चारो मुड़ा ले चुनई-चुनई आरो मिलत रिहिसे। छोटे-बड़े सबो नेता अपन-अपन पारटी के बड़का-बड़का चुनई घोसना पाती धरे लोगन ल मोहाये के उदीम म रमे रिहिस हाबे। चुनई ह घर-घर के चुल्हा अलगाये के ओखी तको होइसे। काबर के सबो के विचार एके नइ हो सकय। कोनो ल राम के काम बने भाथे तव कोनो ल लखन के बेवहार बने लागथे। कोनो ल सुकालू के सियानी मति बने जचथे। अब चुनई तको उरकगे हवय, जीते हाबे तेन मन अपन पद म बइठगे। अउ हारे प्रत्यासी मन कलेचुप झिन बइठो। कलेचुप बइठे ले लोकतंत्र ह तीन बेंदरा बरन हो जही। झन देखव, झन सुनव अउ झन बोलव के रद्दा म रेंगे ले आम आदमी के दिन दूबर हो जही काबर के बपरा ह तो कुछू तीन पांच जाने नहीं कम से कम जानकार मनतो चेत करव। जनता ह हिने कोनो ल नही, हा जेन ला जादा आदमी मन करिस उही ह जीत के माला पहिरिस। हारे मन जनता ले बदला के भावना ल छोड़ ऊंकर हितवा बनही तभे लोकतंत्र के सांस चलही।
अब हमला उकर घोसना पाती के किताब ल हमेसा उघरा रखना हाबे। भुलाय म उनला सुरता कराना हाबे के ओ का का करे के वादा करे रिहिन हाबे। कहू नेता मन चुनई म हार के कारण आम आदमी(मतदाता)के उपर सबो रिस उतारही तव तो मरे बिहान हो जही। लोकसभा, विधानसभा अउ निगम असन गांव-गांव म तको अब विपक्ष के आदमी ल अपन-अपन भूमिका निभाना हाबे। पद वाले के नाक के खाल्हे म बइठे काम ल फत पारे के जुमेदारी विपक्ष ल निभाना हाबे। लोकतंत्र म अपन-अपन नेता चुने के अधिकार सबो ल हाबे। तभे तो एक्कइस म एक झिन जितके आथे। तव बाकी बांचे बीस प्रत्यासी जोन मन हारे हाबे ओहू मन तो काकरो अगवा होही। केहे के मतलब आधा जनता तो उहू मनला अपन नेता के रूप म देखना चाहे रिहिन हाबे, ये बात अलग हाबे के कुछ मत के अंतर के सेती कुर्सी नइ पाइस, माने कुरसी म बइठइया नेता ल ओकर काम के सुरता कराये के जुमेदारी दमदार विपक्ष के होनेच चाही। विपक्ष ह कहू कमजोर परही तव जीतइया ह घलोक अपन मनमानी करही। जनता ले कहे अपन वादा म मुकरे लागही। पद म बइठे नेता ह कहू अपन बात ले मुकरही तव ओहू ल ये बात के डर होना चाही के जनता ओकर का हाल करही। जनता के आवाज बनके आन प्रत्यासी के डटे रेहे ले ही काम ह सपूरन होही। गांव म तक अइसन किस्सा देखे बर मिलथे जिहा आन पारा के नेता आन पारा म काम ल बने रकम ले नइ करावे। जीते नेता ह मनखे चिन-चिन के काम कराथे के कोन वोला वोट दे हावय अउ कोन ह नइ दे हावय। अइसन दू भेदवा नेता मनके चेत चघाये बर पांच साल अगोरा करे बर परही। फेर हमन ला तो अबही काम हाबे, तव का करे जाय कइसे करे जाय ये गुनान करे ला छोड़ जेन पद म हाबे ओकरे सो बरजोरी कर काम ल सिद्ध परवाये बर परही। जब सोज अंगरी ले लेवना नइ निकले त अंगरी ल थोकन टेड़गाये बर परथे। बस उही बरन हमु मन ला अंगरी टेड़गा के तको अपन बुता ल सिद्ध पराये बर कहे ल परही। काबर के जोन नेता चुन के आए हाबे ओहा अपने बेड़ा भर के नेता नोहे, सबो पारा-मुड़ा के जुमेदारी ओकरे उपर हाबे तव चार समाज के चरयारी बुता बर तो जिकर करेच बर परही।
अब हमला उकर घोसना पाती के किताब ल हमेसा उघरा रखना हाबे। भुलाय म उनला सुरता कराना हाबे के ओ का का करे के वादा करे रिहिन हाबे। कहू नेता मन चुनई म हार के कारण आम आदमी(मतदाता)के उपर सबो रिस उतारही तव तो मरे बिहान हो जही। लोकसभा, विधानसभा अउ निगम असन गांव-गांव म तको अब विपक्ष के आदमी ल अपन-अपन भूमिका निभाना हाबे। पद वाले के नाक के खाल्हे म बइठे काम ल फत पारे के जुमेदारी विपक्ष ल निभाना हाबे। लोकतंत्र म अपन-अपन नेता चुने के अधिकार सबो ल हाबे। तभे तो एक्कइस म एक झिन जितके आथे। तव बाकी बांचे बीस प्रत्यासी जोन मन हारे हाबे ओहू मन तो काकरो अगवा होही। केहे के मतलब आधा जनता तो उहू मनला अपन नेता के रूप म देखना चाहे रिहिन हाबे, ये बात अलग हाबे के कुछ मत के अंतर के सेती कुर्सी नइ पाइस, माने कुरसी म बइठइया नेता ल ओकर काम के सुरता कराये के जुमेदारी दमदार विपक्ष के होनेच चाही। विपक्ष ह कहू कमजोर परही तव जीतइया ह घलोक अपन मनमानी करही। जनता ले कहे अपन वादा म मुकरे लागही। पद म बइठे नेता ह कहू अपन बात ले मुकरही तव ओहू ल ये बात के डर होना चाही के जनता ओकर का हाल करही। जनता के आवाज बनके आन प्रत्यासी के डटे रेहे ले ही काम ह सपूरन होही। गांव म तक अइसन किस्सा देखे बर मिलथे जिहा आन पारा के नेता आन पारा म काम ल बने रकम ले नइ करावे। जीते नेता ह मनखे चिन-चिन के काम कराथे के कोन वोला वोट दे हावय अउ कोन ह नइ दे हावय। अइसन दू भेदवा नेता मनके चेत चघाये बर पांच साल अगोरा करे बर परही। फेर हमन ला तो अबही काम हाबे, तव का करे जाय कइसे करे जाय ये गुनान करे ला छोड़ जेन पद म हाबे ओकरे सो बरजोरी कर काम ल सिद्ध परवाये बर परही। जब सोज अंगरी ले लेवना नइ निकले त अंगरी ल थोकन टेड़गाये बर परथे। बस उही बरन हमु मन ला अंगरी टेड़गा के तको अपन बुता ल सिद्ध पराये बर कहे ल परही। काबर के जोन नेता चुन के आए हाबे ओहा अपने बेड़ा भर के नेता नोहे, सबो पारा-मुड़ा के जुमेदारी ओकरे उपर हाबे तव चार समाज के चरयारी बुता बर तो जिकर करेच बर परही।
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