भारत के संविधान के जानकारी के मामला म का पढ़े-लिखे अउ का अनपढ़ सबो एकेच बरोबर। गांव अउ शहर के स्कूल म सत्रह बच्छर म सत्रह कलास पढ़ई कर डारेन तभो ले अंगठा छाप। कभू-कभू तो मन म आथे के कॉलेज ले मास्टर के डिग्री ले के बजाए संविधान के किताब म माथा खपाय रितेव तव आज कुछू काम के आदमी बन जाये रितेन।
जानकार मनके मुताबिक संविधान ह भारत के सबो नागरिक ल समानता अउ स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार दे हावय। ग्राम पंचायत, जनपद हो या नगर पालिका जोन हमला सुविधा देवत हावय वो कोनो जन प्रतिनिधि के दया अउ मेहरबानी नोहय, हमर अधिकार आए।
हम अपन संविधान ल सर्वोपरि मानथन, ओकर एकक आखर कानून आए तब अगर भारत के एक भी आदमी संंंंग कहू असंवैधानिक बेवहार होवत हाबे या फेर ओला संविधान के अनुरूप मौलिक अधिकार नइ दे जावत हाबे तव येकर जिम्मेदारी काखर बनथे। लोक सभा, विधान सभा म चुन के अवइया नेता मन तको तो शपथ लेथे के देश विधान के अनुरूप काम करबो। एकता अउ अखंडता ल अक्षुण बनाये राखबोन। अउ ये सुनत-सुनत 65 बच्छर बितगे। प्रशासनिक अधिकारी मनला घलोक इही किरिया रिथे। तव फेर अब तक संविधान के सबो आखर आम जनता म परगट होत काबर नइ दिखे। घुम-फिर के फेर बात उहीच मेर आगे के ओ नेता मन कोन से हमर संविधान के बात ल जानथे जेकर किरिया खाये हाबय। अब सबो भारतीय ल भारत के संविधान पूरा पढ़े बर परही तभेच हम जान पाबोन के 65 बच्छर ले संविधान के पालन करे के फोकट किरिया खवइया मन बर संविधान म का का सजा के प्रावधान करे गे हावय। हम किथन के हमर वोट सबले बड़े ताकत आए फेर यहू ताकत ल तो देखते हाबन। वो पांच साल म एक पइत हमर आगू हाथ लमाथे अउ हमन अवरधा भर उकर आगू हाथ लमाये खड़े रिथन। अऊ कब तक अपने हक बर लुलवाबो संविधान पोथीच जाने।
- जयंत साहू
jayantsahu9@gmail.com
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