भोलापन म लुटगेन हम

देश भर म चिटफंड कंपनी के खिलाफ पुलिस प्रशासन ह ताबड़तोड़ कार्रवाई करत हावय। इकर धरपकड़ ले तो अइसने जनाथे मानो घटना होय के पहिलीच पहुंचगे। जबकि चिटफंड के जाल ह इंकरे सह म अतेक फैले हावय। लोगन के लुटे के बाद होवइया कार्रवाई ह सांप रेंगे के बाद लउठी पटके वाला ताए। कंपनी के खुलते लगाम लगाये जातिस तव शायद आज लोगन के जमा पूंजी नइ डूबतिस। नाम भले अब चिटफंड कंपनी होगे फेर येमन अपन काम ल लुका चोरी ले नइ करे हावय। बकायदा बड़े-बड़े शहर म इकर कार्यालय खुले हावय। कंपनी के लाखों कार्यकर्ता हावय। अब सात साल बाद अचानक पुलिस ह उकर कार्यालय म पहुंचके कर्मचारी अउ एजेंट ल गिरफ्तार करके ये खुलासा करथे के हमन चिटफंड के भांडाफोड़ करेन तव ये बात सहराये के लइक नोहय काबर के देखब म आए हे के हरेक चिटफंड के दफ्तर के तिर तखार म थाना हावय, ओतका दिन ले उकर आंखी काबर नइ उघरिस।
बात म गौर करे जाय तव कंपनी रजिस्टार जेन ह अइसन कंपनी ल पंजीकृत करय, का उकरो जांच नइ होना चाही? जेन क्षेत्र म इकर कार्यालय चलय ओ कोति के नगरपालिका, जोन अफसर, पुलिस चौकी प्रभारी, संचालित भवन के मालिक मनला का येकर जानकारी सात साल बाद होइसे? जबकि चिटफंड के दफ्तर म रोज हजारों कार्यकर्ता अउ निवेशक मनके हुजुम लगे राहय। का ओ कोति पुलिस पेट्रोलिंग नइ होइस होही, अब जब सब कुछ समेट के कंपनी चलते बनिस तब कहत हावय के इहां चिट होइसे। जनता के रूपिया डूबे हावय अउ येमा दोसी सबो हावय।  कंपनी मालिक, अंशधारी मालिक संग कर्मचारी अउ एजेंट मनला अपराधी बनाये जावथे। माननीय न्यायालय ल ये मामला ल संज्ञान म लेके कुछ सलाह देना चाही। काबर के जेन मन एजेंट के रूप म काम करत हावय वहू मन धोखाधड़ी के शिकार होय हावय।
जतेक भी चिटफंड कंपनी के एजेंट पकड़ावत हावय सबो गांव के गरीब परिवार के लइका निकलत हावय। सबो के कहना हावय के ओमन कंपनी के प्लान ल देखके काम करे हावय। जइसन कंपनी के चाल-चलन रिहिस हमन ला गमे नइ रिहिस के येहा चिटफंड के काम करत हावय। कंपनी मालिक संग खादी अउ खाकी दूनों के उठना बइठना रिहिस। अब अचानक अतेक अकन कंपनी कइसे एक साथ कारोबार ल समेट दिस यहू म संका हावय।
बेरोजगारी अउ गरीबी ले हार के लोगन मन काम करे खातिर आए रिहिस। एजेंट मन किथे के हमन कहू जान पातेन के ये कंपनी फर्जी आए अउ रूपिया लूट के भागही तव अइसन काम कभू नइ करतेन। हम तो खुद गुमराह म रेहेन। उकर बात म गौर करे जाय तव ओमन ल अपराधी मानना कुछ हद तक सही नइये। लेकिन हमर देश के कानून किथे एक रूपिया चोराय चाहे एक हजार चोरी तो चोरी आए। लोगन के डूबे रकम म एजेंट मन कमीशन पाये हाबे अइसन म सबके उपर धोखाधड़ी के केस बनथे। फेर धोखा तो कंपनी मालिक करे हावय। कानून के जानकार मन किथे के अपराध तब माने जाथे जब जानबूझ के कोनो ल नुकसान पहुंचाये खातिर काम करे जाए, न कि भलई करे खातिर। अब इहां कोनो एजेंट जानबूझ के अपने घर परिवार के लोगन मन ला थोरहे डूबोही। कंपनी के नियत ले अंजान एजेंट परिवार वाले के लाखों रूपिया ल इही सोच के जमा करवाइस के बने बियाज मिलही।   
 * जयंत साहू*
jayantsahu9@gmail.com
add- dunda-52ward; post- sejbahar raipur cg
492015

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-02-2016) को ''चाँद झील में'' (चर्चा अंक-2248)) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    चर्चा मंच परिवार की ओर से स्व-निदा फाजली और अविनाश वाचस्पति को भावभीनी श्रद्धांजलि।

    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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