सरकार ह का सोच रखथे छत्तीसगढ़िया खातिर ये बात के पै इही मेर उभरथे के जतेक भी बड़का नेता-अभिनेता बीच सभा म आथे तव सबोच ह एकेच भाखा बोलथे छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया का हमर बढ़िया हाबे तेन ला सबो जानत हाबे। हमर काही मूड़ी-पूछी ल नइ जाने तेनो मन किथे छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया। छत्तीसगढ़ के किसान अउ ओकर खेती के दुर्दसा अउ घड़ी-घड़ी महतारी भाखा के अपमान ल देखके अबतो छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के नारा ह गारी दे बरोबर लागथे।
राज के नेता-अभिनेता मनके बात ल तो छोड़ आन राज के नेता-अभिनेता मन तको जान
डारे हाबे के छत्तीसगढ़ म जाके 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' किबे तहान उहां के
लोगन मन गदगदा के ताली पिटथे। जेन आथे तेने हा भइगे 'छत्तीसगढ़िया सबले
बढ़िया-छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' का-का बढ़िया हाबे छत्तीसगढ़िया के किके सवाल
कोनो ले करबे त एकेच जवाब आथे के छत्तीसगढ़िया मन बड़ सिधवा होथे। माने हमन
सिधवा हाबन तेकर सेती कोनो भी 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' कइके अपन बुता बना
लेथे। दूसर ल काए दोस देबे हमरे भाई-बंद मन पहिली हमर बुता बना देथे अउ
बाद म परोसी ल तको लानथे।
देखव ना छत्तीसगढ़ी भाखा संग का होवथाबे। अवसरवादी मन आयोग म तसमई खात हाबे। बछर भर हिन्दी सम्मेलन म ए राज ओ राज, ए देस ओ देस किंजरत हिन्दी कोति रमे रिथे अउ जब छत्तीसगढ़ राजभासा आयोग के सुरता आथे तव इहू कोति ढरक जथे। उहीं मन सम्मेलन के करता-धरता हो जथे। माने इहू कोति के कलेवा झिन चूके अउ उहू कोति के। बाकी जाय चुक्कूल म।
आयोग ले बने तो पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर हा जबर बुता करे हाबे एम.ए. पाठ्यक्रम सुरू करके। देखते-देखत छत्तीसगढ़ी बिसे म एम.ए. पढ़ईया लइका मनके एक अलंग नाहकगे। जतके झिन मन पढ़के नाहके हाबे ओकर ले आगर लइका मन अबही छत्तीसगढ़ भाखा म एम.ए. के पढ़ई करत हाबे। ओमन ला का पढ़ाय जावथे, का पढ़ाय जाना चाही, अउ का सोज्झे एम.ए. कक्छा सुरू करई का बने होही ये सब बात ल अभी घिरिया देथन अउ एक सूर म सबो छत्तीसगढ़िया मन विश्वविद्यालय अउ कुलपति जी के बड़ई करथन। कम से कम ओमन छत्तीसगढ़ी म एम.ए. सुरू करके स्कूल शिक्षा विभाग ल ये बिसे गुनान करे खातिर मजबूर तो करिन। अब ये स्कूल शिक्षा विभाग के सोच-विचार लगाये के बात आए के जब ओकरे जेवनी बाजू माने विश्वविद्यालय ह कॉलेज म छत्तीसगढ़ी पढ़ई सुरू कर देहे तव स्कूल म काबर नइ हो सकही। जब अंग्रेजी, संस्कृत अउ हिन्दी म एक छत्तीसगढ़ी भाखा बोलइया लइका ह पढ़ई कर सकत हाबे तव छत्तीसगढ़ी ल लिखे अउ पढ़े म का जियान परही। लइका मन बर तो अऊ बने सरल हो जही।
गुने के बात आए के छत्तीसगढ़ राज जिहा दू करोड़ ले आगर छत्तीगसढ़ी के बोलइया हाबे तउन राज म छत्तीसगढ़ी म पढ़ई-लिखई नइ होवय। अउ तो अऊ स्कूल म एक ठिन किताब तको नइ हे छत्तीसगढ़ी के। नोहर-सोहर म एकका-दूक्का पाठ ल समोख के हमर मन मढ़हावत हाबे। सरकार ह छत्तीसगढ़ी ल परचार के भाखा, वोट मांगे के भाखा बना सकथे। फेर काम-काज के भाखा नइ बना सके। अऊ हमू कुछू केहे नइ सकन सरकार ल काबर के 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' हमर माथा म लिखाय हाबे।
देखव ना छत्तीसगढ़ी भाखा संग का होवथाबे। अवसरवादी मन आयोग म तसमई खात हाबे। बछर भर हिन्दी सम्मेलन म ए राज ओ राज, ए देस ओ देस किंजरत हिन्दी कोति रमे रिथे अउ जब छत्तीसगढ़ राजभासा आयोग के सुरता आथे तव इहू कोति ढरक जथे। उहीं मन सम्मेलन के करता-धरता हो जथे। माने इहू कोति के कलेवा झिन चूके अउ उहू कोति के। बाकी जाय चुक्कूल म।
आयोग ले बने तो पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर हा जबर बुता करे हाबे एम.ए. पाठ्यक्रम सुरू करके। देखते-देखत छत्तीसगढ़ी बिसे म एम.ए. पढ़ईया लइका मनके एक अलंग नाहकगे। जतके झिन मन पढ़के नाहके हाबे ओकर ले आगर लइका मन अबही छत्तीसगढ़ भाखा म एम.ए. के पढ़ई करत हाबे। ओमन ला का पढ़ाय जावथे, का पढ़ाय जाना चाही, अउ का सोज्झे एम.ए. कक्छा सुरू करई का बने होही ये सब बात ल अभी घिरिया देथन अउ एक सूर म सबो छत्तीसगढ़िया मन विश्वविद्यालय अउ कुलपति जी के बड़ई करथन। कम से कम ओमन छत्तीसगढ़ी म एम.ए. सुरू करके स्कूल शिक्षा विभाग ल ये बिसे गुनान करे खातिर मजबूर तो करिन। अब ये स्कूल शिक्षा विभाग के सोच-विचार लगाये के बात आए के जब ओकरे जेवनी बाजू माने विश्वविद्यालय ह कॉलेज म छत्तीसगढ़ी पढ़ई सुरू कर देहे तव स्कूल म काबर नइ हो सकही। जब अंग्रेजी, संस्कृत अउ हिन्दी म एक छत्तीसगढ़ी भाखा बोलइया लइका ह पढ़ई कर सकत हाबे तव छत्तीसगढ़ी ल लिखे अउ पढ़े म का जियान परही। लइका मन बर तो अऊ बने सरल हो जही।
गुने के बात आए के छत्तीसगढ़ राज जिहा दू करोड़ ले आगर छत्तीगसढ़ी के बोलइया हाबे तउन राज म छत्तीसगढ़ी म पढ़ई-लिखई नइ होवय। अउ तो अऊ स्कूल म एक ठिन किताब तको नइ हे छत्तीसगढ़ी के। नोहर-सोहर म एकका-दूक्का पाठ ल समोख के हमर मन मढ़हावत हाबे। सरकार ह छत्तीसगढ़ी ल परचार के भाखा, वोट मांगे के भाखा बना सकथे। फेर काम-काज के भाखा नइ बना सके। अऊ हमू कुछू केहे नइ सकन सरकार ल काबर के 'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया' हमर माथा म लिखाय हाबे।
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