बने जुड़हरे-जुड़हर निगम के चुनई उरकगे अउ पंचइती चुनई अवइया हावय। अतेक जड़काला म तको सहर दंदकत रिहिसे। जड़काला हावय तब ले चुनई वाले मनके मारे कोनो गली, कोनो घर दुवार नइ बाचिस। उंकर रेंगई ले तो भुइंया म फुतकी उड़त रिहिसे। जतके तन मन धन ले मंदिर देवाला म जाके अरजी करत रिहिन हाबे ओतके लगन ले वोट डरइया मनके दुवार म तको नेता मन अरजी-बिनती करत रिहिन हाबे। कतकोन मन तो अपन नेता के दरस पांच बछर पाछू करिन हाबे। सबोच के मन म कुछू-काही बात बर नराज रिहिस फेर आठ दिन के मया म ऊंकर पांच बछर के रीस भुलागे। नेता मन रीस उतारे के दवई जोन धरे रिहिसे। जेन जइसन मांगत रिहिसे, सबो के मंसा पुरा होवत रिहिसे। ए पांच सला तिहार के अगोरा तो कुछ आदमी ल बड़ जतन ले रिथे। काबर के काम बुता खोजे बर नइ परय, अरे आठ दिन तो कमाय बर तको नइ लागय। नेता मनके पाछू-पाछू किंजरना हाबे अउ नारा लगाना हाबे। बस फेर ताहन खाये पीये के कोनो चिंता नइये। ये बात अलग हाबे के जीते के बाद ओला कोनो कुकुर नइ पुछे।
आज जेला देखबे तेला सौ-पचास लोगन के भीड़ धरे किंजर रिथे। बड़का नेता मन सभा करे के आगू चेता के राखे रिथे के बने भीड़ सेकेल के राखहू तभे मै आहू। छोटे नेता मन ऊंकर बात मान के चाहे जइसन होवे, जेन करे बर लागय, कइसनो करके भीड़ जुटाना हाबे इही जुगाड़ म रथे अउ बनिहार मनला कारयकरता बनाके नेता के आगू जय जयकार करवाथे। जतका बड़का नेता, ओकर बर ओतके जादा भीड़ जाही। चलो अब के चुनई ले बनिहार मनके तो फइदा हो जथे। आज ए छाप के नेता के पाछू काल ओ नेता के पाछू। कोनो दिन तो एक जुवार येकर जय अऊ दूसर जुवर दूसइया के जय। जय बोल के पइसा कमाव। कास ये नेता मन चुनई जीते के बाद उकर खातिर कोनो अइसन रद्दा बनातिस के ओमन ल सबर दिन काम बुता मिलते राहय। ओमन ला रोजी-रोटी बर बाट जोहे ल झन होवे। फेर अइसन हो जही तव भीड़ म कोन जुरियाही। गरीब अउ दुखिया नइ रिही तव नेता जी भासन काकर दीही। कोन ल विकास कराये के लबारी किरिया खाही।
अब के चुनई ह तो घर परवार के चुल्हा तको अलगा देथे। एक भाई भारतीय जनता पारटी जी जिंदाबाद, जिंदाबाद-जिंदाबाद काहत हावय तव दूसर भाई कांग्रेस पारटी जिंदाबाद, जिंदाबाद-जिंदाबाद काहत हाबे तव तीसर ह अऊ आन परटी के जय जयकार करथे। दू दिन बने रिहिसे तीन दिन बने रिहिसे चउथईया दिन म भाई-भाई म खिबिड़-खाबड़ मातगे। बाहिर के आन-आन के झगरा घर म आथे के तोर नेता अइसे हे वइसे हे। वो किथे तोर नेता अइसे हे-वइसे हवय। धीरे-धीरे चुनई ह चुल्हा ल तको अलगा देथे। खास करके मंझोलन परवार वाले मनके इही हाल होथे। काबर के सबसे छोटे अउ बड़े परवार वाले मन ला