आंदोलन करे बर परिस तब छत्तीसगढ़ के विधानसभा म 28 नवंबर 2007 के छत्तीसगढ़ी ह राजभाखा बनिस। सरकार ह छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के गठन करिस। आयोग के काम काज तो आज तक काखरो समझ म नइ आइस। दू कार्यकाल होगे फेर आयोग के काम काज ले कोनो साहित्यकार खुस नइये। आयोग के बारे म ये केहे जावत हे के छत्तीसगढ़िया मनके मुंह तोपे बर आयोग बनाये गे हाबे। सात साल होगे छत्तीसगढ़ी ल राजभासा बने फेर सरकार ल सुरता नइये के छत्तीसगढ़ी दिवस मनाये जाना हाबे। छत्तीसगढ़ी दिवस मनाये के जिम्मा राजभासा आयोग अउ संसकिरति विभाग उपर छोड़ के सरकार ह कान मुंदे बइठे हाबे। का राज भासा के सम्मान करना सबो के जिम्मेदारी नइ बने। रास्ट भाखा दिवस ल कइसे सबो सरकारी अउ गैर सरकारी विभाग मन मनाथे।
छत्तीसगढ़ी दिवस मनाये बर का राजभासा आयोग बनाये गे हावय? का छत्तीसगढ़ी के सबो सरकारी विभाग के जिम्मेदारी नइ बने के ओमन छत्तीसगढ़ के राजभाखा छत्तीसगढ़ी के सम्मान करय। सरकार ह 28 नवंबर ल छत्तीसगढ़ी दिवस के रूप म मनाये के घोसना करे हाबे। यहू घोसना पउर साल ले होय हाबे। माने सरकार ल छत्तीसगढ़ी दिवस मनावत दूये साल होवथे। अउ राजभाखा बने सात साल होवथे। अब इही मेर आयोग अउ सरकार के मंसा के फरीफरकत होगे के ओमन छत्तीसगढ़ी ल राजभासा अउ छत्तीसगढ़ राजभासा आयोग का खातिर बनाइस हाबे। खैर छत्तीसगढ़ी दिवस के ओढ़र म कखरो पै ल का खोधियाबे। जेकर सो जइसे बनथे छत्तीसगढ़ी के उरऊती बर बुता करन। जइसे हिन्दी दिवस ल सबो सरकारी विभाग मन मनाथे ओइसने छत्तीसगढ़ी दिवस के दिन तको सबो छत्तीसगढ़ी म गोठियान। स्कूल-कॉलेज म तको एक दिन छत्तीसगढ़ी वाचन होवय। छत्तीसगढ़ी म पढ़ाय-लिखाय जावे। कम से कम एक दिन तो अइसन करके देखन। तभे छत्तीसगढ़ी दिवस मनई फत परही।
अलग छत्तीसगढ़ राज पाये के बाद कलमकार मन ये सोचत रिहिन के ओमन के लड़ई पुरा होगे, फेर सिधवा मन नेता मनके चाल नइ जान पाइस। सत्ता पाते साठ जेकर बल म छत्तीसगढ़ अलग राज पाइस ओही ल भुलागे। जेन कारन बर अलग राज मिलिस ओकर चेत नइ करिस। हद तो तब होगे जब छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी ल राजभाखा बनाये बर छै बछर के बखत लागिस। छत्तीसगढ़िया कलमकार ल छत्तीसगढ़ी ल राजभाखा बनाये खातिर गेलौली करे बर परिस, आंदोलन करे बर परिस तब छत्तीसगढ़ के विधानसभा म 28 नवंबर 2007 के छत्तीसगढ़ी ह राजभाखा बनिस। सरकार ह छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के गठन करिस। आयोग के काम काज तो आज तक काखरो समझ म नइ आइस। दू कार्यकाल होगे फेर आयोग के काम काज ले कोनो साहित्यकार खुस नइये। आयोग के बारे म ये केहे जावत हे के छत्तीसगढ़िया मनके मुंह तोपे बर आयोग बनाये गे हाबे। सात साल होगे छत्तीसगढ़ी ल राजभासा बने फेर सरकार ल सुरता नइये के छत्तीसगढ़ी दिवस मनाये जाना हाबे। छत्तीसगढ़ी दिवस मनाये के जिम्मा राजभासा आयोग अउ संसकिरति विभाग उपर छोड़ के सरकार ह कान मुंदे बइठे हाबे। का राज भासा के सम्मान करना सबो के जिम्मेदारी नइ बने। रास्ट भाखा दिवस ल कइसे सबो सरकारी अउ गैर सरकारी विभाग मन मनाथे।
छत्तीसगढ़ी दिवस मनाये बर का राजभासा आयोग बनाये गे हावय? का छत्तीसगढ़ी के सबो सरकारी विभाग के जिम्मेदारी नइ बने के ओमन छत्तीसगढ़ के राजभाखा छत्तीसगढ़ी के सम्मान करय। सरकार ह 28 नवंबर ल छत्तीसगढ़ी दिवस के रूप म मनाये के घोसना करे हाबे। यहू घोसना पउर साल ले होय हाबे। माने सरकार ल छत्तीसगढ़ी दिवस मनावत दूये साल होवथे। अउ राजभाखा बने सात साल होवथे। अब इही मेर आयोग अउ सरकार के मंसा के फरीफरकत होगे के ओमन छत्तीसगढ़ी ल राजभासा अउ छत्तीसगढ़ राजभासा आयोग का खातिर बनाइस हाबे। खैर छत्तीसगढ़ी दिवस के ओढ़र म कखरो पै ल का खोधियाबे। जेकर सो जइसे बनथे छत्तीसगढ़ी के उरऊती बर बुता करन। जइसे हिन्दी दिवस ल सबो सरकारी विभाग मन मनाथे ओइसने छत्तीसगढ़ी दिवस के दिन तको सबो छत्तीसगढ़ी म गोठियान। स्कूल-कॉलेज म तको एक दिन छत्तीसगढ़ी वाचन होवय। छत्तीसगढ़ी म पढ़ाय-लिखाय जावे। कम से कम एक दिन तो अइसन करके देखन। तभे छत्तीसगढ़ी दिवस मनई फत परही।
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