कोरोना के सेती गांवबंदी



कोरोना वायरस अब अपन जनम भुइंया चीन के वुहान ले निकलगे हावय सरी दुनिया खुवार करे खातिर। कोनो नी जाने रे भाई कतका के जीव लेके आवत हावय। कोनो नी जाने रे भाई येकर दवई ल। बीमारी होही अउ पट ले मरबे अइसन तको तो नी हे रे भाई। अपन तो जाही अउ संग म जतका झिन सपेड़ा म आही, रपेट के ले जही। अलवा-जलवा झिन जान रे भाई तीन हजार किलोमीटर ले उड़ाके आये हाबे माने हाहाकार मचाके जाही। अइसन गोठबात संग कतकोन गांव के जागरूक लोगन मन गांवबंदी करे हावय। माने अपन गांव म अवइया रद्दा ल ही बंद कर दे हावय। अइसे नहीं के आड़ काट के चैन से सुते हावय बल्कि ओसरीपारी पाहरा तको देवत हावय। जय जय होवय अइसन सोचे बिचारे फइसला के। सबो बने बने रही तव जरूर मेहनत के फल मिलही अउ गांव का सरी जग ये चाइना के कोरोना बीमारी ले उबरही।

लोगन के मन म सवाल उमड़त हावय के ये बीमारी हमर कोती कइसे आइस। तव बात अइसे हे के कोरोना नाव के वायरस ले हमर देश म विदेश ले अवइया लोगन मन धरके लानिस। कोनो विदेश घुमे बर गे रिहिसे, कोनो पढ़े बर गे रिहिसे अउ कतकोन झिन मन रूपिया कमाये बर गे रिहिसे। अब ये बात सोचव की जेमन विदेश म रिहिन तेन मनला का जानबा नी रिहिसे के कोरोना महामारी सचरत हावय, कम पढ़े अप्पढ़ तो नोहय। सब के सब जानत रिहिसे के ये कोरोना बहुत ही जी लेवा बीमारी आए। इही पाके तो उहां ले धकर-लकर भागिस अउ अपन-अपन घर म आगे। उहां ले बांच के आये के बाद इहां उही लोगन मन जीव बांचगे ददा कहिके गली-गली छैलानी मारिस। इहां-उहां न जाने कहां-कहां वायरस ल बगरा दिस। जबकी ओमन ला कानोकान चेताये रिहिसे के कहूंच नी जाना हे अकेल्ला रहना हाबे। घेरे-बेरी हाथ धोना हे, ते जेकर तिर म जाबे तेकरो उपर ये वायरस खुसरही। 

पढ़े लिखे अड़हा मन के गलती के भुगतना अब सरी देश भुगतत हावय। देश म 21 दिन के कर्फ्यू लगे हावय। सरकार साफ-साफ चेताय हाबे के कोनो ल बाहिर नी निकलना हाबे। ये मामला म हमर छत्तीसगढ़ के गांव के लोगन म बने चेत करत हावय अपन-अपन गांव के मेड़ों में कांटा छरप के बाहिर के अवइया-जवइया ल रोकत हावय। बहुत अकन गांव के लोगन मन रद्दा म पेड़ गिरा के आन आदमी मनके अवइ ल रोकत हावय। गांव के जवान मन परहरा देवत हावय के कोनो गांव ले बाहिर न जा सके अउ न कोनो गांव भीतर आ सके। अइसने साव चेत राहव हो। गांव म निस्तारी करव। हांसी-खुशी ले दुबर दिन काटव। जेन होही बनेच होही इही आस राखे राहव।

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