तो अपन काम कउड़ी ले फुरसत नइ मिलय। मंझोलन परवार अपने-अपन म लड़ मरथे। बड़का नेता तो अलग-थलग रिथे फेर मंझोलन परवार के कारयकरता मन ल तो एके तिर रेहे बर हाबे तव रोज-रोज गारी बखाना देवई, पोल पट्टी खोलई म रिस तो लागबे करही। मंझोलन परवार मन लड़ मरथे अउ छोटकू अउ बड़का परवार वाले मन दूनो परटी संग संघर के पइसा झोरे के बुता करथे। काबर के जइसन संग तइसन बेवहार करना, नारा लगाना हे अउ पइसा कमाना हे...चुनई आहे ददा ।
आज जेला देखबे तेला सौ-पचास लोगन के भीड़ धरे किंजर रिथे। बड़का नेता मन सभा करे के आगू चेता के राखे रिथे के बने भीड़ सेकेल के राखहू तभे मै आहू। छोटे नेता मन ऊंकर बात मान के चाहे जइसन होवे, जेन करे बर लागय, कइसनो करके भीड़ जुटाना हाबे इही जुगाड़ म रथे अउ बनिहार मनला कारयकरता बनाके नेता के आगू जय जयकार करवाथे। जतका बड़का नेता, ओकर बर ओतके जादा भीड़ जाही। चलो अब के चुनई ले बनिहार मनके तो फइदा हो जथे। आज ए छाप के नेता के पाछू काल ओ नेता के पाछू। कोनो दिन तो एक जुवार येकर जय अऊ दूसर जुवर दूसइया के जय। जय बोल के पइसा कमाव। कास ये नेता मन चुनई जीते के बाद उकर खातिर कोनो अइसन रद्दा बनातिस के ओमन ल सबर दिन काम बुता मिलते राहय। ओमन ला रोजी-रोटी बर बाट जोहे ल झन होवे। फेर अइसन हो जही तव भीड़ म कोन जुरियाही। गरीब अउ दुखिया नइ रिही तव नेता जी भासन काकर दीही। कोन ल विकास कराये के लबारी किरिया खाही।
अब के चुनई ह तो घर परवार के चुल्हा तको अलगा देथे। एक भाई भारतीय जनता पारटी जी जिंदाबाद, जिंदाबाद-जिंदाबाद काहत हावय तव दूसर भाई कांग्रेस पारटी जिंदाबाद, जिंदाबाद-जिंदाबाद काहत हाबे तव तीसर ह अऊ आन परटी के जय जयकार करथे। दू दिन बने रिहिसे तीन दिन बने रिहिसे चउथईया दिन म भाई-भाई म खिबिड़-खाबड़ मातगे। बाहिर के आन-आन के झगरा घर म आथे के तोर नेता अइसे हे वइसे हे। वो किथे तोर नेता अइसे हे-वइसे हवय। धीरे-धीरे चुनई ह चुल्हा ल तको अलगा देथे। खास करके मंझोलन परवार वाले मनके इही हाल होथे। काबर के सबसे छोटे अउ बड़े परवार वाले मन ला तो अपन काम कउड़ी ले फुरसत नइ मिलय। मंझोलन परवार अपने-अपन म लड़ मरथे। बड़का नेता तो अलग-थलग रिथे फेर मंझोलन परवार के कारयकरता मन ल तो एके तिर रेहे बर हाबे तव रोज-रोज गारी बखाना देवई, पोल पट्टी खोलई म रिस तो लागबे करही। मंझोलन परवार मन लड़ मरथे अउ छोटकू अउ बड़का परवार वाले मन दूनो परटी संग संघर के पइसा झोरे के बुता करथे। काबर के जइसन संग तइसन बेवहार करना, नारा लगाना हे अउ पइसा कमाना हे...चुनई आहे ददा ।
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